Friday, July 18 ,2025

विटामिन D 1,25-Dihydroxy टेस्ट क्या है? जाने इसे कब किया जाता है?


vitamin d 1 25 dihydroxy test in hindi

एक व्यक्ति के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है क्योंकि यह शरीर में हड्डियों, मांसपेशियों और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। विटामिन डी इन सबके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। विटामिन डी शरीर को कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने में भी सहायता करता है, जिसकी मदद से हड्डियों को मजबूती मिलती हैं। आज के ब्लॉग में जानेंगे कि विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट क्या है? और यह हमारी हड्डियों और इम्युनिटी के लिए कैसे ज़रूरी है?

विटामिन डी की कमी के सामान्य लक्षण क्या है?

थकान और कमजोरी होना

विटामिन डी की कमी के कारण व्यक्ति को थकान, सुस्ती और कमजोरी जैसे महसूस हो सकता है. वह हर समय खुद को थका हुआ महसूस कर सकता है। अगर आपको अक्सर शरीर में थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो Fatigue से जुड़ी यह जानकारी जरूर पढ़ें, जो विटामिन D की कमी से भी जुड़ी हो सकती है।

हड्डी और मांसपेशियों में दर्द होना

विटामिन डी की कमी से व्यक्ति को अपनी हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द महसूस हो सकता है. विटामिन डी की कमी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी भी महसूस हो सकती है। व्यक्ति खासतौर पीठ, कूल्हों और पैरों में दर्द को महसूस कर सकता है। इम्यूनिटी और सूजन (inflammation) के बीच गहरा संबंध होता है, इसलिए CRP Test से जुड़ी यह ब्लॉग पढ़ना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

मूड में बदलाव आना

कुछ लोगों में देखा गया है कि अगर उनमें विटामिन डी की कमी से के कारण अवसाद, चिड़चिड़ापन और अन्य प्रकार के मूड में बदलाव नज़र आ सकता है। 

बार-बार बीमार पड़ना

विटामिन डी की कमी से व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़  सकती है, जिससे बार-बार व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आ सकता है या फिर बीमार पड़ने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। अगर आपको बार-बार वायरल संक्रमण या इन्फ्लुएंजा जैसी दिक्कतें होती हैं, तो Immunity को लेकर यह Seasonal Flu पर आधारित ब्लॉग जरूर पढ़ें। 

बाल झड़ जाना

विटामिन डी की कमी की वजह से कुछ लोगों में देखा गया है कि बाल झड़ सकते हैं। 

बच्चों में रिकेट्स

बच्चों में, विटामिन डी की कमी की वजह से रिकेट्स हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां नरम और कमजोर होने शुरू हो जाती हैं। 

अक्सर सिरदर्द और थकावट महिलाओं में विटामिन D या B12 की कमी से जुड़ी होती है Vitamin B12 की कमी से जुड़ी यह जानकारी जरूर पढ़ें।

विटामिन डी 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट क्या है?

हमारे खून में विटामिन डी मौजूद होता है जो बाकि अन्य विटामिन की तरह ही ज़रूरी है और उसके दो रूप होते हैं जिसको 25-हाइड्रोक्सी और 1,25- डाइहाइड्रॉक्सी के नाम से जाना जाता है। विटामिन डी का 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी को कैल्सीट्रियोल (Calcitriol) भी कहते हैं, यह विटामिन डी का सक्रिय रूप है। यह शरीर में मुख्य रूप से किडनी में बनता है और आंतों से कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाते हुए खून में कैल्शियम के लेवल को बढ़ाने में सहायता करता है।

1,25 डाइहाइड्रॉक्सी, विटामिन डी का सक्रिय रूप होता है जो लिवर यकृत और किडनी में विटामिन डी 25-हाइड्रॉक्सी के रूपांतरण द्वारा बनता है। ध्यान देने वाली बात तो यहाँ है कि विटामिन डी के इस विशिष्ट रूप का विटामिन डी के भंडार से कोई संबंध नहीं होता है। पैराथाइरॉइड हार्मोन (Parathyroid Hormone) विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी को कंट्रोल में मदद करता है। जब किसी भी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है तब इस रूप का लेवल बढ़ जाता है, जिससे विटामिन डी की कमी का निदान करने पर गलत रिजल्ट मिल सकता है। इसके सिवा, इस उद्देश्य के लिए विटामिन डी 25-हाइड्रॉक्सी टेस्ट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

1,25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी कैसे बनता है?

  • विटामिन डी, सूरज के प्रकाश के संपर्क में आने पर त्वचा में बनता है। 

  • यह विटामिन डी 3 (कॉलेकैल्सिफेरॉल) के रूप में लिवर में जाता है, जहां पर यह 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी में बदलता है। 

  • फिर, किडनी गुर्दे में, 25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी, 1,25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी में बदलता है, जो कि  विटामिन डी का एक सक्रिय रूप होता है। 

विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट कैसे करना चाहिए?

यह टेस्ट तब किया जाता है जब व्यक्ति को किडनी की बीमारी के लक्षण नज़र आते हैं या फिर विटामिन डी 25-हाइड्रॉक्सी को विटामिन डी 1,25डायहाइड्रॉक्सी में बदलने वाले एंजाइम में असामान्यता में किसी प्रकार का कोई संदेह नज़र आ रहा हो। यह टेस्ट तब भी किया जाता है जब व्यक्ति का कैल्शियम लेवल ज्यादा हो या फिर विटामिन डी की मात्रा ज्यादा उत्पन्न करने वाली बीमारियां शरीर में मौजूद हों। 

विटामिन डी 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट की जरूरत क्यों है?

डॉक्टर विटामिन डी 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट कुछ कारण की वजह से कह सकते हैं, आइये जानते हैं वह क्या कारण हो सकते हैं:- 

किडनी की समस्याओं की निगरानी के लिए

किडनी 25 विटामिन डी को 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी विटामिन  डी में बदलने में मदद करती है। यह शरीर में विटामिन डी का सक्रिय रूप होता है। अगर व्यक्ति की किडनी सही तरह से काम करने में असमर्थ है, तो 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी विटामिन डी का लेवल शरीर में कम होने लग जाता है और इसकी वजह से खून में कैल्शियम लेवल भी प्रभावित हो सकता है।  

असामान्य कैल्शियम लेवल का कारण

अगर व्यक्ति के खून में कैल्शियम लेवल बहुत ज्यादा बढ़ने लग जाएं या फिर बहुत ही कम हो जाएं, तब विटामिन डी को 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट को किया जाता है। इससे पता चल सकें कि 1,25 डाइहाइड्रॉक्सी विटामिन डी के लेवल में बदलाव का क्या कारण है।

हड्डियों की मजबूती के लिए केवल विटामिन D ही नहीं, बल्कि कैल्शियम का स्तर भी अहम होता है Calcium Deficiency से जुड़ी जानकारी यहां पढ़ें।

पैराथायराइड विकारों के निदान के लिए 

पैराथायराइड ग्रंथियां कैल्शियम लेवल को कंट्रोल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी विटामिन डी लेवल पैराथायराइड हार्मोन के लेवल से प्रभावित होता है,  इसलिए यह टेस्ट पैराथायराइड विकारों का निदान करने में असरदार साबित हो सकता है।  

विटामिन डी की कमी का आनुवंशिक कारणों का निदान

कुछ मामलों में देखा गया है कि विटामिन डी की कमी आनुवंशिक कारणों की वजह से हो सकती है। यह टेस्ट ऐसे ही आनुवंशिक कारणों का पता लगाने में असरदार है।

विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट कैसे होता है?

विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट के लिए व्यक्ति के शरीर में से खून की थोड़ी सी मात्रा को लेकर किया जाता है। टेस्ट के लिए व्यक्ति की बांह की नस खून लिया जाता है। वैसे तो ब्लड टेस्ट वाली प्रक्रिया दर्द रहित होती है। लेकिन व्यक्ति को सुई डालने वाली जगह पर चुभन जैसा हल्का दर्द महसूस हो सकता है। वैसे, खून का नमूना देने से पहले इस टेस्ट के लिए उपवास करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फिर भी अपने डॉक्टर को अपनी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति के साथ अपनी संभावित दवाइयों के बारे में ज़रूर बताएँ, ताकि टेस्ट के परिणामों को प्रभावित न करें।

विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी टेस्ट रिजल्ट से क्या समझते हैं?

विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी की नार्मल सीमा 19.6 से 54.3 pg/ml होती है। वैसे, हर एक लैब की संदर्भ सीमा अलग-अलग हो सकती है। इसलिए, अलग-अलग लैब टेस्ट रिजल्ट भी भिन्न आ सकते हैं। खून में विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी का लो लेवल किडनी की बीमारियों की और एक संकेत हो सकता है। यह किडनी की शुरूआती फेलियर की स्थिति में होने वाले शुरुआती बदलावों में से एक हो सकता है, इसे नज़रंदाज़ न करें। वही, खून में विटामिन डी 1,25-डाइहाइड्रॉक्सी का जब हाई लेवल होता है तब पैराथाइरॉइड हार्मोन की अधिकता मात्रा शरीर में होती है या सारकॉइडोसिस या लिम्फोमा जैसी बीमारियों का मौजूद होने का यह एक संकेत हो सकता है।

शरीर में इम्यून प्रतिक्रिया का असंतुलन कई बार ऑटोइम्यून रोगों से जुड़ा होता है HLA B27 टेस्ट की जानकारी लेना इस दिशा में एक जरूरी कदम हो सकता है।

नोट: 

व्यक्ति के शरीर में कई कारणों से कई तरह कि कमी हो सकती है इसलिए लक्ष्ण नज़र आने पर डॉक्टर से मिलें वह आपको समस्या के हिसाब टेस्ट करवाने को कह सकते हैं। इससे समस्या की पुष्टि हो जाएगी और इलाज की शुरुआत हो सकेगी। यदि आपको हड्डियों में दर्द, थकान और वजन बढ़ने जैसे लक्षण हैं, तो Thyroid से जुड़ी समस्याएं भी कारण हो सकती हैं थायरॉइड पर यह ब्लॉग ज़रूर पढ़ें।




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