आज के समय में भिन्न बीमारी आए दिन पैदा हो रही है जिसको जानने के लिए चिकित्सा विज्ञान में तेजी से विकास होने लगा है। नए-नए टेस्ट और तकनीक का विकास करते हुए, रोगों की पहचान में करने में मदद कर रहें हैं। इन परीक्षणों में से एक ट्रोपोनिन आई टेस्ट है, जो कि दिल से संबंधित समस्याओं की जांच करने में मदद करता है।
हमारे शरीर में ट्रोपोनिन मौजूद होता है जो कि एक तरह का प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन हमारे दिल की मांसपेशियों की कार्यक्षमता की देख-रेख करने में सहायता करता है। आपकी जानकरी के लिए बता दें कि ट्रोपोनिन दो प्रकार के होते हैं, पहला ट्रोपोनिन आई और दूसरा ट्रोपोनिन टी। ट्रोपोनिन आई टेस्ट खासतौर दिल में चल रही किसी गड़बड़ी, की चोट या फिर क्षति की जाँच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट दिल की कंडीशन जिसमें शामिल है हार्ट अटैक, छाती में दर्द आदि के लिए जल्दी टेस्ट में मददगार है।
हार्ट हेल्थ के लिए कौन से ब्लड टेस्ट ज़रूरी हैं, यह अंग्रेज़ी में जानिए Blood Tests That Are Required For Heart-Related Conditions
ट्रोपोनिन आई टेस्ट का मुख्य उद्देश्य तो दिल से जुड़ी समस्याओं के बारे में पता करने का होता है। हार्ट अटैक या दिल की धड़कन में किसी तरह की तकलीफ आदि जैसी समस्याओं के बारे में यह टेस्ट मदद करता है। जब दिल की मांसपेशियों किसी भी प्रकार कोई कोई क्षति होती है, तो ट्रोपोनिन आई प्रोटीन रिलीज होने लग जाता है और धीरे-धीरे इसका लेवल बढ़ने लग जाता है। ट्रोपोनिन आई लेवल में बढ़ोतरी होने का संकेत है कि दिल में कोई समस्या पैदा हो सकती है और दिल की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।
डायबिटीज़ और हार्ट हेल्थ की निगरानी के लिए HbA1c टेस्ट करवाना फायदेमंद है।
जैसे आप समझ गए हिंगे कि ट्रोपोनिन आई टेस्ट का मुख्य उद्देश्य दिल से जुड़ी समस्याओं की जांच करना है। ट्रोपोनिन आई टेस्ट करवाने के पीछे कुछ कारण मौजूद होते हैं उसमें सबसे अहम है कि किसी व्यक्ति के दिल में किसी प्रकार की कोई असमानता हो रही है या नहीं। इसके सिवा, अन्य कारणों के बारे में जान लेते हैं:-
इस टेस्ट की मदद से हार्ट अटैक - मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (Myocardial Infarction) की पहचान करने में मदद मिलती है। हार्ट अटैक समय दिल की मांसपेशियां डैमेज होती है और इस वजह से ट्रोपोनिन आई प्रोटीन खून में बढ़ जाता है। इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि ट्रोपोनिन आई प्रोटीन की मात्रा खून में कितनी मौजूद है। अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हो रहे हों, तो जानिए हार्ट अटैक से जुड़ी बातें।
दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने में समस्या से होती है, जिस कारण दर्द या तकलीफ होना शुरू हो जाती है।
ट्रोपोनिन टेस्ट की मदद से दूसरे हार्ट से जुड़ी परेशानियां की पहचान की जा सकती है। अस्थमा, रसोलेप्टिक घाव (rheumatic lesions), दिल में संकुचन, दिल की बड़ी नसों में किसी तरह की ख़राबी आना आदि, जैसी समस्याओं के बारे में ट्रोपोनिन टेस्ट पहचान करने में मदद कर सकता है। ट्रोपोनिन टेस्ट के साथ-साथ हार्ट से जुड़ी सूजन का मूल्यांकन करने के लिए जानिए CRP Test के बारे में विस्तार से।
शारीरिक या मानसिक स्ट्रेस के कारण भी दिल में दिक्कतें आ सकती है। जिसकी पहचान करने के लिए ट्रोपोनिन टेस्ट का सहारा लिया जा सकता है।
दिल से जुड़ी सर्जरी के बाद, ट्रोपोनिन टेस्ट सर्जरी के रिजल्ट्स की पहचान करने के लिए डॉक्टर द्वारा करवाया जा सकता है।
लंबे समय तकदिल का स्वास्थ्य को मॉनिटरिंग के लिए ट्रोपोनिन टेस्ट किया जा सकता है। ट्रोपोनिन टेस्ट खासतौर उन लोगों के लिए किया जाता है जिनमें रिस्क फैक्टर्स होते हैं।
जब किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य जांच में दिल से जुड़ी समस्याओं की संभावना दिखाई देनें लगती है, तब डॉक्टर ट्रोपोनिन आई टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। ट्रोपोनिन टेस्ट इसलिए भी किया जा सकता है, ताकि किसी भी तरह दिल से जुड़ी समस्या का संकेत मिलता है, तो सही समय पर इलाज से समस्या को गंभीर होने से रोका सकें।
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इस टेस्ट को करने से पहले डॉक्टर मरीज को कुछ घंटे तक भोजन न करने की सलाह देते हैं, जिससे टेस्ट के परिणाम पर किसी भी प्रकार का कोई असर न पड़े। व्यक्ति को ट्रोपोनिन टेस्ट करवाने से पहले 8 से 12 घंटे तक भूखा रहना ज़रूरी है, जिससे टेस्ट सटीक परिणाम दे और टेस्ट की सटीकता भी बढ़ सके। अगर टेस्ट से पहले कोई दवाई ली जा रही है तो उस पर किसी भी प्रकार का कोई रोक नहीं है।
हार्ट डिज़ीज़ से बचाव के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाना उपयोगी है।
सबसे पहले डॉक्टर एक छोटी सी सुई की मदद से व्यक्ति की बांह की नस से थोड़ा सा खून का सैंपल कलेक्ट कर लेते हैं। सही परिणाम पाने के लिए लक्षण दिखाई देने पर, तीन से छह घंटे के भीतर में खून का सैंपल कलेक्ट कर ले लेना चाहिए।
सैंपल अलग-अलग समय के अंतराल पर लिया जाता है, जिससे ट्रोपोनिन के बढ़ते और घटते लेवल का सही से पता लगाया जा सकें।
ब्लड सैंपल की जांच लैब में खास मशीनों का इस्तेमाल करते हुए होती है। डॉक्टर ब्लड में ट्रोपोनिन आई के प्रोटीन की मात्रा का पता लगाते हैं।
जब जाँच पूरी हो जाती है रिजल्ट का इंतजार किया है। जब रिजल्ट आता है उसमें डॉक्टर को ट्रोपोनिन आई की मात्रा के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। फिर डॉक्टर को मरीज की हेल्थ कंडीशन के बारे मरीज और उसकी परिवार से जानकारी साझा करते हुए, सही इलाज़ के बारे में बताता है।
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निर्देशित रेंज 0.0 ng/mL से 0.04 ng/mL या उससे कम हो सकती है। सक्रिय रेंज में 0.04 ng/mL से 0.40 ng/mL या उससे कम हो सकती है। यह टेस्ट किसी भी दिल से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर पांच से छह घंटे में फिर से किया जाता है।
0।05 से 0।49 ng/mL होने पर भविष्य में दिल से जुड़ी समस्या का खतरा बन जाता है। यह ध्यान देना वाली बात है कि लैब की रेंज थोड़ी सी अलग-अलग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से अपनी रिपोर्ट चेक करवाएं जिससे उनके लैब की रेकमेंडेड रेंज क्या है और टेस्ट के परिणाम कैसे सहसंबद्ध हो रहे हैं।
साथ ही इस बात का भी ध्यान दें कि टेस्ट के रिजल्ट्स को डॉक्टर से सही ढंग से समझें, जिससे आप अपनी स्थिति को सही तरके से समझ सकें।
ट्रोपोनिन आई टेस्ट दिल से जुड़ी परेशानियों को पहचानने में तो मदद करता है और यह एक जरूरी टेस्ट साबित हुआ है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर दिल के स्वास्थ्य की जांच करके, सही इलाज़ का चयन कर पाते हैं। अगर सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या फिर ऊपरी शरीर में दर्द रहना आदि जैसी समस्याओं का सामना कर रहें हैं, तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लेते हुए इस टेस्ट को करवा लेना चाहिए। इस टेस्ट की मदद से आपको समय रहते ही सही इलाज सही समय से शुरू हो पाएगा।
हार्ट की जांच में ECG टेस्ट भी बहुत अहम माना जाता है।
ट्रोपोनिन आई के प्रोटीन की मात्रा का पता लगने के ट्रोपोनिन आई टेस्ट किया जाता है, जिससे दिल का स्वास्थ्य कैसा है उसके बारे में जानकारी पा सकें। यह टेस्ट डॉक्टर को मरीज की दिल से जुड़ी स्थिति की जानकारी देते हुए, इलाज का चयन करने में मदद करता है। इस तरह से ट्रोपोनिन टेस्ट से जुडी परेशानियों की जाँच की जाती है।
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