प्रोलैक्टिन एक तरह का हार्मोन है, जो प्रजनन कार्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और महिलाओं के स्तनपान को मैनेज करने में मददगार है। अगर शरीर में प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ा हुआ हो, तो महिलाओं को स्तनपान के दौरान दूध ज्यादा बनने लग सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह हार्मोन हमारे मस्तिष्क में स्थित एक छोटी ग्रंथि जिसको पिट्यूटरी ग्रंथि कहते हैं उसके द्वारा निर्मित होता है।
शरीर में मौजूद प्रोलैक्टिन हार्मोन के लेवल की मात्रा को मापने के लिए प्रोलैक्टिन टेस्ट भी होता है। आइए जानते और समझते हैं कि प्रोलैक्टिन हार्मोन आखिर है क्या? प्रोलैक्टिन टेस्ट क्यों होता है इसकी कमी के लक्षण, टेस्ट की प्रक्रिय, प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ने के कारण, प्रोलैक्टिन टेस्ट करवाने के क्या फायदे है, प्रोलैक्टिन को संतुलित बनाएं रखने के उपाय आदि। इन्हीं सबके बारे में इस ब्लॉग के जरिए सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे।
प्रोलैक्टिन हार्मोन का काम मुख्य रूप से महिलाओं में प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान सक्रिय हो जाता है। प्रोलैक्टिन हार्मोन का काम जो महिला मां बनती है उसके शरीर में दूध उत्पादन को बढ़ाने का होता है। वैसे तो यह हार्मोन पुरुषों और गैर-गर्भवती महिलाओं दोनों में ही पाया जाता है और निम्नलिखित काम करने में मदद करता है:-
मासिक धर्म चक्र (Periods cycle) को नियमित रखने में मदद करता है।
प्रजनन क्षमता को बनाए रखने में सहयोग करता है।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
शुक्राणु उत्पादन करने में सहयोग करता है।
प्रोलैक्टिन टेस्ट बाकि खून टेस्ट की तरह ही एक ब्लड टेस्ट है, जिसमें शरीर में मौजूद प्रोलैक्टिन हार्मोन के लेवल का पता लगाने में मदद मिलती है। प्रोलैक्टिन हार्मोन मुख्य रूप से व्यक्ति के पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा शरीर में बनाया जाता है और इसका अहम और मुख्य काम महिलाओं के शरीर में दूध के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
वैसे तो, प्रोलैक्टिन हार्मोन का महत्व सिर्फ महिला में स्तनपान तक ही सीमित नहीं होता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में बाकि अन्य कार्यों को भी प्रभावित करता है, जिसमें शामिल है प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म का चक्र, और सेक्स हार्मोन को संतुलन करना आदि। अगर शरीर में प्रोलैक्टिन का स्तर सामान्य से अधिक या कम हो जाता है, तो इस कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
डॉक्टर कुछ कारणों और स्थितियों में प्रोलैक्टिन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, वह क्या है? आइए साथ में समझते हैं:-
मासिक धर्म में गड़बड़ी नज़र आना।
प्रेग्नेंसी में दिक्कत या बांझपन की समस्या का सामान्य करना।
गर्भावस्था के बिना स्तनों से दूध निकलने की समस्या का सामना करना।
लंबे समय तक सिरदर्द या धुंधला दिखाई देना (यह पिट्यूटरी ग्लैंड से संबंधित समस्याओं का संकेत हो सकता है इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।)
सेक्स ड्राइव (कामेच्छा) में कमी का होना।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग से जुड़ी समस्या)।
टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाना।
पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर का संदेह होना।
थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं का सामना करना।
लगातार तनाव या डिप्रेशन से जूझना।
प्रोलैक्टिन की कमी के प्रमुख लक्षणों के बारे में आइए जानते और समझते हैं:-
प्रोलैक्टिन की कमी की वजह से सबसे सामान्य लक्षण में दूध का उत्पादन कम हो जाता है। अगर आप एक मां हैं तो बच्चे को दूध पिलाने के दौरान दूध का कम आना प्रोलैक्टिन की कमी का इशारा हो सकता है।
प्रोलैक्टिन लेवल कम होने पर महिला के मासिक धर्म अनियमित हो सकते हैं और इस वजह से मासिक धर्म से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती है।
प्रोलैक्टिन की कमी की वजह से महिलाओं में गर्भधारण से जुड़ी कई समस्या पैदा हो सकती है। यह हार्मोन ओवुलेशन प्रक्रिया को प्रभावित करते हुए, गर्भधारण की संभावना को कम कर सकता है।
IVF से पहले हार्मोन की जाँच जैसे कि प्रोलैक्टिन टेस्ट बेहद ज़रूरी होती है, IVF प्रक्रिया के बारे में जानें।
प्रोलैक्टिन की कमी के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकती है। इससे मानव के मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, और अवसाद जैसी समस्याएं नज़र आ सकती हैं। अगर आपकी उम्र 40+ है और हार्मोन में बदलाव दिख रहे हैं, तो मेनोपॉज़ के लक्षण जरूर पढ़ें।
प्रोलैक्टिन लेवल कम होने पर हड्डियों का घनत्व घटने लग सकता है और इस वजह से हड्डियां कमजोर होने लग जाती हैं। यहीं कारण भी है कि व्यक्ति के शरीर में फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ सकता है।
प्रोलैक्टिन की कमी के कारण शारीरिक ऊर्जा में कमी होती नज़र आ सकती है और इसके परिणामस्वरूप लगातार व्यक्ति को थकान और कमजोरी जैसा अनुभव हो सकता है।
प्रोलैक्टिन की कमी के कारण बालों का झड़ना भी एक सामान्य लक्षण के तौर पर नज़र आ सकता है। इस हार्मोन के कारण त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में समस्याएं नज़र आ सकती हैं क्योंकि यह हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रोलैक्टिन की कमी के कारण महिलाओं में देखा जाता है जो विशेष रूप गर्भधारण की कोशिश कर रही होती हैं और जिनमें प्रोलैक्टिन लेवल सामान्य से कम होता है।
प्रोलैक्टिन की कमी की वजह से थायरॉयड ग्रंथि पर भी प्रभाव पड़ता है साथ ही थायरॉयड ग्रंथि सही काम नहीं कर पाती है। इस वजह से शरीर में थायरॉयड से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
प्रोलैक्टिन टेस्ट एक साधारण और सामान्य ब्लड टेस्ट ही है। आइए जानते हैं इस खून जांच में क्या स्टेप शामिल होते हैं :-
टेस्ट आमतौर पर सुबह के समय ही होता है क्योंकि सुबह के समय प्रोलैक्टिन लेवल सबसे ज्यादा होता है। टेस्ट से एक दिन पहले किसी भी तरह का भारी व्यायाम, तनाव, या ज्यादा शारीरिक गतिविधि से बचने की सलाह दी जाती है। टेस्ट खाली पेट होता है इसलिए व्यक्ति को कम से कम 8 से 12 घंटे पहले कुछ न खाने की सलाह दी जाती है।
खून की जांच के लिए डॉक्टर या लैब तकनीशियन आपकी बांह से खून का सैंपल कालेक्ट करते हैं। इस प्रक्रिया में 5 से 10 मिनट का समय लग सकता है।ब्लड से जुड़ी सभी जानकारी जानने के लिए CBC टेस्ट की डिटेल पढ़ें।
ब्लड सैंपल की जांच के बाद 24 से 48 घंटे में आपको परिणाम मिल जाता है। प्रोलैक्टिन टेस्ट के सामान्य स्तर की बात की जाए तो यह महिलाएं जो गैर-गर्भवती होती है, उनमें 4.8 से 23.3 नैनोग्राम/मिलीलीटर (ng/mL) होता है। वही गर्भवती महिलाओं में यह 34 से 386 ng/mL तक होता है। अब अगर बात पुरुषों की जाएं, तो उनमें सामान्य स्तर 2.1 से 17.7 ng/mL तक होता हैं और वहीं बच्चों में 3 से 20 ng/mL तक होता है।
अगर प्रोलैक्टिन लेवल सामान्य से अधिक हो रहा है, तो इसे हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया (Hyperprolactinemia) कहा जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, आइए जानते और समझते हैं वह क्या कारण हो सकते हैं:-
इस ट्यूमर की वजह से प्रोलैक्टिन का अत्यधिक उत्पादन होने लग जाता है क्योंकि यह प्रोलैक्टिन के उत्पादन को बढ़ा देता है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण भी शरीर में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ने लग सकता है। थायराइड की समस्या भी प्रोलैक्टिन लेवल को प्रभावित कर सकती है, थायराइड के लक्षण और कारणों को जानना ज़रूरी है।
कुछ एंटीडिप्रेसेंट, एंटीप्साइकोटिक दवाइयाँ और ब्लड प्रेशर की दवाइयों के कारण भी प्रोलैक्टिन लेवल बढ़ सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान की इन स्थितियों में प्रोलैक्टिन लेवल स्वाभाविक रूप से बढ़ाने लग जाता है।
किडनी या लिवर की समस्या की वजह से भी प्रोलैक्टिन लेवल बढ़ने लग जाता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
प्रोलैक्टिन लेवल सामान्य से कम होने पर भी कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है। इसके पीछे कई वजह हो सकती है जैस कि:-
पिट्यूटरी ग्लैंड का सही तरीके से काम न कर पाना।
कुछ हार्मोन का असंतुलन होना।
अत्यधिक तनाव लेना।
यदि आप हार्मोन स्तर की जांच करवा रहे हैं, तो AMH टेस्ट के बारे में भी जरूर पढ़ें।
इस टेस्ट की मदद से हार्मोन असंतुलन की वजह की पहचान करने में मदद मिलती है।
महिलाओं में बांझपन या मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के कारण का पता लगाने में मदद मिलती है।
पिट्यूटरी ग्लैंड से संबंधित बीमारियों का इलाज करने में मदद मिलती है।
थायरॉइड या अन्य हार्मोनल समस्याओं या गड़बड़ियों का पता लगाने में भी मददगार है।
ताज़े फल-सब्जियां और प्रोटीन से भरपूर आहार का सेवन करें साथ ही ध्यान रखें कि जंक फूड और शुगर का सेवन कम से काम ही करें।
किसी से तनाव को कम करने कि बजाय उसे मैनेज करने को कहें क्योंकि कोई भी अचानक से तनाव को कम नहीं कर सकता है। आप ध्यान और योग की मदद से तनाव को मैनेज करते हुए, कम कर पाएंगे। साथ ही पर्याप्त मात्रा में नींद लें, ऐसा करने से भी आप तनाव से बचाव कर सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी किसी भी प्रकार की दवाई नहीं लेनी चाहिए, ऐसा करने से शरीर को क्षति भी पहुँच सकती है।
नियमित व्यायाम से शरीर में मौजदू सभी तरह के हार्मोन संतुलित रहते हैं और ऐसा करने से आप बहुत-सी बीमारियों से बच सकते हैं।
PCOS जैसी स्थितियों में भी प्रोलैक्टिन लेवल बढ़ सकता है, PCOS के लक्षणों और कारणों को जानना बेहद ज़रूरी है।
कुछ बातों को ध्यान में रखकर, आप खुदको स्वस्थ रख सकते हैं इसलिए अच्छी गहरी नींद, सही मात्रा में पानी का सेवन और एक अच्छी पौष्टिक डाइट का सेवन करें।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।