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आज के समय में बहुत-सी गंभीर बीमारियों में शामिल है कैंसर और एचआईवी यानि ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) जिसको एड्स के नाम से भी लोग जानते हैं। एड्स यानि एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired immunodeficiency syndrome) जो बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसमें मरीज का इम्यून सिस्टम धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और फिर विफल हो जाता है।
एचआईवी किसी भी व्यक्ति को हो सकता है यह अक्सर एक से अधिक यौन संबंध रखने वाले व्यक्ति को होने का खतरा अधिक रहता है। अगर कोई किसी संक्रमित व्यक्ति से संबंध बनाता है तो यह वायरस उसको अपनी चपेट में ले लेता है। यह संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल हुई सुई अगर किसी असंक्रमित व्यक्ति पर इस्तेमाल की जाए तो उसको भी यह वायरस हो सकता है। इसे जानने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं, क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए आदि के बारे में इस ब्लॉग में बात करेंगे।
बहुत से ब्लड टेस्ट और सीरम टेस्ट मौजूद है, यह बताने के लिए कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। मगर ज्यादातर टेस्ट एचआईवी का पता नही लगा पाते हैं क्योंकि शरीर में वायरस द्वारा एंटी-बॉडी बनने में समय लगता है। एचआईवी टेस्ट के तीन मुख्य रूप होते हैं:
एंटीबॉडी टेस्ट: इस टेस्ट के दौरान खून या मुंह से निकले तरल पदार्थों में एचआईवी वायरस का टेस्ट किया जाता है। हमारे शरीर में एंटीबॉडी बीमारी से लड़ने वाले प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया करने के लिए बनाते हैं।
संयोजित टेस्ट: इस टेस्ट के दौरान खून में दोनों प्रकार के एंटीबॉडी या एंटीजेन का पता लगाया जाता है। संयोजित टेस्ट (Combined Tests) की मदद से एंटीबॉडी टेस्ट से पहले ही हम एचआईवी संक्रमण का पता लगा सकते हैं।
न्यूक्लिक एसिड टेस्ट: यह टेस्ट काफी महंगा होता है। इस टेस्ट की मदद से खून में एचआईवी की जांच 7 से 28 दिन बाद उपयुक्त होती है।
एचआईवी टेस्ट इस बात की पुष्टि करने के लिए होता है कि व्यक्ति को एचआईवी का संक्रमण है या नहीं। एचआईवी टेस्ट के बाद, यदि यह संक्रमण नहीं है तो आप और आपका साथी स्वस्थ और तनाव मुक्त रहते हैं।
अगर आपका टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव है, तो एचआईवी के लिए आप इलाज शुरू करके दवाई ले सकते हैं। अपने इलाज के जरिए आप आने वाले कई सालों तक खुदको स्वस्थ रख सकते हैं।
अगर आप गर्भवती है तो आपको एचआईवी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। आप इस समस्या से ग्रस्त है तो शुरुआत में ही दवाई देकर होने वाले शिशु को इस संक्रमण से बचाया जा सकता है।
एचआईवी संक्रमण जब शुरू होता है तो शरीर में आम लक्षण नज़र आते हैं जैसे कि फ्लू और अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। एचआईवी संक्रमण के लक्षण जल्दी से समझ नहीं आते हैं इसलिए इनका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। यह व्यक्ति के अंदर कुछ दिनों तक रहते हैं और एक समय के बाद फिर खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं। एचआईवी संक्रमण के लक्षण की बात करें तो वह कुछ इस प्रकार है:
बुखार: यह शुरुआती लक्षणों में से एक है और यह इतना आम है कि लोग समझ नहीं पाते हैं कि यह बुखार किसी और कारण से भी हो सकता है।
थकान: व्यक्ति बिना ज्यादा शरीरिक काम करें भी हर समय थकान महसूस कर रहा हो तो यह भी एचआईवी संक्रमण का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
गले में दर्द: अगर आप काफी समय से गले में खराश या दर्द महसूस कर रहे हैं तो यह भी एक शुरुआती लक्षण हो सकता है।
मांसपेशियों में दर्द: एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त व्यक्ति शुरुआती चरण में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द महसूस कर सकता है।
सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण: एचआईवी संक्रमण के शुरुआती चरण में लोगों में बुखार के साथ ठंड या कंपकंपी महसूस करते हुए देखा गया है।
जब एचआईवी संक्रमण बढ़कर एड्स में बदलता है, तब शरीर का इम्यून सिस्टम बहुत तेजी से कमजोर होने लग जाता है। अगर एड्स के लक्षणों की बात की जाए तो उसमें शामिल है:
वजन का कम होना: जब अचानक से बिना किसी वजह से व्यक्ति का वजन कम होने लग जाए तो एचआईवी संक्रमण एडवांस लेवल पर जा चुका है।
त्वचा पर चकत्ते: अगर व्यक्ति को अपनी त्वचा पर चकत्ते या घाव नज़र आने लग जाए तो और वह काफी लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहे है, तो यह एक बड़ा लक्षण है कि आप एड्स संक्रमित हो सकते हैं।
सांस लेने में कठिनाई: एड्स कि अवस्था में व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कतें आ सकती है।
बार-बार संक्रमण होना: एचआईवी संक्रमण होने का सबसे बड़ा लक्षण है यह कि आपका शरीर बार-बार संक्रमण से परेशान हो सकता है।
मानसिक स्थिति में बदलाव नज़र आना: एड्स संक्रमित व्यक्ति में आप मानसिक तौर पर बदलाव देख सकते हैं। उस व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगेगी, भ्रमित होना और अचानक से मूड स्विंग्स होने शुरू हो जाएंगे।
सुरक्षित यौन संबंध: अगर आप एचआईवी संक्रमण से बचना चाहते हैं तो कंडोम का इस्तेमाल करें, इससे आप एचआईवी संक्रमण के खतरे को कम कर सकते हैं।
सुई या अन्य तेज उपकरण साझा न करें: किसी भी व्यक्ति से सुई का आदान-प्रदान न करें, ऐसा करना एचआईवी संक्रमण के खतरे को कम कर देता है।
नियमित जांच: हर 3 से 6 महीने में स्वास्थ्य जांच करवा सकते हैं जिससे आप बेफिक्र होकर जी सकते हैं कि आपको एचआईवी संक्रमण नहीं है।
एचआईवी संक्रमण से पहले से उसके बारे में सही से समझना बहुत ज़रूरी है। टेस्ट करने से पहले आपको सलाहकार कुछ बाते आपसे साझा कर सकता है जैसे कि
एचआईवी संक्रमण क्या है और कैसे फैलता है?
एचआईवी टेस्ट कैसे किया जाता है?
एचआईवी संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?
रिजल्ट को गुप्त रखा जाता है उसके बारे में जानकारी
एचआईवी संक्रमण होने पर ली जाने वाली दवाईयां
इस टेस्ट के लिए आमतौर पर एक डॉक्टर या तकनीशियन व्यक्ति का खून का नमूना निकालते हैं। टेस्ट के लिए उस नमूना को लैब में भेज दिया जाता है। इस टेस्ट के लिए उंगली को अल्कोहल से साफ किया जाता है और सुई चुभा कर कुछ खून की बूंदे निकाल ली जाती हैं। फिर उस नमूने को लैब में भेज दिया जाता है।
एंटीबॉडी टेस्ट जो लैब में भेजे गए होते हैं उनके रिजल्ट आने में कम से कम एक से तीन दिन लग जाते हैं। अगर टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव है तो लैब से रिजल्ट आने में थोड़ी देरी हो सकती है क्योंकि एचआईवी एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए एक बार फिर से टेस्ट किया जाता है।
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एचआईवी संक्रमण एक गंभीर बीमारी है इसको नजरंदाज करना व्यक्ति की जान ले सकता है। लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके टेस्ट करवाएं और अपना इलाज शुरू करें। ऐसा करने से व्यक्ति का जीवनकाल बढ़ सकता है और दवाइयों की मदद से वह एक स्वस्थ जीवन भी जी सकता है।