Saturday, August 02 ,2025

Bilirubin Test in Hindi: पीलिया और लिवर की बीमारी का पहला संकेत जानिए पूरी जानकारी


Bilirubin Test in Hindi

व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में स्वस्थ लिवर एक खास और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिलीरुबिन क्षतिग्रस्त लिवर समस्याओं के सूचकों या संकेतों में से एक है, और मूत्र में बिलीरुबिन ही रंग प्रदान करने में मदद करता है। बिलीरुबिन एक पीले रंग का पदार्थ होता है जो लाल कोशिकाओं के टूटने के कारण बनता हैं और यह लाल रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुँचा सकता है। यह लिवर में मौजूद होता है जिसकी वजह से बिलीरुबिन भोजन को पचाने के दौरान शरीर से बाहर निकाल देता है। बिलीरुबिन हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होता है लेकिन यह खतरनाक तब हो जाता है जब यह शरीर में जमने लग जाता है। बिलीरुबिन का शरीर में हाई लेवल होने का अर्थ है कि व्यक्ति को पीलिया हो सकता है जो एक मेडिकली गंभीर स्थिति मानी जाती है। पीलिया की समस्या में व्यक्ति आंख, त्वचा पीली होने लग जाती है जिससे साफ़ पता चलता है कि व्यक्ति का लिवर डैमेज हो हो गया है। यह समस्या बच्चे, शिशु, व्यस्क और बुज़ुर्ग में से किसी को भी हो सकती है। 

बिलीरुबिन टेस्ट है क्या? (Bilirubin Test in Hindi)

बिलीरुबिन टेस्ट एक ज़रूरी ब्लड टेस्ट है जो लिवर के कार्य का आकलन करने के लिए किया जाता है। पीलिया, लिवर से जुड़े रोग और पित्त नली विकारों आदि जैसी स्थितियों की जाँच करने के लिए किया जाता है। यह तेत्स बिलीरुबिन की मात्रा का पता लगाने के लिए भी किया जाता है, जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने पर उत्पन्न होने वाला एक पीला रंगद्रव्य होता है।

खून में बिलीरुबिन का स्तर क्या दर्शाता है?

बिलीरुबिन टेस्ट लिवर की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट बहुत व्यापक है और खून में विभिन्न लिवर उत्पादों का भी पता लगाता है। अगर परिणाम कुछ कम या अधिक दिखाता है, तो यह किसी तरह का संकेत हैं कि लिवर सही से काम करने में असमर्थ है। असामान्य बिलीरुबिन लेवल हमेशा लिवर की किसी न किसी समस्या का संकेत नहीं दे रहा होता, यह शरीर में किसी और समस्या का भी संकेत हो सकता है।

बिलीरुबिन खून टेस्ट के उपयोग (Uses of Bilirubin Test in Hindi)

बिलीरुबिन ब्लड टेस्ट कई स्थितियों की जाँच और निगरानी के लिए ज़रूरी होता है। आइए जानते हैं वह कौन-सी स्थिति है जिसके लिए इस टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है:- 

लिवर रोग 

जब लिवर में किसी भी तरह की समस्या आती है जैसे कि लिवर सूजन आना, हेपेटाइटिस, सिरोसिस या फिर लिवर को क्षति पहुंचना आदि। ऐसी समस्याओं को पहचान करने में यह टेस्ट बहुत मददगार रहता है।

पित्ताशय विकार

जब किसी व्यक्ति को पित्त पथरी या फिर पित्त नली अवरोध आदि जैसी समस्याओं के बारे में पता लगाना हो, तो डॉक्टर इस टेस्ट के का सुझाव दे सकते हैं।

हेमोलिटिक एनीमिया

जब किसी भी व्यक्ति के शरीर में खून की कमी नज़र आने लगती है तभी इस टेस्ट का सुझाव दिया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि लाल रक्त कोशिकाओं का तेजी से विघटन(Dissolution)  के बारे में पता लगाया जा सकता है।

नवजात पीलिया 

जब किसी नवजात शिशु में पीलिया की शिकायत आती है, तब उन जटिलताओं को रोकने के लिए बिलीरुबिन के लेवल की निगरानी करने के लिए, इस टेस्ट को किया जाता है।

शराब से संबंधित लिवर रोग

शराब के सेवन से लिवर को क्षति पहुँचती  है और इस वजह से शराब का सेवन कर रहे व्यक्तियों में लिवर के कम का आकलन करने के लिए इस टेस्ट का सहारा लिया जाता है।

बिलीरुबिन लेवल की नार्मल रेंज (Normal Range of Bilirubin in hindi)

बिलीरूबिन लेवल की नार्मल रेंज सीमा हर एक लैब की थोड़ी अलग-अलग हो सकती है, लेकिन वैसे तो, एक आकलन के लिए आप्प नीचे दी हुई से तुलना कर सकते हैं:-

कुल बिलीरुबिन लेवल 0.1 से 1.2 मिलीग्राम/डीएल होता है। प्रत्यक्ष (संयुग्मित) बिलीरुबिन (Direct conjugated bilirubin) लेवल 0.0 से 0.3 मिलीग्राम/डीएल तक होता है। वही अप्रत्यक्ष (असंयुग्मित) बिलीरुबिन (Indirect unconjugated bilirubin) का कुल बिलीरुबिन से प्रत्यक्ष बिलीरुबिन को घटाकर गिना जाता है।

ध्यान देंने वाली बात यह है कि नवजात शिशुओं में अपरिपक्व लिवर काम के कारण बिलीरूबिन लेवल ज्यादा हो सकता है, जो कि आमतौर पर तो जन्म के कुछ दिनों के अंदर नार्मल हो जाता है।

बिलीरुबिन ब्लड टेस्ट की तैयारी कैसे करें

बिलीरुबिन ब्लड टेस्ट की तैयारी करना आसन ही है :- 

उपवास करें 

टेस्ट से 4 से 12 घंटे पहले तक कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है लेकिन आप पानी का सेवन किया जा सकता है।

दवाई प्रकटीकरण (Drug Disclosure)

डॉक्टर को सभी दवाइयों, सप्लीमेंट्स के बारे में ज़रूर बताएं, जिसका आप सेवन कर रहें है। कुछ पदार्थ बिलीरुबिन लेवल को प्रभावित करते हैं इसलिए इसके बार में डॉक्टर को पता होना ज़रूरी है।

शराब के सेवन से बचें 

टेस्ट से कम से कम 24 घंटे पहले तक शराब का सेवन करने से बचें क्योंकि यह लिवर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है। साथ ही यह तेत्स के रिजल्ट को भी प्रभावित कर सकता है। 

बिलीरुबिन टेस्ट के परिणामों की व्याख्या

सामान्य परिणाम

लिवर का कार्य उचित है और रेड ब्लड सेल्स का कोई महत्वपूर्ण विघटन नहीं होता।

कुल बिलीरूबिन का बढ़ा हुआ स्तर

लिवर रोग, पित्त नली में रुकावट आना या फिर हेमोलिटिक एनीमिया की और एक संकेत हो सकता है।

उच्च प्रत्यक्ष बिलीरूबिन (high direct bilirubin)

लिवर या पित्त नली की समस्या होना जिसमें पित्त प्रवाह अवरोध का संकेत देना शामिल है।

उच्च अप्रत्यक्ष बिलीरूबिन (high indirect bilirubin)

हेमोलिसिस वह स्थिति है जिसमें अत्यधिक रेड ब्लड सेल्स की ओर संकेत करता है।

बिलीरूबिन लेवल बढ़ने का क्या कारण है?

हाई बिलीरूबिन लेवल अलग-अलग स्थितियों के हिसाब से परिणामस्वरूप हो सकता है। आइए समझें कैसे और क्या स्थिति हो सकती है :- 

लिवर विकार

बिलीरूबिन लेवल हेपेटाइटिस, सिरोसिस, या फिर लिवर कैंसर भी हो सकता है।

पित्ताशय संबंधी समस्याएं

बिलीरूबिन लेवल की रेंज पित्त नली में रुकावट या फिर पित्त पथरी की और एक इशारा हो सकता है।

हेमोलिटिक एनीमिया

बिलीरूबिन लेवल लाल रक्त कोशिका का टूटने को भी प्रभावित कर सकती है जिससे वह बढ़ सकती है।

आनुवंशिक विकार

बिलीरूबिन लेवल गिल्बर्ट सिंड्रोम (Gilbert's syndrome) या क्रिग्लर-नज्जार सिंड्रोम (Crigler-Najjar syndrome) की वजह भी बन सकती है।

नवजात शिशु का पीलिया

शिशुओं में अविकसित लिवर काम के कारण यह रोग होना एक आम बात है।

नोट:

बिलीरूबिन टेस्ट लिवर के लिए किया जाने वाला एक अहम टेस्ट है। लिवर के स्वास्थ्य को समझने और सही उपचार के चयन के लिए काफी उपयोगी है।

मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।