शरीर में जब भी कोई बीमारी अपना घर बनाने लगती है तब उसका पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं और उसके परिणाम आने पर उपचार का चयन किया जाता है। अगर मेडिकल टेस्ट की बात करें तो ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, ईसीजी, सीबीसी आदि टेस्टों की मदद से बीमारी के लिए इलाज का चयन करना, डॉक्टर के लिए काफी हद तक आसान हो जाता है। ऐसा ही एक टेस्ट है जिसका नाम है होमोसिस्टीन टेस्ट, जिसमें खून में होमोसिस्टीन की मात्रा का पता लगाया जाता है। होमोसिस्टीन टेस्ट की मदद से दिल से जुड़ी बिमारियों, जेनेटिक्स रोग और विटामिन की कमी जैसी समस्याओं के बारे में भी पता लगाया जा सकता है और उसके हिसाब से इलाज किया जा सकता है।
होमोसिस्टीन टेस्ट व्यक्ति के ब्लड में होमोसिस्टीन की मात्रा का पता लगाने में मदद करता है। होमोसिस्टीन एक अमीनो एसिड है जो कि एक तरह के अणु होते हैं। यह व्यक्ति के शरीर में प्रोटीन बनाने में सहायता करते हैं। अगर व्यक्ति के शरीर में होमोसिस्टीन ज्यादा हो जाता है, तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति के शरीर में विटामिन बी की कमी है। शरीर विटामिन बी6, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड का इस्तेमाल करते हुए, होमोसिस्टीन को तोड़ देता है जिससे शरीर के लिए जरूरी अन्य केमिकल का निर्माण होता हैं। अगर होमोसिस्टीन मात्रा में ज्यादा हो जाएं, तो यह धमनियों के अंदर के हिस्से को नुकसान पहुंचाने लग सकता है। जिस कारण खून के थक्के बन सकते हैं और इस वजह से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, ब्लड वेसल डिसऑर्डर, दिल की बीमारियां आदि होने का खतरा बना रहता है।
होमोसिस्टीन लेवल हाई होने के कई कारण है, आइए जानते हैं वह क्या है:-
होमोसिस्टीन का हाई लेवल धमनियों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाता है, जिसकी वजह से वह कठोर और संकीर्ण हो जाती हैं।
होमोसिस्टीन खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को बढ़ा सकता है, जिसकी वजह से दिल या मस्तिष्क के रक्त प्रवाह को रोका जा सकता है। इस कारण दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।
किडनी की समस्या होने पर व्यक्ति के शरीर में कई तरह की समस्या देखी जा सकती है उसमें से एक यह भी है कि व्यक्ति का होमोसिस्टीन लेवल बढ़ाने लग जाता है। इस कारण व्यक्ति की सेहत गंभीर स्थिति में पहुँच सकती है।
जब किसी व्यक्ति का थायराइड हार्मोन का लेवल कम होने लागत अहै तो इससे यह भापा जा सकता है कि व्यक्ति के शरीर में होमोसिस्टीन लेवल बढ़ रहा है।
कई बार उच्च होमोसिस्टीन लेवल का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है इसलिए शुरुआत से व्यक्ति को अपनी सेहत का थोड़ा अधिक ध्यान रखें, जिससे व्यक्ति को इस समस्या का सामना न करना पड़ें।
सोरायसिस के मरीज़ में होमोसिस्टीन लेवल अक्सर ज्यादा ही पाया गया है। होमोसिस्टीन एक अमिनो एसिड होने के कारण यह शरीर में ही बनता है। इसके लिग़ लेवल को हाइपरहोमोसिस्टीनीमिया कहते हैं, जिसकी वजह से दिल की बीमारियाँ का जोखिम कारक हो सकता है।
होमोसिस्टीन और विटामिन बी जब एक साथ इंटरैक्ट करते हैं तब दो सब्स्टेन्स में बदल जाता है। जिसका नाम है मेथियोनीन और सिस्टीन। इन दोनों के कारण शरीर में होने वाले कारक को जानते हैं:-
मेथियोनीन एक तरह का अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कि शरीर में प्रोटीन का निर्माण करता है।
यह मेथियोनीन से बना हुआ एक अमीनो एसिड है जो शरीर मीन सूजन को कम करने में मदद करत है। यह लिवर की सेहत बेहतर करता है साथ ही इम्यून सेल्स के बीच कम्युनिकेशन को बढ़ाता है।
व्यक्ति कुछ लक्षण पर ध्यान देकर यह पता लगा सकता है कि शरीर में विटामिन बी12 या फिर फोलिक एसिड की कमी तो नहीं हो रही, जिसके लिए होमोसिस्टीन टेस्ट किया जाता है। आइए उन लक्षणों के बारे में जानते हैं:-
अचानक चक्कर आना
थकान या फिर कमजोरी होना
सिरदर्द का लगातार बने रहना
दिल की धड़कन तेज रहना
त्वचा या नाखूनों के रंग में किसी तरह का बदलाव
जीभ पर या मुँह में घाव बनना
झुनझुनी या सुन्नता आना
व्यक्ति में विटामिन बी12 या फोलिक एसिड की कमी होने पर डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जब डॉक्टर को व्यक्ति में नीचे बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं तब वह टेस्ट करवाने को कह सकते हैं, आइए लक्षण जानें:-
व्यक्ति कुपोषण का शिकार है।
व्यक्ति की उम्र ज्यादा है तब क्योंकि बूढ़े लोगों को खाने से पूर्ण रूप से विटामिन बी12 नहीं मिल पाता है।
अगर व्यक्ति शराब पीट है या फिर किसी भी तरह से नशों में शामिल है।
हाई एलडीएल खराब कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर का कारण होता है जिसकी वजह से हार्ट अटैक या स्ट्रोक आने का खतरा बना रहता है।
व्यक्ति को पहले कभी हार्ट अटैक या स्ट्रोक आया हुआ हो।
होमोसिस्टीन का स्तर हाई होने पर कुछ मेडिकल स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें में शामिल है एक टोइम्यून बीमारी मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)। जिसमें व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी और दिमाग को नुकसान पहुँचाता है। इसके सिवा अन्य कुछ समस्या है नीचे बताई गई है:-
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
स्ट्रोक की समस्या
कैंसर की बीमारी
कार्डिओवैस्क्युलर बीमारी
मिर्गी का दौरे
पागलपन
ऑस्टियोपोरोसिस
एक्लेम्पसिया ( हाई ब्लड प्रेशर की वजह से आने वाले दौरे की शुरुआत का संकेत है)
हार्ट अटैक
पार्किंसंस रोग
हाइपोथायरायडिज्म
एथेरोस्क्लेरोसिस
खून के थक्के
किडनी की बीमारी का लास्ट स्टेज
हाई होमोसिस्टीन लेवल होने पर इसका मतलब सिर्फ यह नहीं है कि बीमारियां हो सकती है। लेकिन जब लंबे समय तक लेवल हाई बना रहता है तब बीमारितों का जोखिम भी बढ़ सकता है।
होमोसिस्टीन टेस्ट वीतकी को परेशान होने की जरूरत नहीं है यह एक तरीके से होने वाला टेस्ट है जिसके लिए आपको किसी भी तरह की कोई ख़ास तैयारी करने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर व्यक्ति को बताएंगे कि टेस्ट से पहले ही बता देंगे कि कौन-सी दवाई या सप्लीमेंट का सेवन रोकना है।
इस टेस्ट के लिए फ्लेबोटोमिस्ट एक छोटी सुई की मदद से व्यक्ति की बांह की नस से खून का सैंपल निकलता है। उस बांह के चारों ओर एक टाइट बैंड को बांधता है जिससे नस उभर के आ जाती है। फिर उस जगह को अल्कोहल या अन्य कीटाणुनाशक घोल से साफ करके, उभरी हुई नस में सुई डाली जाती है। थोड़ा सा खून निकालकर टेस्ट ट्यूब या शीशी में सैंपल के तौर पर लिया जाता है। सुई लगने के कारण थोड़ी सी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। इस प्रक्रिया में 5 मिनट तक का ही समय लगता है।
होमोसिस्टीन टेस्ट एक तरह का बलोदड़ टेस्ट है जिसे मेथियोनीन/होमोसिस्टीन टेस्ट भी कह सकते हैं। जो मेथियोनीन और होमोसिस्टीन के स्तर को एक साथ ही मापाजाता है। इसके सिवा और भी टेस्ट मौजूद हैं जो कि होमोसिस्टीन के लेवल को मापने में मदद करते हैं। इनमें सबसे आम है इम्यूनोएसे टेस्ट जो कि ब्लड में होमोसिस्टीन लेवल का पता लगाने के लिए एंटीबॉडी का इस्तेमाल करता है। इस टेस्ट में खून में होमोसिस्टीन के लेवल का पता लगाने के लिए लाइट का उपयोग किया जाता है। अपने लिए टेस्ट करवाना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से जाने कि वह कौन-से टेस्ट की सलाह देते हैं, आप उसी टेस्ट के साथ आगे बढ़े।
ऐसे बहुत से खाद्य पदार्थ है जिन्हें व्यक्ति अपनी डाइट में शामिल करके, होमोसिस्टीन लेवल को कम करने में मदद कर सकता है जैसे कि फल और सब्जियाँ, अनाज, फोर्टफाइड ग्रेन प्रोडक्ट्स, मसूर की दाल, फलियाँ, एस्परैगस, पालक आदि, यह सव फोलेट का अच्छा सोर्स माने जाते हैं। व्यक्ति अपने भोजन में विटामिन बी-6 को बढ़ा सकते हैं उसके लिए आप आलू, हैवी अनाज, चना, केले, चिकन आदि को अपनी डाइट में शामिल करें। अगर आप खाने में विटामिन बी-12 की कमी को पूरा करने चाहते हैं तो मछलियाँ, डेयरी प्रोडक्ट और ऑर्गन मीट का सेवन कर कसते हैं।
होमोसिस्टीन ब्लड टेस्ट की मदद से आप दिल से जुड़ी बीमारियों को बारे में समझ सकते हैं जिसकी मदद से डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया शुरू कर, समस्या को गभीर होने से बचा सकते हैं।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।