डायबिटीज की समस्या एक ऐसी बीमारी है, जो कि किसी इंसान को एक बार हो जाए, तो फिर यह उम्रभर के लिए उसका पीछा नहीं छोड़ती है। डायबिटीज की बीमारी अनुवांशिक या ख़राब जीवनशैली के कारण हो सकती है। वैसे तो, डायबिटीज चेक करने के लिए कई तरह के टेस्ट मौजूद है और डॉक्टर की सलाह के अनुसार वह किए भी जाते हैं, उनमें से एक HbA1c टेस्ट भी होता है। आज इस ब्लॉग के ज़रीये HbA1c टेस्ट के बारे में समझेंगे कि यह टेस्ट क्या है और किसलिए होता है साथ ही इसको कैसे किया जाता है आदि।
HbA1c टेस्ट यानी हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट जिसका का इस्तेमाल टाइप 2 डायबिटीज़ की पहचान और उसकी जाँच के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के ज़रिए मरीज के पिछले तीन महीनों का ग्लूकोज़ काउंट भी पता चल जाता होता है, जो डॉक्टर या पता लगने में मदद करता है कि व्यक्ति को डायबिटीज़ है या नहीं।
हीमोग्लोबिन में हमारे शरीर का एक प्रोटीन होता है, जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाता है। इस हीमोग्लोबिन की वजह से ही खून का रंग लाल होता है साथ ही यह हमारे शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन को पहुँचाने का काम करता है।
जब किसी व्यक्ति के शरीर में शुगर लेवल बढ़ने लगता है, तो यह शुगर लेवल खून में हीमोग्लोबिन से जुड़ जाती है। इससे रक्त में शुगर लेवल बढ़ जाता है, जो ग्लूकोज हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन बनाता है। यानी खून में शर्करा का स्तर जितना अधिक होगा, ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (glycated hemoglobin) का स्तर भी उतना ही अधिक होगा। इसलिए, डायबिटीज मरीजों के लिए समय-समय पर HbA1c टेस्ट करवाना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
शुगर क्या है? – जानिए मधुमेह के लक्षण, कारण और बचाव के तरीके, और क्यों HbA1c टेस्ट डायबिटीज डायग्नोसिस में जरूरी है।
HbA1c टेस्ट के ज़रिए डायबिटीज की पहचान की जा सकती है जो कि एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
एचबीए1सी परीक्षण मधुमेह की पहचान करने और उसके स्तर का मूल्यांकन करने में मदद करता है, ताकि रोगी के उपचार का बेहतर प्रबंधन किया जा सके।
HbA1c टेस्ट के ज़रिए व्यक्ति में डायबिटीज के लक्षणों की निगरानी में भी मदद मिलती है और डायबिटीज की स्थिति को नियंत्रित रखने में भी HbA1c टेस्ट सहयोग करता है।
HbA1c टेस्ट मरीज के इलाज की प्रगति को मूल्यांकित में मदद करता हुआ उपयुक्त संशोधनों की ज़रूरत को स्पष्ट करता है।
अगर डायबिटीज अच्छी तरह से नियंत्रित न क्या जाए तो, अधिक हाई HbA1c लेवल हो जाएगा। जिसकी वजह से दिल और धमनियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है जो कि सेहत को प्रभावित कर सकता है।
डायबिटीज की समस्या की वजह से किडनी का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है क्योंकि डायबिटीज का बुरा असर पड़ता हैं। HbA1c टेस्ट डायबिटीज के बारे में पता लगाता है साथ ही किडनी की स्थिति का मूल्यांकन करने में भी काफी मदद कर सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्वस्थ HbA1c लेवल गर्भावस्था के समय और शिशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज़रूरी माना जाता है।
HbA1c लेवल की निगरानी डायबिटीज के मरीजो के स्वास्थ्य की निगरानी करने में तो सहयोग करता है साथ ही मरीज की सेहत के स्वास्थ्य की देखभाल में भी सुधार लाने में मदद कर सकता है।
HbA1c टेस्ट डायबिटीज के लिए जोखिम को मूल्यांकित करने में मददगार साबित हो सकता है और डायबिटीज के स्थायी नियंत्रण के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
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सबसे पहले और अहम काम, डॉक्टर से परामर्श लें क्योंकि वह आपके स्वास्थ्य इतिहास, दवाइयों की सूची, और डायबीटीज के मैनेज की जरूरतों के आधार पर HbA1c टेस्ट सलाह दे सकते हैं या फिर जरूरत को देखते हुए टेस्ट को निर्धारित करेंगे।
HbA1c टेस्ट के लिए डॉक्टर द्वारा लैब में ब्लड सैम्पल कलेक्ट किया जाता है। वैसे तो, यह सैंपल मरीज के हाथ के अंगूठे के नुकीले हिस्से से कलेक्ट किया जाता है। फिर उसको आगे जाँच के लियेलब में भेज दिया जाता है।
ब्लड सैंपल को लैब में एक विशेष तरह के उपकरण का इस्तेमाल करते हुए HbA1c लेवल की मात्रा के बारे में पता लगाया जाता है। इस जाँच का रिजल्ट आमतौर पर प्रतिशत के स्वरूप में आता है जो कि 6% या 7% जैसा हो सकता है।
HbA1c लेवल के रिजल्ट के आधार पर, डॉक्टर आपके डायबीटीज को मैनेज करने की योजना तैयार करते हैं। वह मरीज की दवाइयों की डोज, आहार, और व्यायाम के साथ एक सही दिनचर्या और लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाने की सलाह देते हैं।
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एचबीए1सी टेस्ट के रिजल्ट मरीज के शुगर के लेवल की जानकारी प्रदान करते हैं। HbA1c टेस्ट मरीज के शरीर में शुगर के स्तर को पिछले के दो से तीन महीनों तक का पता लगाता है।
नॉर्मल शुगर लेवल: 5।7% या कम
प्री-डायबिटिक अवस्था: 5।7% से 6।4%
डायबिटीज की स्थिति: 6।5% या अधिक
डायबिटीज और फैटी लिवर के बीच का संबंध और HbA1c टेस्ट कैसे मदद कर सकता है।
HbA1c टेस्ट विशेष रूप से पिछले दो से तीन महीनों में मरीज के खून में शुगर के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर, सभी परीक्षणों को प्रतिदिन मापना होता है और यह केवल परीक्षण के समय ब्लड शुगर लेवल को दर्शाता है। लेकिन HbA1c टेस्ट पिछले तीन महीनों में ब्लड शुगर के स्तर में हुए उतार-चढ़ाव के बारे में भी बताता है।
HbA1c टेस्ट न केवल मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए है, बल्कि उन लोगों के लिए भी बहुत उपयोगी है जिनको मधुमेह होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, HbA1c टेस्ट कभी भी किया जा सकता है और इसके लिए कोई आहार प्रतिबंध नहीं हैं। जबकि अन्य सामान्य ब्लड शुगर टेस्ट करवाने के लिए आहार प्रतिबंध हैं।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट और HbA1c टेस्ट में क्या अंतर है, जानें विस्तार से।
नियमित रूप से डॉक्टर के साथ अपना चेकअप करें और डॉक्टर के द्वारा बताए गए सुझावों का पालन करें।
खानपान में स्वस्थ आहार को शामिल करते हुए फल, सब्जियां, अदरक, लहसुन, अनाज, और दूध उत्पाद का सेवन करें।
स्वस्थ रहने के लिए पूरी तरह से तली हुई चीजों, चिप्स, तला हुआ खाना, और मिठाई की खपत को सीमित करें।
आहार में पौष्टिक ग्रेन्स (whole grains) को शामिल करते हुए ब्राउन चावल और ओट्स का सेवन कर सकते हैं
रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करें। आप चाहे तो चलना, दौड़ना, योग, या जिम जाना में से किसी का भी चयन कर सकते हैं लेकिन कुछ भी करें वह कम से कम 30 मिनट तक करें।
तंबाकू और शराब का सेवन छोड़ दें या उसके सेवन से बचें।
रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की अच्छी और गहरी नींद प्राप्त करें।
रात के समय में भोजन कम करें और जल्दी सोने की कोशिश करें।
स्ट्रेस को कम करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य तकनीकों (योग और मेडिटेशन) का सहारा लें।
डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों का नियमित रूप लेना शुरू कर दें।
वजन की निगरानी करते हुए अगर आवश्यक लगे तो वजन कम करें।
डॉक्टर के साथ जुड़कर स्वस्थ लाइफस्टाइल और ब्लड शुगर के लेवल अनुसार योजना बनाएं।
डॉक्टर के सुझावों का पालन करते हुए उनका सहयोग करें, ताकि HbA1c को सामान्य रखने में मदद मिल सकें।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर और डायबिटीज मैनेजमेंट में HbA1c टेस्ट की भूमिका।
HbA1c टेस्ट एक महत्वपूर्ण टेस्ट है जो कि मधुमेह के निदान और मैनेज करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर किसी को मधुमेह होने का खतरा है या मधुमेह की समस्या है, तो इस टेस्ट के बारे में डॉक्टर से बात कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य डायबिटीज कंट्रोल में कैसे मदद करता है जानिए अंग्रेजी में The Importance of Mental Health in India
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