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आज के समय किस को क्या बीमारी हो जाए कहना मुश्किल है। बहुत से ऐसे केस देखने को मिल रहे हैं जहां कम उम्र में ही लोग किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं और उसके कारण उनकी जान जोखिम में आ जाती है। ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है कैंसर। अगर कैंसर का सही समय पर पता लग जाए तो उसे का निवारण किया जा सकता है। इसलिए अगर कभी शरीर में कैंसर से जुड़े लक्षण नज़र आए तो, आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और ज़रूरी टेस्ट करवाएं। उन टेस्ट की मदद से आपकी समस्या की पुष्टि होगी साथ ही यह भी पता चलेगा कि समस्या कितनी गंभीर है। कैंसर बहुत से तरह के हो सकते हैं और उनके टेस्ट भी अलग-अलग होते हैं आज हम कैंसर के सीईए टेस्ट के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
कैंसर के लिए किए जाने वाले कार्सिनोएम्ब्रायोनिक एंटीजन (Carcinoembryonic antigen) टेस्ट है जिसको सीईए कहते हैं। सीईए टेस्ट ब्लड टेस्ट होता है जिसमें प्रोटीन की मात्रा का मापता किया जाता है। अगर प्रोटीन की मात्रा बड़ी हुई है तो यह बड़ी आंत और मलाशय के कैंसर होने का बहुत बड़ा संकेत माना जाता हैं। वैसे यह ज़रूरी नहीं है कि हाई सीईए प्रोटीन वाले हर व्यक्ति को यह कैंसर हो, लेकिन अगर आपके खून में सीईए प्रोटीन का लेवल बढ़ा हुआ है तो उसे कम करने के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए।
सीईए प्रोटीन का स्तर बढ़ता है तो यह शरीर में कैंसर के विकास का संकेत हो सकता है लेकिन कई बार यह गैर-कैंसर संबंधी के कारण भी हो सकता है। शरीर में सीईए स्तर जब बढ़ता है तो अग्नाशय का कैंसर (Pancreatic cancer), स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer), फेफड़ों का कैंसर आदि होने का खतरा बन जाता है।
सीईए टेस्ट भी एक तरह से ब्लड टेस्ट की तरह ही किया जाता है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर एक इन्जेक्शन की मदद से आपके हाथ की नस में खून निकालते हैं। उस खून को एक ट्यूब में रखकर लैब में परीक्षण के लिए भेज देता हैं। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों को दर्द या चुभन जैसा महसूस हो सकता है। इस टेस्ट का रिजल्ट कुछ ही घंटों के बाद आ जाता है।
कई बार इस टेस्ट के लिए पेट की दीवार या फिर रीढ़ की हड्डी के लिक्विड यानि तरल पदार्थ से सीईए टेस्ट करने के लिए तरल पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। आपका डॉक्टर इन टेस्ट के लिए तरल पदार्थ का एक छोटा सा नमूना लेने के लिए एक सुई का इस्तेमाल करता है। नीचे तरल पदार्थों की जाँच की जाने वाली सूची दी गई है:
मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) (Cerebrospinal fluid (CSF): रीढ़ की हड्डी में मौजूद तरल को मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) कहते है। यही यह एक स्पष्ट, रंगहीन तरल होता है।
पेट की गुहा में तरल पदार्थ (fluid in the abdominal cavity): आपकी पेट की दीवार पेरिटोनियल तरल पदार्थ (peritoneal fluid) नामक तरल पदार्थ से ढकी होती है।
फुफ्फुस द्रव्य (pleural fluid): द्रव के रूप में फुफ्फुस द्रव जाना जाता है जो हमारे प्रत्येक फेफड़े के बाहरी हिस्से को ढकने वाला होता है साथ ही यह टिशू हमारी छाती गुहा के अंदर होता है।
अगर आप सीईए टेस्ट करवाना चाहते हैं तो आज ही mediyaar से टेस्ट बुक करें।
इस टेस्ट के बाद कभी-कभी आपको कुछ जटिलताएं हो सकती है या कहा जाएं कुछ असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि:
टेस्ट के बाद भी खून आना
सुई वाली जगह पर किसी कारण इन्फेक्शन हो जाना है
सुई वाली जगह पर घाव बन जाना
चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना
सुई वाली जगह पर कुछ दिन तक दर्द महसूस होना
हर किसी समस्या के लिए भिन्न टेस्ट होता है इसलिए हर टेस्ट के लिए प्रक्रिया और नियम भी अलग होते हैं जो आपके टेस्ट को प्रभावित करता है। सीईए टेस्ट कराने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे कि:
सीईए टेस्ट के लिए मरीज को कम से कम 8 से 10 घंटे तक उपवास यानि खाली पेट रहने की सलाह दी जाती है।
टेस्ट से पहले किसी भी तरह का नशीले पदार्थ का सेवन न करें। ऐसा करने से टेस्ट रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं।
किसी भी ब्लड टेस्ट और सीईए टेस्ट करवाने से पहले कभी भी एक्सरसाइज न करें।
अगर आप किसी भी तरह की दवाई का सेवन करते हैं तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें कि वह टेस्ट से पहले खा सकते हैं या नहीं।
टेस्ट से पहले किसी भी तरह का तनाव न लें यह आपके टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित कर सकता हैं।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए टेस्ट करवाने जाए। इन सब बातों के माने से आपके टेस्ट रिजल्ट की सटीकता और बेहतर रहेगी।
सीईए टेस्ट के परिणामों की व्याख्या अलग-अलग कारकों पर तय होती है, जिनमें निगरानी किए जा रहे कैंसर का क्या प्रकार है और व्यक्तिगत मरीज की विशेषताएं शामिल होती हैं।
नॉर्मल श्रेणी- धूम्रपान न करने वालों में व्यक्ति में: 3 ng/mL (नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर) से कम होता है और वही धूम्रपान करने वालों में: 3 ng/mL से अधिक होता है।
उन्नत सीईए स्तर (Advanced CEA Level): इसमें कैंसर संबंधी कारण जैसे फेफड़ों का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer), स्तन कैंसर, अग्नाशय कैंसर (Pancreatic cancer) होने का खतरा बन सकता है। वही अगर गैर-कैंसर संबंधी कारण की बात होती है तो लिवर सिरोसिस, सूजन आंत्र रोग (Inflammatory bowel disease), क्रोनिक क्रॉनिक फुफ्फुसीय रोग (सीओपीडी) (chronic obstructive pulmonary disease) आदि शामिल है।
जब किसी भी व्यक्ति में सीईए लेवल बढ़ रहा हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, साथ ही वह कुछ चीजों का ध्यान रखें जैसे:-
मरीज खुदको हाइड्रेटेड रखें जिसके लिए वह पूरे दिन में कम से कम भी 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं।
अपनी डाइट में सुधार लाएं। एक अच्छी स्वस्थ और बैलेंस डाइट लें।
नींद पूरी करे, इसलिए अपने सोने और उठने का समय तय करें।
अपनी दिनचर्या में योग या फिर कम से कम 30 मिनट से 1 घंटे तक की एक्सरसाइज को शामिल करें।
आप चाहे तो अपनी दिनचर्या में रोजाना कम से कम 15 मिनट से 30 मिनट तक ध्यान करने को भी शामिल कर सकते हैं।
जितना हो सकें आप अपनी डाइट में से तले भुने और जंक फूड को अवॉइड करें।
कैंसर की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है इसलिए अपने शरीर में आने वाले बदलावों पर ध्यान दें। सही समय पर लक्षणों को पहचाने, टेस्ट करवाएं और इलाज शुरू करें।