डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है कि आप समझ नहीं सकते हैं कि सामने वाला इंसान इस समस्या से जूझ रहा है या नहीं. सुबह ही सब अपने-अपने कामों में लग जाते हैं चाहे वो बच्चा हो या कोई बड़ा। बच्चो को को होमवर्क और क्लास में अच्छा पर्फोम करने की टेंशन होती है या प्रेशर होता है वही ऑफिस में टारगेट पूर करने का प्रेशर होता है। सभी अपनी अपनी ज़िन्दगी में स्ट्रेस भरी दिनचर्या में लगातार बेहतर काम करने की कोशिश्स में लगे हुए, लेकिन कई बार यह व्यक्ति का मानसिक शांति को खत्म करने लग जाता है और इस पर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता हैं।
वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि मानसिक शांति पर ध्यान न दे पाना डिप्रेशन की एक वजह बन सकती है. आपकी जानकरी के लिए बता दें शरीर में होने वाले बहुत से बदलाव भी पुरुषों में डिप्रेशन का एक अहम और बड़ा कारण बन सकते हैं। जहां महिलाओं में हार्मोनल बदलावों के कारण डिप्रेशन की स्थिति पर चर्चा अधिक होती है, वहीं पुरुषों में यह विषय अक्सर लोगों द्वारा नजरअंदाज हो जाता है या फिर कर दिया जाता है।
मगर सच्चाई तो यह है कि पुरुषों के शरीर में भी कई तरह के हार्मोन मौजूद होते हैं, जिनका संतुलन बिगड़ने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर एक गहरा असर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। फिलहाल, इस ब्लॉग के ज़रिए पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन कैसे डिप्रेशन की वजह व कारण बन सकता है, इसके क्या लक्षण नज़र आ सकते हैं और इससे बचाव के लिए क्या उपाय करे जा सकते हैं आदि विषयों पर चर्चा करेंगे।
जैसा आप जानते हैं कि विटामिन और मिनरल्स हमारे शरीर में हार्मोन्स की मुख्य भूमिका निभाते हैं। हार्मोन्स शरीर के अंदर कैमिकल्स मैसेंजर की तरह का काम किया करते हैं। यह व्यक्ति की एनर्जी लेवल, मूड स्विंग्स को कण्ट्रोल करने, पाचन क्रिया को अच्छा बनाने और मानसिक स्थिति को बैलेंस करने में मददगार हैं। लेकिन, अनियमित खानपान और अस्वस्थ व अनहेल्दी डाइट या लाइफस्टाइल की वजह से हार्मोनल बदलाव हो सकता है। आइए जानते हैं हार्मोनल बदलाव या हार्मोनल असंतुलन के कुछ सामान्य कारणों के बारे में:-
टेस्टोस्टेरोन सेरोटोनिन और डोपामाइन आदि जैसे हैप्पी हार्मोन्स के उत्पादन को बेहतर करने का काम करते हैं, जो कि व्यक्ति में डिप्रेशन की समस्या को पैदा होने से रोकते हैं या को कम करने में मदद करते हैं। जब, शरीर में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने लगती है तब थकान, उदासीनता और एकाग्रता की कमी होना शुरू हो जाती है, जो कि डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ाने लग जाता है।
अगर आप पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की भूमिका समझना चाहते हैं, तो पढ़ें – Testosterone Hormone कैसे बढ़ाएं?
कोर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन के नाम से जाना जाता है और जब यह शरीर में अधिक मात्रा में होने लगता है तब कोर्टिसोल ब्रेन के न्यूरॉन्स को प्रभावित करना शुरू कर देता है, जिस वजह से डिप्रेशन होने की संभावना बढ़ने लग जाती है।
कई स्टडी से यह बात सामने आई है कि थायरॉयड हार्मोन की अधिकता और कमी, दोनों ही मामलो में ही डिप्रेशन सहित मूड स्विंग्स की एक अहम वजह बन सकता हैं। वहीं, हाइपोथायरायडिज्म जिसमें थायरॉयड की कमी होने लगती है जो कि मुख्य रूप से पुरुषों में थकान और डिप्रेशन आदि जैसे लक्षणों को पैदा करने की वजह बन सकता है।
सेरोटोनिन और डोपामिन दोनों ही हमारे शरीर में ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करते हैं, लेकिन इनके लेवल में जब कमी होने लगती है तब हार्मोनल असंतुलन की वजह पैदा हो सकती हैं. जिस कारण एक व्यक्ति में निराशा और उदासी नज़र आ सकती है।
तनाव से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें – मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानें।
अगर किसी भी पुरुष में हार्मोनल असंतुलन हो रहे हैं तो यह डिप्रेशन की एक वजह बन सकता है, तो उसके लक्षण बाकि अन्य लोगों क लक्षण से भिन्न हो सकते हैं यानी सामान्य डिप्रेशन से थोड़े अलग नज़र आ सकते हैं। इसमें लगातार पुरुष उदासी या चिड़चिड़ापन महसूस कर सकता है. बेवजह गुस्सा करना, काम में करने का मन न होना, आत्मविश्वास की कमी महसूस करना, थकान और ऊर्जा की कमी को महसूस करना, नींद में अनियमितता आ जाना, एकाग्रता की कमी होना जैसे आदि लक्षण नज़र आ सकते हैं।
डिप्रेशन से जुड़ी जानकारी के लिए अंग्रेजी में पढ़ें – The Importance of Mental Health in India.
जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो शरीर में कोर्टिसोल हर्मोन का उत्पादन बढ़ने लग जाता है। जितना ज्यादा कोर्टिसोल लेवल व्यक्ति उतना ही प्रेषण और उदास नज़र आएगा क्योंकि यह शरीर में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम करबे लग जाता है, जिससे पुरुषों में थकान, कम ऊर्जा और यौन इच्छा की कमी देखने को मिलती है।
लंबे समय तक तनाव में रहने से पुरुषों में शुक्राणु उत्पादन और क्वालिटी पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है, जिस वजह से प्रजनन से जुड़ी समस्याएं यानी फर्टिलिटी प्रॉब्लम्स होना शुरू हो सकती है।
टेस्टोस्टेरोन की कमी होने से मांसपेशियों की ताकत भी कम होने लग जाती है और शरीर में मोटापा बढ़ने लग जाता है।
पुरुषों में एचआईवी के लक्षण और मानसिक प्रभाव को जानने के लिए पढ़ें – HIV Symptoms in Men in Hindi.
किसी भी बीमारी या स्थिति के बारे में जानने के लिए सबसे पहले डॉक्टर मिलें फिर वह कुछ जांच के लिए ब्लड टेस्ट और अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। टेस्टोस्टेरोन, थायरॉयड, और कोर्टिसोल लेवल आदि जांच की राय दी जा सकती है।
अगर टेस्टोस्टेरोन लेवल बहुत कम आता है, तो डॉक्टर व्यक्ति को टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के बारे में अपना सुझाव दे सकते हैं।
इसके सिवा, लाइफस्टाइल में बदलाव करने के बारे में बता सकता हैं. योग, मेडिटेशन और गहरी सांस लेने वाली कुछ अभ्यास व एक्सरसाइज करने के लिए सलाह दी जा सकती है। ऐसा करने से कार्टिसोल लेवल सामान्य होने लग जाता है।
अपनी डाइट में प्रोटीन का सेवन बढ़ा सकते हैं. स्वस्थ फैट्स, फल और सब्जियों का सेवन करना शुरू क्र दें यह सब हार्मोन बैलेंस करने में सहायक रहते हैं।
प्रतिदिन पर्याप्त और अछि नींद लेना शुरु कर दें। ऐसा करने से भी हार्मोन को संतुलित करने एमिन मदद मिलती है।
Free Testosterone की जांच क्यों जरूरी है? अंग्रेजी में जानें – Free Testosterone Blood Test and How it Affects India.
आप रोज़ 10 से 15 मिनट का ध्यान करते हैं तो तनाव हार्मोन यानी कोर्टिसोल को कम कर सकते हैं। गहरी सांस लेने वाली कुछ एक्सरसाइज और योग की मदद से शरीर को शांत रखने मिएँ मदद मिलती है और तनाव को कम किया जा सकता है।
आप एरोबिक और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज से टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ाने में मदद मिलती है। थकान और मानसिक स्वास्थ्य पर असर के लिए अंग्रेजी में पढ़ें – A Complete Overview of Fatigue and its Effect in Indians.
जिंक और मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में मदद मिलती हैं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फूड्स का सेवन करने से भी हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है, इसके लिए आप फल और सब्जियों का सेवन कर सकते हैं. प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें, जंक फूड और हाई शुगर वाली चीजों का सेवन कम करें क्योंकि यह कोर्टिसोल को बढ़ाने का काम करती हैं।
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हर व्यक्ति को रात के समय में कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी और अच्छी नींद लेनी चाहिए, जिससे टेस्टोस्टेरोन लेवल को बनाए रखने में मदद मिलेगी। सोने से पहले अपना स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करें साथ ही एक नियमित समय पर सोने का शेड्यूल तय करें।
ज्यादा कैफीन और शराब का सेवन शरीर में कोर्टिसोल बढ़ाने लग सकता हैं और टेस्टोस्टेरोन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैं। इनका सेवन सीमित या कम से कम ही करें।
पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर डालने वाले कारण जानिए अंग्रेजी में – Male Infertility.
हालांकि अवसाद के कई मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारण हो सकते हैं, लेकिन हार्मोनल असंतुलन भी इसमें अहम भूमिका निभा सकता है और अवसाद को बढ़ा सकता है या उसका कारण बन सकता है। पुरुषों को इन हार्मोनल प्रभावों को पहचानना चाहिए और अवसाद के लक्षणों का अनुभव होने पर उचित सहायता और उपचार लेना चाहिए।
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