किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ दिखना ही काफी नहीं होता है क्योंकि अगर व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो यह उससे भी समस्या हो सकती है। देख जाए तो दोनों का स्स्वस्थ रहना एक व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप तो स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है या किसी भी कारण वह खराब है, तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य एक संकट का विषय बनता जा रहा है क्योंकि एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता होता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में वह एक दम टूट जाता है। जिसके कारण वह अंदर से उदास या स्ट्रेस रहने लग जाता है वह अपनी दिल की बातें किसी से कह नहीं पता है क्योंकि सामने वाला क्या सोचेगा और न जाने कितने सवालों के घेरे में रहने लग जाते हैं। जिस व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास की कमी नहीं होती है, वह जीवन में तनाव का सामना कर सकता है। अपने काम के जरिए अपने समुदाय के विकास में भी योगदान देता है।
मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार सही रहता है। फैसले लेने की क्षमता, नियमित व्यायाम करने की आदत, नींद की समस्या आदि पर बुरा असर पड़ने लग जाता है। मानसिक स्वास्थ्य सही न रहने के कारण शारीरिक रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। व्यक्ति के मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुआ परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का अधिक सेवन और संबंधित अपराध आदि का सहभागी बन जाता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही से चलता है। इसलिए आज हम इस ब्लॉग जरिए मानसिक विकारों से जुड़ें कुछ पहलू के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं, उस पर भी चर्चा करेंगे।
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करें, तो यह व्यक्ति के भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण को मिलकर बनता है। इसके प्रभावित होने के कारण, हम कैसे सोचते हैं, कैसा महसूस करते हैं और काम कैसे करते हैं सब पर असर पड़ता है। व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उम्र बढ़ने के साथ बदलता चलाता है। व्यक्ति जीवन के दौरान, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव कर सकता है, तो इसके बारें में जानना जरूरी है। डॉक्टर की मदद से इसका इलाज किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की सोच, मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करता हैं। ऐसे कई अन्य कारण भी मौजूद हैं, जो कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की वजह में अपना योगदान देती है। आइए जानते हैं वह कौन-से कारण है :-
जैविक कारक (जीन या मस्तिष्क रसायन)
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पारिवारिक इतिहास रहना
जीवन के अनुभव, जैसे शॉक या तकलीफ होना
जीवन में अवसाद रूपी वातावरण में रहना
बचपन में शॉक लगने के कारण
तनावपूर्ण घटनाएं जैसे किसी प्रियजन को खोने की वजह से
नकारात्मक विचारों के बढ़ने की वजह से
अनहेल्दी आदतें ( पर्याप्त नींद न लेना या खराब खान-पान, ड्रग्स और अल्कोहल का सेवन)
एक लंबी बीमारी से जूझने के कारण
अगर आपको बार-बार चिड़चिड़ापन या फोकस में कमी हो रही है, तो थायरॉइड की जांच ज़रूर करवाएं यह एक आम लेकिन नजर अंदाज की जाने वाली वजह है।
हर एक मानसिक बीमारी के लक्षण लग-लग होते हैं। वैसे तो, कुछ सामान्य चेतावनी का संकेत या लक्षण भी देती है,, जिससे आप सचेत हो जाएं। आइए इन लक्षणों के बारे में बात करते हैं:-
ज्यादा सोचना या बस कुछ न कुछ सोचते रहना
एंग्जायटी और घबराहट होना
व्यक्तित्व परिवर्तन दिखाई देना
खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव आ जाना
समस्याओं और दैनिक गतिविधियों को करने में असमर्थता महसूस करना
बेवजह अधिक चिंता करना
लंबे समय तक अवसाद और उदासीनता में रहना
ज्यादा गुस्सा आना
हिंसक व्यवहार करना
आत्महत्या के बारे में सोचना
खुद को कैसे नुकसान पहुंचाया जाए के बारे में सोचना
बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स का अनुभव होना
शराब या ड्रग्स का दुरुपयोग करना
अगर आप अक्सर थकान या चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं, तो शरीर में विटामिन B12 की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है। जानें इसके लक्षण।
एंग्जायटी डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी का सबसे आम प्रकार होता है। इन स्थितियों वाले लोगों में एक तरह का गंभीर भय या चिंता होती है, जो कि कुछ वस्तुओं या स्थितियों से जुड़ी हुई होती है।
मानसिक थकान और कमजोरी के कारण सिर दर्द बना रहता है? महिलाओं में सिर दर्द के खास कारणों को यहां समझें।
मूड डिसऑर्डर को भावात्मक विकारों या अवसादग्रस्तता विकारों में गिना जा सकता है। इन स्थितियों वाले लोगों के मनोदशा में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव दिखाई दए सकता है। इसके कई प्रकार हैं, जैसे कि:-
इस अवसाद में व्यक्ति लगातार लो फिल कर रहता है और उसका मूड हमेशा बिना किसी कारण खराब ही रहता है। उन गतिविधियों और घटनाओं में रुचि खोने लग जाता है जो कि समय पर आनंद करता था। यह लंबे समय तक निराश या अत्यधिक उदास अवस्था में रहने लग जाता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर को द्विध्रुवी विकार भी कहते हैं। इसमें व्यक्ति अपने मनोदशा, ऊर्जा के लेवल, गतिविधि के लेवल और दैनिक जीवन को जारी रखने की क्षमता में कुछ असामान्य परिवर्तन को महसूस करने लगता है। कभी वह बहुत ही अच्छा महसूस करने लग जाता है जिससे वह बहुत ही ज्यादा एनर्जेटिक हो जाता हैं, जबकि लो मूड होने पर डिप्रेशन यानी अवसाद में चला जाता है।
मौसम के बदलाव जैसे कि सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों में जब दिन का छोटा या ज्यादा अंधेरा होने लगता है, तो यह कुछ लोगों के लिए डिप्रेशन का कारण बन सकता है। ऐसे लोगों के लिए एक ही सलाह है कि वह बेहतर लाइटिंग या सूर्य की रोशनी वाले कमरे में रहें। डिप्रेशन और चिंता के कारण नींद की समस्या हो सकती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। जानिए मौसमी फ्लू से कैसे बचा जाए।
सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक या कई मानसिक बीमारियों का एक समूह होता है, जिसे समझना काफी मुश्किल होता है। सिजोफ्रेनिया के लक्षण आमतौर पर वैसे 16 से 30 साल की उम्र के बीच भी ही विकसित हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति के विचारों की बात करें तो कई बार टूटे हुए और कहीं खोए हुए होते हैं। यह लोग उन चीजों को भी अपने आस-पास महसूस करने लगते हैं जो कि सच में दुनिया में मौजूद तक नहीं है। सिजोफ्रेनिया के लक्षणों में भ्रम, विचार में विकार, मतिभ्रम, प्रेरणा की कमी और खराब मनोदशा है।
पॉजिटिव सोच रखें
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें (एक्सरसाइज, योग, व्यायाम)
दूसरों की मदद करें और खुद के लिए मदद लें
पर्याप्त नींद लें (समय पर सोएं और समय से जागें)
हेल्दी डाइट लें
शराब, धूम्रपान और ड्रग्स का सेवन न करें
विटामिन डी के लिए धूप में बैठे
तनाव ज्यादा लेने से बचें
बहुत ज्यादा सोचना बंद करें।
ऐसा कुछ करते रहें जिससे आप बिजी रहें और आप खुश भी
लोगों के संग मिलनसार बनें
मानसिक तनाव लंबे समय तक बना रहे, तो यह ब्लड प्रेशर पर असर डाल सकता है। लो बीपी से जुड़ी ज़रूरी जानकारी यहां पढ़ें।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सभी परेशानियों, बीमारियों और उनके लक्षण, उपचार या बचाव के लिए डॉक्टर से मिलें। हर व्यक्ति में मानसिक स्वास्थ्य समस्या अलग तरह से नज़र आ सकती है इसलिए डॉक्टर से खुलकर बात करें और अपना खास ख्याल रखें। मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए तनाव को समझना जरूरी है जानें इसके कारण और समाधान।
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