Saturday, July 26 ,2025

बाल हो रहे हैं समय से पहले सफेद? जानिए छुपे कारण और असरदार इलाज


causes of premature greying of hair and treatment

आज के समय में बालों का सफेद होना एक आम समस्या बनती जा रही है। आजकल टीनएजर्स, और छोटे बच्चों में भी यह समस्या यानी सफेद बालों की समस्या बहुत तेजी से बढ़ हुई दिखाई दे रही है। सफेद बालों को काला करने के लिए लोग अनगिनत तरह के हेयर प्रोडक्ट्स या घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि उनके सफेद बालों के कारण कहीं भी शर्मिंदा न होना पड़ जाए। कम उम्र में बाल सफेद होने से न सिर्फ व्यक्ति का लुक खराब हो सकता है, बल्कि यह कुछ लोगों में कॉन्फिडेंस को भी कम करने की वजह भी बन सकता है।

कम उम्र में आखिर बाल सफेद होने की वजह क्या हैं? और बिना किसी दवाई या हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल किए बिना बालों को नेचुरल ही कैसे काला कर सकते हैं? अगर आप भी ऐसे सवालों का जवाब ढूंढ रहे हैं, तो परेशान होना बंद कर दें। आज के ब्लॉग में हम समय से पहले हो रहे सफ़ेद बालों का कारण और इलाज के बारे में चर्चा करने वाले हैं। 

समय से पहले बाल सफ़ेद होने के कारण (Causes of premature graying of hair in hindi)

आनुवंशिक कारक

इंडियन जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी (Indian Journal of Dermatology), वेनेरोलॉजी एंड लेप्रोलॉजी (Venereology and Leprology) में 2013 को पब्लिश रिपोर्ट में भी इस तथ्य की पुष्टि की गई है कि अगर किसी के माता-पिता या परिवार के किसी पीढ़ी में इस तरह की समस्या पहले रह चुकी हो तो यह समस्या आगे आने पीढ़ी में भी होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। 

हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)

हाइपोथायरायडिज्म यानी शरीर में थायराइड हार्मोन लेवल में कमी आने की समस्या से ग्रस्त लोगों में समय से पहले ही बालों के सफेद होने की संभावना रहती है। 

प्रोटीन की कमी 

क्रॉशिअकोर (Crohn's disease), नेफ्रोसिस (nephrosis), सीलिएक रोग (celiac disease), के साथ कुछ अन्य विकारों की वजह से शरीर में प्रोटीन की कमी होने के कारण कम उम्र में बाल सफेद होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

मिनरल्स की कमी

जब व्यक्ति के शरीर में आयरन और कॉपर जैसे मिनरल्स की कमी होने लगती है तब भी कम उम्र में बाल सफेद होने वाली समस्या दिखाई दे सकती हैं। 

विटामिन की कमी

अगर किसी मानव के शरीर में विटामिन बी 12 की कमी हो रही है तो अधिकतर उन लोगों में कम उम्र में बाल सफेद होने की समस्या नज़र आ सकती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्राइकोलॉजी (International Journal of Trichology) की साइट पर 2016 में एक स्टडी प्रकाशित हुई थी। उस स्टडी में भारत में रहने वाले 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में बाल सफेद होने के पीछे मौजूद कुछ मुख्य कारणों के बारे में बताया किया गया। इसमें सीरम फेरिटिन (Serum Ferritin) का लो लेवल पाया गया, जो कि शरीर में आयरन को संग्रहीत करता है। 

विटिलिगो (Vitiligo)

कुछ मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं के मेलानोसाइट्स पर हमला करते हुए उसे नुकसान पहुँचाना शुरू कर देती है, जिसकी वजह से समय से पहले बाल सफेद होने लग जाते हैं। वॉन रेकलिंगज़ोन की बीमारी (von recklinghausen disease), न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस (neurofibromatosis) यह आनुवंशिक बीमारियाँ है, जिसमें ट्यूमर बन जाता है। साथ ही व्यक्ति की हड्डियों और त्वचा का असामान्य तरह से विकास होने लग जाता है। 

डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome)

डाउन सिंड्रोम की समस्या एक आनुवंशिक विकार होता है। इसमें व्यक्ति के चेहरा और नाक चपटा होने लग जाता है,गर्दन छोटी होने लग जाती है, मानसिक विकलांगता आने लगती है तो कुछ मामलों में बालों का रंग सफेद होने लग जाता है।

वर्नर सिंड्रोम (Werner's Syndrome)

वर्नर सिंड्रोम बी एक तरह की आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा में बदलाव या परिवर्तन दिखाई देते हैं। किशोर मोतियाबिंद जो की बच्चों में मोतियाबिंद होता है, छोटे कद और समय से पहले बूढ़े होने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिस वजह से समय से पहले ही सफ़ेद बाल होना भी शामिल है। 

दवाएं

क्लोरोक्वीन (chloroquine) जो कि मलेरिया के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाई है, ट्राइपरानॉल जो कि कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाली दवाई है और फेनिलथियोरिया जो डीएनए टेस्ट में प्रयुक्त होती है आदि दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण बालों का रंग सफेद होने लग जाता है। 

तनाव

अध्ययनों से पता चला है कि तनाव के समय बनने वाले हार्मोन (एड्रेनालाईन, कोर्टिसोल) मेलानोसाइट टिश्यू को प्रभावित करने लग जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप बालों का रंग सफेद होने लग जाते हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की स्टडी यह बात सामने आई है कि जब कोई व्यक्ति तनाव में होता हैं, तो बालों को प्राकृतिक रंग देने वाले सेल्स खत्म होने लग जाते हैं। इस वजह से समय से पहले बाल सफ़ेद होने लग जाते हैं। 

समय से पहले हुए सफ़ेद बालों का इलाज (Treatment for premature gray hair in hindi)

कम आयु या समय से पहले हुए सफेद बालों के हो जाने का कोई विशेष कारण नहीं है और उसी तरह इसका कोई विशेष इलाज भी मौजूद नहीं है। इसके इलाज को लेकर लगातार प्रयास अभी जारी हैं। वैसे तो, कुछ उपचारों की मदद को इस समस्या से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आइए जानते हैं किन उपचारों के माध्यम से समय से पहले हुए सफेद बालों की समस्या को दूर किया जा सकता है। 

  • कम उम्र या फिर समय से पहले सफ़ेद हो रहे बालों की सफेदी को छिपाने के लिए लोगों ने बालों को रंगना यानी कलर करना शुरू कर दिया है। बाजार में प्राकृतिक रंग के रूप में हिना, अमालकी, भृंगराज आदि के माध्यम से बालों को कलर जा सकता है। 

  • एंटी एजिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली  ग्रीन टी, पॉलीफेनोल्स (polyphenols), सेलेनियम (selenium) कॉपर, फाइटोएस्ट्रोजेन (phytoestrogens) और मेलाटोनिन जैसे यौगिकों (Compounds) का इस्तेमाल भी फायदेमंद रहता है। 

  • विटामिन बी की कमी और हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति के कारण सफ़ेद बालों की समस्या से राहत पाने के लिए विटामिन बी के टेबलेट ले सकते हैं। साथ ही उचित आहार का सेवन करें जिससे इस समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी। 

  • एक अध्ययन ने यह बात साबित हुई है कि दो महीने के लिए 200 मिलीग्राम एपी-एमिनोबेनजोइक एसिड (पीएबीए - epi-Aminobenzoic acid) के इस्तेमाल से कुछ समय के लिए बालों को काला करनेमें मदद मिल सकती है। इस प्रकार इसे अस्थायी रूप से बाल काले करने वाली दवाई के नाम से भी जाना जाता है लेकिन किसी भी दवाई को लेने से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर राय लें।

  • सिन्नैमिडोप्रोपिल्ट्रीमोनियम क्लोराइड (Cinnamidopropyltrimonium Chloride) एक अवशोषक है और इसके इस्तेमाल से बालों के फोटोप्रोटेक्शन करने में मदद मिलती है। इसे आप घर पर भी इस्तेमाल कर कर सकते हैं क्योंकि यह शैम्पू के रूप में उपलब्ध है। 

  • सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी ए-किरणों (Ultraviolet A-rays) के स्रोत के रूप में एक थेरपी होती है जिसके परिणामस्वरूप पैसोरालेंस से बालों की फोटोथेरेपी की जा सकती है। यह रोम में मौजूद मेलानोसाइट्स को फिर से सक्रिय करने में मदद कर  देती है, जिस वजह से बालों को दोबारा काला करने में मदद मिलती है। 

  • बालों की मोटाई और विकास के साथ-साथ कुछ मामलों में हार्मोनल एंटी-एजिंग प्रोटोकॉल के इस्तेमाल से बालों को काला करने में भी सफलता प्राप्त हुई है। 

  • बालों का रंग गहरा होना, लिपोसोम्स के माध्यम से बालों के रोमों तक मेलेनिन पहुँचाने के कारण होता है। लिपोसोम्स वेसिकल्स होते हैं जिनका उपयोग शरीर की कोशिकाओं तक दवाइयों या डीएनए जैसे सूक्ष्म पदार्थों को पहुँचाने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग मांसपेशियों और जीन थेरेपी के माध्यम से बालों का रंग वापिस करने के लिए किया जाता है।

नोट: 

किसी भी प्रकार की दवाई के सेवन से पहले अपने डॉक्टर की राय ज़रूर लें। साथ बालों में कोई भी प्रोडक्ट लगाने से पहले उसके बारे में अच्छे से पूरी जानकारी लें। ज़रूरी नहीं है कि हर चीज़ हर व्यक्ति को सूट हो क्योंकि सबकी समस्या का कारण लक्षण भिन्न हो सकते हैं। 

 

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