आप सभी यह बात तो जानते ही होंगे कि मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है और यह गर्मियों के महीने में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। इसी बीमारी के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे कि यह कैसे होती है? इसके लक्षण, कारण, इलाज और इसके लिए कौन-से टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है!
मलेरिया एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है जो एक मादा मच्छर के काटने से होती है। यह एक एनोफिलीज मादा मच्छर या कहें कि प्लास्मोडियम परजीवी संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। जब संक्रमित मादा मच्छर किसी व्यक्ति को कटती है तो वह अपना सलाइव उस इंसान के शरीर में छोड़ देती है। फिर यह संक्रमण रक्तप्रवाह के जरिए लिवर तक पहुंचता है, जहां लिवर को प्रभावित करते हुए यह लाल कोशिकाओं नुकसान पहुंचना शुरू करता है, जिससे शरीर में मेलरिया के लक्षण नज़र आने लग जाते हैं।
बुखार आना
ठंड लगना
थकान या तनाव महसूस होना
खून की कमी (गंभीर परिस्थिति में )
सिर दर्द होना
शरीर में दर्द होना
उल्टियाँ या मतली जैसा महसूस होना
चक्कर आना
तेज़ सांसे लेना
सांस लेने में दिक्कत होना
दस्त
खांसी
छाती में दर्द होना
कमजोरी महसूस होना
भारत में पाए जाने वाले अन्य सामान्य बुखारों के बारे में जानने के लिए "12 Common Fevers in India: Symptoms, Causes & Treatment" पर यह लेख पढ़ें।
मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो मादा मच्छर जिसको प्लास्मोडियम परजीवी संक्रमण होता है उसके काटने की वजह से होती है। मलेरिया होने अन्य भी के कारण हो सकते हैं जिनके बारे में हमें पता होना चाहिए जैसे कि :
परजीवी प्लास्मोडियम (Parasite Plasmodium): यह मादा एनोफिलीज के काटने के बाद व्यक्ति के रक्त में एक प्लास्मोडियम परजीवी संक्रमण प्रवेश करता है जो लिवर को प्रभावित करता है। लिवर में जाकर यह संक्रमण वह डबल होता है और वापिस रक्तप्रवाह के जरिए लाल कोशिकाओं के प्रभावित करने लग जाता है, जिससे शरीर में मलेरिया के लक्षण नज़र आने लग जाते हैं।
सामाजिक कारण (Social Causes): जहां साफ-सफाई न हो उस क्षेत्र में मलेरिया का बढ़ना तय है। इसके सिवा संक्रमण का सबसे बढ़ा कारण क्षेत्रों कि जलवायु परिवर्तन, विवाद, और गरीबी भी को माना गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गंदगी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और कुपोषण भी मेलरिया को बढ़ावा देता है।
खराब स्वास्थ्य प्रबंधन (Poor Health Management): अगर मलेरिया से बचाव करने वाली सुविधाओं में ही कमी हो तो यह समस्या बढ़ती ही जाएगी और इस पर रोकथाम लगा पाना मुश्किल हो जाएगा। इस पर रोकथाम लगाने के लिए ज़रूरत है मच्छरदानी, कीटनाशक और मलेरिया से जुड़ी दवाइयों की। अगर इनकी कमी जिस भी क्षेत्र में होती है वह यह बीमारी तेज़ी से फैलती है और हर साल काफी लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।
वातावरण: जलभराव जैसे इलाकों में मलेरिया जैसे गंभीर बीमारी के खरते बहुत ही अधिक हो जाते हैं।
मलेरिया होने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं जिसमें शामिल है दूषित या साझा की हुई सुई , अंग प्रत्यारोपण (organ tarnsplant), संक्रमित खून चढ़ जाना (blood transfusion), गर्भवती महिला से उसके बच्चे को होना आदि। यह सब कारण भी मलेरिया होने के जोखिम हो बढ़ देता है। मलेरिया की तरह ही चिकनगुनिया भी मच्छरों से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है। पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। "Chikungunya in Hindi: जानिए कारण, लक्षण, निदान और उपचार !"
मलेरिया के कई प्रकार होते हैं जिनके लक्षणों पर नज़र या ध्यान रखकर, यह पता लगाया जा सकता है कि यह कौन-सी स्थिति है।
बेनिगन मलेरिया- बेनिगन मलेरिया (Benign Malaria) इस अवस्था में मरीज के अंदर लक्षणों की पहचान आराम से की जा सकती है। मरीज को तेज़ बुखार, अधिक पसीना और ठंड के साथ कंपकंपी लगती हुई नज़र आती हैं।
मैलिग्नेंट मलेरिया- मैलिग्नेंट मलेरिया (malignant Malaria) इस अवस्था में अचानक से मलेरिया के लक्षण नज़र आते हैं साथ मरीज को सांस से जुड़ी समस्या और लिवर विफलता जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम- प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) यह मलेरिया का वह प्रकार इसमें खून की कमी, दिमागी बुखार, बहु-अंग विफलता के कारण बन जाते हैं, जिसकी वजह से मरीज की जान जाने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
प्लास्मोडियम विवैक्स- मलेरिया के प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) के इस प्रकार में मरीज को बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है क्योंकि यह लिवर के निष्क्रिय अवस्था में रहता है जो कई महीनों या सालों के बाद वापिस से सक्रिय हो जाता है।
प्लास्मोडियम ओवेल- प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) यह मलेरिया का इतना गंभीर प्रकार तो नहीं है लेकिन यह लिवर के निष्क्रिय रह जाने के कारण वापिस से सक्रिय हो सकता है। इतनी चिंता करने कि आवश्यकता नहीं है, अगर आप समय से दवाई खाए और स्वस्थ आहार का सेवन करें तो इससे बचाव हो सकता है।
प्लास्मोडियम मलेरिया- प्लास्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malaria) के इस मामले में मलेरिया का संक्रमण काफी लंबे समय तक आपके खून में रह सकता है जिसके लक्षण आपको धीरे-धीरे दिखाई देने लग जाएंगे। उसकी वजह यह है कि यह सबसे कम खतरनाक वाली अवस्था है इसलिए यह जल्द ही ठीक हो जाती है। अगर आप सही से इलाज करें।
मलेरिया के साथ-साथ निमोनिया के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को हिंदी में पढ़ें Pneumonia Meaning in Hindi : निमोनिया क्या होता है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार!
अगर आप मलेरिया का निदान चाहते हैं कुछ टेस्ट मौजूद है, जिसकी मदद से आप यह पता लगवा सकते हैं कि मरीज को मलेरिया हुआ है या वह किसी और बीमारी से जूझ रहा है। सही समय में पर बीमारी का पता लगने से स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
मलेरिया की जांच के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपको हमेशा खून की जांच की सलाह देते हैं। इस ब्लड टेस्ट में एक स्लाइड पर खून की एक पतली परत को रखकर अच्छे से फैलाया जाता है। फिर माइक्रोस्कोप की मदद से परजीवी की पहचान और गणना की जाती है। इससे यह भी पता चलता है कि संक्रमण कितना गंभीर है।
इस जांच में खून की जांच के मुक़बाले बहुत ही कम समय लगता है। इस टेस्ट के रिजल्ट बहुत ही जल्दी आ जाते हैं। यह टेस्ट संक्रमण वाले परजीवी के प्रोटीन की पहचान करने में मददगार साबित होता है। इस टेस्ट के लिए सिर्फ एक स्ट्रिप का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें खून की एक बूंद डालकर कुछ ही मिनटों में परिणाम को पाया जाता है।
पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन को पीसीआर (PCR) भी कहते हैं और यह एक एडवांस तकनीक है। जिसमें संक्रमित परजीवी के डीएनए (DNA) का पता टेस्ट स्पष्ट रूप से निदान नहीं कर पता है।
इस टेस्ट के जरिए शरीर में एंटीबॉडी की पहचान की जाती है जो संक्रमण वाले परजीवी के दौरान पैदा होते हैं। वैसे इस टेस्ट के रिजल्ट आमतौर पर सक्रिय संक्रमण का पता लगाने में असफल है।
इस टेस्ट के जरिए भिन्न खून के घटकों की जाँच कारवाई जाती है। जिसमें शामिल है सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (white blood Cells Count), हीमोग्लोबिन (Hemoglobin), प्लेटलेट्स (Platelets)। यह टेस्ट मलेरिया की बीमारी होने के कारण खून में आने वाले परिवर्तन की भी पहचान करने में सहयोग करता है।
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मलेरिया का सही समय से पता लग जाए तो इसका इलाज दवाइयों द्वारा किया जा सकत है। लेकिन इन दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टर के परमर्श के बिना नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार बिना अधिक जानकारी के दवाइयों का सेवन मरीज की जान को जोखिम में डाल सकता है। डॉक्टर के परामर्श के बाद ही दवाइयों का सेवन करें, साथ ही उनके बताएं हुए निर्देशों का पालन करें। आप मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें साथ ही हाथ-पैरों और मुंह पर मच्छरों से बचने वाली क्रीम का उपयोग करें।
मलेरिया के समय अगर आप नीम के पतों का सेवन करते हैं तो यह काफी लाभकारी मानते जाते हैं। आप नीम के पत्ते अच्छे से पीसकर उसको पानी में मिलाकर पीएं, ऐसा करने से आपको बहुत फायदा होगा।
अगर कोई भी व्यक्ति जो मलेरिया की बीमारी से जूझ रहा है, उसे गिलोय का सेवन जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि मलेरिया और डेंगू की बीमारी में यह एक रामबाड औषधि का काम करती है। इसको आप उबाल कर पीएं या फिर आप चाहे तो इसको काढ़े के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर मलेरिया से जूझ रहे मरीज को प्याज के रस में शहद में मिलाकर पिलाया जाए तो उसकी सेहत में सुधार देखा जा सकता है साथ ही मरीज को काफी आराम भी मिलता है।
तुलसी के पत्ते तो बहुत-सी बीमारियों में काफी लाभकारी माने गए हैं। आप इसका इस्तेमाल मलेरिया की बीमारी भी कर सकते है उसके लिए आप तुलसी के 8 से 10 पत्ते और साथ में 7-8 काली मिर्च लीजिए। फिर दोनों को एक साथ पीस कर, उसमें शहद में मिलाकर मरीज को दीजिए। ऐसा करने से बुखार में आराम पड़ जाता है।
अगर आप चाहे तो मलेरिया से पीड़ित मरीज को निम्बू के रस में सेंधा नमक और काली मिर्च को एक साथ अच्छे से मिलाकर सेवन करवा सकते हैं, ऐसा करने से आप उनकी सेहत में सुधार देख पाएंगे।
आप चाहे तो मलेरिया के मरीज को अदरक के रस मे शहद मिलाकर सेवन करने को बोलिए, ऐसा करने से मरीज की थकान और बुखार दोनों में राहत देखने को मिल सकती है।
खट्टे फल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि खट्टे फालों में विटामिन–सी की मात्रा काफी अच्छी होती है जो हमारी इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद करती है। मलेरिया से जूझ रहे मरीज को विटामिन-सी से भरपूर फल जैसे कि नींबू ,अंगूर, संतरा फल का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
यह तो सभी जानते हैं कि हल्दी में अद्भुत एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होता है जो संक्रमण से लड़ने मददगार है। इसलिए रोज रात को एक गिलास दूध में हल्दी डालकर सेवन करें, इससे काफी फायदा होगा।
दालचीनी में पाए जाने वाले गुण जैसे एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट मलेरिया की बीमारी से लड़ने में काफी मददगार साबित होते हैं। आप चाहे तो दालचीनी पाउडर में काली मिर्च पाउडर और शहद को मिलाकर मरीज को सेवन करवाएं, जिससे मलेरिया की समस्या में काफी आराम पड़ेगा।
अगर मेथी के दानो को रातभर पानी में भीगोया जाए और सुबह उस पानी का सेवन मरीज करता है तो बीमारी से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।
अगर आप वायरल बीमारियों की पूरी जानकारी चाहते हैं, तो मलेरिया के साथ-साथ Influenza and seasonal flu in hindi : इन्फ्लूएंजा और मौसमी फ्लू से बचाव के उपाय पर भी यह महत्वपूर्ण लेख ज़रूर पढ़ें।
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जिसकी सही समय पर जांच करके मरीज की जान को बचाया जा सकता है। सही इलाज और कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकार आप इस बीमारी से बचाव भी कर सकते हैं। आस-पास साफ-सफाई रखें, अपने शरीर को ढक कर सोये या बाहर भर निकलें, विटामिन-सी युक्त फल का सेवन करें जिससे इम्यूनिटी बेहतर रहें आदि।
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