Thursday, August 07 ,2025

Albumin test in Hindi: कब और क्यों कराना चाहिए एल्बुमिन टेस्ट?


albumin test in hindi

शरीर में एल्बुमिन नाम का प्रोटीन मौजूद होता है जो कि शरीर की सही कार्यप्रणाली के ल‍िए जरूरी माना गया है।  यह शरीर के द्रव के संतुलन को बनाए रखने मदद करता है। जब शरीर में सेल्‍स का व‍िकास और ट‍िशू डैमेज होने की स्‍थ‍ित‍ि होती है तब एल्बुमिन प्रोटीन सहायक होता है। अगर किसी भी व्यक्ति को ल‍िवर और क‍िडनी की बीमारी होती है, तो कई एल्बुमिन टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है। एल्बुमिन टेस्ट एक तरह का ब्‍लड टेस्‍ट ही है, जिसमें मरीज का ब्‍लड सैंपल लेना जरूरी है। जब किसी व्यक्ति का क‍िडनी या ल‍िवर सही तरीके से अपना काम करने में असफल होता है या दिक्कतें आने लगती है तब एल्बुमिन लेवल में उतार-चढ़ाव होने लग जाता है। इन समस्याओं का इलाज करने के ल‍िए डॉक्‍टर मरीज को एल्बुमिन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। आइए जानते और समझते है कि  एल्बुमिन टेस्ट क्या है, व्यक्ति के लिए क्यों ज़रूरी है और इससे जुड़ी ज़रूरी जानकारी। 

एल्ब्यूमिन टेस्ट क्या है ?

एल्ब्यूमिन हमारे शरीर में मौजूद एक ज़रूरी प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन लिवर द्वारा बनाता है और यह हमारे खून में मौजूद होता है। एल्ब्यूमिन शरीर में मौजूद तरल यानी फ्लूइड का संतुलन बनाए रखने का काम करने में मदद करता है। शरीर में एल्ब्यूमिन का लेवल मापने के लिए एक ख़ास तरह का ब्लड टेस्ट होता है जिसको एल्ब्यूमिन टेस्ट कहते हैं।

इस टेस्ट के रिजल्ट से यह पता गया जा सकता है कि शरीर में एल्ब्यूमिन का लेवल क्या है, नार्मल है या नहीं। हाइपोएल्ब्युमिनेमिया यानी कम एल्ब्यूमिन होने पर , लिवर की बीमारी, किडनी की बीमारी, कुपोषण या फिर प्रोटीन की कमी आदि की समस्या का संकेत देता हैं। वहीं, हाइपरएल्ब्युमिनेमिया यानी हाई एल्ब्यूमिन होने पर, शरीर में पानी की कमी होना, मल्टीपल माइलोमा या कुछ अन्य दूसरी स्थितियों का संकेत देता है। एल्ब्यूमिन टेस्ट की व्याख्या अन्य टेस्ट के परिणामों के साथ की जानी चाहिए क्योंकि एल्ब्यूमिन लेवल कई कारकों से प्रभावित होता है। एल्ब्यूमिन टेस्ट अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने में एक ज़रूरी भूमिका निभाता है।

एल्बुमिन की तरह ही RFT Test, भी किडनी और लिवर की जांच के लिए जरूरी है।

एल्ब्यूमिन टेस्ट ज़रूरी क्यों है?

हमारे शरीर के फ्लूइड का संतुलन बनाए रखने के लिए एल्ब्यूमिन टेस्ट की ज़रुरत पड़ती है। इसके सिवा और किन चीजों में एल्ब्यूमिन टेस्ट किया जा सकता है:- 

  • एल्ब्यूमिन टेस्ट हमारे लिवर के कार्य की जाँच करने में मदद  करता है कि यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं। लिवर ही एल्ब्यूमिन का निर्माण करता है, इसलिए अगर एल्ब्यूमिन लेवल कम होता है तो इसका अर्थ कि हमारा लिवर ठीक से काम नहीं कर पा रहा है।

  • एल्ब्यूमिन टेस्ट की मदद से यह पता चलता है कि किडनी अपना काम करने में समर्थ है या नहीं या यह भी कह सकते हैं कि किडनी सही तरीके से काम कर पा रही है या नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि किडनी ही एल्ब्यूमिन को शरीर से बाहर निकालती हैं। अगर किडनी सही तरह से काम नहीं कर पा रही है तो इस वजह से एल्ब्यूमिन के लेवल में बदलाव नज़र आ सकता है। 

  • एल्ब्यूमिन टेस्ट के द्वारा हमारे शरीर में प्रोटीन लेवल का पता लगाया जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि जब हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी होगी या फिर कुपोषितता के बारे में पता चल सकता है।

  • कुछ बीमारियों में भी इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि कैंसर में भी एल्ब्यूमिन का लेवल बदलता है तो इस टेस्ट से ऐसी बीमारियों के बारे में और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

  • कुछ मामलों में जब मरीजों को दवाईयाँ दी जाती हैं, तब एल्ब्यूमिन टेस्ट की मदद से यह पता चल सकता है कि उन दवाइयों का कितना असर हो रहा है जिससे उपचार में किसी परिवर्तन की ज़रुरत है या नहीं।

लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए अंग्रेजी में पढ़ें – Importance of SGOT and SGPT Tests for Liver Health.

एल्ब्यूमिन टेस्ट करने की प्रक्रिया 

जैसा आपको बताया कि एल्ब्यूमिन टेस्ट एक ब्लड टेस्ट ही होता है लेकिन खून का सैंपल लेने की प्रक्रिया को अच्छे से समझने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स के बारे में जाने :- 

खून का नमूना लेना

डॉक्टर या नर्स मरीज के हाथ या बाजु में से खून का नमूना एकत्र करेंगे और फिर उस सैंपल को एक टेस्ट ट्यूब में स्टोर करेंगे।

नमूने का प्रोसेसिंग

कलेक्ट किया गया ब्लड सैंपल को लैब में भेजा दिया जाता है।  जहां पर सैंपल को ख़ास तरीके से प्रोसेस किया जाएगा। यह प्रोसेसिंग खून को जमने से रोकती है ताकि उसमें एल्ब्यूमिन के लेवल को सही से मापा जा पाए।

विश्लेषण

खून के नमूने में एल्ब्यूमिन के लेवल के बारे में पता लगाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। सबसे आसान और आम तरीका कलरीमेट्रिक विश्लेषण होता है, जिसमें कुछ रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा एल्ब्यूमिन की मात्रा का पता लगाया जाता है।

रिपोर्टिंग

विश्लेषण के बाद, एल्ब्यूमिन का लेवल को रिपोर्ट करते हैं। एल्ब्यूमिन का नार्मल लेवल रेंज 3.4 से 5.4 ग्राम/डेसीलीटर के बीच का होता है। वही कम या ज्यादा लेवल होने पर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है।

कुछ अन्य परिस्थितियों में, एल्ब्यूमिन को मूत्र या फिर दूसरी शरीर द्रवों द्वारा भी मापा जा सकता है यानी पता लगाया जा सकता है। लेकिन खून की जाँच सबसे आम और सटीक तरीका माना गया है। एल्ब्यूमिन टेस्ट एक आसान और सुरक्षित तरीका भी है जो शरीर की कई ज़रूरी जानकारियां प्रदान करने में मददगार हैं।

लिवर हेल्थ के संकेतों को समझने के लिए पढ़ें – fatty liver symptoms in hindi.

एल्ब्यूमिन लेवल को मैनेज कैसे करें? 

एल्ब्यूमिन के लेवल को नार्मल रखने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है जिससे एल्ब्यूमिन न कम हो न बढ़े:- 

संतुलित आहार लें 

अपने एल्ब्यूमिन लवेल को मेन्टेन करने के लिए प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करें. आप मांस,अंडे,दाल, सोयाबीन आदि जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें। यह शरीर में एल्ब्यूमिन के निर्माण में मदद करेंगे साथ ही पौष्टिक आहार होने से शरीर से कुपोषणता खत्म होने लगेगी या उससे बचाव होगा।

पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करें

पानी,जूस और अन्य तरल चीज़ो को अपनी डाइट में जोड़े ताकि शरीर में कभी पानी की कमी न हो. शरीर में पानी की कनी के कारण एल्ब्यूमिन लेवल पर बुरा असर पड़ता है।

शराब और तंबाकू से बचें 

लिवर और किडनी पर शराब और तंबाकू के करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो कि शरीर के एल्ब्यूमिन लेवल को प्रभावित कर सकता है।

वजन नियंत्रित रखें 

बढ़ता वजन या मोटापा लिवर और किडनी पर ज्यादा दबाव डालने लगता है जिससे लिवर और किडनी को क्षति पहुँच सकती है जीसी इनसे जोड़े रोग होने कि संभावना बढ़ जाती है.  इस वजह से एल्ब्यूमिन लेवल पर बुरा असर पड़ सकता है ।

नियमित व्यायाम करें 

व्यायाम करने से बहुत से रोगों को दूर रखा जाता है इसलिए अगर व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होगी. व्यायाम करने से एल्ब्यूमिन लवेल को बढ़ाने में मदद भी मिलेगी। अगर थकान लगातार बनी रहती है, तो A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians अंग्रेजी में जरूर पढ़ें।

संक्रमणों से बचें 

किसी भी तरह के संक्रमण के कारण लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचता हैं इसलिए खुदको संक्रमण से बचाए। अगर आपको बार-बार बुखार होता है, तो An Overview of Fever and its effects in the body अंग्रेजी में जरूर पढ़ें।

दवाइयों का सावधानीपूर्वक उपयोग करें

कुछ दवाइयां लिवर और किडनी की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए डॉक्टर के परामर्श के बिना किसी भी दवाई का लंबे समय तक इस्तेमाल न करें।

एल्ब्यूमिन टेस्ट शरीर की कई ज़रूरी जानकारियां देने में मदद करता है। किडनी की समस्या और कुपोषण की स्थिति के बारे में भी एल्ब्यूमिन टेस्ट के ज़रिए पता लगाया जा सकता है। संतुलित आहार, पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन, व्यायाम करना और संक्रमणों से बचाव करने से भी व्यक्ति अपने एल्ब्यूमिन के सामान्य लेवल को बनाए रखा  सकता है। एल्ब्यूमिन का असामान्य लेवल होना गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, इसलिए इसे गंभीरता लें और डॉक्टरों के मार्गदर्शन में अपनी समस्या का इलाज़ करवाएं।

Ferritin भी एक जरूरी ब्लड टेस्ट है – Ferritin test in Hindi से इसके बारे में जानें।

नोट : 

अगर व्यक्ति के एल्ब्यूमिन लेवल में किसी भी प्रकार की कोई समस्या आती है, तो जल्द-से-जल्द डॉक्टर से मिलें और उनके निर्देशों का पालन करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप एल्बुमिन के स्तर को सामान्य बनाए रख सकते हैं। एल्बुमिन की तरह BUN Test भी शरीर की मेटाबॉलिक एक्टिविटी से जुड़ा है।

मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।