महिलाओं में मेनोपॉज़ एक समय के बाद जरूर होता है जिसके बाद उनके मासिक धर्म बंद हो जाते हैं। लेकिन कई बार यह समय से पहले हो जाते हैं जिसका कारण बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान है। मेनोपॉज़ एक ग्रीक शब्द है जिसका मतलब उसके नाम ही छिपा हुआ है। मेनो का मतलब है है महीना और पॉज का अर्थ है रुकना।
यह महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है जैसे गर्भावस्था है वैसे ही यह भी अहम है। इसको हिंदी में ‘गर्भाशयनाश’ भी कहते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जिसमें महिला के मासिक धर्म पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं और शारीरिक परिस्थितियों में बदलाव आता है। इस ब्लॉग के जरिए हम जानेंगे मेनोपॉज का अर्थ क्या है? और इसके कारण एवं लक्षण क्या होते है?
मेनोपॉज़ एक महिला में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस दौरान महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और उनके गर्भाशय की पीरियडस् की समाप्ति होती है। यह एक महिला के जीवन के महत्वपूर्ण अध्यायोंं में एक है, जो वैसे आमतौर पर 45 से 55 की आयु के बीच में होता है। मेनोपॉज़ के दौरान महिला अनुपयोगी होती है और उनकी गर्भाशय की शक्ति खत्म हो जाती है, जैसे कि बच्चे को जन्म देना आदि।
मेनोपॉज़ कई प्रकार के कारण हो सकता है, आइए समझते इसके प्रकारों के बारे में :-
यह मेनोपॉज़ का सबसे सामान्य प्रकार है जिसको प्राकृतिक मेनोपॉज़ (Natural Menopause) कहते हैं। यह आमतौर पर 45 से 55 आयु वाली महिलाओं में होता है। इसमें हॉर्मोनल परिवर्तनों की प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जिससे रजों का स्त्राव कम होने लग जाते हैं।
कुछ महिलाओं में आम समय से पहले ही मेनोपॉज़ हो जाता है जिसको पूर्वानुनित मेनोपॉज़ (Premature Menopause) कहते हैं। इस स्थिति का कारण यह हो सकता है आनुवंछनिक त्रूटि, आनुवंछनिक बीमारियाँ का सामना करना, या अन्य कारणों की वजह से भी हॉर्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं।
अगर किसी महिला में गर्भाशय की सर्जरी के दौरान गर्भाशय को हटाना पड़ सकता है, तो वह स्थिति सीधे मेनोपॉज़ में प्रवृत्त हो सकती है। इसे अवस्था को क्षय मेनोपॉज़ (Surgical Menopause) कहते हैं।
मेनोपॉज़ के बाद जब एक महिला में मासिक धर्म स्राव समाप्त होता है, तो वह पोस्टमेनोपॉज़ की स्थिति में पहुँच जाती है। इस समय के बाद भी महिला के शरीर में हॉर्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं और कुछ महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
यह सभी प्रकार के मेनोपॉज़ महिलाओं में दिखाई दें सकते हैं और इस वजह से अलग-अलग हॉर्मोनल परिवर्तन के साथ शारीरिक परिवर्तनों की चुनौतियों का सामना कर सकती हैं।
एक महिला के जीवन में प्राकृतिक प्रक्रिया जिसमें उनके शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं वह मेनोपॉज़ हैं। जिससे उनमें मासिक धर्म पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। मेनोपॉज़ होने के कई कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में:-
महिलाओं में 45 से 55 की आयु के बीच में मेनोपॉज़ होता है। लेकिन कुछ महिलाओं में इस आयु से पहले या बाद में भी मेनोपॉज़ हो सकता है।
मेनोपॉज़ का समय कई बार जेनेटिक कारण की वजह से भी आगे-पीछे हो सकता है। इसका यह मतलब हुआ कि जिस महिला की मां के जल्दी मेनोपॉज़ हो गया हो तो संभावना है कि उनको भी जल्दी मेनोपॉज़ हो जाएं।
मेनोपॉज़ का अहम कारण हॉर्मोनल परिवर्तन है। जो बढ़ती उम्र के साथ, ओवरीयन फ़ंक्शन को कमजोर करने लग जाता है। इससे शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के लेवल में कमी होने लग जाती है। इससे मासिक धर्म कम होने शुरू होते हुए बंद हो जाते हैं।
ओवेरीयन एजिंग की दर हर महिला में अलग अलग अलग हो सकती है, जिससे मेनोपॉज़ उनका समय भी अलग हो जाता है।
योनि की सूजन, गर्भाशय में गांठें, चिकित्सा उपचार आदि जैसी स्थितियाँ अन्य कारण में शामिल हो सकती हैं, जिसकी वजह से मेनोपॉज़ की उचित प्रक्रिया में हस्तक्षेप ला सकती हैं।
इन सभी कारणों की वजह से मेनोपॉज़ की शुरुआत हो सकती हैं और इसका अनुभव महिला से महिला अलग हो सकता है।
मेनोपॉज़ होने पर कुछ लक्षण नज़र आ सकते हैं जैसे कि-
हॉट फ्लैशेस
रात को पसीने आने
पीरियड्स में बदलाव
नींद की समस्याएं होना
मूड स्विंग्स होना
खुजली और शुष्कता होना
हड्डियों में कमजोरी आना
वजन में बदलाव आना
मासिक धर्म का खत्म होना
यौन में समस्याएं
मेमोरी और ध्यान की कमी होना
यह तो आप समझ गए होंगे कि मेनोपॉज हर महिला के जीवन में एक प्राकृतिक परिवर्तन है, जिसमें उनके पीरियड्स पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं। यह 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच स्वाभाविक और सामान्य होने वाली प्रक्रिया है। मेनोपॉज़ का बाहरी कारणों और शारीरिक परिवर्तनों के कारण महिला में होता है। इस प्रक्रिया के अलग-अलग पहलु होते हैं जिसके परिणाम में गर्भाशय की डिम्बग्रंथि ऊतक (ovarian tissues) में बदलाव दिखाई देंगे। कुछ कारणों में हॉर्मोनल परिवर्तन भी एक कारण हो सकता है।
महिलाओं के शरीर में मौजूद दो प्रमुख हॉर्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन जो मेनोपॉज़ की स्थिति का अहम कारण होते हैं। मेनोपॉज़ के समय, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के लेवल में कमी होने लग जाती है, जिसकी वजह से गर्भाशय से महिलाओं के जीवन में एक नए चरण की शुरूआत होती है। इस शुरुआत में उनके मासिक धर्म समाप्त हो जाते हैं।
इस मेनोपॉज़ की प्रक्रिया के दौरान में, महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ सकता है, जो कई लंबे समय तक चल सकते हैं। इन शारीरिक परिवर्तनों में एक महिलाओं को हॉट फ्लैशेस, सोने से जुड़ी समस्याएं, हड्डीयों की कमजोरी, और मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्या से गुजरना पड़ सकता है।
इस समय महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए। इस समय महिलाओं को स्वास्थ्य से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आप अपने आहार में कुछ पौष्टिक तत्व को जोड़कर अन्य समस्यों से राहत पा सकती है।
कैल्शियम और विटामिन डी के सेवन से हड्डियों को मजबूत कर सकती हैं साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को भी कम कर सकती हैं। कैल्शियम और विटामिन डी दूध, दही, पालक, मूँगफली काफी अच्छे स्रोत माने जाते हैं।
आप अपनी डाइट में फल, सब्जियाँ, अनाज, दालें शामिल करके फाइबर की पूर्ति कर सकती हैं। भरपूर मात्रा में फाइबर लेने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहेगा और वजन को मैनेज रखने में मदद मिलेगी।
फाइटोएस्ट्रोजन स्रोत को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए आप सोया उत्पाद, ब्रोकोली, लिनसीड, बन्नी, का सेवन करें। इनकेसेवन से हार्मोनल लेवल को संतुलित करने में मदद मिलेगी।
बेरीज, खजूर, बादाम, गेहूं के जीवांश, गाजर, ओट्समील को सुपरफूड्स में गिना जाता है जिससे जो विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स की पूर्ति होगी।
आप पर्याप्त पानी पीएं, अच्छी नींद ले और अच्छे व स्वस्थ आहार के साथ नियमित व्यायाम करें। एक विशेषज्ञ चिकित्सक से समय-समय पर सलाह करें।
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