Thursday, July 24 ,2025

जानिए एसएचबीजी (SHBG) टेस्ट क्या है और क्यों किया जाता है?


what is shbg test and why it is done

एसएचबीजी क्या है? (What is SHBG in Hindi?)

एसएचबीजी का अर्थ है सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन। यह एक तरह का प्रोटीन होता है जो मुख्य रूप से लिवर के द्वारा बनाया जाता है।  यह खून मौजूद सेक्स हर्मोन टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन को बांधने काम करता है, जिस वजह से जैविक रूप से निष्क्रिय रूपों को शरीर में जाता है। 

एसएचबीजी टेस्ट क्या है? (What is the SHBG test in Hindi?)

SHBG टेस्ट किसी व्यक्ति के खून में सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन की जांच के लिए होता है। एसएचबीजी एक प्रोटीन होता है जो कि व्यक्ति के लिवर कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है। यह सेक्स हार्मोन जैसे कि टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और डाईहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन से जुड़ा हुआ होता है और उन्हें खून में स्रावित करता है। एसएचबीजी शरीर के टिश्यू में मौजूद हार्मोन की मात्रा को भी कण्ट्रोल करता है। एसएचबीजी (सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन - SEX HORMONE BINDING GLOBULIN) तीन सेक्स हार्मोन से जुड़ा हुआ होता है, लेकिन फिर भी एसएचबीजी टेस्ट का इस्तेमाल खासतौर से टेस्टोस्टेरोन से जुड़ी संबंधी समस्याओं के बारे में जानने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी और महिलाओं में इसकी अधिकता के बारे में जानने के लिए मदद करता है। खासतौर पर एसएचबीजी टेस्ट यह बताता है कि टिश्यू के लिए टेस्टोस्टेरोन कितनी मात्रा में उपलब्ध है।

एसएचबीजी टेस्ट क्यों किया जाता है? (Why is SHBG test done in Hindi?)

एसएचबीजी टेस्ट की राय डॉक्टर उन लोगों को ही देते हैं जिनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन से जुड़े लक्षण या असामान्य स्तर दिखाई देते हैं। आमतौर पर ऐसे मामलों में टोटल टेस्टोस्टेरोन टेस्ट से जांच की सकती है। वैसे, कुछ लोगों में ऐसे लक्षण भी देखें गए है कि जो टेस्टोस्टेरोन के अत्यधिक लेवल या फिर बहुत ही कम लेवल से जुड़े हुए होते हैं। इस स्थिति की पहचान एसएचबीजी टेस्ट की मदद से नहीं हो पाती है। वैसे तो,कई लोगों में टेस्टोस्टेरोन के बहुत कम या बहुत ज्यादा होने के लक्षणों का पता टोटल टेस्टोस्टेरोन टेस्ट से नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर तब एसएचबीजी टेस्ट की राय देते हैं:- 

अगर किसी पुरुष में लो टेस्टोस्टेरोन लेवल से जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं तो इस टेस्ट की राय दी जा सकती है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने के कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं:- 

  • इरेक्शन होने में कठिनाई 

  • कामेच्छा में कमी

  • प्रजनन से जुड़ी समस्याएं 

महिलाओं को एसएचबीजी टेस्ट की राय तब दी जा सकती है जब उनमें हाई टेस्टोस्टेरोन होने के कुछ लक्षण देखने लग जाते हैं:-

  • शरीर और चेहरे पर अनचाहे या अत्यधिक बाल आना 

  • मासिक धर्म में अनियमितता आना 

  • मुंहासे

  • वजन का बढ़ना 

  • प्रजनन से जुड़ी समस्या 

  • आवाज में बदलाव (गहरी या मोटी होना)

एसएचबीजी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

एसएचबीजी टेस्ट के से पहले किसी भी तरह का की कोई विशेष तैयारी की ज़रुरत नहीं होती है।  इस टेस्ट के लिए मरीज को उपवास रखने तक की ज़रुरत नहीं होती है।  लेकिन हाँ, अगर मरीज किसी भी तरह कि दवाई, सप्लीमेंट का सेवन कर रहा है तो उसके बारे में डॉक्टर को पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।  ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दवाइयां टेस्ट को प्रभावित कर सकती है।  शरीर में बायोटिन का अत्यधिक जमाव होना भी एसएचबीजी के लेवल को कम दिखा सकता है, जो कि गलत होता है। इसलिए बायोटिन की आखिरी खुराक का सेवन इस टेस्ट से 12 घंटे पहले ही करना चाहिए। टेस्ट से पहले अत्यधिक शारीरिक व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है। अगर मरीज को कोई भोजन विकार है तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बताएं, उनसे कुछ न छुपाए।

एसएचबीजी टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is SHBG test done in Hindi?)

एसएचबीजी टेस्ट करने के लिए ब्लड का सैंपल लिया जाता है। जैसे आम ब्लड टेस्ट के लिए खून लिया जाता है उसी तरह इस टेस्ट के लिए भी खून का नमूना लिया जाता है।  जिसके लिए मरीज की बांह की पर एक इलास्टिक बैंड बांध दिया जाता है जिससे नसे उभर जाए।  फिर सुई की मदद से पर्याप्त मात्रा में  नस से खून का नमूना कलेक्ट किया जाता है।  इस प्रक्रिया के दौरान हल्का सा दर्द या चुभन जैसा महसूस हो सकता है, मगर यह समस्या जल्दी ही ठीक हो जाती है। अगर, जहाँ सुई लगाई गयी थी वहां लगातार संक्रमण या नील दिखाई दे तो तुरंत ही डॉक्टर  से मिलकर इस बारे में बताएं।

एसएचबीजी टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज (SHBG test results and normal range in Hindi)

एसएचबीजी टेस्ट के रिजल्ट उम्र, लिंग, स्वास्थ्य स्थिति और टेस्ट के तरीके के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। हाई एसएचबीजी लेवल गर्भवस्था के समय एस्ट्रोजन के लेवल बढ़ने की वजह हो सकती हैं। बच्चों में आमतौर पर एसएचबीजी लेवल अधिक ही होता है। यौन रूप से परिपक्व होने के बाद लड़कों में एसएचबीजी लेवल लड़कियों की तुलना में तेजी से गिरता है। एसएचबीजी लेवल वयस्क पुरुषों में स्थिर होता हैं लेकिन एक उम्र के बाद बढ़ने लग जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद एसएचबीजी का लेवल कम होने लग जाते हैं। एसएचबीजी टेस्ट के परिणामों की सही जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।

सामान्य परिणाम 

जो महिलाएं गर्भवती नहीं हैं और पुरुषों के लिए स्टैंडर्ड वैल्यू कुछ इस प्रकार है:-  

  • पुरुषों  में 10 से 80 नैनोमोल्स प्रति लीटर एसएचबीजी होता है।  

  • महिला में 20 से 130 नैनोमोल्स प्रति लीटर एसएचबीजी होता है।  

गर्भावस्था के दौरान निम्न वैल्यू होती है:-

पहली तिमाही में 39 से 131 नैनोमोल्स प्रति लीटर एसएचबीजी होता है।   

दूसरी तिमाही में एसएचबीजी 214 से 717 नैनोमोल्स प्रति लीटर होता है।   

तीसरी तिमाही में 216 में 724 नैनोमोल्स प्रति लीटर मौजूद होता है।  

असामान्य परिणाम

कम लेवल इस बात की ओर इशारा करता है  कि एसएचबीजी पर्याप्त मात्रा में टेस्टोस्टेरोन से बाइंड नहीं हो पा रहा है। इस वजह से खून में अनबाउंड टेस्टोस्टेरोन का लेवल ज्यादा होने लगा है और टिश्यू के लिए शरीर में अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन हो गया है। लो एसएचबीजी लेवल स्तर जिसकी वजह से अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन लेवल हो जाते हैं।   कुछ स्थितियों में यह दिखने को मिल सकता हैं जो कि कुछ इस प्रकार है:- 

  • हाइपोथायरायडिज्म (लो थायराइड हार्मोन की स्थिति ) 

  • टाइप 2 डायबिटीज की समस्या 

  • मोटापा होना 

  • स्टेरॉयड की दवाई का अत्यधिक सेवन 

  • कुशिंग सिंड्रोम (अत्यधिक कोर्टिसोल हार्मोन के अधिक होने के कारण होता है) 

  • पुरुषों में एड्रिनल ग्रंथि 

  • वृषण कैंसर होना

  • महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या होना

  • एक्रोमेगली (एक स्थिति जिसमें ग्रोथ हार्मोन अत्यधिक बढ़ जाता है जिसके कारण शरीर के टिश्यू ज्यादा  बढ़ जाते हैं)

एसएचबीजी के ज्यादा लेवल दिखाई देने का अर्थ है कि प्रोटीन बहुत ही ज्यादा मात्रा में टेस्टोस्टेरोन से बाइंड कर रहा है, इससे खून में फ्री टेस्टोस्टेरोन के लेवल कम होने लग जाते हैं साथ ही टिश्यू के लिए पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन नहीं बच पाता है। एचएसबीजी के हाई लेवल कुछ कारण से हो सकते हैं: 

  • हेपेटाइटिस की बीमारी 

  • हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड हार्मोन में बढ़ोतरी)

  • भोजन से जुड़े विकार 

  • एचआईवी की बीमारी 

  • दौरे के लिए दवाइयां 

  • गर्भनिरोधक गोली का सेवन 

  • लिवर की बीमारी (सिरोसिस) 

  • पुरुषों में वृषणों या पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ी समस्या 

  • महिलाओं में पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं या एडिसन बीमारी (कोर्टिसोल का कम उत्पादन होना)

नोट: 

एसएचबीजी टेस्ट एक अहम भूमिका निभाता है। शरीर में टेस्टोस्टेरोन से जुड़े लक्षण या असामान्य स्तर दिखाई देते हैं। यह टेस्ट डॉक्टर की राय के बात ही करवाएं।

 

मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।