इस बात से तो सभी लोग वाकिफ होंगे ही कि एक मनुष्य के शरीर में हार्मोन्स कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह शरीर के कामों को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं। ऐसा ही शरीर में एक हार्मोन मौजूद होता हैं जिसका नाम ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) है। इसके बारे में जानने के लिए एक तरह का ब्लड टेस्ट किया जाता है जो कि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) के लेवल को मापता हैं। इस टेस्ट की मदद से एक व्यक्ति के खून में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मात्रा कितनी है उसकी जांच की जाती है। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) प्रजनन की प्रक्रिया में भी एक अहम भूमिका निभाता है जो कि महिला में गर्भावस्था और मासिक धर्म के लिए ज़रूरी है, वहीँ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन से संबंधित हैं।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को एलएच (LH) भी कहते हैं। दिमाग की पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन बनाया जाता है। यह ग्रंथि मस्तिष्क के नीचे मौजूद होती हैं। इस ग्रंथि में गोनैडोट्रोपिक कोशिकाएं (gonadotropic cells) मौजूद होती हैं जो कि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) को बनाती हैं। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) को सेक्स हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है, इसका असर मानव के प्रजनन अंगों के काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) महिलाओं की ओवरी को प्रभावित करता है, तो वही पुरुषों में टेस्टिकल को प्रभावित करता है। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) शरीर में बहुत कम या बहुत ज्यादा होना, दोनों ही मामलों में परेशानी की वजह बन सकती है। उदाहरण के तौर पर:-
पुरुषों में सेक्स ड्राइव कम होने लग सकती है।
गर्भधारण करने में दिक्कतें आना
बच्चों में यौवनावस्था जल्दी या देर से आ सकती है
महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कतें आ सकती है
अगर आप महिला प्रजनन स्वास्थ्य में रुचि रखती हैं, तो एफएसएच टेस्ट क्या है और इसके क्या कारण है? ब्लॉग में एफएसएच और एलएच के बीच के संबंध को विस्तार से समझा गया है।
मानव शरीर पर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) के बढ़ने या कम होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उन परेशानियों के बारे में विस्तार से समझते हैं:-
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) की वजह से एक महिला के मासिक धर्म चक्र को नियंत्रण करने में मददगार होता है। जब महिला में ओव्यूलेशन होने से पहले ही ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) लेवल में तेज़ी से बढ़ने लगता है, जिससे अंडाशय से अंडे निकलने शुरू हो जाते हैं। यदि आपके पीरियड्स अनियमित हैं या देर से आ रहे हैं, तो पीरियड जल्दी लाने के घरेलू उपाय भी जरूर पढ़ें।
जब शरीर में टेस्टोस्टेरोन के घटते या बढ़ते लेवल से व्यक्ति की सेक्स ड्राइव पर प्रभाव पड़ता है। टेस्टिकल्स को टेस्टोस्टेरोन में बदलने का काम कार्य भी ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) करता हैं। यह शुक्राणु के उत्पादन में बहुत ही ज़रूरी भूमिका निभाता हैं, वैसे तो पुरुषों में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) लेवल में ज्यादा बदलाव नहीं आते है।
ओव्यूलेशन के बाद बची कोशिका संरचना प्रोजेस्टेरोन को जारी करती है, जो कि गर्भावस्था के लिए ज़रूरी है।
बचपन में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) लेवल कम ही होता हैं। जब यौवन की शुरुआत होने लगती है, तब धीरे-धीरे ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) बढ़ने लग जाता हैं। लड़कों में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) टेस्टिकल को टेस्टोस्टेरोन में बदलने के लिए इशारा देते हैं, तो वही लड़कियों में ओवरी को एस्ट्रोजन बनाने के लिए संकेत देता है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का कम या ज्यादा लेवल यौवन पर असर डाल सकता है। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) लेवल के ज्यादा होने के कारण यौवन जल्दी आ सकता है और वही कम लेवल होने की वजह से यौवन देर से आ सकता है।
LH हार्मोन पुरुषों में प्रजनन अंगों की वृद्धि के लिए ज़रूरी है।
युवाओं में यौन विकास करने में मदद करता हैं।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन ओव्यूलेशन के लिए भी उत्तरदायी होता हैं।
LH हार्मोन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन को रिलीज करने का काम करता है जो कि सेक्स हर्मोन के नाम से जाना जाता है।
गर्भावस्था में और पीरियड्स में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन महिलाओं की ओवरीज़ में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को बनाने का काम करता है।
महिलाओं और पुरुषों में LH टेस्ट को करने की सलाह डॉक्टर, कुछ खास कारणों की वजह से देते हैं। आइए जानते हैं वह क्या कारण है:-
अगर किसी भी पुरुष को कम शुक्राणु होने की किसी प्रकार की आशंका हो रही है, तो डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह देते हैं।
इनफर्टिलिटी की जाँच के लिए भी इस टेस्ट की राय दी जाती है।
पुरुषों में LH टेस्ट यौन इच्छा की कमी की जाँच का पता लगने के लिए भी किया जाता है।
पुरुषों में प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्याएं जानने के लिए Male Infertility Causes, Risk Factors & Treatments in India एक उपयोगी लेख है।
जब कोई महिला प्रेगनेंसी प्लान कर रही होती हैं और फर्टाइल व ओवुलेशन के बारे में सही जानकारी पाना चाहती है तो उन्हें एलएच टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।
जब कोई महिल लंबे समय से प्रेगनेंसी के लिए कोशिश कर रही होती है और बार-बार असफल होती है, तब उनके लिए LH Test करवाने की सलाह दी जाती है।
जब महिला में मेनोपॉज़ शुरू हो जाता है तब ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मात्रा बढ़ने लग जाती हैं, तब मेनोपॉज़ की संपूर्ण जानकारी जानने के लिए LH टेस्ट किया जाता हैं।
पीरियड्स में गड़बड़ी के कारणों को जानने के लिए LH टेस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है।
महिलाओं में फर्टिलिटी जांच के अन्य टेस्ट जैसे एएमएच टेस्ट क्या है और क्यों किया जाता है? भी एलएच टेस्ट के साथ करवाना फायदेमंद होता है।
LH टेस्ट करने के लिए डॉक्टर द्वारा शरीर में से खून लिया जाता है जिसको ब्लड टेस्ट ही माना जाता है।
इस टेस्ट के लिए डॉक्टर मरीज के हाथ या बांह में से थोड़ी मात्रा में खून का नमूना लेने के लिए सुई डालकर थोड़े सा ब्लड का सैंपल लेते हैं। फिर उसे कलेक्ट किये हुए ब्लड को टेस्ट ट्यूब में डालकर, आगे जांच के लिए लैब में भेजा देते हैं।
डॉक्टर LH टेस्ट की प्रक्रिया को कुछ दिन लगातर भी कर सकते हैं या फिर कुछ दिनों के लिए जारी रख सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि महिला में पीरियड्स के समय ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मात्रा में बदलाव आता रहता है। इसी कारण एलएच स्तर का सही माप जानने के लिए खून के कुछ सैंपल लिए जाते हैं।
कई बार कुछ ख़ास तरह की दवाइयों का सेवन करने के कारण भी LH टेस्ट की रिपोर्ट पर असर दिख सकता है, इसलिए डॉक्टर LH टेस्ट से 1 महीना पहले ही इन दवाइयों का सेवन बंद करवा दिया जाता है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन-कौन से ब्लड टेस्ट 30 की उम्र के बाद जरूरी हैं, तो 10 blood tests that are beneficial for Indians above 30 में महत्वपूर्ण जांचों की सूची दी गई है।
LH टेस्ट के वैसे कोई खास ज्यादा जोखिम नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी इस तेत्स के दौरान सुई से हल्की सी चुभन महसूस हो सकती है। जिस जगह पर सुई लगाकर ब्लड निकाला था, वह थोड़ा सा दर्द भी महसूस हो सकता हैं। खून निकालने पर किसी किसी व्यक्ति में सूजन भी हो सकती है, ऐसा खून लेने के समय नस में सूजन आने के कारण होता है। सूजन नज़र आने पर डॉक्टर नस पर गर्म सेक करने की राय देते है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) टेस्ट की मदद से आप जान सकते हैं कि प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के बारे में, जिससे गर्भधारण करने में आ रही दिक्कत का पता चल सकें।
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