Saturday, August 16 ,2025

Infertility Meaning in Hindi – जानें बांझपन का मतलब कारण, लक्षण और उपचार


infertility meaning in hindi

संतान की इच्छा करना और इस सपने को हकीकत में बदलना, यह हर जोड़े का सपना होता है। लेकिन, कुछ जोड़े अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। इस समस्या को 'बांझपन' कहते हैं, आजकल बांझपन एक आम समस्या बन गया है। बांझपन की समस्या अक्सर महिलाओं से जुड़ी होती है यह अक्सर लोगों की सोच हुआ करती थी, लेकिन बदलते समय के साथ अब ऐसा नहीं है। अगर कोई दंपति 12 महीने या उससे ज्यादा समय तक लगातार प्रयास करने के बाद भी, बच्चा पैदा करने में असफल रहता है, तो यह बांझपन की समस्या का एक संकेत है। आज के इस ब्लॉग के ज़रिए हम बात करेंगे कि बांझपन क्या है और इसके समस्या के कारण व लक्षण क्या है साथ जानेगे की इस समस्या का उपचार क्या हैं।

बांझपन का अर्थ क्या है? (infertility meaning in hindi?)

बांझपन, जिसे अंग्रेज़ी में "इनफर्टिलिटी" कहा जाता है, एक चिकित्सीय शब्द है जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति या साथी, चाहे वह पुरुष हो या महिला, को नियमित संभोग के बाद भी बच्चा पैदा करने में समस्या या बाधा आ रही है। यह गर्भधारण करने की क्षमता की कमी हो सकती है, जिससे गर्भधारण में सफलता प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।

बांझपन एक ऐसी बीमारी है जो कि पुरुष या महिला के प्रजनन तंत्र को प्रभावित करती है। इससे पीड़ित पुरुष या महिला 12 महीने या उससे अधिक समय तक नियमित रूप से असुरक्षित संभोग करने के बाद भी गर्भधारण करने में असफल रहते हैं। प्राथमिक बांझपन गर्भधारण न कर पाने की अक्षमता है, जबकि द्वितीयक बांझपन पहली सफल गर्भावस्था के बाद दोबारा गर्भधारण न कर पाने की अक्षमता या समस्या होती है।

बांझपन के लक्षण (Signs of infertility in hindi)

बांझपन की समस्या को समझने या पहचाने के लिए आप कुछ लक्षणों पर ध्यान दे सकते हैं।  यह याद रहें कि हर व्यक्ति के लिए बांझपन के लक्षण एक दूसरे विभिन्न हो सकते हैं:-

नियमित संबंध और गर्भावस्था में कठिनाइयां

बांझपन का सबसे आम लक्षण है कि नियमित संभोग के बावजूद भी गर्भधारण न कर पाना है। अगर कोई दंपत्ति नियमित और असुरक्षित संभोग कर रहा है और फिर भी गर्भधारण में समस्या आ रही है, तो इसे बांझपन का लक्षण माना जाता है।

अनियमित मासिक धर्म

महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र भी बांझपन का एक बड़ा संकेत हो सकता है। अगर किसी महिला का मासिक धर्म चक्र अनियमित है, तो यह बांझपन का कारण हो सकता है या बन सकता है ।

दर्द या सूजन

बांझपन के कुछ कारणों में, शुक्राणुओं का नष्ट होना या गर्भाशय में समस्याएँ दर्द या सूजन का कारण बन सकती हैं। ऐसा लक्षण होने पर व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अंडाणु संबंधित समस्याएं

पुरुषों में, शुक्राणुओं की संख्या, गति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बांझपन के लक्षण का संकेत देती हैं। इसमें शुक्राणुओं की कमी, शुक्राणुओं की मृत्यु या शुक्राणुओं की कमज़ोरी शामिल हो सकती है।

प्रजनन समस्याएं

गर्भावस्था से पहले या उसके दौरान होने वाली प्रजनन से जुड़ी समस्याएं बांझपन का कारण बन सकती हैं। इसमें गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं, गर्भाशय या शुक्राणु संबंधी समस्याएं भी शामिल हो सकती हैं।

हॉर्मोनल समस्याएं

सही मात्रा में हार्मोन की कमी या अधिकता भी बांझपन की वजह बन सकती है। इसमें शरीर में हार्मोन का असमान लेवल, प्रोलैक्टिन का हाई लेवल और अन्य हार्मोनल समस्याएं भी शामिल हो सकती हैं।

अतिरिक्त वजन या ओबेसिटी की समस्या 

अधिक वजन या मोटापा भी बांझपन का एक बड़ा कारण बन सकता है, क्योंकि यह हार्मोनल लेवल को बदल सकता है और गर्भधारण करने की क्षमता पर बुरा असर डालते हुए उसे प्रभावित कर सकता है।

अगर कोई भी दंपति बताए हुए लक्षण को देख पा रहा है तो उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि समय से इलाज होने आप बांझपन की समस्या में संतान का सुख पा सकते हैं।

एएमएच टेस्ट से अंडाशय की क्षमता का पता लगाया जा सकता है।

बांझपन के कारण (causes of infertility in hindi)

पुरुषों और महिलाओ में बांझपन की समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं, वैसे तो, कुछ कारण दोनों में एक सामान हो सकते हैं। पहले जानते हैं कि दोनों में सामान्य कारण कौन-से हैं और फिर दोनों में अलग-अलग नफर्टिलिटी के कारण को समझेंगे।  

Follicle Stimulating Hormone (FSH) test से अंडाशय के फंक्शन का पता चलता है।

इनफर्टिलिटी के सामान्य कारण (Common causes of infertility in Hindi)

उम्र 35-40 से अधिक

इनफर्टिलिटी की समस्या में उम्र एक बहुत ही बड़ा रोल अदा करती है क्योंकि महिला में बढ़ती उम्र के साथ-साथ गर्भाधान की क्षमता में कमी होने लग सकती है, जो कि बांझपन का एक कारण बन सकती है। जानिए महिलाओं में 35 वर्ष के बाद गर्भावस्था की चुनौतियाँ और समाधान।

डायबिटीज की शिकायत

डायबिटीज की समस्या का होना फर्टिलिटी को प्रभावित करते हुए बुरा असर डाल सकता है।  यह खासकर महिलाओं के लिए ज्यादा तकलीफ दे सकती है। 

शराब और सिगरेट का अत्याधिक सेवन

इन दोनों का सेवन शरीर में मौजूद बीमारियों को अधिक बढ़ा सकती हैं और फर्टिलिटी की समस्या को प्रभावित कर सकती हैं। 

अत्याधिक व्यायाम करना

किसी भी चीज़ का ज्यादा सेवन या उपयोग करना हानिकारक होता है और वही ज्यादा अधिक मात्रा में व्यायाम किया जाए तो यह भी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। अधिक व्यायाम करना विशेषतौर पर महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। 

रेडिएशन थेरेपी या अन्य कैंसर उपचार 

कई बार कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं का असर भी फर्टिलिटी पर सीधा असर डालता है।  

यौन संचारित बीमारियां

कुछ ऐसी समस्या भी है जिनके कारण फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या का समाना करना पड़ सकता है जिसमें संचारित रोग शामिल है जो फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं। 

मोटापा या वजन अत्याधिक कम होना 

वजन का बढ़ना या अत्यधिक मोटापा या बहुत कम वजन होना भी महिला व पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है। 

पीसीओएस महिलाओं में बांझपन का एक बड़ा कारण है।

महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कारण (Causes of infertility in women in Hindi)

आइये आब जानते हैं की एक महिला में कौन-से वह कारण है जिसकी वजह से महिल को इनफर्टिलिटी की समस्या का समाना कर करना पड़ता है :- 

फैलोपियन ट्यूब बंद होना (Blocked Fallopian Tubes) 

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय से गर्भाशय तक अंडों को ले जाने वाली फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध हो करती हैं। इससे प्राकृतिक गर्भाधान में समस्याएँ आ सकती हैं, क्योंकि शुक्राणु का अंडे तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) 

यह एक ऐसी स्थिति जिसमें गर्भाशय की परत जैसा ऊतक गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर श्रोणि या पेट में, बढ़ने लगता है। यह दर्दनाक हो सकता है और प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।

ओवुलेशन विकार (Ovulation Disorders)

यह एक ऐसी स्थिति जिसमें अंडाशय से अंडे का सामान्य स्राव बाधित हो जाता है। इस वजह से गर्भधारण के लिए अंडाशय से अंडे का स्राव (ओव्यूलेशन) आवश्यक है, यह बांझपन का एक प्रमुख कारण है। 

Luteinising Hormone (LH) test ओव्यूलेशन और प्रजनन स्वास्थ्य की जानकारी देता है।

एंडोक्राइन विकार (Endocrine Disorders)

यह हार्मोन के स्तर में असंतुलन या शरीर द्वारा हार्मोन के प्रति प्रतिक्रिया में समस्या के कारण होते हैं।

उम्र (Age)

बढ़ती उम्र के साथ इनफर्टिलिटी की समस्या एक बात है और इसी वजह से गर्भधारण क्षमता में कमी हो सकती है। 

तनाव (Stress)

तनाव, और मानसिक परेशानियां बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं और उनेमिन से भी बांझपन का कारण बन सकती हैं। 

हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)

शरीर में हार्मोन की मात्रा में असामान्यता आने को ही हार्मोनल असंतुलन की समस्या कहते हैं। यह तब होती है जब शरीर में एक या एक से ज़्यादा हार्मोन, बहुत ज़्यादा या बहुत कम होने लग जाते हैं।

यूटेराइन फाइब्रॉइड्स (Uterine Fibroids)

फाइब्रॉएड गैर-कैंसरकारी ट्यूमर होते हैं जो कि गर्भाशय की दीवार में विकसित होते हैं। यह ट्यूमर मांसपेशियों और रेशेदार ऊतकों से बने होते हैं। प्रजनन आयु की महिलाओं में फाइब्रॉएड की समस्या बहुत आम हैं।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disorder)

यह एक ऐसी स्थिति होती हैं जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही स्वस्थ ऊतकों (टिश्यू) पर हमला करने लग जाती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) 

यह महिलाओं में प्रजनन अंगों का एक संक्रमण है, जो कि आमतौर पर यौन संचारित संक्रमणों की वजह से होता है। यह गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय पर बुरा असर डालते हुए उन्हें प्रभावित कर सकता है, और अगर इसका इलाज समय से न किया जाए तो समस्या गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकती है।

गर्भाशय का असामान्य आकार (Abnormal Uterine Shape)

गर्भाशय का आकार महिलाओं में अलग-अलग होता है, और गर्भावस्था के दौरान भी बढ़ यानी बदल सकता है। गर्भाशय का सामान्य आकार नाशपाती के जैसा होता है।

पोलिप्स (Polyps)

गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब्स में असामान्य गांठें होना।  पॉलीप्स शरीर में असामान्य वृद्धि होती हैं जो विभिन्न अंगों, जैसे बड़ी आंत, पेट या नाक के मार्ग, की परत पर विकसित हो सकती हैं। पॉलीप्स सौम्य (गैर-कैंसरकारी) होते हैं, कुछ समय के बाद यह कैंसर में बदल सकता हैं।

योनि में इंफेक्शन (Vaginal Infections)

योनि संक्रमण, महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जो योनि और योनी (बाहरी जननांग) में सूजन का कारण बनती है। ये संक्रमण कई तरह की चीज़ों से हो सकते हैं, जैसे बैक्टीरिया, फंगस (यीस्ट), या परजीवी।

मेनोपॉज़ भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी के कारण (Causes of infertility in men in Hindi)

आइए जानते हैं की इनफर्टिलिटी की समस्या के वह कौन-से कारण है जो एक पुरुष की फर्टिलिटी पर बुरा असर डालती है :- 

शुक्राणु की कम संख्या (Low Sperm Count)

पुरुष में शुक्राणुओं की कमी होने की समस्या को जिसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है।  एक पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु होते हैं। अगर वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु हैं, तो पुरुष के  शुक्राणुओं की संख्या सामान्य से कम मानी जाती है।

जन्मजात असामान्यताएं (Congenital Abnormalities)

जन्म दोष या जन्मजात विसंगतियाँ भी कहलाती हैं। यह स्थितियाँ जन्म के समय मौजूद होती हैं और शिशु के शरीर की संरचना या कार्य को प्रभावित करती हैं। ये विसंगतियाँ हल्की से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं और शारीरिक, बौद्धिक या विकासात्मक विकलांगता का कारण बन सकती हैं।

एंडोक्राइन असामान्यताएं (Endocrine Abnormalities)

अंतःस्रावी असामान्यताएँ, जिन्हें हार्मोनल असंतुलन भी कहा जाता है, तब होती हैं जब शरीर में हार्मोन का स्तर बहुत ज़्यादा या बहुत कम हो जाता है। ये असामान्यताएँ शरीर के कई कार्यों, जैसे विकास, चयापचय, प्रजनन और मनोदशा को प्रभावित कर सकती हैं।

आनुवंशिक असामान्यताएं (Genetic Abnormalities)

यह ऐसी स्थितियाँ हैं जो डीएनए में बदलाव के कारण होती हैं। ये बदलाव जीन या गुणसूत्रों में हो सकते हैं, और कई तरह की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

शुक्राणु की गति धीमी होना (Slow Sperm Motility) 

शुक्राणुओं की धीमी गति यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शुक्राणु ठीक से तैरने में असमर्थ होते हैं। यह प्राकृतिक गर्भाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होता है, जिसमें शुक्राणु को अंडे तक पहुँचने और उसे निषेचित करने के लिए महिला प्रजनन प्रणाली से होकर तैरना पड़ता है।। 

वैरीकोसेल की समस्या (Varicocele Issue)  

वैरिकोसील में अंडकोषों के आसपास की नसें सूज जाती हैं। यह समस्या 15 से 25 वर्ष की आयु के पुरुषों में देखने मिलती है और अक्सर बिना किसी भी तरह के लक्षण के होती है। कुछ मामलों में, तो वैरिकोसील दर्द, सूजन या प्रजनन क्षमता में कमी आदि जैसी समस्याएँ भी पैदा हो सकती है। 

गुप्तांगों में संक्रमण (Genital Infections)

गुप्तांगों में संक्रमण एक आम समस्या है जो कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है। बैक्टीरिया, फंगस या वायरस आदि से इनके होने की संभावना अधिक रहती है। संक्रमण के प्रकार के आधार पर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

लंबे समय तक तनाव से ग्रसित होना  

अधिक तनाव और चिंता के कारण बहुत सी समस्या पैदा हो सकती है साथ ही यहह पुरुषों में शुक्राणुओं के उत्पन्न होने की क्षमता को कम कर सकते हैं।  इस वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।  

सिगरेट और शराब का सेवन 

धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करने से किसी भी इंसान का भला नहीं हुआ है और तो और यह हमेशा ही किसी न किसी बीमारी ककी वजह बनते हैं साथ ही पुरुषों में शुक्राणुओं को प्रभावित कर सकता है। 

मोटापा यानी वजन अत्याधिक होना

वजन का बढ़ना या घटना दोनी ही मामलों में व्यक्ति के की सेहत पर असर दलते हैं साथ ही यह शुक्राणुओं की संख्या और कार्य को भी प्रभावित कर सकता है। 

प्रेग्नेंसी से पहले हेल्थ चेकअप बेहद जरूरी है।

इनफर्टिलिटी का उपचार (infertility treatment in hindi)

बांझपन का उपचार डॉक्टर कारणों तथा व्यक्ति की चिकित्सा जरूरतों के हिसाब से करते हैं।  अगर कोई व्यक्ति बांझपन की समस्या से गुज़र रहा है तो उसे डॉक्टर कुछ सुझाव दे सकते हैं :- 

दवाएं

कुछ दवाएं जो ओवुलेशन को बढ़ा सकती हैं या गर्भाशय की कोणों को सुधार में ला सकती हैं।  जिससें गर्भधारण करने में मदद मिलती है।  

IVF (In Vitro Fertilization)

इसमें शुक्राणु और अंडे को एक साथ लैब यानि प्रजनन केंद्र में प्रतिष्ठित किया जाता है।  भ्रूण तैयार होने के बाद वापस महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। जहांस ए वह नैचुरली बढ़ता है।  

गर्भधारण के लिए IVF प्रक्रिया को समझें।

IUI (Intrauterine Insemination)

इस ट्रीटमेंट में शुक्राणु को गर्भाशय में सीधे डाला दिया जाता है ताकि गर्भाशय के अंदर बेहतर गर्भाधान होन में  मदद मिल सके। 

उपचार सहायक तकनीकें (Assisted Reproductive Technologies - ART) 

इसमें डॉक्टर  IUI, IVF, ICSI आदि जैसी तकनीकों का सहारा ले सकते हैं जिससे दम्पति को शिशु सुख मिल सकें।

चिकित्सा सर्जरी

कई ऐसे मामले भी मौजूद है जिसमें स्त्री और पुरुषों के इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है।  शुक्राणु नाली की सुधार, गर्भाशय की समस्याएं आदि समस्याओं के लिए डॉक्टर सर्जरी का विकल्प चुनते हैं। 

वैज्ञानिक तथा योग 

कुछ लोग वैज्ञानिक उपचारों के साथ-साथ योग और कुछ प्राकृतिक चिकित्सा की मदद लेते हैं ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार रहें और कांविस करने में समस्या कम हो। 

Beta Hcg test से गर्भावस्था की पुष्टि की जाती है।

नोट:  

बांझपन यानी इनफर्टिलिटी का उपचार सम्भव है तथा यह व्यक्ति की नैतिक, शारीरिक, और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही तय किया जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को चिकित्सा विशेषज्ञ से मिलकर सलाह लेना बहुत ज़रूरी है क्योंकि वह समय रहते सही निदान और उपचार के बारे में समझाकर, इलाज की शुरुआत कर सकें। 

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