जब एक महिला माँ बनती है तब उसकी पुष्टि के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं जिससे यह पता चल सकें कि वह प्रेग्नन्ट है या नहीं। गर्भावस्था के समय के दौरान, भ्रूण जब विकसित हो रहा होता है तो वह सेल्स एचसीजी को तैयार करते हैं। प्लेसेंटा (Placenta) एक तरह की थैली की तरह होती है, जिसमें अंडों के विकसित होने और गर्भाशय की दिवारों से जुड़ने के बाद उन्हें पोषित करने में मदद करती है। महिला के गर्भधारण के 11 दिनों के बाद खून की जांच के जरिए एचसीजी टेस्ट होता है। एचसीजी लेवल हर 48 घंटों से लेकर 72 घंटों के बीच बदलता है जिसमें वह दोगुना होता रहता है। गर्भधारण के आठवें हफ्ते से लेकर 11वें हफ्ते के बीच वो अधिकतम पहुंच जाता है। उसके बाद एचसीजी लेवल धीरे-धीरे अपने आप घटने लगता है और वो शून्य तक आ जाता है।
ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (Human Chorionic Gonadotropin) को डॉक्टर एचसीजी टेस्ट भी कहते हैं। यह हार्मोन महिला के शरीर में गर्भावस्था के दौरान ही तैयार होता है। यह टेस्ट बाकि आम ब्लड टेस्ट की तरह ही एक खून की जांच है, जिसे खून में मौजूद एचसीजी हार्मोन की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। एचसीजी की जांच के लिए डॉक्टर अलग-अलग नामों से भी करवाते हैं। जैसे कि :-
बीटा-एचसीजी ब्लड टेस्ट (Beta-hCG Blood Test)
क्वांटिटेटिव ब्लड प्रेगनेंसी टेस्ट (Quantitative Blood Pregnancy Test)
क्वांटिटेटिव एचसीजी ब्लड टेस्ट (Quantitative hCG Blood Test)
क्वांटिटेटिव सीरियल बीटा-एचसीजी टेस्ट (Quantitative Serial Beta-hCG Test)
रिपीट क्वांटीटेटिव बीटा-एचसीजी टेस्ट (Repeat Quantitative Beta-hCG Test)
आज के समय में फार्मासिस्ट स्टोर काउंटर पर गर्भावस्था की पुष्टि के लिए घरेलू परीक्षण किट उपलब्ध होती है जिसकी मदद से गर्भावस्था की प्रारंभिक जांच की जा सकती है। वैसे तो किट गर्भावस्था का पता लगाने में सटीक मानी गई है, लेकिन चिकित्सक खून और मूत्र टेस्ट द्वारा गर्भावस्था की पुष्टि पूर्ण रूप से करते हैं। गर्भावस्था की पुष्टि के लिए खून और मूत्र टेस्ट में एचसीजी लेवल को मापते हैं। गर्भावस्था की पुष्टि के लिए टेस्ट की संवेदनशीलता विश्वसनीय मार्कर होती है, इसलिए यहां तक कि गर्भावस्था की शुरुआत में पुष्टि करने के लिए अल्ट्रासाउंड के मुकाबले खून की जांच कराने की सलाह देते हैं।
अगर आप प्रजनन क्षमता की जाँच करवा रही हैं, तो AMH टेस्ट क्या है यह जानना भी आपके लिए ज़रूरी हो सकता है।
एचसीजी टेस्ट कारेने के कई कारण होते हैं इसलिए आइए जानते है उन कारण के बारे में:-
एचसीजी टेस्ट गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
एचसीजी टेस्ट की मदद से भ्रूण की सटीक उम्र पता करने में मदद मिलती है।
एचसीजी टेस्ट किसी असाधारण गर्भावस्था के उपचार के लिए भी किया जाता है।
एचसीजी टेस्ट किसी संभावित गर्भपात की स्थिति में उपचार के लिए भी किया जाता है।
एचसीजी टेस्ट डाउन सिंड्रोम के लिए मामले में भी किया जाता है।
एचसीजी टेस्ट कुछ टाइप के कैंसर को पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
अन्य स्थितियां जहां एचसीजी टेस्ट किया जाता है कुछ ऐसे भी मामले हैं जहां एचसीजी टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है, वह है अंडाशय या वृषण ट्यूमर की पहचान के लिए यह टेस्ट होता है। एचसीजी टेस्ट का इस्तेमाल कुछ ऐसे मामले में भी उपयोग करते हैं जिसमें शामिल है पुरुषों वृषण कैंसर या अन्य स्थितियां होने पर इसमें एचसीजी लेवल बढ़ा सकती हैं। एचसीजी इंजेक्शन का इस्तेमाल कभी-कभी प्रजनन से जुड़े उपचार में ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए होता है। इन उपचारों की प्रगति की निगरानी के लिए एचसीजी टेस्ट किया जा सकता है। एचसीजी ब्लड टेस्ट कई बार गर्भवती महिलाओं में किसी खास इलाज की शुरूआत से पहले करते हैं, जब आशंका होती है कि इलाज के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे पर किसी भी तरह का बुरा असर पड़ सकता है, उदाहरण के तौर पर एक्स-रे।
एचसीजी टेस्ट अक्सर आईवीएफ प्रक्रिया में किया जाता है। IVF क्या है और कैसे होता है, इसकी पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।
एचसीजी यानी ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट से पहले किसी भी तरह की कोई खास तैयारी की जरूरत नहीं होती है। खून की जांच के लिए हाथ में से खून का सैंपल लेते हैं, जिसके लिए कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। फिर भी टेस्ट करवाने के समय बेहतर रहेगा कि आप ठीले ही कपड़े पहनकर ही जाएं या फिर आप हाफ बांह की शर्ट या फिर ढीले बांह की शर्ट भी पहन सकते हैं। इससे खून निकालने के लिए कपड़े खिसकाते समय किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।
गर्भधारण से पहले कई ज़रूरी टेस्ट होते हैं, जिनमें एचसीजी भी शामिल हो सकता है। प्रेग्नेंसी से पहले के टेस्ट की लिस्ट ज़रूर देखें।
ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट से खून में एचसीजी हार्मोन की मात्रा को मापा जाता हैं। डॉक्टर खून का नमूना कुछ इस तरीके से लेते हैं:-
सबसे पहले जिस जगह की नस से खून निकालना होता है, उसके तरफ के चारों ओर अल्कोहल से स्किन को साफ करते हैं।
फिर उस जगह पर एक इलास्टिक बैंड को बांध देते हैं।
ऐसा करने से उस जगह का खून का बहाव रुक जाता है और खून की नसें उभर के आने लगती हैं। तब उस जगह से नसों में से खून का सैंपल लेना डॉक्टर के लिए आसान हो जाता है।
उभरी हुई नस में सूई चुभोकर सैंपल के लिए खून निकाला जाता है। सूई के दूसरे सिरे पर पहले से ही एक शीशी लगा दी जाती है जिसमें खून को इकट्ठा होता है।
फिर टेस्ट के लिए खून इकट्ठा होने के बाद सूई को निकालकर, उस स्थान से निकल रहे खून को रोकने के लिए रुई या बैंड-ऐड लगाई जाती हैं।
सूई लगाते वक़्त हल्का सा चुभन जैसा दर्द महसूस होगा, इसके सिवा किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती है।
जिस समय सूई नसों में होती है, उस समय थोड़ी सी तकलीफ या कई बार असहजता भी हो सकती है। वैसे तो, उसके बाद जल्द ही सारी तकलीफ खत्म हो जाती है। सूई जहां लगी हुई हो तो वह हल्का सा दर्द या कंपन जैसा महसूस हो सकता है।
एचसीजी लेवल की जांच करने के बाद, रिपोर्ट को डॉक्टर को भेज दिया जाता है। फिर डॉक्टर परिणाम के बारे में बात करने के लिए महिला / मरीज को बुला सकते हैं।
खून का सैंपल लेने के लिए जिस जगह पर सूई लगाई गई थी वह कुछ लोगों को हल्का सा दर्द महसूस हो सकता है। इस दर्द का एहसास भिन्न-भिन्न लोगों में अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों को उस जगह पर हल्की सी चुभन का एहसास होता है। ब्लड सैंपल लेने के बाद उस जगह पर रुई में स्पिरीट या कोई दूसरा एंटीसेप्टिक लगते हुए थोड़ी देरी के लिए हल्का सा सहला देते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि खून बाहर की ओर बहना बंद हो जाता है और संक्रमण नहीं फैलता है।
यदि आप हार्मोनल असंतुलन की जांच करवा रहे हैं, तो प्रोलैक्टिन टेस्ट क्या है यह भी जानना उपयोगी रहेगा।
ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट के लिए खून निकालने में किसी भी तरह का कोई खास ख़तरे नहीं होते हैं। लेकिन भी भी कई बार जिस जगह पर सुई लगाई गई होती है, वहां पर महिला को थोड़ी-सी तकलीफ महसूस हो सकती है। लेकिन सुई निकाल लेने के बाद, उस जगह को कुछ देर तक हल्के हाथ से सहलाया जाएं या फिर दबाया जाएं तो यह दिक्कत ठीक हो जाएगी। बहुत कम ही मामलों में कुछ समस्याएं नज़र आ सकती हैं। आइए जानते हैं वह समस्या है जो व्यक्ति/ महिला को हो सकती है:-
कई बार बहुत ज्यादा ही खून बहने लग जाता हैं। जिसको रोकने के लिए थोड़ा आठीक समय तक उस जगह को रुई रखकर, दबाए रखना चाहिए। ऐसा करने से खून रुक जाएगा।
पीसीओएस जैसी स्थितियों में भी प्रेग्नेंसी संबंधित टेस्ट जैसे एचसीजी की जरूरत हो सकती है। PCOS के लक्षण और उपचार यहाँ जानें।
कई बार कुछ लोगों को ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट के बाद सिर का हल्का होना महसूस हो सकता है। इसलिए उन्हे घर पर जाकर आराम करना चाहिए।
कुछ लोगों में यह भी देखा गया है कि एचसीजी टेस्ट के बाद चक्कर आ सकते हैं या चक्कर जैसा लग सकता है। इलसिए टेस्ट के लिए अकेले न जाए, साथ में किसी को लेकर जाए।
हेमाटोमा की समस्या उस समय हो सकती है, जब त्वचा के नीचे खून इकट्ठा होने लग जाएं।
सूई लगाए जाने वाली जगह पर किसी व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है। कुछ मामलों में नसों में सूजन नही आ सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत ही डॉक्टर से मिलें।
डीएचईएएस और एचसीजी दोनों हार्मोन से जुड़े टेस्ट हैं। डीएचईएएस टेस्ट की जानकारी भी पढ़ना फायदेमंद हो सकता है।
ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट कई स्वास्थ्य स्थिति में डॉक्टर करवाने की सलाह देते हैं। ज्यादातर जो महिला गर्भधारण करने वाली होती है उनके भ्रूण पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है।
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