Thursday, August 07 ,2025

APTT Test in Hindi – ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर की पहचान कैसे करता है ये टेस्ट?


aptt test in hindi

जब कभी भी हमारे शरीर के किसी भी अंग में किसी भी कारणवश कोई चोट लग जाए या फिर कट लग जाए तो वहां पर खून बहने लग जाता है। खून के उस बहाव को रोकने के लिए उस चोट पर थोड़ा दबाव देकर, एक टाइट पट्टी भी बांध देने से खून का बहाव रुक जाता है। अगर जख्म या चोट ज्यादा गहरा नहीं होती है तो वहां पर खून का थक्का बनता है और फिर खून बहना बंद हो जाता है। अगर यह खून का थक्का बनने में ज्यादा समय लग रहा है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श लें और एपीटीटी परीक्षण के बारे में समझें।

एपीटीटी टेस्ट है क्या? (APTT test in Hindi)

जब किसी व्यक्ति को किसी भी चोट या फिर किसी अन्य कारण की वजह से शरीर में खून बह रहा हो, तो उस बहते हुए खून को रोकने की शरीर सबसे पहले खुद ही कोशिश करता है। हमारे शरीर में ऐसी कई रासायनिक क्रियाएं होती रहती हैं जिससे खून बहना अपने आप बंद हो जाता है। हमारा शरीर खुद ही चोट वाले स्थान पर एक आवश्यक प्रोटीन के मिश्रण भेजकर, उस जगह पर खून का थक्का बना देता है, जिससे खून बहना अपने आप बंद हो जाता है। अगर खून का थक्का बनने में ज्यादा समय लग रह है या फिर थोड़ी सी चोट लग जाने पर भी जल्दी ही खून बहने लग रहा है, तो इसका मतलब यह है कि अगर शरीर में किसी तरह की असामान्यता है, तो वह इन संकेतों के ज़रिए अपनी समस्या बताती है। ऐसी स्थिति में एपीटीटी टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। एपीटीटी एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है जिसकी मदद से खून के थक्के बनने में लगने वाले समय के बारे में जाना जाता है। 

ब्लड क्लॉटिंग से जुड़ी जांचों में D dimer test भी एक अहम टेस्ट है।

एपीटीटी टेस्ट क्यों किया जाता है?

यह जांच हीमोफीलिया (Hemophilia) या वॉन विलेब्रांड (von Willebrand's) नाम की बीमारी से जूझ रहे लोगों में खून के थक्के बनने की स्थिति के बारे में जानने के लिए किया जाता है। यह जांच खून को पतला करने वाली दवाइयों जैसे हेपरिन या वारफेरिन के असर के बारे में भी पता लगाने के लिए किया जाता है। यह दवाईयां डॉक्टर द्वारा व्यक्ति को तब दी जाती है जब उसे दिल से जुड़ी बीमारी या स्ट्रोक आता है।

कुछ अन्य कारणों की वजह से भी एपीटीटी टेस्ट करवाया जा सकता है:- 

  • जल्दी खून बहने लग जाना

  • थ्रोम्बो एंबॉलिज्म (thromboembolism) होना, जिसमें खून के थक्के बन जाने से रक्त वाहिकाओं में रुकावट आने लग जाती है 

  • नाक से खून बहना

  • सूजन (सूजन के संकेत समझने के लिए अंग्रेजी में पढ़ें – Understanding the CRP Blood Test and What It Reveals?)

  • जोड़ों में दर्द होना 

  • यूरिन या मल में खून आना

  • मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव होना 

  • लिवर से जुड़ी बीमारियाँ होना

एपीटीटी टेस्ट द्वारा ब्लड सेल्स में हो रहे विकार जिसको ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है, उसके बारे में पता लगाने में मदद मिलती है। एपीटीटी टेस्ट से दवाई की उचित मात्रा के बारे में भी जानने में मदद मिलती है और अचानक ही खून के थक्के बनने को रोके जाने के बारे में जाना जा सकता है।

अगर आप बार-बार खून जमने की समस्या से जूझते हैं, तो 10 blood tests that are beneficial for Indians above 30 अंग्रेजी में  पढ़ना फायदेमंद रहेगा।

एपीटीटी टेस्ट कराने से पहले क्या करें? (before getting APTT test done in Hindi)

यह एक सामान्य ही ब्लड टेस्ट है लेकिन अगर आप किसी भी प्रकार की दवाई का सेवन कर रहे हैं या फिर विटामिन ओर सप्लीमेंट का सेवन कर रहे हैं, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं। अगर कोई ब्लड थिनर या एस्पिरिन या किसी एंटीहिस्टामाइन दवाई ले रहे हैं तो इस विषय के बार में डॉक्टर पता होना आवश्यक है, ऐसा इसलिए  क्योंकि इन दवाइयों का प्रभाव टेस्ट की रिपोर्ट पर असर डालते हैं।

ब्लड से जुड़ी थकावट और कमजोरी को समझने के लिए A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians अंग्रेजी में लेख पढ़ें।

एपीटीटी टेस्ट की प्रक्रिया (APTT test procedure in Hindi)

इस टेस्ट को करने के लिए एक खून अक नमूना एकत्र किया जाता है। जिसकी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से हैं:-

  • शरीर के जिस हिस्से से खून का नमूना लेना होता है उस जगह को पहले अच्छे से साफ किया जाता है. फिर एक पतले बैंड से उस जगह के ऊपर के हिस्से पर बांध दिया जाता है।

  • एक नई पतली सुई को नस के अंदर डाल दिया जाता है फिर खून निकाकर एक ट्यूब में इकट्ठा किया जाता है. जिसको बाद में जाँच के लिए लैब लेबोरेटरी में भेजा दिया जाता है।

  • अब पट्टी खोल दी जाती है और उस क्षेत्र को एक छोटी सी पट्टी लगाकर सुरक्षित कर दिया जाता है।

RFT Test किडनी के साथ-साथ ब्लड की गुणवत्ता जांचने में मदद करता है।

एपीटीटी टेस्ट के रिजल्ट (APTT test result in Hindi)

एक नार्मल एपीटीटी टेस्ट रिजल्ट का समय सीमा 35 सेकंड से कम या फिर उसके बराबर होती है। इस टेस्ट की नार्मल समय सीमा विभिन्न लोगों में भिन्न हो सकती है। स्वस्थ लोगों में, एपीटीटी टेस्ट की अवधि 35 सेकंड तक कम हो सकती है लेकिन अगर लंबे समय तक चलने वाला एपीटीटी टेस्ट शरीर में सूजन का संकेत का एक इशारा हो सकता है। 1.0 से अधिक का एपीटीटी रेंज दिल की बीमारी और असामान्य दिल के फंक्शन की ओर एक इशारा हो सकता है।  

एपीटीटी टेस्ट की सामान्य रेंज

एपीटीटी टेस्ट की सामान्य रेंज 25 से 35 सेकंड मानी गयी है, जिसका अर्थ है कि खून के थक्के जमने या रक्तस्राव की कोई समस्या नहीं है और इंट्रिन्सिक कोएगुलेशन पाथवे (intrinsic coagulation pathway) ठीक से अपना काम कर पा रहा है।

असामान्य रेंज

असामान्य रेंज को सही तरह से जानने के लिए इसको तीन भागों में बांटा दिया गया है, आइए विस्तार से समझे:- 

<30 (30 सेकंड से कम)

  • तीव्र रक्तस्राव की कंडीशन होना 

  • कैंसर का प्रसार यानी फैलाव होना 

  • डीआईसी का प्रारंभिक चरण होना

>40 (40 सेकंड से ज्यादा का समय)

अगर व्यक्ति के शरीर में लिवर की कोई बीमारी है, डीआईसी, हेपरिन (Heparin), प्रीकैलीक्रियन कीकांग्रेटेल डेफिशियेंसी (Pre Calcium Concentrate Deficiency), हीमोफीलिया ए (Hemophilia A) और हीमोफीलिया बी (Hemophilia B), विटामिन के आदि की कमी भी होना, इन सभी बीमारियों की वजह के कई कारण हो सकते है।

>100 (100 सेकंड ज्यादा का समय) 

  •  हेपरिन (heparin) या वारफेरिन (warfarin) जैसी दवा का ओवरडोज़

  • रक्तस्राव की स्थिति होना 

अगर व्यक्ति को अकारण रक्तस्राव होता है या फिर खून के थक्के जमने का खतरा होता है और अगर खून को पतला करने वाली दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, तो डॉक्टर के मिलकर परामर्श ले. क्या पता आपको एपीटीटी टेस्ट करवाने की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह ले और सही उपचार का चयन करें। 

विटामिन K की कमी ब्लड क्लॉटिंग को प्रभावित कर सकती है – Vitamin K Deficiency Symptoms and Solutions जरूर पढ़ें।

नोट:

एपीटीटी टेस्ट एक अहम और महत्वपूर्ण ब्लड टेस्ट है जो कि खून के थक्के बनने की प्रक्रिया में शामिल कारकों की जांच करने में मददगार है और विभिन्न चिकित्सा स्थितियों के निदान और उपचार की निगरानी में भी सहयोग करता है। ब्लड प्रोफाइल में APTT की तरह ही Ferritin test भी जरूरी भूमिका निभाता है।

मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।