Thursday, August 07 ,2025

आंखों की सेहत के लिए कितनी नींद जरूरी है? जानिए सही स्लीप शेड्यूल!


sleep for eye health

अगर अपनने ध्यान दिया हो तो जिस दिन हमारी नींद पूरी नहीं होती है उस बहुत ही ज्यादा थकावट महसूस होती है। नींद पूरी न होने की वजह से मूड स्विंग्स, सुस्ती, कमजोरी, गुस्सा, सिर दर्द और चिड़चिड़ाहट सी रहती है। नींद का हमारी सेहत से एक सीधा और गहरा कनेक्शन है इसलिए जब भी नींद  पूरी नहीं होती है, तो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने लगता है। इतना ही नहीं, नींद का आंखों से भी एक सीधा कनेक्शन होता है इसलिए तो एकअच्छा स्लीप रूटीन होना और उसको फॉलो करना बेहद जरूरी होता है। नींद न पूरी होने की वजह से आंखों के स्वास्थ्य को भी क्षति पहुँचती है। इस ब्लॉग के ज़रिए समजेंगे कि नींद से स्लीप रूटीन का क्या कनेक्शन होता है। 

आंखों के लिए अच्छा स्लीप रूटीन क्यों जरूरी है? (good sleep important for eyes in Hindi)

आंखों में सूखेपन की समस्या न होना

जब हम सोते है तब हमारी आंखें बंद होती है। इससे आंखों को नैचुरली हाइड्रेट होने में मदद मिलती है,  लेकिन जब  नींद पूरी नहीं हो पाती है, तब आँखों में आँसू कम बनते हैं। इसलिए, पर्याप्त नींद लेना बहुत ज़रूरी है। अगर नींद की दिनचर्या सही है और आप पर्याप्त नींद ले रहे हैं, तो आँखों में सूखापन, खुजली और लालिमा जैसी समस्याएँ नहीं होती हैं।

आंखों में थकान कम होना 

अधूरी नींद की वजह से व्यक्ति आंखों में भारीपन और थकावट रहती है। पर्याप्त नींद न लेने से आंखों की मांसपेशियों को आराम नहीं मिल पाता है। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से, कुछ पढ़ने, लगातार काम पर फोकस करने से भी आंखे थक जाती है। ऐसे में स्लीप रूटीन का अच्छा होना बेहद जरूरी हो जाता है। अगर आप समय पर सोए और अपनी नींद को पूरा करते हैं, तो इससे आंखों में थकान कम हो जाएगी।

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आंखों की सूजन से राहत मिलना

नींद पूरी न होने की वजह से आंखों के नीचे सूजन और काले घेरे होने लग जाते हैं। ऐसे में आंखों के आसपास रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जिसकी वजह से डार्क सर्कल्स और आँखों में सूजन होने लग जाती है। अगर एक अच्छा स्लीप रूटीन फॉलो किया जाए तो इन समस्याओं से राहत मिल सकती है।

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नर्व हेल्थ ठीक रहती है

नींद पूरी बी होने के कारण आंखों में ब्लड फ्लो सही से नहीं हो पता है और ऑक्सीजन सप्लाई में भी दिक्कत आने लगती है। इससे नर्व हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और आंखे रिलैक्स्ड नहीं रहती हैं। अधूरी नींद रहने से स्लीप रूटीन खराब होता है साथ ही आंखों से जुड़ी समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता हैं।

आंखों की रोशनी ठीक रहती है

हेल्दी स्लीप रूटीन होने से आंखों की रोशनी सही रखने में मदद मिलती  है। अधूरी नींद होने के कारण आंखों में धुंधलापन आने लगता है और आंखों की रोशनी भी कमजोर पड़ने लग सकती है। नींद पूरी करने से आंखे रिपेयर हो जाती हैं और और आंखों से जुड़ी समस्याएं भी कम होने लग सकती हैं।

आंखें स्वस्थ रहती है

अधूरी नींद की वजह से इम्यूनिटी कमजोर होने का जोखिम हो सकता है, जिस कारण ऑंखें प्रभावित होने लग सकती है। ऐसे में आंखों से जुड़ी समस्याएं और इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए अपना स्लीप रूटीन ठीक करें।

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आँखों को कितनी नींद की ज़रूरत होती है? (How much sleep do eyes need in Hindi?)

आँखों के स्वास्थ्य के लिए कितनी नींद ज़रूरी या पर्याप्त होती है? यह सवाल हर व्यक्ति के जेहन में होगा। इसका जवाब है कि नींद की ज़रूरत अलग-अलग हो सकती है, लेकिन ज़्यादातर वयस्कों को हर रात कम से कम भी 7 से 9 घंटे की नींद लेने की ज़रूरत होती है। वैसे तो, मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता होना ज़रूरी है यह भी  उतनी ही मायने रखती है। आइए जानते हैं कि विभिन्न आयु समूहों के लिए कितनी नींद की आवश्यकता होती है:-

  • शिशुओं जो कि 0 से 3 महीने के है उनको 14 से 17 घंटे की नींद की ज़रुरत होती है। 

  • बच्चे जो कि1-5 वर्ष के है उनको 10 से 13 घंटे की नींद की ज़रुरत होती है। 

  • किशोर जो कि14-17 वर्ष के है उनको 8 से10 घंटे की नींद की ज़रुरत होती है। 

  • वयस्क जो कि18-64 वर्ष के है उनको 7 से 9 घंटे की नींद की ज़रुरत होती है। 

  • वृद्ध वयस्क जो कि 65+ वर्ष के है उनको 7 से 8 घंटे की नींद की ज़रुरत होती है। 

इस बात का ध्यान रखें कि यह सिर्फ़ घंटों की संख्या का मामला नहीं होता है, बल्कि नींद की गुणवत्ता भी उतनी ही ज़रूरी है। बार-बार नींद में रुकावट या खराब होने के कारण नींद की गुणवत्ता, शरीर और आँखों को मिलने वाले आराम के फ़ायदों को कम कर देती है।

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आँखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लेने की टिप्स (Tips for good sleep for eye health in Hindi)

अगर आप अपनी आंखों के लिए नींद की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहते हैं, तो कुछ सुझाव है जो आपको आरामदायक नींद पाने में मदद कर सकते हैं:- 

एक सुसंगत नींद कार्यक्रम बनाए रखें

कोशिश करें कि प्रतिदिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत बनाए। इससे आपके शरीर को आदत हो जाएगी, जिससे नींद आना और सोते रहना आसान हो जाएगा।

अगर नींद पूरी नहीं होती, तो A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians अंग्रेजी में जरूर पढ़ें।

नींद के अनुकूल वातावरण बनाएं

बेडरूम को अंधेरा, अपने हिसाब से ठंडा और शांत रखें। रोशनी रोकने के लिए आप ब्लैकआउट पर्दे या स्लीप मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सोने से पहले स्क्रीन देखने से बचें

स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी शरीर में मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डालती है, जिसकी वजह से नींद खराब होती है क्योंकि यह नींद को नियंत्रित करने वाला हार्मोन है। कोशिश करें कि सोने से कम से कम एक या आधे घंटे पहले आप स्क्रीन से देखना बंद कर दें।

हाइड्रेटेड रहना

निर्जली करण से सूखी आँखों की समस्या पैदा हो कस्ती है साथ ही बदतर भी हो सकती है, इसलिए अच्छी मात्रा में पानी का सेवन करें। बस इस बात का ध्यान रखें कि सोने से ठीक पहले अधिक पानी न पिए जिससे रात में बीच में बाथरूम जाने के लिए उठाना पड़ें।

कैफीन और अल्कोहल को कम करें

कैफीन और अल्कोहल,  दोनों ही नींद के चक्र को बिगाड़ने का करक हैं, जिससे नींद की गुणवत्ता तो खराब होती है साथ ही सेहत पर भी असर पड़ता है। दोपहर या शाम के समय इन पदार्थों के सेवन से बचे।

मूड और नींद का गहरा रिश्ता है – जानें The Importance of Mental Health in India अंग्रेजी में।

नोट: 

अगर ज़रूरी है तो छोटी झपकी लें सकते हैं। यदि आपको रात में पर्याप्त नींद नहीं मिली है, तो दिन में 20 से 30 मिनट की छोटी झपकी लें। इससे आँखों और शरीर को तरोताज़ा करने में काफी मदद  मिल सकती है। बस इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बहुत लंबी झपकी न हो, क्योंकि ऐसा होने से रात की नींद प्रभावित हो जाएगी। आँखों की सेहत और डाइट एक दूसरे से जुड़ी है – जानिए Vitamin A Blood Test क्या है? क्यों ज़रूरी है इसकी जाँच भारत में हर उम्र के लोगों के लिए?

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