पैरालिसिस मांसपेशियों की बीमारी है, जब व्यक्ति के शरीर के किसी एक हिस्से की मासपेशियां पूरी तरह से काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे पैरालिसिस अटैक पड़ना कहते हैं। इसको लकवा भी कहते हैं और जो व्यक्ति लकवा से ग्रस्त होता है उसका शरीर एक या उससे अधिक मांसपेशियों को हिला नहीं सकता है। पैरालिसिस शरीर के किसी एक हिस्से को प्रभावित कर सकता है या पुरे शरीर को भी प्रभावित कर सकता है। इसमें शरीर के लकवा ग्रस्त हिस्से और मस्तिष्क में सही रूप से संचार नहीं हो पाता है। लकवा होने के कई कारण होते हैं जैसे कि खराब खान-पान, बदलता खान-पान, स्ट्रेस आदि।
पैरालिसिस एक या उससे अधिक हिस्सों को प्रभावित कर सकता हैं। लकवे से शरीर का कितना हिस्सा प्रभावित हो सकता है, इसी को जानने के लिए पैरालिसिस के प्रकार बनाए गए हैं।
इस पैरालिसिस के प्रकार में शरीर के किसी एक हिस्से को नुकसान पहुचंते हुए प्रभावित करता है। इसमें ज़्यादातर एक बाह ही प्रभावित हो सकती है। मोनोप्लेजिक पक्षाघात या मोनोप्लेजिया विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिसमें मस्तिष्क पक्षाघात, स्ट्रोक, सबसे आम तौर पर स्थानीयकृत स्ट्रोक शामिल हैं।
हेमिप्लेगीस पैरालिसिस में शरीर का एक तरफ का पूरा हिस्सा प्रभावित हो जाता है। इसमें एक तरफ का हाथ, पेट, कंधा, सीना, चेहरा और पैर को नुकसान पहुँचते हुए प्रभावित हो जाता हैं। यह दिमाग के एक हिस्से को भी नुकसान पहुचाने की वजह बन सकता है। वैसे तो, प्रभावित दिमाग का हिस्से शरीर के दूसरी साइड को कंट्रोल करता है जो कि ब्रेन स्ट्रोक, ट्यूमर आदि का कारण बन सकता है।
इस प्रकार के पैरालिसिस में व्यक्ति के दोनों पैर और धड़ का निचला हिस्से को नुकसान पहुँचता है और वह पैरालिसिस से प्रभावित हो जाते हैं।
क्वाड्रीप्लेजिया गर्दन के नीचे के हिस्से में होने वाले क्षेत्र का पैरालिसिस है। इसे टेट्राप्लेजिआ के नाम से भी लोग जानते हैं। इसमें शरीर के दोनों हाथ और दोनों पैर साथ ही धड़ को नुकसान पहुचंता है और इन हिस्सों को प्रभावित कर देता है। इस पैरालिसिस के होने का खतरा भी अधिक रहता है जब व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाए।
यह शरीर में आमतौर पर चेहरे पर होने वाला पैरालिसिस होता है। इसमें चेहरे की मासपेशियां को नुकसान पहुँचता है जिसे वह की मासपेशियां प्रभावित हो जाती हैं। इसके लक्षण देखे तो व्यक्ति का मुंह टेढ़ा होना है, जिसकी वजह से खाना खाने में तकलीफ होती है।
हृदय रोगों पर विस्तार से अंग्रेजी में पढ़ने के लिए The Complete Overview of Heart Diseases in India पर जाएं।
पैरालिसिस में मरीज को लकवा ग्रस्त हिस्सा महसूस होना बंद हो जाता है। पैरालिसिस होने पर शरीर लकवा ग्रस्त हिस्से की मांसपेशियों को नियंत्रण नहीं कर पाता है।पैरालिसिस शरीर के किसी एक या एक से ज़्यादा हिस्से में होना संभव है। पैरालिसिस होने के दौरान कुछ लक्षण दिखाई दें सकते हैं, जिनमें शामिल है:-
मरीज को भ्रम हो सकता है
मरीज की चेतना में फर्क आ जाता है
शरीर का हिस्सा सुन्न हो जाता है
शरीर का संतुलन बिगड़ना शुरू हो जाता है
सर में दर्द होना (वायरस से जुड़े लकवे के कारण जानने के लिए अंग्रेजी में A Concise Overview of the H3N2 Influenza Virus पढ़ें।)
साँस लेने में दिक्कत आना
मुँह से खुद-ब-खुद लार गिर जाना
बोलने, समझने, सोचने, लिखने पढ़ने में दिक्कतों का सामना करना
मूत्राशय में कमी होना
आंतो पर नियंत्रण में कमी आना
व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव
देखने में या सुनने में कमी आना
मन मिचलाना
उलटी आना
बेचैनी होना
प्रभावित हिस्से में दर्द
थकान से जुड़ी जानकारी के लिए अंग्रेजी में A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians पढ़ें।
पैरालिसिस होने के बहुत-सी वजह हो सकती हैं। पैरालिसिस की परेशानी शरीर के किसी भी एक से अधिक हिस्से में हो सकती है या प्रभावित कर सकती है। आइए जानते और समझते कि पैरालिसिस कुछ कारणों के बारे में, जिससे आप इस समस्या को और भी बेहतर तरीके जान पाएंगे:-
कुछ नसों की बीमारियां या कुछ स्थितियां, जो नस या मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है जिसकी वजह से पैरालिसिस हो सकता है। इन बीमारियों में शामिल है पोलियो, सेरिब्रल पाल्सी, गिलियन-बैरे सिंड्रोम या कुछ प्रकार के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सिंड्रोम आदि।
रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से पैरालिसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर की किसी हिस्से और दिमाग की बीच सिग्नल पहुंचाने में दिक्कत या रुकावट आने की वजह रीढ़ की हड्डी में चोट लगना है, जिसकी वजह से पैरालिसिस हो सकता है। चोट लगने के स्थान और उसकी गंभीरता से को देखते हुए, इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शरीर का कितना हिस्सा पैरालिसिस से प्रभावित होगा।
स्ट्रोक, जब दिमाग के किसी हिस्से में कुछ समय के लिए ब्लड सही से सप्लाई नहीं हो पाता है तो वहां के दिमाग के हिस्से को नुक्सान पंहुचाना शुरू हो जाता है। इस वजह से पैरालिसिस हो सकता है। भारत में पैरालिसिस का सबसे आम कारण स्ट्रोक ही होता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस, यह एक तरह की ऑटो इम्यून बीमारी है। इसके कारण पैरालिसिस और अन्य काफी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
पोलियोमाइलाइटिस
पेरिफेरल न्युरोपैथी की दिक्कत
ट्रामा होना
सेरिब्रल पाल्सी
बोटुलिस्म की समस्या
स्पाइन बिफिडा की समस्या
गिलियन-बैरे सिंड्रोम
हाइपोकैलिमिया की समस्या
पार्किंसन बीमारी
हार्ट अटैक के लक्षण जानने के लिए Symptoms of heart attack in Hindi ब्लॉग देखें।
कुछ टेस्ट या परीक्षणों से पैरालिसिस के कारण का पता लगाने में मदद मिल सकती है:-
ब्लड टेस्ट पैरालिसिस के लक्षणों का पता लगाने में मददगार है क्योंकि यह सूजन, ऑटोइम्यून बीमारियों आदि के बारे में आसानी से पता लगा लेता है।
पैरालिसिस के बारे में पता लगाने के लिए स्पिनल टैप का भी प्रयोग किया जाता है। यह मल्टीपल स्क्लेरोसिस (multiple sclerosis) या गिलियन-बैरे सिंड्रोम का पता लगाने में मदद कर सकता है।
हालांकि, बायोप्सी की मदद से कई अन्य प्रकार की बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (muscular dystrophy)या न्यूरोमस्कुलर रोग आदि शामिल हैं। इस प्रकिया में माइक्रोस्कोप की सहायता से मांसपेशियों का एक छोटा हिस्सा निकालकर,उसके बार में स्टडी किया जा सकती है।
कई प्रकार की इमेजिंग तकनीक मौजूद है जैसे कि एक्स रे, पेट स्कैन, एम।आर।आई स्कैन आदि से भी पैरालिसिस के कारणों का पता लगाया जाने में मदद मिल सकती है।
इस टेस्ट की मदद से नर्व में या मांसपेशियों में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी (electrical activity) और नर्व सिग्नलिंग (nerve signaling) के बारे में पता लगाया जा सकता है।
पैरालिसिस की समस्या अक्सर स्थायी होती है, लेकिन कुछ उपचारों से पैरालिसिस के लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है और कुछ प्रकारों में इसे कुछ हद तक कम भी किया जा सकता है।
पैरालिसिस की समस्या में फिजिकल थेरेपी काफी मददगार साबित हो सकती है क्योंकि यह मांसपेशियों में ताकत में सुधर लाने में मदद करती है। लेकिन इसे नियमित रूप से करवाया जाना चाहिए।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों के लिए रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? पढ़ें।
पैरालिसिस से ग्रस्त होने के बाद भी व्यक्ति को रोज़मर्रा के कामों को करने के तरीको के बारे में बताया जाता है।
पैरालिसिस से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए बोलने और खाना निगलने वाली चिकित्सा में, बोलने और खाने निगलने के बारे में सिखाया जाता है, जो कि उनका जीवन थोड़ा आसान बनाता है।
कुछ दवाइयों की मदद से भी पैरालिसिस के लक्षणों को कण्ट्रोल करने में भी मदद मिल सकती है।
कुछ मामलों में तो डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं। जिसकी मदद से पैरालिसिस के कारणों को ठीक करने में मदद मिलती है और पैरालिसिस के कारणों को सही भी किया जा सकता है।
व्हीलचेयर (wheelchair) या कुछ अन्य उपयोग में आने वाली चीज़ो की मदद से पैरालिसिस से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।
थायरॉइड के लक्षणों को समझने के लिए Thyroid in Hindi देखें।
पैरालिसिस एक घातक बीमारी है, जहां पैरालिसिस से ग्रसित अंग किसी भी काम को करने में असमर्थ रहता है। इसके कुछ घरेलू उपाय मौजूद है, जिसे घर पर आसानी से किया जा सकता है लेकिन असर न पड़ने पर डॉक्टर से परमर्श करें:-
पैरालिसिस की समस्या में गिली मिट्टी का लेप बहुत उपयोगी माना गया है। नियमित रूप से पैरालिसिस के मरीज को गिली मिट्टी का लेप लगाया जाना चाहिए। अगर इसे रोजाना नहीं कर सकते हैं तो एक दिन का छोड़कर यानी गैप ले सकते हैं।पैरालिसिस के मरीज को मिट्टी का लेप लगाने के बाद हिप बाथ करना आवश्यक है। यह उपाय पैरालिसिस के मरीज के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
पैरालिसिस से ग्रसित अंगों में अगर ऑयल लगाया जाए तो फायदा मिल सकता है लेकिन उसके एक तरह का खास तेल तैयार करना होगा। इस तेल को बनाने के लिए आधा लीटर सरसों का तेल में 50 ग्राम लहसुन डालें। फिर उसके बाद लोहे की कड़ाही में इस तेल को अच्छे से तब तक पकाएं, जब तक की पानी जल न जाए। उसके बाद तेल को ठंडा होने के लिय छोड़ दे। फिर ठंडे हुए तेल को एक डिब्बे में छान कर रख लें। अब इस तेल से रोज़ पैरालिसिस वाले अंग पर मालिश करने से फायदा मिलेगा।
पैरालिसिस की समस्या में करेला बहुत ही फायदेमंद माना गया है। पैरालिसिस की समस्या में मरीज को करेले की सब्जी या करेले का जूस ज़रूर लेना चाहिए। करेला शरीर के प्रभावित अंगों में सुधार लाने में मदद में करता है। इस बात का ध्यान रखें कि इस घरेलू उपाय को रोज़ करना होगा तभी इसका फायदा मिलेगा। रोज़ करेला का सेवन करने से जल्दी ही पैरालिसिस की समस्या में आराम मिल सकता है।
जैसा की सभी जानते hi हैं कि तुलसी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद और लाभकारी होती है। पैरालिसिस की समस्या में तुलसी के पत्ते, दही और सेंधा नमक को अगर बराबर मात्रा में मिला लिया जाएँ और फिर उससे एक तरह का लेप तैयार किया जाएँ। फिर उस लेप को पैरालिसिस ग्रसित अंग पर लगाकर मालिश करने से पैरालिसिस की समस्या में बहुत आराम मिल सकता है।
पैरालिसिस में काली मिर्च के भी बहुत लाभकारी हैं। एक चम्मच काली मिर्च पीसकर, उसमें तीन चम्मच देसी घी को अच्छे से मिलाकर, लेप तैयार कर लें। इस लेप को पैरालिसिस वाले अंग पर लगाने से प्रभावित अंगों में सुधार देखने को मिल सकता है।
पैरालिसिस की समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसका समय से जाँच करवाना और इलाज करवाना बहुत महत्वपूर्ण है। लो बीपी के कारणों के लिए Low BP in Hindi ब्लॉग पढ़ें।
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