ब्लड यूरिया नाइट्रोजन परीक्षण (बीयूएन परीक्षण) का उपयोग निम्नलिखित की पुष्टि के लिए किया जाता है कि किडनी कितनी सही और अच्छी तरह से अपना काम कर पा रही है। इस टेस्ट में खून में यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा को जानने के लिए जाता है। शरीर का एक बेकार पदार्थ यूरिया नाइट्रोजन है जो कि लिवर में बनता है, जब शरीर में प्रोटीन की खराबी होने लगती है। वैसे तो, किडनी इस ख़राब पदार्थ को छान लेती हैं और पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकाल देती है। जब किडनी या लिवर में किसी भी तरह की कोई प्रॉब्लम आती है, तो शरीर में ब्लड यूरिया नाइट्रोजन का लेवल बढ़ने लग जाता है। अगर ब्लड में ज्यादा मात्रा में यूरिया नाइट्रोजन का जमा होने लग जाता है तो किडनी या लिवर की समस्या पैदा हो सकती है।
यूरिया नाइट्रोजन परीक्षण गुर्दे की कार्यप्रणाली के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। यह जानकारी रक्त के नमूने में यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा का पता लगाकर प्राप्त की जाती है। जब किडनी की बीमारी होती है, तो अपशिष्ट पदार्थों को छानना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से खून में यह अपशिष्ट पदार्थों बनने लग जाते हैं। जिससे की दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर कि समस्या, एनीमिया आदि जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती है।
डॉक्टर मरीज के ब्लड में यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा का पता लगाने के लिए यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। जिससे यह पता लगाने में आसानी होती है कि किडनी कितनी अच्छी तरह काम कर पा रही है। अगर यूरिया टेस्ट में यूरिया लेवल अधिक मात्रा में आता है तो यह संकेत है कि व्यक्ति की किडनी सही तरह से काम नहीं कर पा रही है। जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है, उनको शुरू में यह लक्षण महसूस या दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन यूरिया टेस्ट के बाद शरीर में हो रहे किसी भी तरह के कोई भी बदलाव को पहचानने में मदद मिल जाती है।
डॉक्टर नियमित जाँच के लिए या किडनी की समस्या होने पर इस टेस्ट का सुझाव सामने रख सकते हैं। हालाँकि शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन इस तरह से आपको किडनी की बीमारी होने की संभावना रहती है।
परिवार में किडनी की समस्या का इतिहास
डायबिटीज की समस्या
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
दिल से जुड़ी समस्या
अगर किडनी की बीमारी के बाद के चरण के लक्षण हैं, तो डॉक्टर यूरिया टेस्ट के स्तरों के बारे में जानने के लिए जांच कर सकते है. उन लक्षण में शमिल है:-
नींद न आने की समस्या
पैरों या टखनों में सूजन की दिक्कत
ज्यादा या कम पेशाब आने की समस्या
थकान रहना
खुजली की दिक्कत होना
मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होना
अगर व्यक्ति किसी भी तरह की दवाई का सेवन कर रहा हैं तो ब्लड यूरिया टेस्ट करवाने से पहले, इसकी जानकारी डॉक्टर को ज़रूर दें। इन दवाइयों में से कोई सी भी दवाई में टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित कर सकती है, इसलिए डॉक्टर कुछ समय के लिए कुछ दवाइयों पर पाबंधी लगा सकते हैं।
ब्लड यूरिया टेस्ट करने के लिए लैब तकनीशियन मरीज की बांह की नस से ब्लड सैंपल कलेक्ट करेगा। वह सुई की मदद से ब्लड सैंपल लेगा. सुई को लगाने से पहले खून का सैंपल लेने वाली जगह को साफ़ करने के बाद, स्किन पर सुई लगाई जाएगी, जिससे हल्की-सी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। कुछ ही मिनटों में यह ठीक हो जाएगा। इसके बाद, अगर व्यक्ति चाहे, तो सीधे अपने दैनिक कार्य कर सकता है। फिर इस रक्त के नमूने को लैब में भेजा जाता है, जिसके बाद 1 से 2 दिन में रिपोर्ट आ जाती है।
यूरिया टेस्ट रिजल्ट इंसान की उम्र, स्वास्थ्य हिस्ट्री, जेंडर और लैब के आधार पर विभिन्न हो सकते हैं। नार्मल यूरिया टेस्ट का लेवल करीब 7 से 20 मिलीग्राम/डीएल के बीच रहता है। यह लेवल 60 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा नहीं होना चाहिए, तब यह स्वास्थ्य प्रदाता को मरीज की किडनी के स्वास्थ्य को मापने में मदद नहीं कर पाएगा।
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन और क्रिएटिनिन का अनुपात 10:1 और 20:1 के बीच होना आदर्श है। यदि यह अनुपात 10:1 और 20:1 से कम या ज़्यादा है, तो व्यक्ति की किडनी में कोई समस्या हो रही है या व्यक्ति सही मात्रा में पानी का सेवन नहीं कर रहे हैं।
हाई ब्लड यूरिया का अर्थ है कि किडनी जिस हिसाब से काम करनी चाहिए वैसे नहीं कर पा रही है। भले ही किडनी ठीक से काम कर भी रही हो, मगर नीचे बताई गई स्थिति व्यक्ति के साथ है तो उनको हाई ब्लड यूरिया की समस्या है:-
मूत्र प्रणाली में रुकावट के कारण पेशाब करने में कठिनाई
जठरांत्र (जीआई) रक्तस्राव।
उच्च प्रोटीन आहार।
वृद्धावस्था (शिशुओं और बच्चों में रक्त यूरिया की कमी)
दिल का दौरा
निर्जलीकरण
कार्बामाज़ेपाइन, मेथोट्रेक्सेट और टेट्रासाइक्लिन जैसी दवाएँ
तनाव
जलन
व्यक्ति को अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहिए, उसके लिए वह निम्न चीज़े कर सकते हैं:-
रोज ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें
वजन को मेंटेन करें
ब्लड प्रेशर को स्वस्थ रखें।
डॉक्टर से अपनी किडनी को स्वस्थ रखने वाली दवाई के बारे में जानें।
डायबिटीज के मरीज को ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए।
कम से कम 30 मिनट तक सप्ताह के ज्यादातर दिनों में एक्टिव रहें।
कम नमक और कम सैचुरेटेड वसा वाले खाना ही खाएं।
तम्बाकू और सिगरेट का सेवन बंद कर दें।
ब्लड यूरिया टेस्ट करवाने के बाद व्यक्ति अपनी नार्मल एक्टिविटीज कर सकता हैं। अगर व्यक्ति को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या है या ब्लड को पतला करने वाली दवाईयाँ ले रहे हैं तो, डॉक्टर को ज़रूर बताए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस टेस्ट के समय व्यक्ति को ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
त्वचा के नीचे ब्लड जमा हो सकता है।
टेस्ट के समय सुई लगाई हुई जगह पर ब्लीडिंग हो सकती है।
सुई लगी हुई जगह पर इन्फेक्शन हो जाना।
जहां सुई लगी हो, उस जगह पर चोट लग जाना।
टेस्ट के लिए जब ब्लड ले लिया जाता है उसके बाद कुछ लोगों का सिर चकरा सकता है या वह बेहोश भी हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है या कोई साइड इफ़ेक्ट लंबे समय तक बने हुए नज़र आते हैं तो डॉक्टर को बताएं।
ब्लड यूरिया टेस्ट एक बहुत ही सरल रक्त परीक्षण प्रक्रिया है। यह किडनी के कार्यों की जाँच के लिए किया जाता है। अगर आपको किडनी से संबंधित कोई समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर यूरिया टेस्ट करवाएँ। इस टेस्ट में ज़्यादा समय नहीं लगता। यह कुछ ही मिनटों में हो जाता है। और इसका परिणाम भी जल्दी मिल जाता है।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।