पीरियड का हर महीने आना और सही प्रवाह में आना हर एक महिला के बहुत जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में कई तरह के बदलाव और बीमारियाँ भी पीरियड सही न होने के कारण हो सकती है। आज के ब्लॉग के जरिए हम महिला में पीरियड कम आने से होने वाले नुकसान और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानेंगे।
सबसे पहले समझते हैं कि अनियमित पीरियड क्या है? अनियमित पीरियड्स वह स्थिति होती है, जिसमें महिला की पीरियड साइकिल यानि मासिक धर्म चक्र में बदलाव आने लग जाते हैं। वैसे तो आमतौर पर महिलाओं में पीरियड्स साइकिल 28 से 35 दिनों के बीच की होती है। हर महिला में इसका समय 4 से 6 दिनों के बीच तक ही सीमित होता है। लेकिन जब पीरियड्स में अनियमितता आने लगती है तब कई तरह के बदलाव नज़र आते हैं जैसे कि-
पीरियड्स का समय बदल जाएगा। ऐसे में 21 दिनों से भी कम के अंतराल पर पीरियड आएंगे।
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि पीरियड्स 35 दिनों से भी ज्यादा के अंतराल पर आ सकते हैं।
अनियमित पीरियड्स की समस्या होने पर पीरियड का समय बार-बार बदल सकता है।
कई बार कुछ स्थिति में पीरियड पूरी तरह से रुक जाते हैं।
कुछ स्थिति में पीरियड्स में रुक-रुक कर ब्लीडिंग भी हो सकती है।
पीरियड कम आने के बहुत से नुकसान है या अनियमित पीरियड्स की समस्या होने पर आप तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लें। ऐसा करने से पीरियड्स में अनियमितता की समस्या में आराम मिल सकता है और समय रहते इसको गंभीर होने से रोक जा सकता है।
हर महिला के शरीर में हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन बना रहना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर यह संतुलन किसी भी कारण बिगड़ जाता है, तो इसका सीधा असर पीरियड्स साइकिल पर पड़ता है। हार्मोनल गड़बड़ी की वजह से पीरियड्स की मात्रा कम होने लग जाती है। एस्ट्रोजन का स्तर कम होने की वजह से एंडोमेट्रियम (Endometrium - गर्भाशय की अंदरूनी वाली परत) को सही तरह से विकसित नहीं होने देता है। कई बार तो यह समस्या युवावस्था और मेनोपॉज़ के दौरान हो सकती है।
पीसीओएस की समस्या में महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठें बनने लग जाती हैं, जिससे अंडाणु का उत्पादन सही तरह से नहीं हो पाता है। पीसीओएस एक अहम कारण है जिसकी वजह से अनियमित पीरियड्स और हल्का रक्तस्राव महिला में देखने को मिलता है। पीसीओएस में महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण ओव्यूलेशन ठीक से नहीं हो पाता है और पीरियड्स कम होने लगते हैं। आप ने देखा होगा कि बहुत सी महिलाओं को चेहरे पर अनचाहे बाल और मुंहासे भी होते हैं वह पीसीओएस की समस्या के कारण ही होते हैं।
आपको शायद एहसास न हो लेकिन हमारा शरीर और दिमाग आपस में जुड़ा हुआ है। अगर आप लंबे समय तक तनाव से ग्रस्त हैं, तो इसका सीधा असर आपके पीरियड्स पर पड़ सकता है और वह प्रभावित हो सकते हैं। तनाव की वजह से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन (cortisol hormone) बढ़ने लगता है, जिससे शरीर के अन्य हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है। अधिक तनाव की वजह से आपके पीरियड्स साइकिल कम या उसे आने में देरी आ सकती हैं। अपने मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आप ध्यान, योग और रिलैक्सेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकती है।
बढ़ता वजन या अचानक से वजन का घटना दोनों का सीधा असर महिला की मासिक धर्म चक्र पर पड़ता है। महिला में ज्यादा वजन होने की वजह से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे पीरियड्स में अनियमियता आने लग सकती है। वहीं अगर ज्यादा वजन कम होने लग जाए तो शरीर में आवश्यक वसा की कमी होने लग जाती है, जो पीरियड्स हल्के या पूरी तरह बंद होने का कारण हो सकता है। इसलिए महिला के लिए एक सही वजन बनाए रखना, उनके हार्मोनल संतुलन के लिए बहुत ही जरूरी है।
हर व्यक्ति के शरीर में थायरॉयड ग्रंथि हार्मोन का संतुलन बनाए रखने में एक बहुत ही अहम भूमिका निभाती है। हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) जिसमें थायरॉयड हार्मोन की कमी होने लगती है। इस वजह से पीरियड्स कम या पीरियड अनियमित हो सकते हैं। हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) जिसमें थायरॉयड हार्मोन की अधिकता होने लग जाती है। ऐसे में अत्यधिक हल्के या बहुत ज्यादा पीरियड्स होने की समस्या हो सकती है। थायरॉयड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए आपको डॉक्टर से परामर्श लेकर सही उपचार सही समय पर शुरू कर देना चाहिए, जिससे आगे चलकर किसी भी गंभीर स्थिति का सामना न करना पड़ें।
अत्यधिक एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी करने से भी इसका असर आपके मासिक धर्म चक्र पर पड़ सकता है। ज्यादा एक्सरसाइज करने से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर घटने लग जाता है। इस कारण पीरियड से जुड़ी समस्या उन महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है, जो एथलीट या फिजिकल एक्टिविटी बहुत ज्यादा किया करती है। आप एक संतुलित डाइट और सही वर्कआउट प्लान से पीरियड से जुड़ी समस्या को दूर रख सकती है।
कुछ दवाइयाँ ऐसी है जो पीरियड में कमी ला सकती है, खासकर बर्थ कंट्रोल पिल्स और हार्मोनल इंजेक्श आदि। यह दवाइयाँ महिला के मासिक धर्म को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। बर्थ कंट्रोल पिल्स एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को नियंत्रित करते हुए पीरियड्स को हल्के कर सकती है। वहीं कुछ एंटी-डिप्रेशन और ब्लड प्रेशर की दवाइयाँ है जो मासिक धर्म चक्र को बदल देती है। आप डॉक्टर की सलाह से ही सही दवाइयों का चयन करें या उनकी सलाह के बाद ही किसी भी दवाई का सेवन करें।
अगर किसी महिला को हल्के या कम पीरियड्स काफी लंबे समय से हो रहे हैं, तो ऐसे में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या देखी जा सकती है। ऐसी महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। लंबे समय से अनियमित पीरियड होने के कारण महिला के ओवुलेशन सही तरीके से नहीं हो पाते हैं और इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आती है। कई बार पीरियड्स की कमी का यह अर्थ भी हो सकता है कि शरीर में आवश्यक हार्मोन्स की मात्रा सही नहीं है या फिर शरीर में खून की कमी है।
शरीर में एस्ट्रोजन हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए एक अहम भूमिका निभाता है। अगर यह किसी भी कारण यह कम होने लग जाता है, तो व्यक्ति की हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती है। महिला में कम पीरियड्स या हार्मोनल असंतुलन की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की समस्या हो सकती है, जिसमें हड्डियाँ कमजोर होने लग जाती है। यह समस्या ज़्यादातार मेनोपॉज़ के समय महिलाओं में नज़र आने लग जाती है।
शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन दिल के स्वस्थ को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। अगर शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने लग जाती है, तो दिल से जुड़े रोगों का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी असंतुलित होना शुरू हो सकता है।
अगर किसी भी महिला में पीरियड्स अनियमित होने लग गए हैं तो, इससे त्वचा और बालों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर पर अनचाहे बाल, मुँहासे या एक्ने और बालों का झड़ना शुरू हो सकता है। आपको अपनी त्वचा रूखी और डल लगने लग सकती है।
अगर आपके पीरियड्स में कमी आ रही है या यह अनियमित हो रहे हैं, तो आप इन उपायों को एक बार आजमा कर देख सकती हैं:-
आप संतुलित आहार का सेवन करना शुरू करें। जिसमें आप विटामिन बी12, आयरन, प्रोटीन और फाइबर के सेवन की मात्रा का भरपूर सेवन करें।
अपनी दिनचर्या में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज को शामिल करें। आप चाहे तो योग भी कर सकती हैं, लेकिन ज्यादा हेवी वर्कआउट करने से बचें।
आप अपने वजन को संतुलित बनाए रखने की कोशिश करें। आप न ही वजन को बहुत कम करें और न ही बहुत ज्यादा बढ़ाएं।
आप पर्याप्त नींद लें। उसके लिए कम से कम आप 7 से 8 घंटे की अच्छी और गहरी नींद लें।
तनाव को कम करने के लिए आप योग और मेडिटेशन का सहारा ले सकती हैं जिससे आपके हार्मोन का संतुलन सही बना रहें।
अपनी मर्जी से किसी भी दवाई का सेवन न करें। आप डॉक्टर की सलाह से ही थायरॉयड, हार्मोनल इंबैलेंस, बर्थ कंट्रोल या पीसीओएस से जुड़ी दवाइयाँ लें।
पीरियड से जुड़ी समस्या महिलाओं में बहुत सी बीमारियों को पैदा कर सकती है जिससे उनके आने वाले भविष्य में बहुत से दिक्कतें आ सकती है। अपनी पीरियड से जुड़ी समस्या को समझे और सही समय पर इलाज शुरू करें जिससे आपको समस्या गंभीर रूप न ले पाएं।