Monday, May 19 ,2025

CBC Test in Hindi जानिए विस्तार से इसके बारे में!


CBC टेस्ट के बारे में अपने सुना ही होगा लेकिन यह किस लिए होता है और क्यों किया जाता है, आपको मालूम है? अगर हाँ, तो अच्छी बात लेकिन अगर नहीं तो आज इस टेस्ट से जुड़ी सारी जानकारी के बारे में बात करेंगे। वैसे सभी टेस्ट करवाने के पीछे डॉक्टर आपकी सेहत के बारे में और बेहतर तरीके से जानकारी प्राप्त करना चाहते  हैं। तो आइए जानते हैं सीबीसी टेस्ट के बारे में विस्तार से।  

CBC टेस्ट क्या है ? (What is CBC test in Hindi) 

CBC का अर्थ कम्प्लीट ब्लड काउन्ट (complete blood count) (cbc test full form in hindi) होता है इसलिए इसे CBC टेस्ट कहते हैं। CBC टेस्ट में आपके ब्लड की जांच की जाती है और हर एक मापदंड को देखा जाता है। इस टेस्ट में लाल रक्त कोशिकाओं और सफेद रक्त कोशिकाओं प्लेटलेट्स की पूरी जानकारी मिल जाती है। इस टेस्ट की मदद से ब्लड में मौजूद सही विभिन्न सेलुलर घटक (Cellular Components), खून बनाने वाले तत्वों (Blood-Forming Elements) की गणना का विश्लेषण आसान तकनीकों और प्रयोगशाला उपकरणों के साथ किया जाता है। 

भारत में 90 % डॉक्टर किसी भी बड़ी बीमारी का इलाज शुरू करने से पहले CBC टेस्ट (cbc blood test in hindi) करवाने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट की मदद से ब्लड सेल में होने वाले संक्रमण, असंतुलन और स्वास्थ्य संबंधित अन्य समस्यों की जानकारी पाने में मदद मिलती है।  इस टेस्ट के जरिए मरीज की तबियत की गंभीरता को भी समझने में आसानी होती है जिससे उसके इलाज करने में काफी मदद मिलती है। 

CBC टेस्ट चार प्रमुख घटकों की जांच के लिए होता है जिसमें शामिल है:

लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells): यह हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करने में सहयोग करती है साथ ही कार्बन डाइआक्साइड को फेफड़ों तक पहुंचाती है। यह हमारे शरीर में पोषण और आवश्यक ऊर्जा पहुंचाने में भी सहायता करती है।   

सफेद रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells): यह हमारी इम्यूनिटी को बेहतर और मजबूत करने में सहयोग करती है और साथ-साथ किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में भी सहायता करती हैं। 

हीमग्लोबिन (Hemoglobin): यह हमारे शरीर की लाल कोशिकाओं के भीतर मौजूद एक प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के सभी अंगों व हिस्सों तक पहुँचने में मदद करता है।  

प्लेटलेट्स (Plateletes): यह रक्त के थक्के बनाने में भी मदद करती है जिससे यह शरीर के किसी भी हिस्से पर चोट लगने पर रक्तस्राव को रोकने मे मददगार साबित होती है। 

CBC टेस्ट करवाने का उद्देश (Purpose of getting CBC test done in hindi )

  1. यह भिन्न नसों को मॉनिटर करता है। 

  2. पूरे स्वास्थ्य का आकलन करने में मददगार रहता है। 

  3. यह सभी तरह के संक्रमण का निदान करने में पर्यवेक्षण (supervises) करता है। 

  4. खून में मौजूद असामान्य तत्वों का पता लगाने में सहायता करता है साथ ही बीमारी के लक्षणों के बारे में भी बताता है।

CBC टेस्ट कब करवाना चाहिए ? (When should the CBC test be done in Hindi?)

जब आपके शरीर में नीचे बताएं हुए लक्षण दिखाई देने लगे, तब आप CBC टेस्ट करवा सकते हैं, जिसे आप संतुष्ट हो जाए कि आपको समस्या है या नहीं। नहीं है, तो बेहद अच्छी बात है लेकिन यदि कोई समस्या है तो आप जल्द से जल्द उस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।

  • कमजोरी 

  • रक्त कम होना 

  • जोड़ों में दर्द 

  • बुखार 

  • दिल की धड़क से जुड़ी किसी भी समस्या का होना 

  • शरीर में सूजन 

  • शरीर जलन 

  • थकान 

  • चक्कर आना 

  • चोट लगने पर खून का ज्यादा निकलना 

CBC टेस्ट की  तैयारी कैसे करें? (How to prepare for CBC test In Hindi?)

वैसे तो इस टेस्ट के लिए किसी भी तरह कि जरूरत नहीं होती है लेकिन कई बार कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। आमतौर पर आपको टेस्ट से 12 घंटे पहले फास्टिंग की सलाह दी जाती है, लेकिन आप सिर्फ पानी पी सकते हैं। इस टेस्ट की सबसे अच्छी बात यह कि आप सुबह उठते ही इसको करवा सकते हैं। वैसे डॉक्टर आपको टेस्ट के लिए पूरा गाइड करेंगे साथ ही यह भी बता देंगे कि आपको फास्टिंग की जरूरत है या नहीं। 

CBC टेस्ट की प्रक्रिया बहुत सरल है। यह एक सामान्य रक्त जांच है जिसे डॉक्टर या लैब तकनीशियन द्वारा किया जाता है। अगर रक्त का नमूना सिर्फ पूर्ण गणना के लिए जा रहा तो आप नाश्ता करके भी टेस्ट करवा सकते हैं, लेकिन अगर यह किसी अन्य कारण के लिए हो रहा है तो आपको उपवास रखना पड़ सकता है। इसलिए टेस्ट से पहले अपने डॉक्टर से पूछे और पूरी जानकेरी प्राप्त करें। 

टेस्ट करवाने से पहले आप डॉक्टर से कुछ भी न छुपायें उन्हे अपनी सभी बीमारियों से जुड़ी जानकारी दें और कौन-सी दवाइयाँ खाते है, उसके बारे में भी बताएं। यदि आप महिला है तो डॉक्टर से अपनी गर्भावस्था के बारे में जरूर साझा करें।  

CBC टेस्ट की प्रक्रिया (CBC Test Procedure in Hindi)

 

ब्लड सैम्पल लेने की प्रक्रिया          
  • डॉक्टर या लैब तकनीशियन सुई के इस्तेमाल से आपके हाथ की नस में से खून का सैम्पल लेते हैं और उसे एक टेस्ट ट्यूब या विशेष कन्टैनर में स्टोर करते हैं। फिर इसको जांच के लिए लैब भेज दिया जाता है, वहाँ रक्त के अलग-अलग घटकों का विश्लेषण किया जाता हैं। 

रिपोर्ट की प्रक्रिया   
  • वैसे तो आमतौर CBC टेस्ट की रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाती है। रिपोर्ट में रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल, प्लेटलेट्स और हीमग्लोबिन के बारे में भी शामिल होता है। अगर किसी भी कारण टेस्ट रिजल्ट अच्छे नहीं होते हैं तो डॉक्टर आपको अन्य टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं जिससे आपकी बीमारी का सही और सटीक तरह से इलाज किया जा सकें।   

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CBC टेस्ट में कौन-से पैरामीटर शामिल हैं? (What parameters are included in the CBC test in Hindi?)

CBC टेस्ट में कई तरह के पैरामीटर (cbc test noraml range in hindi) हैं जिनके जरिए खून की जांच की जाती है।

सफेद रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells (WBC)- यह हमारे शरीर पर हमला करने वाले संक्रमण से लड़ती हैं।

  1. सामान्य रेंज- 4,500 से 11,000 प्रति सेल पर माइक्रोलीटर (cells/µL) तक इसका सामान्य स्तर माना गया है।

  2. हाई रेंज- इसका हाई रेंज शरीर में संक्रमण, सूजन, ल्यूकेमिया(Leukemia), स्ट्रेस या टिश्यू डेमेज होने का संकेत देती है।

  3. लो रेंज- शरीर में बोन मैरो (bone marrow) की समस्या, गंभीर इंफेक्शन (severe infection), ऑटोइम्म्यून बीमारी (autoimmune conditions) या फिर कीमोथैरेपी के इफेक्ट (effects of chemotherapy) का इशारा देने का काम सफेद रक्त कोशिकाएं का कम होना देती  है।

लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells (RBCs)- रेड ब्लड सेल्स हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करने में सहयोग करती है साथ ही कार्बन डाइआक्साइड को फेफड़ों तक पहुंचाती है।

  1. नॉर्मल रेंज- रेड ब्लड सेल्स पुरुषों में 4.7 से 6.1 मिलियनसेल्स और महिलाओं में 4.2 सो 5.4 मिलियन होती हैं।

  2. हाई रेंज- शरीर में इनकी हाई रेंज पॉलिसिथेमिया (Polycythemia) कहलाती है। इसके अंदर डिहाइड्रेशन, दिल से जुड़ी सभी बीमारियाँ या पॉलिसिथेमिया वेरा (polycythaemia vera) का संकेत करती  हैं।

  3. लो रेंज (Anaemia)- शरीर में इनकी लो रेंज आयरन की कमी, किसी भी पुरानी बीमारी का अंदेश, शरीर में रक्तस्राव या फिर बोन मेरो की समस्या का संकेत करती हैं।

हीमोग्लोबिन (HGB)- लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन जो शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है उसे हीमोग्लोबिन कहते हैं।

  1. नॉर्मल रेंज- हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर पुरुषों के शरीर में 14 (g/dL) से 18 (g/dL) तक माना गया हैं और वहीं यह महिलाओं के शरीर में इसका सामान्य स्तर 12 (g/dL) से 16 (g/dL) तक माना गया है।

  2. हाई रेंज- शरीर में हीमोग्लोबिन की हाई रेंज लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी परिस्थिति को बताती है।

  3. लो रेंज- शरीर में हीमोग्लोबिन की लो रेंज ज़्यादातार एनीमिया की और इशारा करती हैं।

हेमाटोक्रेटिक (HCT)- हेमाटोक्रेटिक के ब्लड सैंपल में कुल रेड ब्लड सेल्स का अनुपात होता है।

  1. नॉर्मल रेंज- पुरुषों के शरीर में कुल रेड ब्लड सेल्स का स्तर  40.7% से 50.3% तक माना गया है वही महिलाओं के शरीर में इसका सामान्य स्तर  36.1% से लेकर 44.3% तक माना गया है।

  2. हाई रेंज- शरीर में हेमाटोक्रेटिक का हाई रेंज डिहाइड्रशन और पॉलिसिथेमिया (Dehydration and polycythemia) की ओर इशारा करता है।

  3. लो रेंज- हेमाटोक्रेटिक का लो स्तर शरीर में खून की कमी की और इशारा करता है जिसे एनीमिया भी कहा जा सकता है।

प्लेटलेट्स (Platelets)- हमारे शरीर में रक्त के थक्के जमाने में सहायता करनी वाली सेल्स को प्लेटलेट्स कहा जाता हैं।

  1. नॉर्मल रेंज- हमारे शरीर में  प्लेटलेट्स का सामान्य स्तर 150,000 से 450,000 Plts तक होना जरूरी है। 

  2. हाई रेंज- शरीर में प्लेटलेट्स के हाई स्तर को थ्रोम्बोसाइटोसिस (Thrombocytosis) कहा जाता है। यदि यह बढ़ हुआ हो तो आपको शरीर में सूजन, बोन मेरो में दिक्कत, इंफेक्शन आदि के द्वारा संकेत मिलता है।

  3. लो रेंज- शरीर में प्लेटलेट्स के लो स्तर को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) कहा जाता है। इसमें रक्तस्राव विकार, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव और बोन मेरो संबंधी समस्या का इशारा मिलता है।

मीन कार्पसकुलर वॉल्यूम- मीन कार्पसकुलर वॉल्यूम (Mean Corpuscular Volume) को एमसीवी (MCV) भी कहते हैं,  इसके तहत रेड ब्लड सेल्स के औसतन आकार को मापा जाता है।

  1. नॉर्मल रेंज- मीन कार्पसकुलर वॉल्यूम का हुमरेब शरीर में सामान्य स्तर 80 से 100 fL माना गया है।

  2. हाई रेंज- शरीर में मीन कार्पसकुलर वॉल्यूम का हाई रेंज विटामिन बी 12 या फोलेट की कमी की ओर इशारा देता है।

  3. लो रेंज- शरीर में मीन कार्पसकुलर वॉल्यूम का लो स्तर शरीर में आयरन की कमी और एनीमिया जैसे बीमारी के बारे में बताता है।

मीन कार्पसकुलर हीमोग्लोबिन- मीन कार्पसकुलर हीमोग्लोबिन (Mean Corpuscular Haemoglobin) को एमसीएच(MCH) भी कहते हैं। हर रेड ब्लड सेल के अंदर मौजूद कुल हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा का मापता है।

  1. नॉर्मल रेंज- 27 से 31 पिकोग्राम (pg) 

  2. हाई रेंज- शरीर में मीन कार्पसकुलर हीमोग्लोबिन का हाई रेंज मेक्रोसाइटिक एनीमिया को दर्शाता है।

  3. लो रेंज- शरीर में मीन कार्पसकुलर हीमोग्लोबिन का लो रेंज माइक्रोसाइटिक एनीमिया की इशारा देता है।

मीन कार्पसकुलर कंसंट्रेशन-  मीन कार्पसकुलर कंसंट्रेशन (Mean Corpuscular Haemoglobin Concentration) को एमसीएचसी (MCHC)भी कहते हैं। ये रेड ब्लड सेल्स में कुल हीमोग्लोबिन की एकाग्रता का माप है।

  1. नॉर्मल रेंज- 27 फीसदी से 32 फीसदी माना जाता है।

  2. हाई रेंज- शरीर में मीन कार्पसकुलर कंसंट्रेशन का हाई रेंज वंशानुगत स्फेरोसाइटोसिस (Spherocytosis) हो सकता है।

  3. लो रेंज- शरीर में कम मीन कार्पसकुलर कंसंट्रेशन का माप आयरन की कमी और एनीमिया होने का खतरे की ओर संकेत देता है।

आप चाहे तो फूल बॉडी चेकअप के तहत भी CBC test करवा सकते हैं, जिससे आप अपनी सेहत के बारे में जान सकेंगे।