Monday, August 18 ,2025

पेरिमेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्लैडर की समस्याएं क्यों बढ़ जाती हैं? जानें कारण और बचाव


Perimenopause and bladder problems

समय के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता में बदलाव आने लग जाता है। एक निश्चित उम्र के बाद हर महिला का मासिक धर्म चक्र धीरे-धीरे कम होने लग जाता है। इसके पूरी तरह बंद होने से ठीक पहले की स्थिति को पेरिमेनोपॉज कहा जाता हैं। पेरिमेनोपॉज का समय हर महिला में विभिन्न हो सकता है, जो कुछ महीनों से लेकर सालों तक का हो सकता है। लेकिन, आमतौर पर एक महिला को 40 से 50 की उम्र के बीच इस दौर से गुजरना पड़ता है। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, जिसके कारण महिलाओं को कई तरह के लक्षण दिखाई व महसूस हो सकते हैं। इसमें अनियमित पीरियड की समस्या, गर्मी लगना, महिलाओं में मूड स्विंग और नींद से जुड़ी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। वहीं, कुछ महिलाओं को बार-बार पेशाब जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है।

पेरिमेनोपॉज और मूत्राशय के बीच संबंध (Connection Between Perimenopause and Bladder in hindi)

हार्मोनल असंतुलन

पेरिमेनोपॉज के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है, जिसका असर मूत्राशय और मूत्राशय की मांसपेशियों पर पड़ता है। एस्ट्रोजन मूत्राशय की परत को मज़बूत और लचीला बनाए रखता है। जब इसका स्तर कम हो जाता है, तो मूत्राशय की क्षमता कम हो जाती है और बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।

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मूत्राशय की मांसपेशियों की कमज़ोरी

हार्मोनल परिवर्तनों के कारण, मूत्राशय की दीवारें कमज़ोर हो सकती हैं, जिससे मूत्र धारण करने की क्षमता कम हो जाती है। यह अतिसक्रिय मूत्राशय का एक प्रमुख कारण हो सकता है।

मूत्रमार्ग की परत का पतला होना

एस्ट्रोजन की कमी से मूत्रमार्ग की परत (दीवार) पतली और कमज़ोर हो सकती है, जिससे मूत्र नियंत्रण मुश्किल हो जाता है और बार-बार पेशाब आता है।

पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों का कमज़ोर होना

रजोनिवृत्ति के दौरान, महिलाओं की पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं, जिससे मूत्राशय पर नियंत्रण कम हो जाता है। इससे मूत्र रिसाव का खतरा बढ़ जाता है।

मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई)

रजोनिवृत्ति के दौरान, मूत्राशय की परत पतली और संवेदनशील हो जाती है, जिससे मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) का खतरा बढ़ जाता है। बार-बार होने वाले संक्रमण भी अतिसक्रिय मूत्राशय का कारण बन सकते हैं। पेरिमेनोपॉज के बाद यूटीआई का खतरा क्यों बढ़ता है, जानें महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन

अतिसक्रिय मूत्राशय से कैसे बचें? (How to prevent overactive bladder in hindi?)

रजोनिवृत्ति शुरू होने से पहले महिलाओं को मूत्राशय की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए महिलाओं को नीचे दिए गए उपाय अपनाने चाहिए।

  • कैफीन और अल्कोहल का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें।

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

  • पेल्विक फ्लोर को मज़बूत करने के लिए कीगल व्यायाम करें।

  • ज़्यादा वज़न पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिससे समस्या बढ़ सकती है।

  • कुछ मामलों में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी मददगार हो सकती है।

रजोनिवृत्ति के बाद और अतिसक्रिय मूत्राशय के बीच गहरा संबंध है, और हार्मोनल असंतुलन इसका मुख्य कारण है। हालाँकि, सही आहार, व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। अगर इस दौरान समस्या बढ़ रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

मेनोपॉज के समय यूरिनरी ब्लैडर की समस्याएं क्यों होती हैं? (Why do urinary bladder problems occur during menopause in hindi?)

  • महिला हार्मोन एस्ट्रोजन, ब्लैडर और यूरेथ्रा की टिश्यू को स्वस्थ रखने  का काम करता है यह उसकी एक अहम भूमिका है। मेनोपॉज के समय जब एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाने के कारण मूत्राशय की मांसपेशियों को कमजोर बना देती है और मूत्रमार्ग की लाइनिंग भी पतली हो जाती है।

  • मेनोपॉज के समय मूत्राशय की संवेदनशीलता अधिक बढ़ जाती है, जिसकी वजह से बार-बार पेशाब लगने की समस्या पैदा हो जाती है।

  • कमजोर ब्लैडर और यूरेथ्रा के कारण महिला को बार-बार यूटीआई (Urinary Tract Infection) होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

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मेनोपॉज के समय ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं (Bladder problems during menopause in hindi)

अक्सर पेशाब लगना

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में सबसे आम समस्या बार-बार पेशाब लगने की होती है, जिससे कई बार चिड़चिड़ापन सा होने लगता है। 

रात के समय में बार-बार पेशाब आना

रात में कई बार पेशाब के लिए बार-बार उठने के कारण नींद सही से पूरी नहीं हो पाती है और  मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के लिए एक आम समस्या है।

पेशाब रोकने में परेशानी

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पेशाब देर तक रोक पाने में दिक्कत आने लगती है। कुछ महिलाओं से पेशाब रोका ही नहीं जा पाता है , जिससे उन्हें कई बार ट्रेवल के समय दिक्कत होने लग जाती है।

यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस

कुछ मामलों में मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में यह देखा गया है कि उनसे पेशाब रोका नहीं जाता है और यह यूरिन लीकेज की समस्या को पैदा कर देता है।\

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पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करनी चाहिए इससे मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती हैं।

तरल पदार्थों का सेवन

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि  सोने से पहले बहुत ज्यादा पानी का सेवन न करें, वरना बार-बार उठ के पेशाब के लिए जाना पड़ सकता है जिससे नींद में ख़राब हो जाएगी। 

कैफीन और अल्कोहल से परहेज 

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को कैफीन और अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि यह मूत्राशय को उत्तेजित कर सकते हैं, जिससे बार-बार पेशाब आने की समस्या बढ़ सकती है।

तीखा भोजन कम खाना 

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को तीखा भोजन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह मूत्राशय में समस्या पैदा कर सकती है।

वजन को कंट्रोल रखना

अतिरिक्त वजन होने के कारण भी मूत्राशय पर दबाव पड़ता है इसलिए वजन को कंट्रोल करने की कोशिश करें। मोटापा और ब्लैडर हेल्थ का कनेक्शन विस्तार से जानिए इसके लक्षण और कारण।

धूम्रपान से परहेज

धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है साथ ही यह मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के मूत्राशय को नुकसान पहुंचा सकता है।

यूटीआई से बचाव

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को अधिक स्वच्छता का ध्यान रखने की ज़रुरत हैं क्योंकि यह यूटीआई के खतरा अधिक बढ़ सकता है। 

तनाव कम करें

तनाव के कारण ब्लैडर की समस्याओं को बढ़ावा मिल सकता है, इसलिए तनाव को मैनेज करते हुए उस कम करने के लिए योग, ध्यान या गहरी सांस लेना आदि जैसे अभ्यास कर सकते हैं।

डॉक्टर से नियमित जांच

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को नियमित रूप से डॉक्टर से अपनी जांच करवाती रहना चाहिए जिससे अगर कोई अन्य समस्या होती है तो वह समय से ठीक की जा सकें। 

पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल सिमित करें 

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यहाँ माना जाता है कि यूटीआई होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। यूटीआई का कारण बैक्टीरिया का ब्लैडर में अंदर प्रवेश करना होता है  इसलिए पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह से अपने प्राइवेट पार्ट को साफ़ करें। ऐसा करने से यूटीआई के खतरे को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।

पेरिमेनोपॉज के दौरान मानसिक स्वास्थ्य का महत्व जानिए अंग्रेजी में The Importance of Mental Health in India

नोट: 

पेरिमेनोपॉज के समय और मेनोपॉज के दौरान ब्लैडर की समस्या या उससे जुड़ी दिक्कत आना तय है इसलिए अपनी सेहत का अधिक ध्यान दें और डॉक्टर से मिलकर पूर्ण जानकारी को ओर बेहतर तरीके से समझे। 

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