पहले के समय में बहुत गंभीर बीमारियाँ हुआ करती थी जिनका इलाज नामुमकिन था। उनमें से एक बीमारी थी टीबी जिसे ट्यूबरक्लोसिस भी कहते थे। इस बीमारी के चलते बहुत से लोगों की जान गई है। लेकिन अब इस बीमारी का इलाज संभव है। इस ब्लॉग के जरिए जानेंगे कि टीबी क्या है, इसके क्या लक्षण-कारण होते हैं और इसका बचाव कैसे किया जा सकता है।
टीबी माइक्रोबकटीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नाम के जीवाणु के कारण से होता है। यह एक संक्रमक बीमारी है जो एक से दूसरे इंसान को हो सकती है। यह संक्रमित व्यक्ति बिना मुँह-नाक ढके यानि खुले मे साँसे लेने के द्वारा सामने वाले असंक्रमित व्यक्ति को हो सकती है। इसके सिवा खांसी, छींक या लार के ज़रिए भी टीबी फैल सकता है। टीबी का बैक्टीरिया मुख्य रूप से व्यक्ति के फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है जिससे साँसे लेने में दिक्कत होने लगती है। इस बीमारी के कारण शरीर के वह हिस्से प्रभावित होते हैं जहां खून और ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। यही सबसे बड़ा कारण है कि टीबी में फेफड़े प्रभावित होते हैं और फेफड़े में होने वाले टीबी को पल्मोनरी टीबी (Pulmonary Tuberculosis) कहते हैं।
टीबी को क्षय की बीमारी भी कहा जाता है। इसका खतरा सबसे ज्यादा एड्स और डायबिटीज वाले मरीजों में होने का रहता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है उनमें भी टीबी की बीमारी होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। अगर टीबी के लक्षणों पर ध्यान दिया जाए, तो इसे समय रहते ठीक किया जा सकता है और इसको गंभीर होने वाली स्थिति से भी बचाया जा सकता है। इस विषय पर अंग्रेजी में जानकारी के लिए आप हमारा संबंधित ब्लॉग "A Quick Overview of Tuberculosis" भी पढ़ सकते हैं।
टीबी के कई प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं वह कौन-से है और उनमें क्या होता है -
यह टीबी का सबसे सामान्य प्रकार है, जो अक्सर हमारी फेफड़ों में होता है। जिसकी वजह से व्यक्ति के फेफड़े प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि इस टीबी को फेफड़ों का टीबी यानि पुल्मोनरी टीबी (Pulmonary Tuberculosis) कहते हैं।
एक्सट्रापल्मोनरी टीबी (Extrapulmonary Tuberculosis) में संक्रमण फेफड़ों के यानि पुल्मोनरी टीबी (Pulmonary Tuberculosis) के बाहर विकसित होता है। इस वजह से यह शरीर के बाकी हिस्सों जैसे लाइम्फ नोड्स, किडनी, स्पाइन या दिमाग आदि को प्रभावित कर सकता है।
मिलिटरी टीबी (Miliary Tuberculosis) में टीबी का बैक्टीरिया रक्तसंचरण (blood circulation) के माध्यम से शरीर के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण फैलता है। जिससे छोटे ग्रैन्युलोमा का निर्माण होता है जो बॉडी के बाकी अन्य हिस्से भी प्रभावित होते हैं।
लेटेंट टीबी इन्फेक्शन (Latent Tuberculosis Infection) को छिपा हुआ टीबी भी कहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस टीबी की अवस्था में व्यक्ति बैक्टीरिया के संपर्क में तो आता है, लेकिन व्यक्ति के शरीर में कोई भी लक्षण नज़र नहीं आते हैं। व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया मौजूद तो होता है लेकिन वह उस समय परेशान नहीं करता लेकिन भविष्य में वह सक्रिय हो सकता है।
ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (Drug-Resistant Tuberculosis) में बैक्टीरिया कुछ दवाइयों के लिए प्रतिरोध (Resistance) विकसित कर सकता है। इस अवस्था में मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) और एक्सटेंसिव्ली ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (Extensively Drug-Resistant TB- XDR-TB) शामिल हैं। यह दोनों ही बहुत जटिल स्थिति हो सकती हैं।
अगर किसी व्यक्ति को खांसी लंबे समय से बनी हुई है और साथ ही खांसी में खून नज़र आने लगा है तो यह एक सबसे बड़ा टीबी का लक्षण है।
अगर व्यक्ति को टीबी की बीमारी है तो उस व्यक्ति को अक्सर बुखार की शिकायत रहेगी। बुखार दिन भर उच्च तापमान पर बना रहता है। टीबी और मलेरिया दोनों में बुखार आम लक्षण है, लेकिन इनके कारण और इलाज अलग हैं मलेरिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें "Malaria In Hindi: जानिए मलेरिया के लक्षण कारण और उपचार"।
टीबी से ग्रस्त व्यक्ति को बार-बार सीने में दर्द उठ सकता है या उसे इस दर्द का आभास हो सकता है।
कई मामलों में यह देखा गया है कि मरीजों को खूनी खांसी हो सकती है। खांसते समय मरीज के मुँह से खून निकल सकता है।
टीबी की बीमारी में मरीजों को बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है। वह थोड़ा-सा कार्य करते हैं और उनको अपने भीतर ऊर्जा की कमी महसूस होती है या फिर उनको कमजोरी लगने लगती है।
यह एक आम लक्षण है कि टीबी की बीमारी में मरीजों में वजन धीरे-धीरे कम हो सकता है। व्यक्ति इस बात पर कई हफ्तों या महीनों के बाद ध्यान देता है।
वैसे यह भी देखा गया टीबी से जूझ रहें व्यक्ति को रात में सोते समय पसीने आते है, जिससे कई बार सोने में तकलीफ़ हो सकती है।
आमतौर पर किसी भी बीमार व्यक्ति से बात की जाए तो यह सबसे आम लक्षण होता है कि उसे भूख नहीं लग रही या फिर उसकी भूख कम हो गई है। टीबी के मरीज के साथ ऐसा होता है, बीमारी के कारण मरीज की भूख में कमी आने लगती है।
टीबी के मरीज धीरे-धीरे सांस लेते हैं क्योंकि फेफड़ों के प्रभावित होने के कारण, सांस लेने में कठिनाई महसूस करते हैं।
टीबी के कई कारण हो सकते हैं। उन कारणों के बारे में जानते और समझते हैं कि आखिर टीबी होने के पीछे वजह क्या है और इस बीमारी से कैसा बचा जा सकता हैं।
टीबी फैलने का सबसे बड़ा कारण हवा में छोड़े गए संक्रमित कणों (airborne particles) के साथ होता है। यह संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
टीबी का संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क में रहने से बहुत ही तेजी से फैलता है। अगर घर में किसी को टीबी की बीमारी है तो यह घर के सदस्य में बहुत ही आराम से फैल सकती है। अगर संक्रमित व्यक्ति दोस्त या समूह का सदस्य है तो बाकि अन्य व्यक्तियों को भी टीबी की बीमारी अपना का शिकार बना सकती है।
अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो उसे संक्रमण से जुड़ी कोई भी समस्या आसानी से परेशान कर सकती है। इसलिए टीबी की बीमारी ऐसे व्यक्तियों अपना शिकार बनाती है।
गरीबी और जनसंख्या की अधिकता वाले क्षेत्रों में टीबी की बीमारी आमतौर में देखी जा सकती है। यहां लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचने की कमी होने के कारण टीबी जैसे संक्रमण का निदान नहीं हो पाता हैं।
टीबी से बचाव करने के लिए बहुत तरीके इस्तेमाल किए जा सकतें हैं। उन उपाय से आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। आइए जानते हैं वह कौन-से मुख्य तरीके हैं -
टीबी से बचाव के लिए आप बीएसजी (बीसीजी) टीका लगवाएं, इससे आप टीबी के खिलाफ एक प्रमुख रूप से अपना बचाव कर पाएंगे।
अगर आपका कोई भी प्रियजन टीबी से पीड़ित है, तो उनसे दूर रहने में ही आपकी भलाई है। उनके साथ समय बिताने से बचे या फिर दूर से ही हालचाल लें।
अगर आप लक्षणों की पहचान कर पा रहे हैं तो, तुरंत मेडिकल चिकित्सा लेने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। जल्द से जल्द उपचार शुरू करने से बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही आप दूसरों को इस संक्रमण से बचा सकते हैं।
जितना ज्यादा आप अपने आस-पास सफाई रखेंगे उतना आप इस बीमारी से दूर रह सकते हैं या कहें कि खुदका बचाव कर सकतें हैं। अपने हाथों को स्वच्छ रखना और बार-बार समय-समय पर हाथ धोने की आदत इस बीमारी को बढ़ने से रोक सकती है।
वैसे हर व्यक्ति को एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए। आप स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम या योग को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल करके प्रतिरोधक्षमता को बढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से आप टीबी सहित बहुत से अन्य संक्रमण से भी बचाव कर सकते हैं।
टीबी के लक्षण कई बार टाइफाइड जैसी बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए टाइफाइड की पुष्टि के लिए किया जाने वाला विडाल टेस्ट क्या है, यह जानने के लिए हमारा ब्लॉग "Widal Test in Hindi: जानिए प्रक्रिया और परिणाम के बारे में !" ज़रूर पढ़ें।
टीबी के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। एंटीबायोटिक्स की मदद से संक्रमण को खत्म किया जाता है साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखें, जिससे आप टीबी की बीमारी से बचाव कर सकते हैं:
समय और नियमित रूप से दवाई का सेवन करें और दवाई का पूरा कोर्स करें। इलाज को बीच में न छोड़े।
स्वस्थ और पोषणयुक्त भोजन ही करें।
ज्यादा से ज्यादा से आराम करें और पर्याप्त नींद लें।
अपने संक्रमण को लोगों से बचने के लिए उनसे दूरी बनाए रखें।
संयम रखें और डॉक्टर से नियमित रूप से सलाह लेते हैं।
टीबी एक बहुत ही गंभीर बीमारी है जिसका समय पर पता लग जाए तो इसको बढ़ने के साथ-साथ गंभीर होने से भी बचाया जा सकता है। टीबी की पहचान करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट उपलब्ध है।
मेन्टॉक्स टेस्ट (Mantoux Test) को टीबी स्किन टेस्ट भी कहते हैं। इसमें स्किन के नीचे एक खास दवा डालकर, 48-72 घंटे बाद स्किन की प्रतिक्रिया देखते हैं।
स्पुटम टेस्ट (Sputum Test) में बलगम का नमूना लेकर टेस्ट किया जाता है कि फेफड़ों के भीतर टीबी बैक्टीरिया मौजूद हैं या नहीं।
टीबी के कुछ मामलों में जांच के लिए एक्स-रे भी किया जाता है। छाती का एक्स-रे करके टीबी के संक्रमण के बारे में पता लगाया जा सकता है, साथ ही समस्या कितनी गंभीर है यह भी जाना जा सकता हैं। एक्स-रे की मदद से फेफड़ों में होने वाले किसी भी बदलाव या कहें असामान्य परिवर्तन के बारे में दिखाता है।
आईजीआरए एक खून टेस्ट है। यह शरीर की इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को नापता है जिन लोगों में टीबी के लक्षण स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई देते हैं।
सीटी स्कैन की मदद से फेफड़ों और शरीर के बाकी अंगों में होने वाले टीबी के संक्रमण का विस्तृत चित्र (Detailed Images) मिलता है।
जीने एक्सपर्ट टेस्ट की मदद से टीबी वाले बैक्टीरिया की पहचान तो होती ही हैं, साथ ही यह भी पता चलता है कि बैक्टीरिया ड्रग-रेजिस्टेंट है या नहीं।
कल्चर टेस्ट की मदद से कफ को एक विशेष माध्यम से बढ़ने दिया जाता है ताकि टीबी के बैक्टीरिया की सही तरह से पुष्टि हो सकें।
टीबी के लक्षण कई बार एचआईवी जैसे संक्रमणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिए एचआईवी टेस्ट क्या है, इसकी पूरी जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग "एचआईवी टेस्ट क्या है? जानिए पूरी जानकारी लक्षण और टेस्ट प्रक्रिया" जरूर पढ़ें।
टीबी की समस्या का इलाज संभव है सब कुछ बातों का ध्यान में रखें। अपनी बीमारी को जल्द से जल्द ठीक करना चाहते हैं तो समय से दवाई लें, साथ ही दवाई के कोर्स को जरूर पूरा करें।
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