मौसम के बदलते ही ना जाने कितनी बीमारियों का आगमन हो जाता है और हम मौसम के बदलाव के कारण होने वाले बुखार पर ध्यान भी नहीं देते हैं। लेकिन कई बार यह नादानी आपको किसी बड़ी समस्या में फाँसा सकती है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही ना बरते! ऐसे मौसम के बदलाव के कारण कई वाइरल फीवर होते हैं उनमें से एक है चिकनगुनिया। इस ब्लॉग के जरिए हम इस वाइरल बुखार के बारे में विस्तार से जानेंगे।
मच्छरों के काटने वाली बीमारी में से एक है चिकनगुनिया। यह मौसमी बीमारी है और यह अल्फावायरस के कारण होती है। यह बीमारी किसी को छूने से फैलने वाली नहीं है लेकिन अगर किसी इन्फेक्टिड व्यक्ति का खून किसी आम व्यक्ति को चढ़ाया जाएगा, तब यह उसके शरीर में ट्रैन्स्फर हो जाएगी। यह साथ खाना खाने या शारीरिक संपर्क में आने से नहीं फैलती है।
चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है जो एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है। इसके और भी अन्य कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से यह बीमारी आपको या आपके किसी अपने को अपनी चपेट में ले सकती है। आइए जानते हैं वो कारण:
मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति के खून को चूसकर वायरस को अपने अंदर ले लेता है। उस मच्छर को एडीज मच्छर कहते हैं और यह वायरस उस मच्छर के द्वारा फैलता है। यह मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटकर इस वायरस को उसके शरीर में पहुंचाता हैं।
अगर कोई व्यक्ति चिकनगुनिया से संक्रमित वाले क्षेत्र में यात्रा करता है, तो उसे मच्छर के काटने का जोखिम और भी अधिक बढ़ जाता है। उस व्यक्ति को चिकनगुनिया होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
जिस भी क्षेत्र में पानी जमा हो या आपके घर के आस-पास टायर, किसी भी तरह के कंटेनर में मच्छर पनप रहे हो, तो उस वातावरण में रहना सुरक्षित नहीं है। इस तरह के वातावरण में चिकनगुनिया व डेंगू जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
वैसे जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वह अक्सर जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। वह बहुत ही आसानी से किसी भी वायरस की चपेट में आ जाते हैं।
सर्दी के मुकाबले गर्मी और बारिश के मौसम में मच्छरों की तादात बढ़ जाती है, जिससे चिकनगुनिया का संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक हो जाता है।
चिकनगुनिया के लक्षणों की बात की जाए तो यह बहुत ही आम और सामान्य होते हैं। अक्सर सभी मौसमी बीमारी की तरह इसके भी लक्षण बाकियों से काफी मिलते-जुलते हैं। मगर समय के साथ इसके लक्षण बदलते हैं और हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग देखने को मिल सकते हैं।
चिकनगुनिया के मुख्य लक्षणों में से एक है जोड़ों का दर्द। मरीज को दर्द के साथ सूजन, खिंचाव भी महसूस हो सकता है।
किसी भी वाइरल या वायरस से जुड़ी समस्या में बुखार आना सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है। यह बुखार अचानक से महसूस होगा और यह काफी लंबे समय तक भी रह सकता है। भारत में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे वायरल बुखार आम हैं। अन्य सामान्य बुखारों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारा अंग्रेजी ब्लॉग 12 Common Fevers in India भी पढ़ सकते हैं।
चिकनगुनिया होने पर मरीज की आँखें लाल होती नज़र आ सकती है, साथ ही आँखों के आस-पास सूजन भी दिखाई दें सकती है।
जब चिकनगुनिया शरीर में फैलने लगता है तब हाथ-पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर लाल रंग के दाने होते हुए दिखाई दें सकते हैं, जो कि बहुत बड़ा संकेत है।
बुखार के कारण मरीज को बहुत थकान महसूस हो सकती है। इसलिए चिकनगुनिया के समय डॉक्टर मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की सलाह देते हैं।
चिकनगुनिया के बुखार के कारण मरीज को बहुत कमजोरी महसूस हो सकती है।
तेज़ बुखार होने के कारण शरीर और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
वायरस से जुड़े बुखार या बीमारी में शरीर में सूजन आना एक आम लक्षण माना गया है। चिकनगुनिया के समय में भी मरीज के शरीर में सूजन देखने को मिल सकती है।
बुखार के कारण अक्सर उल्टी या मतली जैसा महसूस करना एक आम लक्षण में माना जाता है।
मलेरिया से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारा "Malaria In Hindi: जानिए मलेरिया के लक्षण कारण और उपचार" पर हिंदी में लिखा यह ब्लॉग ज़रूर पढ़ें।
अगर किसी भी व्यक्ति को बताए हुए लक्षण नज़र आ रहे हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर द्वारा बताई हुई सभी बातों को ध्यान से सुने और फॉलो करें। डॉक्टर जो दवाई दें उसे समय पर खाए और उनके द्वारा बताए हुए जरूरी टेस्ट करवाएं। चिकनगुनिया की पहचान करने के लिए कुछ टेस्ट की सलाह दी जाती है:
सबसे पहले किसी तरह का बुखार जो वायरस से जुड़ा होता है उसके लिए हमेशा आपको खून की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। जिससे वायरस कान्फर्मैशन होने के बाद मरीज का इलाज सही दिशा में शुरू किया जाए। ब्लड टेस्ट में भी दो प्रकार है -
आर टी–पीसीआर टेस्ट: आर टी–पीसीआर (RT-PCR), इस टेस्ट की मदद से वायरस की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
सीरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Tests): इस टेस्ट में आईजीएम ((IgM))और आईजीजी ((IgG) एंटीबॉडी को देखने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से शरीर में वायरस के लिए बनी एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। आईजीएम (IgM) एंटीबॉडी संक्रमण के शुरुआत में बनती हैं, वही आईजीजी (IgG) एंटीबॉडी बाद में बनती हैं और ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती हैं।
कई बार कुछ अन्य वायरस वाले बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया आदि से अलग पहचान करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट किए जाते हैं। सही बीमारी की पहचान हो सकें और सही इलाज शुरू किया जा सकें, जिससे मरीज जल्द-से-जल्द ठीक हो जाए।
अगर आप शरीर में कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों के टेस्ट के बारे में जानना चाहते हैं, तो "CEA टेस्ट in hindi" से जुड़ी जानकारी ज़रूर पढ़ें।
इस बीमारी के लिए कोई दवाई या इलाज नहीं बना है लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर, इस समस्या पर कंट्रोल पाया जा सकता है और साथ ही इलाज में सहायक रहती है।
डॉक्टर द्वारा बताई हुई दवाइयों को सेवन करें। अपनी मर्जी से किसी भी तरह की दवाई का सेवन ना करें।
जितना हो सकें मच्छरों से बचाव करें। अपने आस-पास सफाई रखें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने शरीर को ढंककर रखें।
मच्छरों से बचाव वाली क्रीम या तेल का इस्तेमाल करें।
ज्यादा से ज्यादा आराम करें। जितना शरीर को आराम मिलेगा उतनी ही जल्दी आपकी सेहत में सुधार देखने को मिलेगा।
संतुलित आहार का सेवन करें। अच्छी मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें जिसके लिए फल, सब्जियां और जूस को अपनी डाइइट में शामिल करें।
चिकनगुनिया वाले क्षेत्र में जाने से बचें।
अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए तुलसी के पत्तों का सेवन करें। यह शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने में काफी मददगार रहती है।
गिलोय के रस का सेवन करने से इम्यून सिस्टम और बेहतर तरीके से काम करता है। यह बुखार को कम करने में मददगार रहता है।
जैसा आप सभी जानते हैं कि हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। चिकनगुनिया के समय रात को सोते समय एक गिलास हल्दी वाला दूध का सेवन जरूर करें।
चिकनगुनिया के समय त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए आप नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से समस्या बढ़ेगी नहीं साथ ही आप संक्रमण से भी बचाव कर पाएंगे।
चिकनगुनिया में लहसुन का सेवन काफी लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से मरीज की इम्यूनिटी बढ़ेगी साथ ही यह विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
अदरक का सेवन करके आप सूजन जैसी समस्या में राहत पा सकते हैं। अदरक वाली चाय या अदरक को कच्चा चबाकर खाने से दर्द और सूजन दोनों में आपको आराम मिलेगा।
अगर आप मेथी दाने को रातभर भिगोकर रखें और सुबह इन्हे खा लें या फिर इनका पेस्ट बनाकर दर्द वाली जगह पर लगाएं। दोनों ही सूरत में आपको आराम मिलेगा।
विटामिन-सी वाले फलों का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। अगर आप अपनी डाइइट में इनका इस्तेमाल करते हैं तो आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होगी।
जोड़ों के दर्द में आराम पाने के लिए आप सिकाई भी कर सकते हैं। सिकाई शरीर में आई हुई सूजन को कम करने के लिए भी कर सकते हैं।
अगर मरीज की प्लैट्लट काम हो रही हो और उसे बढ़ाने के लिए पपीते के पत्तों का रस का सेवन करना बहुत ही ज्यादा लाभकारी माना गया है।
पानी का अधिक सेवन करें जिससे आपका शरीर हाइड्रेटेड रहें। आप चाहे तो अपनी डाइइट में नारियल पानी, फल-सब्जियों का जूस आदि भी शामिल कर सकतें है।
चिकनगुनिया के मरीज शराब का सेवन बिल्कुल ना करें। कोशिश करें कम से कम कैफीन आपके शरीर में जाए जिसे आपका शरीर हाइड्रेटेड रह सकें। अपने आस-पास सफाई रखें, स्वस्थ खाएं, खुदको ढंक कर रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें। डॉक्टर द्वारा बताई हुई दवाई का सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा से आराम करें। इन सभी बातों को ध्यान में रखें और फॉलो करने से आप चिकनगुनिया की बीमारी से जल्द राहत पा सकते हैं।
Influenza and seasonal flu in hindi
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।