हेपेटाइटिस बी वायरस व्यक्ति में अल्पावधि (short-term) और लम्बे समय (long-term) लिवर संक्रमण की वजह बनती है। अधिकतर स्वस्थ आबादी में एचबीवी (HBV) तीव्र हेपेटाइटिस बी की वजह बनती है, जो सिर्फ 6 महीने के अंदर एचबीवी के कारण लिवर की अल्पकालिक सूजन होती है। अगर लक्षणों की बात की जाएँ तो बुखार, थकान, मतली, पेट दर्द, उल्टी, पीलिया और भूख न लगना शामिल हो सकते हैं। बहुत से लोग कुछ महीनों के अंदर ही तीव्र हेपेटाइटिस बी से ठीक हो सकते हैं। कुछ स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोग शरीर से एचबीवी (HBV) को साफ करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनमें क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (chronic hepatitis B) होता है। यह एक दीर्घकालिक इन्फेक्शन होता है जो वर्षों या जीवन भर भी व्यक्ति के शरीर में रह सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी अलग-अलग लिवर समस्याओं का कारण बन सकता है जिसमें शामिल है सिरोसिस, लिवर फेलियर और लिवर कैंसर में हेपेटोसेलुलर कैंसर हो सकता है।
एचबीवी पीसीआर ,
एचबीवी क्यूपीसीआर ,
एचबीवी क्वांटिटेटिव वायरल लोड ,
एचबीवी पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन,
एचबीवी डीएनए क्वांटिटेटिव टेस्ट ,
वास्तविक समय पीसीआर द्वारा एचबीवी वायरल लोड
हेपेटाइटिस बी वायरस तब किसी व्यक्ति में फैलता है जब कोई स्वस्थ व्यक्ति को किसी संक्रमित व्यक्ति का खून या शरीर के तरल पदार्थ, जैसे कि वीर्य और योनि स्राव के संपर्क में आ जाता है।चाहे यह वायरस शारीरिक रूप से आए या फिर सुइयों का इस्तेमाल करके शरीर में पहंचे। गर्भावस्था या प्रसव के समय माँ से बच्चे में हेपेटाइटिस बी वायरस फैल सकता है जो कि एक प्रमुख माध्यम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक क्रोनिक हेपेटाइटिस बी वायरस के मामले साल 2019 में 2.96 x 10 8 सामने आए। साल 2020 में यह मामलें 1.5 x 10 6 सामने आए। दुनिया भर में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से संबंधित जटिलताओं से साल 2019 में सिरोसिस और हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा की वजह से 8.2 x 10 5 लोगों को मृत्यु हुई थी।
भारत देश में, हेपेटाइटिस बी संक्रमण एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या मानी गयी है, जिसमें तीव्र और दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी संक्रमणों की समस्या बहुत अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में दीर्घकालिक (long-term) हेपेटाइटिस बी संक्रमण का फैलना करीब 3 से 4% होने का अनुमान रहता है।लगभग 4 x 10.7 मिलियन लोग दीर्घकालिक (long-term) हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से ग्रस्त होते हैं। वैसे तो, कम रिपोर्टिंग और अपर्याप्त जाँच होने की वजह से क्वांटिटेटिव प्रसार ज्यादा हो सकता है।
अगर व्यक्ति को संक्रमण का खतरा है या बीमारी के लक्षण नज़र आ रहे हैं, तो व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) की जांच करवाने के बारे में सोचना चाहिए।
अगर मां को एचबीवी का संक्रमण है तो जन्म के समय जांच ज़रूर करवानी चाहिए।
एचबीवी से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ कभी भी असुरक्षित यौन संबंध न बनाए।
किसी के साथ सुई या अन्य इंजेक्शन से जुड़े उपकरण साझा करने से भी एचबीवी का खतरा हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा कर्मी हैं और अक्सर खून या फिर शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आता रहता है, तो उसे एचबीवी वायरस होने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर हाल ही में किसी ने एचबीवी संक्रमण की हाई दर वाले किसी राज्य या देश की यात्रा की हो तो इस वायरस की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर किसी व्यक्ति को नीचे बताएं हुए लक्षण नज़र आ रहे हैं तो वह एक बार डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में चर्चा करें, जिससे समस्या के बारे में बेहतर तरीके समझते हुए कुछ टेस्ट की मदद से पुष्टि हो जाएगी।साथ ही सही समय पर इलाज शुरू होने से समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है।आइए जानते हैं वह कौन-से लक्षण है जो एचबीवी वायरस को दर्शता है:-
बुखार
थकान
भूख न लगना
मतली
उल्टी
पेट दर्द
पीलिया
गहरे रंग का मूत्र आना
जोड़ों में दर्द
शरीर में दर्द
खुजली
मल का रंग हल्का दिखना
ध्यान देंने की एक बात यह भी है कि एचबीवी संक्रमण वाले कुछ व्यक्तियों में किसी भी तरह का कोई भी लक्षण नज़र नहीं आता है।इस अवस्था में उन्हें यह भी पता नहीं चल पाता कि यह इस वायरस से संक्रमित हैं। बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) की सलाह के अनुसार, एचबीवी संक्रमण के हाई जोखिम वाले सभी वयस्कों (adults) और किशोरों (Teenagers) की वायरस की जाँच करवानी चाहिए। बीमारी के प्रबंधन और जटिलताओं को गंभीर होने से रोकने के लिए प्रारंभिक पहचान और निदान करना बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
एचबीवी का पता लगाने के लिए अलग-अलग नैदानिक टेस्ट मौजूद हैं, आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:-
यह टेस्ट, पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction - PCR) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, खून में मौजूद एचबीवी डीएनए की मात्रा का पता लगाया जाता है.
यह टेस्ट, वायरल लोड इसमें खून रक्त में वायरस की मात्रा का पता लगाया जाता है, जो संक्रमण की गंभीरता का एक महत्वपूर्ण सूचक है.
यह टेस्ट, एंटीवायरल इलाज की प्रभावशीलता की निगरानी के लिए किया जाता है और इलाज के समय वायरल लोड में परिवर्तन को ट्रैक करने में बभी मददगार है।
यह टेस्ट, लिवर डैमेज के जोखिम का आकलन करते हुए, संक्रमण की प्रगति का अनुमान पता करने में मदद करता है।
मरीज की बांह की नस से ईडीटीए (EDTA) ट्यूब में खून का नमूना कलेक्ट कर लिया जाता है।
एकत्रित ईडीटी ब्लड ट्यूब को 2 से 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर संग्रहीत कर लिया जाता है और जाँच आणविक लैब (molecular laboratory) में भेज दिया जाता है।
पूरी तरह से स्वचालित न्यूक्लिक एसिड निष्कर्षण (automated nucleic acid) मशीनों का इस्तेमाल करते हुए खून के नमूनों से डीएनए को अलग कर दिया जाता है। फिर, रियल-टाइम पीसीआर मशीन की सहायता से एचबीवी डीएनए को प्रवर्धित (amplified) कर दिया जाता है।
रियल-टाइम पीसीआर में, मरीज के खून के नमूने से अलग किए गए पूरे डीएनए को एक विशिष्ट एचबीवी डीएनए अनुक्रम के लिए प्रवर्धित (amplified) कर दिया जाता है और फ्लोरोसेंट जांच (Fluorescent) की मदद से प्रवर्धित (amplified) करते हुए, वास्तविक समय में इसका पता लगते हैं.
डॉक्टर रिजल्ट का विश्लेषण करते है कि एचबीवी डीएनए प्रवर्धित है या नहीं।जिससे एचबीवी संक्रमण के सकारात्मक या नकारात्मक रिजल्ट का निष्कर्ष पता चल जाएँ।
एचबीवी डीएनए क्वांटिटेटिव पीसीआर टेस्ट (HBV DNA Quantitative PCR Test), हेपेटाइटिस बी संक्रमण के मैनेज और इलाज में एक महत्वपूर्ण उपकरण माना गया है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर को संक्रमण की गंभीरता का आकलन करने में आसानी होने के साथ उपचार से जुड़े निर्णय लेने में भी मदद मिलती है।जिससे बीमारी को नियंत्रित करने में मददगार है।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।