Wednesday, July 09 ,2025

जानिए प्रेग्नेंसी से पहले कौन-से टेस्ट करवाने जरूरी है?


pre pregnancy tests for women in hindi

एक महिला के लिए माँ बनना बहुत ही खूबसूरत सफर है। लेकिन वह इस सफर पर चलने के लिए तैयार है या नहीं उसके लिए उसे कुछ जांच करानी पड़ती है। जिससे पता चले कि वह गर्भवती है। कई बार प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन वह प्रेग्नन्ट नहीं होती है। प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए कुछ टेस्ट होते हैं जिससे यह पता चल सकें कि महिला प्रेग्नन्ट है या नहीं। आइए जानते हैं कि वह कौन-से जरूरी टेस्ट होते हैं जिनकी मदद से एक महिला की गर्भावस्था के बारे में पता चलता है। 

गर्भावस्था

प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक खूबसूरत एक्सपीरियंस या सफर होता है। इसके दौरान गर्भ में पलने वाले शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास ठीक तरह से हो, उसके इसके लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते हैं । वैसे तो, आज के समय में लाइफस्टाइल, खानपान और केमिकल्स वाली चीजों का सेवन करने के कारण प्रेग्नेंसी से पहले भी महिलाओं के कुछ टेस्ट करवाएं जाते हैं। प्रेग्नेंसी की पुष्टि पहले होने वाले टेस्ट को प्री-प्रेग्नेंसी टेस्ट कहते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि प्रेग्नेंसी कंसीव करने से पहले ही अगर महिलाएं इन टेस्ट को करवा लें, तो उन्हें किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्याएं नहीं  होंगी।

प्रेग्नेंसी से पहले महिला को कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। जिससे यह सुनिश्चित हो सकें कि महिला स्वस्थ है और गर्भावस्था के लिए उनका शरीर तैयार है। ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन, सीबीसी, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और  हेपेटाइटिस सी, सिफलिस आदि के साथ कुछ अन्य टेस्ट शामिल है, जो डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार करवाते हैं। डॉक्टर कुछ जरूरी टेस्ट गर्भावस्था से पहले कराने की सलाह देते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो जाएं कि महिला शारीरिक रूप से गर्भाधारण करने के लिए तैयार है और कोई छिपी हुई स्वास्थ्य समस्या गर है तो उसका इलाज किया जाएँ। महिला की ओवरी रिजर्व को समझने के लिए आप AMH टेस्ट के बारे में विस्तार से यहां जान सकते हैं।

प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले करवाएं 

ब्लड ग्रुप के बारे में जानकारी लें 

हर महिला को अपने ब्लड ग्रुप के बारे में पता होना चाहिए। अपने खून की जांच करवाके अपने ब्लड ग्रुप जाने चाहें वह टाइप A,B,AB और O हो। जिन महिलाओं को पहले से ही अपने ब्लड ग्रुप के बारे में पता हो, उन्हें इस टेस्ट की आवश्यक्ता नहीं होगी। प्रेग्नेंसी से पहले यह भी जानना जरूरी है कि महिला का ब्लड ग्रुप Rh- है या फिर Rh+ है। अगर किसी महिला का Rh- ब्लड ग्रुप होता है, तो उसके पार्टनर का ब्लड ग्रुप का Rh फैक्टर के लिए टेस्ट होगा। अगर पार्टनर (पति) का ब्लड ग्रुप Rh- है तो उसके भ्रूण में हेमोलिटिक रोग (Haemolytic Disease) हो सकती है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिससे शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। यह स्थिति तब बनती है जब महिला Rh- अपने Rh+ भ्रूण के खून के संपर्क में होता है और एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर दें, जिससे शरीर Rh+_ खून को स्वीकार करने से मना कर देंता है। यह एंटीबॉडी गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को पास हो जाती है और Rh+ भ्रूण की खून की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इस स्थिति को एंटी डी  इन्जेक्शन के शॉट देने से ही रोका जा सकता है।

पैप स्मीयर टेस्ट

आज के समय में महिलाओं में बढ़ रहे कैंसर के मामलों को देखते हुए, प्रेग्नेंसी कंसीव करने से पहले ही डॉक्टर पैप स्मीयर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर की जांच की जाती है। इस टेस्ट की मदद से महिला की ग्रीवा की कोशिकाओं में हो रहे असामान्य बदलाव के  बारे में पता चलता है।

सिफलिस सेरोलॉजी 

सिफलिस सेरोलॉजी एक तरह का ब्लड टेस्ट है जिसके जरिए यौन संक्रमित इंफेक्शन के बारे में पता लगाया जाता है। सिफलिस के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं इसलिए अगर, समय रहते ही इसके बारे में पता लग जाए तो एंटीबायोटिक की मदद से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। 

थाइराइड प्रोफाइल टेस्ट 

जब कोई महिला कंसीव कर रही होती है तो शरीर में कई तरह के बदलाव आने लग जाते हैं जिससे थायराइड के मामले बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं। हर 5 में से 2 महिलाओं को थायराइड की समस्या है। प्रेग्नेंसी पहले थायराइड टेस्ट होना बहुत जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो प्रेग्नेंसी कंसीव करने से करीब तीन महीने पहले थायराइड टेस्ट होना जरूरी है। अगर कोई महिला थायराइड की समस्या से जूझ रही है, तो गर्भ में पलने वाले शिशु को नियोनेटल हाइपोथाइरॉयड (Hypothyroid) होने का खतरा हो सकता है। थायरॉइड कार्यप्रणाली और इसके प्रभावों को बेहतर समझने के लिए यह ब्लॉग पढ़ें। आप थाइराइड प्रोफाइल टेस्ट के लिए आज ही mediyaar से अपनी अपॉइन्ट्मन्ट बुक कर सकते हैं। 

हेपेटाइटिस-बी टेस्ट 

अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी कंसीव करना चाहा रही है तो पहले हेपेटाइटिस बी का टेस्ट जरूर करवाएं। अगर, किसी महिला को प्रेग्नेंसी से पहले ही हेपेटाइटिस-बी की समस्या है तो इससे ब्लडिंग होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। कई रिसर्च से पता चला है कि अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी से पहले ही हेपेटाइटिस-बी की समस्या से पीड़ित है, तो यह उसके शिशु को प्रभावित करते हुए कुछ बुरा असर डाल सकता है। ऐसे में महिला को बच्चे के जन्म से पहले ही हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए। आप हेपेटाइटिस-बी टेस्ट के लिए आज ही mediyaar से अपनी अपॉइन्ट्मन्ट बुक कर सकते हैं। 

रोग परीक्षण

महिलाओं में कुछ अन्य चिकत्सीय स्थितियों जैसे कि डायबिटीज,हाई ब्लड प्रेशर आदि की भी जांच करवानी चाहिए, जिससे बच्चे का नियोजन करने से पहले ही इन समस्या को इलाज किया जा सकें। इन स्थितियों की वजह से बच्चे में कई तरह के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। 

हार्मोनल बैलेंस से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए प्रोलैक्टिन टेस्ट पर यह लेख पढ़ें।

एचपीएलसी-थैलेसीमिया परीक्षण (HPLC -THALASSEMIA TESTING)

थैलासीमिया एक तरह का रखून का विकार होता है जो विरासत में मिला मिलता है। जिस वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन कम होने के कारण एनीमिया का होने का खतरा बन सकता है और स्वास्थ्य के ऊपर भी गंभीर असर दिखाई दे सकता है। यह माता पिता से बच्चों तक उनके जीन (genes) के जरिए से पहुँचता है। अगर दंपत्ति में से कोई भी थैलेसीमिया जीन का वाहक है, तो दोनों (पति-पत्नी) को थैलेसीमिया जीन के लिए टेस्ट की सलाह दी  जाती है। अगर दोनों (पति-पत्नी)  थैलेसीमिया जीन सकारात्मक निकला, तो बच्चों को प्रमुख थैलेसीमिया हो सकता है। 

यूरिन टेस्ट

प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए यूरिन टेस्ट भी करवाना जरूरी होता है।  यूरिन टेस्ट की मदद से यूरिन इन्फेक्शन, किडनी फंक्शन, प्रोटीन लेवल्स आदि की जांच की जाती है। यह गर्भावस्था में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के बारे में भी पता लगाने के लिए अनिवार्य होता है। यूरिन टेस्ट से शुगर लेवल भी चेक होता है जो डायबिटीज की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है। 

सीबीसी टेस्ट

गर्भावस्था से पहले सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) टेस्ट कराना एक सही और उत्तम निर्णय है। यह टेस्ट आपके शरीर में खून की कोशिकाओं के लेवल को मापता है और एनीमिया, संक्रमण, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाता है। जिसकी मदद से गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं के बारे में पता चल जाता है। सीबीसी टेस्ट की जानकारी यहां पढ़ें और आज ही अपना सीबीसी टेस्ट हमारी मेडियार साइट से बुक करें 

अल्ट्रासाउंड

प्रेग्नेंसी की शुरुआत में आमतौर पर डॉक्टर दो से तीन अल्ट्रासाउंड करते हैं। पहला अल्ट्रासाउंड गर्भाधान के चार से छे हफ्ते बाद होता है। यह गर्भस्थ शिशु की उपस्थिति और हृदयगति की पुष्टि करने के लिए होता है। दूसरा अल्ट्रासाउंड आमतौर पर 12 से 14 हफ्ते पर होता है। यह भ्रूण के विकास और गर्भाशय की स्थिति की जांच के लिए किया जाता है। तीसरा अल्ट्रासाउंड 18 से 22 हफ्ते होता है, जिसमें विस्तृत जांच की जाती है। इस प्रकार प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में दो से तीन अल्ट्रासाउंड होते हैं। 

टीटेनस टीका

प्रेग्नेंसी के दौरान टीटेनस टीका लगवाना बेहद जरूरी है। टीका मां को टीटेनस से सुरक्षा देने के लिए बहुत जरूरी है। अगर मां को पहले से टीटेनस का टीका नहीं लगा हुआ तो, प्रेग्नेंसी में जरूर लगवाएं। टीटेनस का टीका पूरी तरह से सुरक्षित है। टीकाकरण से मां और बच्चे दोनों को टीटेनस की समस्या से पूरी तरह से सुरक्षा मिलती है।  

डेंटल चेकअप

बच्चे की प्लानिंग करने से पहले एक बार डेंटल चेकअप भी जरूर करवाएं। प्रेग्नेंसी से पहले दांत से जुड़ी समस्याओं का पता लगाना और उसे सही समय से इलाज करवाते हए ठीक करवाएं। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि एक बार अगर बच्चा कंसीव हो गया तो उसके बाद एंटी-बायॉटिक्स और पेन-किलर जैसी दवाइयों का सेवन नहीं कर पाएंगी। जिसकी वजह से मां और बच्चे दोनों को ही परेशानी होने की संभावना है।

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मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।