अगर आप अपने शरीर को बीमारियों से बचाने चाहते हैं साथ ही स्वस्थ रखने के लिए आपको पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना शुरू कर दें। किसी भी व्यक्ति के खानपान में गड़बड़ी होने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी शुरू हो जाती है और आगे जाकर वह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हमारे शरीर के लिए फोलिक एसिड भी जरूरी होता है। फोलिक एसिड को विटामिन बी9 और फोलेट भी कहते हैं। फोलेट का काम शरीर में रेड सेल्स और डीएनए का निर्माण करने का होता है। इसके सिवा, शरीर में भोजन को तोड़ने के साथ उसे ग्लूकोज में बदलने में भी सहयोग करता है। महिलाओं में प्रेग्नेंसी के समय फोलिक एसिड की कमी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। शरीर में फोलिक एसिड या फोलेट की कमी की वजह से कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पद सकता है जो कि कई बार सेहत के लिए खतरा भी बन सकता है। आज इस ब्लॉग के ज़रिये जानेगे कि शरीर में फोलिक एसिड की कमी का पता लगाने के लिए कौन-से होते हैं?
जब शरीर में फोलिक एसिड की मात्रा कम होने लगती है तब इस टेस्ट की मदद से पता किया जा सक्ता है। फोलिक एसिड शरीर में रेड ब्लड सेल्स और डीएनए का निर्माण करने में मदद करता है, जहां जेनेटिक कोड भी होता है। गर्भावस्था के समय या उससे पहले फोलिक एसिड का अच्छी मात्रा में सेवन से स्पाइना बिफिडा जैसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स से बचाव हो सकता है। इसलिए जो महिलाएं गर्भवती होती हैं या फिर गर्भवती होने के बारे में सोच रही होती हैं, उन्हें हर रोज कम से कम भी 600 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन ज़रूर करना चाहिए। जिसकी मदद से महिलाओं में पहले की गर्भावस्था में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स की समस्या रही हो, तो उन्हें अधिक मात्रा में फोलिक एसिड लेने की जरूरत बन सकती है। जब भी आप फोलेट टेस्ट करवाएं तो जांच के बाद डॉक्टर से इस बारे में ज़रूर बात करें कि कितना मात्रा में फोलिक एसिड लेने की जरूरत है। प्रेग्नेंसी से पहले ज़रूरी पोषण और ब्लड टेस्ट की जानकारी के लिए जानिए प्रेग्नेंसी से पहले कौन-से टेस्ट करवाने जरूरी है?
विटामिन बी9 का एक प्रकार फोलेट भी होता है, जिसकी कमी होने से व्यक्ति के शरीर में एनीमिया, कमजोरी, प्रेग्नेंसी के दौरान कई दिक्कतें और इंफर्टिलिटी आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जो कि कई बार कुछ मामलों में गंभीर खतरा साबित हो सकता है। फोलिक एसिड टेस्ट के ज़रिए शरीर में फोलेट या फोलिक एसिड की मात्रा का पता लगाया जाता है। शरीर में फोलेट की नार्मल रेंज की बात करें तो वह 2.5 - 20 ng/mL होती है और रेड ब्लड सेल्स के लिए सामान्य रेंज 140 से 628 ng/mL या 317 to 1,422 nmol/L तक की होती है। जब शरीर में फोलिक एसिड की कमी होने लगती है तब डॉक्टर द्वारा फोलिक एसिड टेस्ट करने की सलाह दी जाती है। फोलिक एसिड टेस्ट के सिवा फोलेट टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट के ज़रिए शरीर में फोलिक एसिड की कमी का पता चल जाता है। अगर आप समझना चाहते हैं कि विटामिन बी9 की कमी कैसे शरीर को प्रभावित करती है, तो Vitamin b9 in Deficiency और Folate Test in Hindi एक-दूसरे से सीधे जुड़े हुए विषय हैं।
अगर व्यक्ति किसी तरह की कोई दवाई, जड़ी बूटी या अन्य तरह की कोई भी औषधि का सेवन कर रहे हैं तो फोलिक एसिड टेस्ट करवाने से पहले इसके बारे में, डॉक्टर से बात करें। किसी भी तरह की कोई दवाई टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित न कर दें इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर उसका सेवन न करें। व्यक्ति को टेस्ट के 6 से 8 घंटे पहले खाने-पीने के लिए अक्सर मना किया जाता है। व्यक्ति के लिए बेहतर यही रहेगा कि जिस दिन भी टेस्ट कराना हो, उससे पहले वाली रात को जल्दी खाना खा लें या फिर बिना खाना खाए रहे और अगले दिन सुबह जल्दी ही टेस्ट के लिए अपॉइंटमेंट लें।
अगर आपके CBC रिपोर्ट में गड़बड़ी दिख रही है, तो यह समझना जरूरी है कि CBC Test और Folate Test किस तरह एक-दूसरे को पूरक करते हैं।
फोलेट टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल की जरूरत पड़ती है। अधिकतर मामलों में ब्लड का सैंपल हाथ की नस से ही लिया जाता है। कुछ मामलों में कुहनी या हाथ की पीछे वाली नस से खून निकाला जाता है। इस टेस्ट के लिए भी इन्हीं जगह में से किसी एक जगह से खून का सैंपल लिया जाता है। जिस भी जगह से सैंपल लेना होता है वह स्पिरीट जैसी किसी एंटीसेप्टिक से जगह को साफ किया जाता है। उसके बाद डॉक्टर हाथ में ऊपर एक इलास्टिक बैंड बांध दिया जाता है जिससे नसे उभर के दिखाई दें साथ ही बैंड बांध देने से उस जगह से खून का बहाव भी रुकता है। फिर उस जगह से खून का सैंपल लेने के लिए सुई चुभा कर खून का सैंपल कलेक्ट कर लिया जाता है।
खून का सैंपल लेने के बाद उसे किसी शीशी या विशेष तरह के ट्यूब में रखा जाता है। जिस जगह पर सूई से सैंपल लिया गया था, उस जगह से खून निकल रहा हो तो उसे रोकने के लिए कोई बैंडेज कर दी जाती हैं। छोटे बच्चों या शिशुओं से खून का सैंपल लेने के लिए लैन्सेट नाम की एक नुकीले चीज का उपयोग किया जाता है। इस खून को किसी छोटी सी शीशी में या किसी पीपेट, स्लाइड या किसी टेस्ट स्ट्रिप में कलेक्ट किया जाता है। सैंपल लेने के बाद खून बह रहा होता है तो उस जगह पर कोई बैंडेज की जाती है। कलेक्ट हुए ब्लड सैंपल को लैब में जाँच के लिए भेज दिया जाता है।
ब्लड टेस्ट के लिए सैंपल लेने में बहुत कम खतरा होता हैं। फिर भी सैंपल लेने में कुछ खतरे होने का दर हो सकता हैं:-
कई बार बहुत ज्यादा भी खून बह सकता है।
हेमाटोमा होना (इसमें स्किन के भीतर पग खून इकट्ठा हो जाता है)
संक्रमण होना (अगर स्किन पर किसी तरह का घाव बन जाना)
जब शरीर में खून की कमी के लक्षण दिखाई दें, तो Anemia Symptoms समझना जरूरी हो जाता है।
शरीर में जब फोलेट की कमी होने लगती है तब व्यक्ति को कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं। अगर कोई भी बताए जाने वाले लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर की परामर्श लेकर फोलेट की कमी से जुड़े जांच जरूर करवाएं:-
बहुत ज्यादा थकान
कमजोरी
हाथ और पैर में चुभन जैसा लगना
हाथ और पैर सुन्न हो जाना
मुंह में छाले हो जाना
ऊर्जा की कमी महसूस होना
मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना
किसी चीज को देखने में परेशानी होना
डिप्रेशन और भ्रम का सामना करना
जीभ लाल और दर्द होना
शरीर में थकावट, चिड़चिड़ापन या कमजोरी जैसी समस्याओं के लिए Fatigue and its effect in Indians यह अंग्रेजी ब्लॉग को पढ़ना मददगार हो सकते हैं।
फोलेट की कमी के कारण कई दिक्कतें हो सकती है इसलिए लक्षणों पर ध्यान दें और कुछ भी ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। इस समस्या को बढ़ने से पहले से रोके नहीं तो यह कहीं कोई बड़ी समस्या न बन जाए।
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