Wednesday, August 06 ,2025

वर्टिगो क्या है? लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से


vertigo in hindi

बहुत से लोगों को अचानक से चक्कर आ जाते हैं या सिर घुमने लगता है यह समस्या वर्टिगो कहलाती है। यह इतनी गंभीर समस्या नहीं है और इसका उपचार लेकर आप इस समस्या से राहत भी पा सकते हैं। वैसा देख जाए तो यह कोई बीमारी नहीं है यह एक अनुभव है जो लोगों को होता है जिसमें लोगों को अपने आस-पास की चीज़े घुमती हुई नज़र आ सकती है, बैठे-बैठे चक्कर का एहसास हो सकता है, बेहोशी आना या फिर कई बार शरीर में असंतुलन  होने के कारण खड़े होने दिक्कत आना आदि, जैसे लक्षण से आप समझ सकते हों कि यह समस्या आपको है या आपके किसी करीबी को है। 

वर्टिगो के लक्ष्ण क्या है? (What are the symptoms of vertigo in Hindi?)

वर्टिगो की समस्या होने पर व्यक्ति को कुछ बातों का अनुभव हो सकता है या फिर कुछ लक्षण नज़र आ सकते हैं:- 

  • उल्टी

  • जी मचलाना

  • कमजोरी महसूस होना (कमजोरी और चक्कर के बीच संबंध जानें - शरीर में कमजोरी के लक्षण: जानिए कारण और उपचार)

  • सुनाई देने में दिक्कत

  • सर में दर्द

  • ज्यादा पसीना आना

  • उठने-बैठने में दिक्कत होना

  • कान में घंटी जैसी आवाज़ सुनाई देना 

  • आँखों को घुमाने में परेशनी महसूस होना 

  • खाना निगलने में दिक्कत आना 

  • धुंधला दिखाई देना

  • कुछ मामलो में दो दिखाई देना 

  • चेहरे का पक्षाघात

थकान से जुड़ी जानकारी के लिए अंग्रेजी में पढ़ें A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians.

वर्टिगो होने के कारण (Causes of vertigo in hindi)

वर्टिगो के दो ही अहम कारण है, आइए जानते हैं उनके बारे में:-

पेरिफेरल वर्टिगो (Peripheral vertigo)

  • कान के असामान्य संतुलन होना

  • इसे चक्कर आने का सबसे आम प्रकार माना जाता है। कान के अंदरूनी हिस्से में वेस्टिबुलर तंत्रिका में कोई भी समस्या होने पर व्यक्ति को चक्कर आ सकता है।

  • वेस्टिबुलर तंत्रिका शरीर का संतुलन बनाते हुए उसे मेन्टेन रखने में मदद करती है।

पेरीफेरल वर्टिगो कान में होने वाले कुछ कारणो से भी हो सकता है:-

  • बिनाइन परोक्सिमल पोसिशनल वर्टिगो 

  • कान में इन्फेक्शन होना (ठण्ड या फ्लू )

  • कान की वेस्टिबुलर नस में दर्द या सूजन का होना

  • मेनियर रोग, जिसके कारण कानों में बजना या सुनने की क्षमता कम हो जाती है।

एनीमिया भी चक्कर का कारण हो सकता है – जानिए एनीमिया से जुड़ी सभी जानकारियां!

सेंट्रल वर्टिगो (Central vertigo)

सेंट्रल वर्टिगो में मस्तिष्क या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में किसी भी समस्या के कारण हो सकता है।  उन समस्याओं की बात करें तो मस्तिष्क ट्यूमर रोग, धमनी शिरापरक विकृति (arteriovenous malformation), ध्वनिक न्यूरोमा (acoustic neuroma) और मस्तिष्क ट्यूमर, मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) और वर्टेब्रोबैसिलर माइग्रेन (vertebrobasilar migraine) आदि शामिल है।

 सेंट्रल वर्टिगो होने के पीछे कुछ कारण हो सकते है:-

  • ब्रेन स्ट्रोक आना

  • ब्रेन टूमर होना

  • माइग्रेन कि समस्या होना

  • इन्फेक्शन होना

  • सर पर गंभीर चोट लगने के कारण

  • दौरे पड़ने की समस्या होना  

थायरॉइड असंतुलन वर्टिगो से जुड़ा हो सकता है – जानिए इसके लक्षण और कारण विस्तार से Thyroid in Hindi में।

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता चक्कर आने का निदान कैसे करते हैं?

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मरीज के इतिहास, शारीरिक टेस्ट और विभिन्न टेस्ट के संयोजन के ज़रिए से चक्कर आने का निदान करते हैं ताकि अंतर्निहित कारण का पता लगाया जा सके। चक्कर आने के निदान में शामिल सामान्य चरण इस प्रकार हैं:

रोगी का इतिहास

डॉक्टर मरीज के लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जिसमें उनकी अवधि, आवृत्ति और ट्रिगर होना शामिल होगा। वह किसी भी संबंधित लक्षण, जैसे कि सुनने की क्षमता में कमी आना, टिनिटस, सिरदर्द, या हाल ही में हुए किसी भी संक्रमण या चोटों के बारे में भी पूछ सकते हैं।

शारीरिक टेस्ट 

तंत्रिका तंत्र (nervous system)और आंतरिक कान (inner ear) पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक संपूर्ण शारीरिक टेस्ट किए जाते हैं। डॉक्टर मरीज की आँखों की गतिविधियों का भी निरीक्षण करवा सकते हैं, क्योंकि असामान्य गतिविधियाँ के कारण कुछ प्रकार के चक्कर आने का संकेत हो सकती हैं।

श्रवण परीक्षण (Hearing tests)

श्रवण क्षमता का आकलन करने और सुनने की क्षमता में कमी या टिनिटस के लक्षणों की जाँच के लिए ऑडियोमेट्रिक टेस्ट किए जा सकते हैं, जो मेनियर बीमारी जैसी स्थितियों से जुड़े हो सकते हैं।

संतुलन टेस्ट

रॉमबर्ग टेस्ट (Romberg test), डिक्स-हॉलपाइक पैंतरेबाज़ी (Dix-Hallpike maneuver) और सिर आवेग टेस्ट (head impulse) जैसे टेस्ट आपके संतुलन का मूल्यांकन करने और चक्कर के विशिष्ट प्रकार की पहचान करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

इमेजिंग टेस्ट 

कुछ मामलों में, मस्तिष्क और आंतरिक कान (inner ear) में संरचनात्मक समस्याओं या असामान्यताओं का पता लगाने के लिए एमआरआई या सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट की मदद ले सकते हैं।

ब्लड टेस्ट 

संक्रमण, चयापचय संबंधी विकार या अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों की जाँच के लिए ब्लड टेस्ट की मदद ली जा सकती हैं। जरूरी जांचों में शामिल – D dimer test in hindi.

सूजन की जांच के लिए जानें – CRP Test In Hindi के बारे में विस्तार से।

चक्कर आने से कैसे बचाव करें? (How to prevent vertigo in Hindi?)

चक्कर आने की समस्या से की रोकथाम के लिए आपको जीवनशैली में कई तरह के बदलाव करने की ज़रुरत होगी, जिससे चक्कर आने के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी साथ ही सावधानी बरतने आवश्कता होगी। चक्कर आने की रोकथाम में मदद करने के लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं:- 

पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें 

आप इस बात का विशेष ध्यान रखें साथ यह सुनिश्चित करें कि आप दिन भर अच्छी और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन कर रहें, क्योंकि कई बार निर्जलीकरण से भी चक्कर आ सकते हैं।

स्वस्थ आहार का सेवन करें  

अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक अच्छी डाइट ले ज्सिमें आप फलों, सब्जियों और साबुत अनाज आदि का भरपूर संतुलित आहार लें सकते हैं। नमक, कैफीन और शराब के अधिक सेवन से बचाव करें।

नियमित व्यायाम करें 

अपने संतुलन और फिटनेस को बेहतर बनाने के लिए आपको नियमित शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। आप चाहे तो पैदल चलना, योग और व्यायाम का सहारा ले सकते हैं जो कि फायदेमंद हो सकते हैं।

तनाव को मैनेज करें

तनाव को कम करने के लिए आप गहरी सांस लिया करें। आप छाए तो ध्यान या माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों का सहारा लेकर उनका अभ्यास करें। ऐसा करने से तनाव चक्कर के लक्षणों कम किया जा सकता है।

दिल की बीमारियों से चक्कर का कनेक्शन पढ़ें अंग्रेजी में – The Complete Overview of Heart Diseases in India

अच्छी और पर्याप्त नींद लें

अगर आप अच्छी और गहरी नींद लेते हैं तो आप थकान से आने वाला चक्कर की संभावना कम हो जाएगी।

शराब और कैफीन का सेवन कम करें

शराब और कैफीन का अधिक सेवन आपकी समस्या को बढ़ा सकता है इसलिए आप इनका सेवन कम कर दें। इन पदार्थ आंतरिक कान (inner ear) को प्रभावित करते हैं और चक्कर आने की वजह बन सकती है।

कानों को स्वस्थ रखें

अपने कानों को संक्रमण और चोटों से बचाकर रखें। अगर आपको कान की कोई समस्याओं का इतिहास रहा है, तो उचित निवारक करें साथ ही उपायों के लिए मेडिकल सलाह लें।

चिकित्सीय सलाह का पालन ज़रूर करें

किसी भी निर्धारित उपचार या फिर कोई दवाई का सेवन ध्औयान से करें साथ ही चक्कर आने वाली वजह से अंतर्निहित स्थितियों को मैनेज करने के लिए अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से नियमित जांच करवाते रहे।

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नोट: 

अगर गंभीर सिरदर्द, बोलने, चलने, देखने या निगलने में किसी भी तरह की तकलीफ हो रही है तो यह चेतावनी या संकेत हो सकते हैं इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। संक्रमण से होने वाले चक्कर पर जानें – निमोनिया क्या होता है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार

मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।