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अपनी दौड़-भाग भरी ज़िंदगी में थोड़ा-बहुत तो बीमार होना आम बात है इसलिए कई बार हम छोटी-मोटी बीमारी पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन कई बार यह छोटी बीमारी ही बड़ी समस्या का कारण बन बैठती है। जैसे कहने को तो बुखार है लेकिन कई बार यह बुखार टाइफाइड का रूप ले लेता है और आप इतना तो जानते ही हैं कि फिर मरीज को कितने दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है। आज हम टाइफाइड में होने वाले टेस्ट के बारे में जानेंगे जिससे इस बीमारी को जल्द से जल्द जानकार, राहत पाई जा सकें।
अगर किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक बुखार है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि उसको टाइफाइड हो सकता है। इसको पता लगाने के लिए डॉक्टर विडाल टेस्ट करने की सलाह देते हैं। तो जानते हैं कि आखिर विडाल टेस्ट क्या है और इसको कराने से क्या होता है।
विडाल टेस्ट को पहली बार 1896 में जॉर्जेस फर्डिनेंड ने किया था इसलिए इस टेस्ट का नाम उनके नाम पर रखा गया। सही तरह से बुखार की जांच और इलाज करने के लिए इस टेस्ट को डॉक्टर शुरुआती लक्षण को देखकर ही करवाने का परामर्श देते हैं। यदि बुखार को 1 हफ्ते से अधिक समय हो जाए तो विडाल टेस्ट करवा लेना चाहिए, जिससे सटीक परिणाम जानकार इलाज करने में मदद मिलेगी।
विडाल टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि मरीज़ को टाइफाइड है या नहीं। इस टेस्ट के जरिए रक्त में टाइफाइड के कारण बनने वाले एंटीबॉडीज की मात्रा को नापा जाता है। टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) बैक्टीरिया या फिर साल्मोनेला पैराटाइफी (Salmonella Paratyphi) बैक्टीरिया, इन दोनों में से किसी एक बैक्टीरिया के कारण होता है। इन बैक्टीरिया के दो एंटीजन हैं:
साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi): इसको एस. टाइफी के नाम से भी जाना जाता है। एस. टाइफी के दो तरह के एंटीजन हैं। प्राइमरी एंटीजन एस. टाइफी ओ (टीओ) और सेकेंड्री एंटीजेन एस. टाइफी एच (टीएच).
साल्मोनेला पैराटाइफी (Salmonella Paratyphi): इसको एस. पैराटाइफी (S. Paratyphi) के नाम से भी जानते हैं। एस. पैराटाइफी के भी दो एंटीजन होते है, एस. पैराटाइफी ए (S. Paratyphi A) और एस. पैराटाइफी बी (S. Paratyphi B).
● पेट दर्द
● थकान
● शरीर में दर्द
● कब्ज़
● तेज़ बुखार
● मल में खून आना
● भूख न लगना
● कमजोरी
● छाती के पास गुलाबी रंग के धब्बे होना
विडाल टेस्ट करने के दो तरह के तरीके होते हैं। पहला है स्लाइड मेथड और दूसरा है ट्यूब मेथड। अब इन मेथड को विस्तार से जानते हैं :-
स्लाइड मेथड
1. इस मेथड के लिए मरीज का ब्लड सैंपल लेकर उसे जमने के लिए छोड़ दिया जाता है।
2. ब्लड में जो तरल भाग होता है उसे उसे सीरम कहते हैं। सेंट्रीफ्यूज मशीन (Centrifuge machine) की सहायता से थक्कों को अलग किया जाता हैं।
3. सीरम की एक बूंद को लेकर काँच की स्लाइड पर रख दिया जाता है और फिर स्लाइड पर मरीज का नाम, तारीक लिखा जाता है।
4. फिर सीरम ड्रॉप में एंटीजन सॉल्यूशन (Antigen Solution) की एक बूंद को, उसमें मिला दिया जाता है।
5. अब दोनों को साफ़ काँच की रोड से एक साथ मिला दिया जाता है। एग्लूटिनेशन (Agglutination) हो इसके लिए स्लाइड पर मौजूद काम्बनैशन को 4 मिनट तक अच्छे से मिलाया जाता है।
6. एग्लूटिनेशन (Agglutination) देखने के लिए 40x मैग्निफिकेशन पर माइक्रोस्कोप के अंदर स्लाइड को चेक किया जाता है। अगर बैक्टीरिया जमने लगे तो इसको पॉजिटिव रिजल्ट घोषित कर दिया जाता है।
ट्यूब मेथड
1. इस मेथड के लिए भी सबसे पहले मरीज का ब्लड सैंपल लेकर, उसे जमने के लिए छोड़ दिया जाता है।
2. थक्का बनने के बाद सीरम को कोशिकाओं से अलग करने के लिए सैंपल को सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge) करते हैं।
3. इसके बाद 4 टेस्ट ट्यूबों पर मरीज का नाम और डेट लिख कर लेबल लगा दिया जाता है।
4. फिर हर एक टेस्ट ट्यूब में एंटीजन सोल्युशन (Antigen Solution) के एक अलग-अलग घोल को डाल दिया जाता है। मरीज के सीरम की निश्चित मात्रा सभी टेस्ट ट्यूब में डाली जाती है।
5. इन सभी टेस्ट ट्यूब में मौजूद सभी सामग्री को अच्छे से मिलाया जाता है।
6. इन सभी टेस्ट ट्यूबों को 24 घंटे के लिए 37°c पर गर्म करने की एक प्रोसेस जिससे इनक्यूबेट (Incubate) कहते है, वो किया जाता है।
7. एग्लूटीनेशन (Agglutination) के लिए टेस्ट ट्यूब को देखा जाता है। अगर उसमें बैक्टीरिया जमने लगे होते हैं तो इसको पॉजिटिव रिजल्ट घोषित कर दिया जाता है।
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एंटीजन ओ (Antigen-O) और एंटीजन एच (Antigen-H) के लिए विडाल रेंज 1:160 टाइटर से अधिक या उसके बराबर होती है, तो इसको पॉजिटिव परिणाम मानकर टाइफाइड संक्रमण घोषित कर देते हैं। इस टेस्ट का रिज़ल्ट 12 घंटों के भीतर आ जाता है।
अगर विडाल टेस्ट का रिजल्ट नेगटिव आता है तो ब्लड सैंपल में एंटीजन और एच की टिटेर वैल्यू (Titer Values) 1.60 से कम होगी इसलिए आपको टाइफाइड का बुखार नहीं है। आपको जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं वो किसी अन्य इन्फेक्शन के हो सकते हैं।
बहुत से कारण है जो इस टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इलाज के लिए सिर्फ इस टेस्ट के ऊपर निर्भर न रहें। विडाल टेस्ट मरीज के पिछले संक्रामण, मौजूदा संक्रामण या फिर एस. टाइफी टीकाकारण में अंतर नहीं कर पता है और इसके रिज़ल्ट वो पॉज़िटिव बता देता है।
नोट:
जब आपको सामान्यतौर पर बुखार हो तो आपको किसी भी तरह के टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि 3 दिन से ज्यादा होने पर भी बुखार न उतरे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको जो टेस्ट करवाने की सलाह दें, उसे जल्द से जल्द करवाए और अपना इलाज शुरू करें।