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आज के समय में सभी लोग बहुत ही ज्यादा पढ़े-लिखे हैं इसलिए वक़्त से पहले सब चीजों की जानकारी रखते हैं। ऐसा करना सही भी है क्योंकि आज के समय बहुत सी ऐसे चीज़े हैं कि सही समय पर पता चल जाए तो इलाज संभव है। ऐसी ही एक बीमारी है हेपेटाइटिस बी। यह क्या है इसके क्या लक्षण है और यह कैसे फैलती है ऐसी ही बहुत सी जानकारी आज इस ब्लॉक के जरिए जानेंगे।
हेपेटाइटिस बी एक गंभीर समस्या है जो हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) की वजह से होती है जिससे व्यक्ति का लिवर को प्रभावित होता है और वह सही तरीके से अपना काम नहीं कर पता हैं।
हेपेटाइटिस बी दो तरीके का होता है। पहला एक्यूट हेपेटाइटिस बी (acute Hepatitis B) जिसमें संक्रमण होने के तुरंत बाद व्यक्ति के शरीर पर असर दिखाई देने लग जाएगा और यह कई हफ्तों तक शरीर में बना रहता है। वहीं दूसरा तरफ है क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (chronic Hepatitis B) जिसमें मरीज के शरीर में यह वायरस धीरे-धीरे समय लेते हुए लंबे वक़्त के बाद विकसित होने लगता है। इस स्थिति में लिवर के काफी गंभीर रूप से खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर सही समय से इसकी पहचान और मैनेजमेंट नहीं हो पाया तो मरीज को क्रोनिक हेपेटाइटिस बी, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा और सिरोसिस (Chronic hepatitis B, hepatocellular carcinoma, and cirrhosis) जैसी गंभीर व जानलेवा लिवर से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
जब आपका शरीर की भी बीमारी से ग्रस्त होता है तो वो कुछ लक्षण देकर आपको संकेत देने की कोशिश करता है, ऐसा ही हेपेटाइटिस बी के समय भी होता है। आइए जानते है कुछ अहम लक्षणों के बारे में-
पीलिया- पीलिया जिसे अंग्रेजी में जॉन्डिस (Jaundice) कहा जाता है। यह व्यक्ति के शरीर की त्वचा के साथ-साथ आँखों को का पीला कर देता हैं। ऐसा होना हेपेटाइटिस बी का सबसे आम लक्षण माना जाता है। जब व्यक्ति का लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है तो बिलिरुबिन (bilirubin) का लेवल खून में बढ़ने लगता है। इस वजह से त्वचा और आँखों का रंग पीला पड़ने लग जाता है।
थकान- हेपेटाइटिस बी की समस्या जब शरीर में अपना घर बना रही होती है तब व्यक्ति अपने रोज़ाना वाले काम भी सही से नहीं कर पाता है और जल्दी थक जाता है। उसे हर समय थकान का अनुभव होता है और उसकी शरीरिक ऊर्जा कम होती जाती है।
कमजोरी- कई लोगों को हेपेटाइटिस बी की समस्या के दौरान शरीर में कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
उल्टी और मतली- हेपेटाइटिस बी के मामलों में कुछ व्यक्तियों के अंदर संक्रमण के दौरान उल्टी और मतली जैसा महसूस हो सकता है।
पेट में दर्द- हेपेटाइटिस बी होने के कारण व्यक्ति के लिवर में सूजन होने के कारण पेट दर्द या पेट से जुड़ी अन्य असुविधा हो सकती है।
भूख न लगना- यह बात तो आम है कि अगर कोइस भी व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसकी भूख कम हो जाती है। ऐसा ही हेपेटाइटिस बी के मरीजों में भी देखा गया है कि भूख कम हो गई है या फिर पेट न भरने जैसा अनुभव हो सकता है।
मूत्र का गहरा रंग- जब बीमारी के कारण व्यक्ति का लिवर सही से काम नहीं कर पाता है, तब मूत्र का रंग गहरा लाल या पीला नज़र आ सकता हैं।
दस्त- हेपेटाइटिस बी के मामलों में कुछ लोगों को दस्त होने की शिकायत देखी जा सकती है।
हेपेटाइटिस बी एक गंभीर संक्रमण है। यह वायरस संक्रमित मरीज के शरीर के तरल पदार्थों यानि फ्लुइड्स और लिक्विड के संपर्क में आने की वजह से फैलता है। जानते हैं कि वायरस किन तरीकों से फैल सकता है-
किसी भी वजह के कारण संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस बी होने का खतरा बढ़ जाता है या कहे कि यह वायरस फैल सकता है। ब्लड ट्रांसमिशन यानि संक्रमित सीरिंज या संक्रमित खून चढ़ाए जाने की वजह से भी यह दूसरे लोगों में फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी का वायरस माँ से उसके बच्चे को बहुत ही आसानी से फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी होने का सबसे बड़ा और अहम कारण असुरक्षित मेडिकल उपकरणों का इस्तेमाल करना होता है। संक्रमित सीरिंज या फिर इलाज और सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले, मेडिकल उपकरणों के जरिए भी यह दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी एक बहुत ही गंभीर बीमारी है और इससे बचाव करना आपके सेहत और भविष्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण है-
हेपेटाइटिस बी का वायरस व्यक्ति के लिवर में सूजन के साथ-साथ उसे क्षति भी पहुँचा सकता है। वैसे आप जानते और समझे भी होंगे कि लिवर हमारे शरीर का एक अहम अंग है जो विषैले पदार्थों को हमारे शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। अगर लिवर को नुकसान पहुंचता है तो शरीर को गंभीर समस्याओं का सामना पड़ सकता है।
कुछ मामलों में, हेपेटाइटिस बी का वायरस काफी लम्बे समय तक के लिए शरीर में ठेर जाता है, जिसकी वजह से लिवर सिरोसिस या फिर लिवर का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है जो कि इस स्थिति में जानलेवा हो सकती है।
हेपेटाइटिस बी शरीर के कुछ द्रवों जैसे कि खून, वीर्य (semen), योनिस्राव (vaginal discharge) आदि के जरिए बहुत ही आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। यह संक्रमण माँ से उसके बच्चे में भी फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी से आप बचाव कर सकते हैं। उसके लिए आप टीकाकरण, सुरक्षित यौन संबंध और खून/शरीर द्रव के संपर्क से अपना खुदका बचाव करें।
एक अहम बात अगर आप इस इन्फेक्शन से एक बार इन्फेक्टेड हो गए तो इसका इलाज बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
नियमित ब्लड टेस्ट के जरिए आप हेपेटाइटिस बी के संक्रमण पर निगरानी कर रख सकते हैं।
हेपेटाइटिस बी की समस्या से जूझ रहें इंसान को सही लाइफस्टाइल और एक स्वस्थ हेल्दी डाइट का पालन करना चाहिए। लिवर को सही तरह से काम करने के लिए मदद मिलेगी साथ ही आपकी सेहत भी बेहतर होगी।
धूम्रपान और शराब सेहत के लिए खराब है ही साथ ही यह फेफड़ों और लिवर को बहुत नुकसान पहुँचती है इसलिए इनके सेवन से बचें।
हेपेटाइटिस बी से बचने के लिए वैक्सिनेशन भी लगा सकते हैं। हेपेटाइटिस बी के जोखिम वाले इलाकों में टीकाकरण लगाया भी जाता है जिससे लोग इस वायरस का प्रभाव और जोखिम को कम कर सकें।
कुछ अच्छी और सुरक्षित आदतों को अपना कर आप हेपेटाइटिस बी के संक्रमण रोक सकते हैं। उन आदतों में शामिल है इस्तेमाल की गई सीरिंज को दोबार इस्तेयमल न करें, यौन संबंध जे लिए कंडोम का इस्तेयमल करें आदि। यह सब आदतें आपको वायरस से बचाती है साथ ही यह सब आपको वायरस को फैलने से रोकने में ब मदद करती है।
हेपेटाइटिस बी वायरस की पहचान करने के लिए हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट (HBsAg- Hepatitis B Surface Antigen) किया जाता है। अगर इसमें HBsAg सकारात्मक आता है, तो यह सबसे बड़ा संकेत है कि व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी है।
हेपेटाइटिस बी ई एंटीजन टेस्ट (HBeAg-Hepatitis B Antigen) इस टेस्ट की मदद से वायरस की एक्टिविटी का पता लगाया जा सकता है। अगर इसमें HBeAg की उपस्थिति दिखाई देती है तो यह वायरस कीअत्यधिक सक्रिय होने का संकेत है जिसका मतलब है कि व्यक्ति हेपेटाइटिस बी वायरस से इन्फेक्टेड है।
हेपेटाइटिस बी कोर एंटीबॉडी टेस्ट (HBcAb- Hepatitis B Core Antibody) इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि व्यक्ति को कभी पहले हेपेटाइटिस बी की बीमारी हुई है या नहीं।
हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी टेस्ट (HBsAb- Hepatitis B surface antibody) यह टेस्ट व्यक्ति के हेपेटाइटिस बी वैक्सीन से प्रतिरक्षित (immune) के बारे में बताता है कि यह अभी काम कर रही है या नहीं।
हेपेटाइटिस बी वायरल लोड टेस्ट (Hepatitis B Viral Load) टेस्ट, व्यक्ति मदद करता है यह जानने में कि शरीर में वायरस की मात्रा कितनी है। इस टेस्ट से वायरस की मात्रा की जांच की जाती है। साथ ही यह भी पता लगता है कि लिवर कितना क्षतिग्रस्त है।
हेपेटाइटिस बी की बीमारी का पता लगने के लिए एक से ज्यादा टेस्ट किए जाते हैं जिसमें शामिल है खून की जांच। इसके सिवा, डॉक्टर लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड या फिर बायोप्सी जसे टेस्ट की सलाह भी देते हैं हेपेटाइटिस बी की बीमारी का पता चल सकें।
अगर आपको लगता है कि आपको हेपेटाइटिस बी की समस्या है तो आज ही mediyaar से अपने लिए हेपेटाइटिस बी टेस्ट बुक कीजिए।
हेपेटाइटिस बी टेस्ट के रिजल्ट्स को समझते हैं-
- इसका सकारात्मक होना बताता है कि इंसान में हेपेटाइटिस बी वायरस मौजदू है।
- अगर HBeAg भी सकारात्मक है तो यह एक बड़ा संकेत है कि वायरस ज्यादा एक्टिव है।
- इस स्थिति में व्यक्ति पहले हेपेटाइटिस बी के वायरस से इन्फेक्ट रहा होगा, लेकिन अब संक्रमण ठीक हो गया है।
- HBsAb सकारात्मक होना यह बताता है कि व्यक्ति अब संक्रमण से से सुरक्षित है।
- इस स्थिति का मतलब है कि व्यक्ति कभी भी हेपेटाइटिस बी का संक्रमण नहीं हुआ और न ही कभी टीका लगवाया है।
- इस अवस्था वाले लोग हेपेटाइटिस बी के लिए संवेदनशील होते हैं।
-वायरल लोड उच्च होना संकेत देता है कि वायरस बहुत ही ज्यादा एक्टिव है और यह लिवर को ज्यादा क्षति पहुंचा सकता है।
- यदि व्यक्ति का लिवर एंजाइम लेवल अधिक है, तो यह लिवर क्षति का बहुत ही बड़ा संकेत है।
हेपेटाइटिस बी एक गंभीर बीमारी है और आप इसका सही समय पर इलाज करवाकर, इस बीमारी से अपना बचाव कर सकते हैं। लक्षणों पर ध्यान दें और अपनी समस्या के बारे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।