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हमारे शरीर में कई बार बहुत-सी बीमारी ऑटोइम्यून होती है इसलिए इसकी पहचान करने के लिए भी टेस्ट होते हैं। इस टेस्ट को एचएलए बी 27 कहते है। आज इस ब्लॉग के जरिए हम इस टेस्ट के बारे समझेंगे और जानेंगे कि यह कैसे काम करता है और इसकी क्या ज़रूरत हैं?
HLA B27 परीक्षण एक तरह का मेडिकल परीक्षण है जिसमें किसी भी व्यक्ति के DNA में HLA B27 जीन की उपस्थिति का पता लगाने में मददगार होती है। एचएलए यानि मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन ((Human Leukocyte Antigen) यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) का एक हिस्सा है जो विदेशी पदार्थों (Foreign substances) को पहचानने में सहयोग करता है।
HLA हमारे शरीर में एक तरह का प्रोटीन है जो न्यूक्लियस कोशिकाओं (Nucleus cells) में पाया जाता है साथ ही यह सबसे ज्यादा सफेद रक्त कोशिकाओं (White blood cells) में पाया जाता है। हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा है एचएलए जो शरीर में संक्रमण या किसी भी तरह के बाहरी हमले से बचाव करता है। मगर सब शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर एचएलए हमला करके उनको नष्ट करने लगता है तब यह एक बहुत ही गंभीर और बड़ी बीमारी का कारण तो बनाता ही है, साथ ही ऐसा करना बड़ी समस्या का संकेत देना होता है।
HLA B27 की जांच के लिए हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन नंबर 27 की जांच होती है। HLA B27 टेस्ट हमारे शरीर में कुछ खास ऑटोइम्यून डिजीज की मौजूदगी और गैर-मौजूदगी का पता लगाता है। मगर यह बात तो तय है कि किसी भी इंसान के शरीर में ऑटोइम्यून बीमारी की पहचान कर पान कोई आसान कार्य नहीं है। डॉक्टर जब भी किसी भी मरीज की इलाज करता है तो वह मरीज से उसकी मेडिकल हिस्ट्री के साथ फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जानकारी जरूर लेता हैं, जिससे उसका इलाज करने में आसानी हो। साथ ही आपका फिजिकल एग्जामिनेशन, खून में ऑटो एंटीबॉडीज जैसे टेस्ट भी डॉक्टर करवा सकते हैं।
यह एक ब्लड टेस्ट है जो बाकि ब्लड टेस्ट की प्रक्रिया की तरह ही होता है। मरीज का थोड़ी-सी मात्रा में खून निकाला जाता है और उसको एक ट्यूब में स्टोर करके लैब में भेज दिया जाता है। इस खून के नमूने से HLA B27 एंटीजन की उपस्थिति और अनूपस्थिति की जानकारी प्राप्त की जाती है।
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अगर रिजल्ट में HLA B27 एंटीजन मिल जाता है तो इसका मतलब है कि HLA B27 एंटीजन रिजल्ट आपका सकारात्मक है। इसका सकारात्मक होना मतलब यह है कि यह एक बड़ा इशारा है कि शरीर में कोई ऑटोइम्यून बीमारी के विकसित होने का खतरा है। अगर यह किसी भी व्यक्ति के शरीर में बढ़ा हुआ है तो गंभीर समस्या जैसे रिएक्टिव अर्थराइटिस होने का खतरा बन जाता है। ऐसी ही दूसरी बीमारी है या एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस इसका भी होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखें कि HLA B27 एंटीजन रिजल्ट सकारात्मक है तो इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको ऑटोइम्यून बीमारी जरूर होगी। आप HLA B27 एंटीजन परिणाम सकारात्मक होने पर डॉक्टर से अपने लक्षणों के बारे में बात करें और सलाह लें।
ऑटोइम्यून बीमारी से जुड़ी बीमारियों में हर व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग लक्षण और शरीर के अलग-अलग हिस्सों नज़र आ सकते हैं। हर उम्र और लोगों भी ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण भिन्न होते हैं जैसे-
शरीर की मांसपेशियों में दर्द
जोड़ों में दर्द
कमजोरी महसूस होना
बुखार
नींद कम आना या न आना
वजन का घटना
गर्मी बिल्कुल बर्दश न होना
मूत्रमार्ग में सूजन
रीढ़, गर्दन या छाती में सूजन
शरीर के हिस्सों में कठोरता महसूस होना
आँख के आस-पास सूजन आना
दिल की धड़कन तेज़ रहना
बाल झड़ना
स्किन पर सफेद धब्बे पड़ना
हाथों-पैरों में झुनझुनी या सुन्न होना
पेट दर्द
दस्त होना
मुंह का अल्सर
खून के थक्के नज़र आना
अगर आपको बताए हुए लक्षणों में से कोई भी लक्षण नज़र आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी बीमारी की जांच करवाए। सही समय पर सही इलाज आपके जीवन की काफी समस्या कम कर सकता है।
ऑटोइम्यून बीमारियों के पीछे क्या कारण है एक बड़ी पहेली है जो आज तक डॉक्टर भी नहीं समझ पाएं है। मगर कुछ ऐसे भी कारक होते हैं जो ऑटोइम्यून बीमारी के जोखिम की संभावना को बढ़ा देते हैं। आइए जानते हैं वो कौन से कारक है-
ऑटोइम्यून बीमारियों का सबसे बड़ा कारक है अनुवांशिक। इसके सिवा अगर आप ज्यादा दवाइयों का सेवन करते हैं तो कहीं न कहीं उन दवाइयों के दुष्प्रभावों की वजह भी कई बार ऑटोइम्यून बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह देखा गया है कि ज्यादा धूम्रपान करने वाले लोगों में भी ऑटोइम्यून बीमारी की समस्या दिखाई दें सकती है।
अगर किसी भी व्यक्ति को पहले से ही कोई एक ऑटोइम्यून बीमारी है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी कि वह अपनी रक्त सम्बन्धों में उस समस्या का फैला सकते हैं। यह जोखिम हर समय रहेगा।
यह माना जाता हैं कि ऑटोइम्यून बीमारी होने के ज्यादा अवसर महिलाओं में होते हैं साथ ही उनकी वजह से उनकी संतान को भी उन समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
अगर किसी भी व्यक्ति का मोटापा बढ़ रहा है तो उससे कई बीमारियाँ अपना शिकार बना सकती है।
यह भी कहा जाता है कि किसी इन्फेक्शन के बढ़ने के कारण से भी कई बार ऑटोइम्यून बीमारी बढ़ जाती हैं।
अगर किसी भी व्यक्ति के जोड़ों में दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द, गर्दन या छाती में सूजन और कभी-कभी अकड़न भी महसूस होना, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) कहलाता है।
आर्थराइटिस यानि गठिया की समस्या भी एक बड़ी समस्या है खासकर रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis)। इस बीमारी में मरीज के शरीर के जोड़ों की ऊपर की परत पर काफी असर पड़ता है, जिसके कारण शरीर के जोड़ों के पास सूजन के साथ-साथ भी दर्द रहता है।
गठिया का दूसरा प्रकार सोरायटिक आर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis) है। इस समय में त्वचा की स्थिति प्रभावित होती हैं।
गठिया का तीसरा प्रकार रिएक्टिव आर्थराइटिस (Reactive arthritis) इसमें दर्द आमतौर पर घुटनों, टखनों पर महसूस होता है। वैसे देखा जाए तो यह खासकर पैरों को प्रभावित करता है। इस समस्या के कारण आपको आंखों पर सूजन नज़र आती है। त्वचा और शरीर से यूरिनल ट्यूब भी प्रभावित हो सकती है।
अगर किसी भी व्यक्ति की आंखों में सूजन, जलन जैसी समस्या हो रही है तो इस बीमारी को यूवेइटिस (Uveitis) कहा जाता है। कहा जाता है कि अगर यह इस बीमारी को पैदा करने वाला यूवाइटिस ठीक हो जाए तो यह समस्या भी अपने आप से ठीक हो जाती है।
वैसे तो ऑटोइम्यून बीमारियों को रोकना मुमकिन नहीं है। मगर कुछ बातों का ध्यान रखें और विशेषज्ञ की सलाह को मानते हुए आप ऐसी बीमारियों को शुरुआती चरण में बढ़ने से रोक सकते हो। जैसे-
सबसे पहले आप सही समय पर सोये और उठे यानि एक अच्छी नींद लें।
अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में व्यायाम और योग को शामिल करें।
धूम्रपान छोड़ दें या इससे दूरी बनाए रखें।
एक स्वस्थ डाइट प्लान का पालन करें।
अपनी खराब जीवनशैली और गलत खानपान की आदतों को सुधारें।
कोशिश करें की हमेशा ही ताजा खाना ही खाएं।
अगर आपको लगता है कि आपको कोई भी ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है तो डॉक्टर से जरूर बात करें और HLA B27 टेस्ट की जानकारी लें।