फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन को ही एफएसएच कहते हैं। यह एक तरह का हार्मोन है, जो कि महिलाओं में ओवुलेशन के लिए उत्तरदायी है। एफएसएच पुरुषों में शुक्राणु की प्रोडक्शन में मदद करता है तो वही महिलाओं में ओवेरियन फॉलिकल की ग्रोथ और डेवलपमेंट में सहायक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रजनन स्वास्थ्य के एफएसएच हार्मोन बहुत जरूरी होता है।ऐसा इसलिए क्योंकि एफएसएच हार्मोन महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी ग्रोथ में एक अहम भूमिका निभाता है। आज के ब्लॉग में समझेंगे कि एफएसएच का लेवल इंबैलेंस न होने के कारण रिप्रोडक्शन हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? साथ ही एफएसएच टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है आदि।
हमारे दिमाग में मौजूद एक छोटी सी पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन बनाया जाता है। यह हार्मोन दोनों ही जेंडर में मौजूद होता है चाहे वह महिला हो या पुरुष। फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन का लेवल पुरुषों में प्यूबर्टी के समय बढ़ने लग जाता है और फिर यह जिंदगी भर तक के लिए रहता है। अगर बात महिलाओं में एफएसएच का लेवल की जाए तो पीरियड्स के हिसाब से यह समय-समय पर बदलता रहता है।
वैसे जो महिलाएं गर्भधारण करने के बारे में सोच रही होती है या फिर कहें कि इच्छा रखती है, तो उन महिलाओं में एफएसएच टेस्ट करवाया जाता है। यह हार्मोन एक महिला में ओवुलेशन एवं फर्टिलाइजेशन के लिए ओवरी से अंडे को रिलीज करने के लिए उत्तरदायी होता है। अगर किसी भी महिला के शरीर में इस हार्मोन का लेवल ठीक नहीं होता तो बच्चा कंसीव करने में दिक्कत आ सकती हैं वही अगर महिला के शरीर में फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन लेवल सही है तो गर्भधारण करने में आसानी होती है।
यदि आप महिला प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण टेस्ट के बारे में जानना चाहती हैं, तो जानिए एएमएच टेस्ट क्या है औ र क्यों किया जाता है?
खून में एफएसएच के लेवल की जांच के लिए एफएसएच टेस्ट किया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि शुरुआती दौर में बच्चों में एफएसएच लेवल कम रहता है, लेकिन समय के साथ जब बच्चे की उम्र बड़ी है यानी 10 से 14 वर्ष में पहुंचने लगते है, तब शरीर में एफएसएच लेवल भी बढ़ने लग जाता है। एफएसएच का काम लड़कों में टेस्टोस्टेरोन हर्मोन और लड़कियों में एस्ट्रोजन हार्मोन को बनाने का होता है। एफएसएच ब्लड टेस्ट के द्वारा शरीर में हार्मोन्स के बारे में पता लगाया जाता है।खासतौर पर फर्टिलिटी से जुड़े कारकों के बारे में जिसमें शामिल है ओवेरियन फंक्शन, ओव्यूलेशन और हार्मोन्स के असंतुलन आदि। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के दौरान थायराइड एक अहम भूमिका निभा सकता है, जानिए इसके लक्षण और कारण विस्तार से।
एफएसएच टेस्ट को मूत्र या ब्लड के किसी भी एक के सैंपल के द्वारा किया जा सकता है। एफएसएच टेस्ट के लिए किसी भी तरह की खास तैयारी की जरुरत नहीं होती है । इस टेस्ट के लिए महिला को अपने पीरियड्स की तारीख को याद रखना ज़रूरी है क्योंकि डॉक्टर को यह सही तारीख बताने के अनुसार ही टेस्ट के लिए एक दिन निश्चित कर पायेंगे। एफएसएच टेस्ट के लिए महिला अगर किसी भी प्रकार की दवाई या फिर सप्लीमेंट का सेवन कर रही है तो वह डॉक्टर को इन सबके बारे में ज़रूर जानकारी दे।
एफएसएच टेस्ट के लिए जब ब्लड लिया जाता है तो इस प्रक्रिया के लिए बांह या हाथ की नस से खून का सैंपल लिया जाता है। इस जगह से खून निकालना होता है उस जगह के थोड़े ऊपर एक स्ट्रेची बैंड बांध दिया जाता है जिससे स्किन पर नसे उभर के नजर आ सकें। फिर बाद में, डॉक्टर या नर्स बांह की नस में सुई डालकर खून को निकाल कर टेस्ट ट्यूब में कलेक्ट कर लिया जाता है। फिर कलेक्ट किए हुए खून के सैंपल को लैब में जाँच के लिए भेज देते हैं।
एफएसएच टेस्ट के लिए यूरिन टेस्ट की मांग होती है तो लैब में यूरिन टेस्ट के लिए एक कंटेनर दिया जाता है जिसमें थोड़ी सी मात्रा में यूरिन का सैंपल देना होता है। यूरिन सैंपल के बारे में डॉक्टर समझाते हैं कि कब देना और कितनी मात्रा में यूरिन देना है।
महिलाओं के लिए एफएसएच के नॉर्मल लेवल के बारे में जानते हैं जिससे आपको भी टेस्ट के बाद परिणाम को समझने में आसानी होगी:-
शरीर में प्यूबर्टी आने से पहले एफएसएच का लेवल 0-4.0 (IU/L) होता है और प्यूबर्टी के समय एफएसएच का लेवल 0.3-10.0 IU/L होता है।जब लड़कियों में मासिक धर्म शूरू हो जाते हैं तब एफएसएच का लेवल उनकी अवस्था के हिसाब से भिन्न हो सकता है।लेकिन फिर भी मासिक धर्म के दौरान एफएसएच लेवल 4.5-21.5 IU/L होता है और पीरियड्स के बाद एफएसएच लेवल 25.8-134.8 IU/L होता है।
शरीर में प्यूबर्टी आने से पहले एफएसएच का लेवल 0-5.0 IU/L होता है और प्यूबर्टी के के समय एफएसएच का लेवल 0.3-10.0 IU/L होता है।समय के साथ जब लड़का एडल्ट हो जाता है तब शरीर में एफएसएच का लेवल 1.5-12.4 IU/L होता है।
ध्यान रखें कि एफएसएच टेस्ट की वैल्यू हर लैब में एक दूसरे से भिन्न हो सकती है। एफएसएच टेस्ट के रिजल्ट की सही जानकारी पाने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें। एफएसएच लेवल में असंतुलन कई बार थकान का कारण बन सकता है, ऐसे में A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians से थकान के अन्य कारण समझें।
पीरियड से जुड़ी समस्या (ज्यादा रक्त स्राव)
एमेनोरिया ऐसी स्थिति जिसमें मासिक धर्म नहीं होते
छोटा कद के कारण
पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस)
गर्भावस्था से संबंधी समस्या
रजोनिवृत्ति
बांझपन की समस्या
यदि आप बालों के झड़ने और हार्मोनल असंतुलन के बीच के संबंध को समझना चाहती हैं, तो अंग्रेजी में Hairfall in Women ब्लॉग उपयोगी रहेगा।
टेस्टिकल के विकास में दिक्कते आना
पुरुषों में स्तनों का बढ़ना वह भी असामान्य रूप से
नपुंसकता
बांझपन
एफएसएच टेस्ट के परिणाम यदि प्रजनन क्षमता में समस्या की ओर इशारा करते हैं, तो अंग्रेजी में Male Infertility ब्लॉग को पढ़कर पुरुषों में प्रजनन संबंधित जानकारी भी प्राप्त करें।
गर्भधारण करने में परेशानी
तेजी से वजन कम होने लग जाता है
महिला के शरीर में अंडे बनना बंद हो जाते हैं
कभी-कभी पिट्यूटरी ग्रंथि का सही से काम न कर पाना
दिमाग के कुछ हिस्सों का ठीक तरह से काम करने में असमर्थ होना
क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter Syndrome)
पिट्यूटरी ग्रंथि के ट्यूमर हो जाना
ज्यादा उम्र या टेस्टिकल में ट्यूमर होना
इसके सिवा, एफएसएच का असामान्य लेवल होने के कारण महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और पुरुषों में स्पर्म प्रोडक्शन जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है।
महिलाओं को नीचे बताएं लक्षणों का अनुभव होने पर एफएसएच टेस्ट की जांच करवा लेनी चाहिए :-
सिर में दर्द होना
ज्यादा पसीना होना
देखने में परेशानी का सामना करना
ओवेरियन सिस्ट होना
योनि में सूखापन आना
असामान्य पीरियड
पेल्विक में दर्द होना
थकान होना
कमजोरी महसूस होना
डिप्रेशन में रहना
भूख में कमी
गर्भधारण में दिक्कत आना
एफएसएच का असामान्य लेवल की वजह से बढ़ सकता है, जिसके कारण शरीर में कई दिक्कते पैदा हो सकती है। इसलिए सेहत का ध्यान रखें।अगर बताएं हुए लक्षण नज़र आते हैं तो डॉक्टर से सम्पर्क करें। एलएच टेस्ट भी एफएसएच टेस्ट के साथ किया जा सकता है, क्योंकि दोनों मिलकर ओव्यूलेशन और फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।