आरएफटी टेस्ट (RFT) किडनी के काम करने की क्षमता के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है। यह किडनी के खून में से खराब चीजों को निकालकर, यूरिन को प्रोड्यूस करता है। इस टेस्ट की मदद से डायबिटीज की बीमारी के प्रभाव के बारे में जानना जा सकता है।
आरएफटी टेस्ट यानी रीनल फंक्शन टेस्ट। व्यक्ति की किडनी फंक्शन्स की जांच करने के लिए यह एक अच्छा टेस्ट होता है। शरीर के पेट के पीछे स्थित अंग किडनी होती हैं जो राजमा की आकार में होती हैं। यह खून से विषाक्त पोषक तत्व को छानने और यूरिन में उन्हें निकालने का काम करती हैं। आरएफटी टेस्ट की मदद से यह देखा जाता है कि हमारी किडनी काम कैसे कर रही है।
यह टेस्ट किडनी से जुड़ी कई समस्याओं की मौजूदगी की पहचान करने में मदद कर सकता है। किडनी से जुड़ी समस्याओं के बारे में जाने तो ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis), रीनल आर्टरी स्टेनोसिस (renal artery stenosis) और नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic syndrome) आदि शामिल है। आमतौर पर यह टेस्ट किया जाता है जिनको हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, किडनी की बीमारी या फिर एनीमिया की समस्या होती है। इस टेस्ट की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई दवाई किडनी पर कितना असर डाल रही है और उसको कितना प्रभावित कर रही है। यह कई किडनी की बीमारियों जिसमें क्रोनिक किडनी रोग के इलाज में मदद के लिए भी इस्तेमाल की जाती है।
CBC टेस्ट भी शरीर की सामान्य स्थिति जानने के लिए जरूरी होता है।
थकान या ऊर्जा की कमी (अगर बार-बार थकावट महसूस होती है तो अंग्रेजी में Fatigue in Indians ज़रूर पढ़ें।)
कंसंट्रेशन की कमी (lack of concentration)
अच्छी नींद ना ले पाना
खुजली और सूखी त्वचा होना
बार-बार पेशाब आने दिक्कत
यूरिन में खून आना (यूरिया और क्रिएटिनिन के अलावा BUN टेस्ट भी किडनी जांच में अहम है।)
आँखों के आसपास लगातार सूजन बने रहना
पैरों और टखनों में सूजन आना
भूख न लगना
मांसपेशियों में जकड़न होना
किडनी के साथ दिल की जांच जरूरी है अंग्रेजी में पढ़ें Heart Diseases in India
विभिन्न लैब के अनुसार किडनी फंक्शन्स के पैनल में भिन्न टेस्ट शामिल हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यह कुछ टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती हैं:-
क्रिएटिनिन एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है जो कि व्यक्ति के शरीर में मांसपेशियों की नॉर्मल एक्टिविटी की वजह से बनता है। बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन लेवल का अर्थ है कि व्यक्ति की किडनी सही ढंग से काम करने में असमर्थ है।
यह खून में यूरिया की मात्रा के बारे में पता लगाने में मदद करता है। यूरिया शरीर में प्रोटीन के टूटने के कारण बनता है, जिसको यूरिया नाइट्रोजन भी कहते हैं। यह किडनी से निकाले गए एक विषाक्त पोषक तत्व है। इसका बढ़ा हुआ होना किडनी के अधिक डैमेज होने के का संकेत देता है।
लिवर में एक प्रकार का प्रोटीन पैदा होता है जिससे एल्बुमिन कहा जाता है। स्वस्थ किडनी यूरिन में एल्बुमिन को निकलने नहीं देती हैं। यूरिन में कम एल्बुमिन होने का अर्थ है कि किडनी अच्छी और सही तरह से काम कर रही हैं।
कैल्शियम हमारी हड्डियों, दांतों, मांसपेशियों, दिल और नसों के लिए बहुत ही ज़रूरी मिनरल होता है। कैल्शियम कम हो या ज्यादा, दोनों ही कंडीशन पर व्यक्ति को ध्यान देने की आवश्यकता होती है। यह दिल, नर्वस और मसल्स को प्रॉपर फंक्शनिंग करने में मदद करता है।
शरीर में पानी संतुलन बनाए रखने वाला एक इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) सोडियम है। शरीर में सोडियम का निम्न स्तर पानी की कमी का संकेत देता है और किडनी से जुड़ी बीमारी का कारण भी हो सकता है।
सोडियम की तरह यह भी एक इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) होता है जो कि शरीर में स्वस्थ वाटर बैलेंस और एसिड-बेस बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है।
यह इलेक्ट्रोलाइट शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने के लिए अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ मिलकर काम करता है।
यह खनिज हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों में मौजूद होता है। फॉस्फोरस किडनी द्वारा उत्सर्जित होता है। फॉस्फोरस का हाई लेवल किडनी की बीमारी का कारण बन सकता है।
अगर लिवर से जुड़ी जानकारी चाहिए तो अंग्रेजी में SGOT and SGPT Test के बारे में ज़रूर पढ़ें।
आरएफटी टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। मगर कुछ परिस्थितियों में, मरीज को कुछ सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करना ज़रूरी होता है:-
अगर मरीज कोई दवाई या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो उनको डॉक्टर को सूचित ज़रूर करना चाहिए क्योंकि इससे टेस्ट रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं।
मरीज को ढीले कपड़े पहने चाहिए क्योंकि बांह तक पहुंचने और ब्लड सैंपल एकत्र करने के लिए आसानी होगी।
इस टेस्ट के लिए डॉक्टर मरीज को उपवास के लिए सुझाव दे सकते हैं।
सबसे पहले, एक फ़्लेबोटोमिस्ट (phlebotomist) मरीज की ऊपरी बांह पर एक पट्टी या बैंड बांधता है, जिससे नस अच्छे से उभर के दिखाई दें।
फिर जहाँ से खून निकलना है वह संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए, उस जगह पर कीटाणुनाशक सलूशन से साफ़ किया जाता है।
टेस्ट के लिए उचित मात्रा में खून निकालने के लिए एक जीवाणुरहित सिरिंज (sterile syringe) को नस में डाल दिया जाता है।
फिर खून का नमूना एकत्र किया जाता है। उसके बाद वहां से सुई को निकाल लेंगे और खून को कीटाणुनाशक सलूशन में डूबी हुई रुई से साफ़ करते हुए, वहां बैंड-ऐड चिपका कर सील कर दिया जाता है। जिससे खून न बहायें।
एक फ़्लेबोटोमिस्ट (phlebotomist) मरीज को मूत्र एकत्र करने के लिए एक जीवाणुरहित कंटेनर देते हुए, ज़रूरी जानकारी देते हैं।
नमूना एकत्र करते समय शुरू के पेशाब को एकत्र करें और सीधे स्पर्श से बचें और नमूने के लिए बीच से एकत्र करें।
फिर कंटेनर को अच्छे से सील कर दें और टिश्यू से बाहर का हिस्सा साफ़ करते हुए, जांच के लिए उसे फ्लेबोटोमिस्ट को सौंप दें।
जानिए Full Body Checkup in Hindi क्यों जरूरी है रूटीन हेल्थ के लिए।
आरएफटी टेस्ट |
सामान्य मान |
रक्त यूरिया |
19 - 44.1 मिलीग्राम/डीएल |
क्रिएटिनिन |
0.72 - 1.25 मिलीग्राम/डीएल |
बन |
6 - 20 मिलीग्राम/डीएल |
बीयूएन/क्रिएटिनिन अनुपात |
5.5 - 19.2 % |
यूरिक एसिड |
3.5 - 7.2 मिलीग्राम/डीएल |
कैल्शियम सीरम |
8.4 - 10.2 मिलीग्राम/डीएल |
फास्फोरस |
3.9 मिलीग्राम/डीएल |
सोडियम |
136 - 145 मिमीोल/ली |
पोटेशियम |
3.5 - 5.1 मिमीोल/ली |
क्लोराइड |
98 - 107 मिमीोल/एल |
आरएफटी टेस्ट |
पुरुष |
महिला |
क्रिएटिनिन |
0.6 से 1.2 मिलीग्राम/डेसीलीटर |
0.5 से 1.1 मिलीग्राम/डेसीलीटर |
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) |
8 से 20 मिलीग्राम/डेसीलीटर |
8 से 20 मिलीग्राम/डेसीलीटर |
सेरम क्रिएटिनिन क्लियरेंस (Ccr) |
97 से 137 मिलीलीटर/मिनट |
88 से 128 मिलीलीटर/मिनट |
जानिए फेरिटिन टेस्ट कैसे शरीर में आयरन की स्थिति बताता है।
आरएफटी यानी रीनल फंक्शन को स्वस्थ रखने और किडनी के स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए सबसे क्या जरूरी है, आइए जानते हैं उसके बारे में विस्तार से:-
अगर किडनी के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो दिन भर में अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें ताकि जिससे किडनी से टॉक्सिन्स चीज़ो को बाहर निकालने में मदद मिलती रहे। हर दिन 8 गिलास पानी पीने का टारगेट रखें या आप चाहे तो अधिक पानी भी पी सकते हैं।
अपनी डाइट में प्रोसेस्ड खाद्य, नमक, और अधिक चीनी की खपत को कम करते हुए फल, सब्जी, पूरे अनाज, पौष्टिक प्रोटीन, और स्वस्थ तेलों से भरपूर आहार को शामिल करें। ज्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और वह किडनी को प्रभावित कर सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर किडनी में खून की नसों को डैमेज कर सकता है और इस वजह से किडनी की बीमारियाँ होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
डायबिटीज, किडनी की बीमारी मुख्य कारण होता है। अगर व्यक्ति को डायबिटीज कि समस्या है, तो ब्लड में शुगर लेवल की दवाइयों, आहार, व्यायाम, और नियमित रूप से निगरानी रखने के ज़रिए ठीक किया जा सकता है।
अधिक वजन बहुत सी बिमारियों का कारण बन सकता है। बढ़ता वजन या मोटापा किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम को अपने जीवन में अपनाएं जिसकी मदद से स्वस्थ वजन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
अगर कमजोरी बनी रहती है, तो Anemia Symptoms in Hindi पढ़ना फायदेमंद हो सकता है।
रीनल फंक्शन टेस्ट व्यक्ति के पुरे स्वास्थ्य का आकलन करने में मदद करता है क्योंकि यह किडनी से जुड़ी बहुत सी बीमारियों का निदान करने में मदद सकता है और किडनी की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में भी काफी सहायता करता है। शुरुआती चरण में रीनल फंक्शन टेस्ट करवाना संभव नहीं होता था, इसलिए सबसे अच्छे डायग्नोस्टिक सेंटर का चयन करें और अच्छी तरह से जाँच करवाएं, जिससे इलाज सही दिशा में हो। किडनी टेस्ट से पहले जानिए अंग्रेजी में Importance of Diagnostic Center
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