ब्लड टेस्ट हमारे स्वास्थ्य जांच के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। ब्लड टेस्ट के जरिए हमारे शरीर की कई महत्वपूर्ण चीजों और बीमारियों की जानकारी मिलती हैं। जिसकी मदद से हम अपनी सेहत को बेहतर बनाए रख सकते हैं। आज हम इस ब्लॉग के जरिए एमपीवी ब्लड टेस्ट के बारे में जानेंगे कि यह टेस्ट कैसे होता है? इसके टेस्ट के क्या फायदे हैं और इस टेस्ट को कब कराया जाता है आदि।
एमपीवी (MPV) का पूरा नाम माध्य प्लेटलेट वोलुमन (Mean Platelet Volume) है। इस टेस्ट की मदद से आपके खून में मौजूद प्लेटलेट्स की औसत आकार को नापता है। हमारे खून में प्लेटलेट्स एक महत्वपूर्ण हिस्सें के तौर देखा जाता है। इनका काम खून को जमाने और चोट लगने पर बहने वाले खून को रोकने का होता है। एमपीवी टेस्ट के जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि आपके शरीर में मौजूद प्लेटलेट्स का आकार सामान्य है या नहीं। अगर प्लेटलेट्स का आकार सामान्य से बड़ा या छोटा हो, तो यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की ओर एक संकेत हो सकता है।
एमपीवी ब्लड टेस्ट करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर आपके शरीर में प्लेटलेट्स की स्थिति और उनके कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। जब खून में प्लेटलेट्स का आकार असामान्य हो जाए जैसे बड़ा या छोटा, तो इसका अर्थ यह हो सकता है कि आपके शरीर में खून से जुड़ी कोई बीमारी पैसा हो रही है। जिस वजह से खून के जमने में दिक्कत या फिर खून बहने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
एमपीवी ब्लड टेस्ट के जरिए यह भी पता लग सकता है कि आपके शरीर में कोई सूजन या फिर कोई और बीमारी तो नहीं है, जिसकी वजह से आपकी प्लेटलेट्स के आकार पर बुरा असर पड़ रहा हो। एमपीवी ब्लड टेस्ट उन लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है जिनको खून से जुड़ी कोई बीमारी हो , जैसे कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) इसमें प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है या फिर थ्रोम्बोसाइटोसिस (Thrombocytosis) इसमें प्लेटलेट्स बढ़ जाती है।
डॉक्टरों को एमपीवी ब्लड टेस्ट के जरिए कई तरह की बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है। उनमें से कुछ मुख्य बीमारियों के बारे में हमने नीचे बात कि है:-
इस बीमारी में शरीर में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या धीर-धीरे कम होने लग जाती है। एमपीवी ब्लड टेस्ट की मदद से यह पता चलता है कि प्लेटलेट्स की कमी का आखिर कारण क्या है। साथ ही इस बीमारी का इलाज कैसे किया जा सकता है।
इस बीमारी में शरीर में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या ज़रूरत से ज्यादा बढ़ जाती है। एएमपीवी ब्लड टेस्ट की मदद से यह पता चलता है कि प्लेटलेट्स की अधिकता के पीछे आखिर क्या कारण है। साथ ही इस बीमारी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
एमपीवी का लेवल बढ़ने से दिल की बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ सकता है। अगर आपके प्लेटलेट्स का आकार असामान्य हो जाए जैसे कि वह आकार में बड़ जाए, तो इसका अर्थ यह हो सकता है कि आपको दिल से जुड़ी कोई भी समस्या हो सकती है।
खून से जुड़ी अन्य बीमारियाँ से खून के जमने या खून बहने से जुड़ी कई समस्याओं का भी पता लगाने के लिए एमपीवी ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट कि मदद से शरीर में हो रही सूजन और इन्फ्लेमेशन का भी पता लगाया जा सकता है।
एमपीवी ब्लड टेस्ट एक साधारण सा ही ब्लड टेस्ट है। इस टेटस में डॉक्टर या नर्स आपके हाथ से खून निकालते हैं। इस टेस्ट के लिए किसी भी तरह कि कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं है। डॉक्टर खून का नमूना लेकर, उसे लैब में भेज देते हैं। लैब में प्लेटलेट्स के आकार का विश्लेषण करते हैं और फिर कुछ दिनों में आपको टेस्ट की रिपोर्ट दें देते हैं।
टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर आपके प्लेटलेट्स का आकार सामान्य है या नहीं इस बारे में जानकारी देते हैं साथ ही अगर कोई अन्य समस्या है, तो उसके इलाज के बारे में सुझाव साझा करते हैं। अगर टेस्ट में आपके प्लेटलेट्स का आकार बड़ा या छोटा निकलता है, तब डॉक्टर अन्य कुछ और टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जिससे समस्या को और बेहतर तरीके से जानना जा सकें।
एमपीवी ब्लड टेस्ट के परिणाम के जरिए यह पता चलता है कि खून में प्लेटलेट्स का औसत आकार आखिर क्या है। वैसे सामान्य तौर पर एमपीवी का लेवल 7.5 से 11.5 फ्लेमोलिटर्स (fL) के बीच में होना छाइए। अगर आपका एमपीवी लेवल 7.5 से 11.5 फ्लेमोलिटर्स (fL) से बाहर है, तो आपके खून में प्लेटलेट्स की समस्या मौजूद है।
अगर एमपीवी लेवल सामान्य बताई हुई मात्रा से कम है, तो आपके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो चुकी है। इस वजह से खून की समस्या थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) हो सकती है। इस बीमारी के सिवा किडनी से जुड़ी कोई समस्या या फिर लिवर से जुड़ी कोई समस्या भी एमपीवी के लवेल को प्रभावित कर सकती है।
अगर एमपीवी लेवल सामान्य बताई हुई मात्रा से ज्यादा है, तो आपके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा हो चुकी है। इस वजह से खून की समस्या थ्रोम्बोसाइटोसिस (Thrombocytosis) हो सकती है, जिसमें खून के थक्के बनने का खतरा अधिक बढ़ा सकता है। इस वजह से दिल की बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है।
एमपीवी ब्लड टेस्ट की मदद से शरीर में मौजूद प्लेटलेट्स की स्थिति का पता लगाया जाता है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर आपको यह समझते हैं कि शरीर में खून से जुड़ी कोई समस्या मौजूद तो नहीं है या फिर मौजूद है। अगर समय रहते प्लेटलेट्स की समस्या का पता लग जाए, तो इलाज करना काफी आसान हो जाता है। दिल की बीमारियां, किडनी की समस्याएं, या खून से जुड़ी बीमारियां से जूझ रहें लोगों के लिए यह टेस्ट बहुत जरूरी होता हैं।
एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल के लिए नियमित जांच जरूर करवानी चाहिए। कई बार हम अपनी सेहत को लेकर लापरवाही कर जाते हैं और इस वजह से छोटी-छोटी समस्याएं आगे जाकर बड़ी बीमारियों का रूप ले सकती हैं। एमपीवी ब्लड टेस्ट की मदद से शरीर में होने वाली समस्या और उसका सही इलाज कैसे किया जा सकता है, इस बारे में पता लगा सकते हैं। इसलिए समय-समय पर डॉक्टर की सलाह से इस टेस्ट को जरूर कराएं।
अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए आपको हर 6 महीने से 1 साल के भीतर कुछ जरूरी टेस्ट करवाने छाइए। वह कौन-से है वह आपकी समस्याओं के हिसाब से डॉक्टर तय करते हैं। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर टेस्ट करवाएं जिससे आप अपनी सेहत पर निगरानी रख सकते हैं।
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।