फेफड़े हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। स्वस्थ शरीर के लिए फेफड़ों का ठीक से काम करना बेहद ज़रूरी है। दरअसल, फेफड़ों में थोड़ी सी भी गड़बड़ी पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम करना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा, फेफड़ों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए धूम्रपान से भी बचना चाहिए। हालाँकि, खराब खान-पान, प्रदूषण, जीवनशैली और धूम्रपान फेफड़ों की बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं। अगर फेफड़ों की सेहत सही नहीं या सही से काम करने में असमर्थ है तो डॉक्टर पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट को पीएफटी टेस्ट भी कहते हैं जो कि एक तरह का ग्रुप टेस्ट है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर व्यक्ति के फेफड़ों के कार्य की जांच करते हैं कि यह सही से काम कर रहे हैं या नहीं। आइए जानते हैं कि पीएफटी टेस्ट में शामिल होने वाले टेस्ट कौन-से हैं :-
इससे फेफड़ों की कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिलती है। कुल फेफड़ों की क्षमता हवा की वह कुल मात्रा है जिसे फेफड़े अधिकतम श्वास पर धारण कर सकते हैं।
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इसका उपयोग फेफड़ों के स्वास्थ्य और कार्य का आकलन करने के लिए किया जाता है और यह सामान्य श्वास के दौरान फेफड़ों में प्रवेश करने या बाहर निकलने वाली हवा की मात्रा को मापता है।
यह फेफड़ों के कार्य का एक महत्वपूर्ण माप है और विभिन्न फेफड़ों के रोगों का आकलन करने में मदद करता है। फेफड़ों का आयतन हवा की वह अधिकतम मात्रा है जो एक व्यक्ति एक बार में अंदर ले सकता है और फिर पूरी तरह से बाहर निकाल सकता है।
आरवी, फेफड़ों की क्षमता और कार्यप्रणाली को मापने के लिए किए जाने वाले फुफ्फुसीय कार्य परीक्षण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह हवा की वह मात्रा है जो किसी व्यक्ति के पूरी तरह से साँस छोड़ने के बाद भी फेफड़ों में रह जाती है।
यह एक मिनट में फेफड़ों से ली गई या छोड़ी गई हवा की कुल मात्रा है, जिसकी गणना ज्वारीय आयतन (tidal volume) को श्वसन दर से गुणा करके की जाती है। यह फेफड़ों और श्वसन क्रिया को मापने के लिए महत्वपूर्ण है।
एफआरसी एक सामान्य, निष्क्रिय साँस छोड़ने के बाद फेफड़ों में बची हवा की मात्रा है। एफआरसी यह सुनिश्चित करता है कि फेफड़े कभी पूरी तरह खाली न हों और सामान्य श्वसन चक्र हमेशा हवा से भरा रहे।
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यह फेफड़ों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एक मानक टेस्ट होता है। फेफड़ों की कार्यक्षमता के बारे में जानने के लिए एक टेस्ट है, जिसमें व्यक्ति अधिकतम साँस लेता है और फिर उसके बाद अपनी सारी हवा ज़ोर से बाहर निकाल देता है। इस पैरामीटर का इत्सेमाल करते हुए निम्नलिखित बातों के बारे में पता लगाया जा सकता है:-
वायुमार्ग में रुकावट का पता लगाने के लिए बलपूर्वक निःश्वसन प्रवाह एक महत्वपूर्ण तकनीक है। यह चिकित्सक को फेफड़ों की कार्यक्षमता और वायुमार्ग की स्थिति का आकलन करने में मदद करता है, जिससे उचित उपचार की योजना बनाने में मदद मिलती है।
अधिकतम साँस लेने के बाद एक व्यक्ति एक निश्चित समय में कितनी हवा ज़ोर से बाहर निकाल सकता है। जो एक सेकंड में छोड़ी गई हवा की मात्रा सबसे आम माप FEV1 है। यह अधिकतम साँस लेने के बाद बाहर निकाली गई हवा की कुल मात्रा है।
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यह व्यक्ति को अपनी साँस लेने की स्थिति पर नज़र रखने और ज़रूरी कदम उठाने में मदद करता है। यह एक माप है जो दर्शाता है कि व्यक्ति कितनी तेज़ी से साँस छोड़ सकता है।
डीएलसीओ, फेफड़ों की प्रसार क्षमता, जो एक प्रकार का फेफड़ों का कार्य टेस्ट पीएफटी है, जो मापता है कि आपके फेफड़े रक्त में ऑक्सीजन को कितनी अच्छी तरह स्थानांतरित करते हैं। इस टेस्ट में कार्बन मोनोऑक्साइड को खींचा जाता है। यह परीक्षण दो तरह से होता है :-
एक चिकित्सा उपकरण जो फेफड़ों की मांसपेशियों को आराम देता है और फेफड़ों के व्यायाम के लिए उपयोग किया जाता है। माउथपीस (मुँह में जाने वाला भाग) का उपयोग फेफड़ों में हवा पहुँचाने के लिए किया जाता है (आप साँस लेते समय थोड़ी मात्रा में हवा अंदर खींचते हैं और उसे बाहर छोड़ते हैं)।
एक चिकित्सा परीक्षण जो किसी अंग या पूरे शरीर के आयतन में होने वाले परिवर्तनों को मापता है, ताकि फेफड़ों में हवा की मात्रा या अंगों में रक्त प्रवाह को समझा जा सके। इसका उपयोग फेफड़ों के कार्य परीक्षणों (जैसे बॉडी प्लेथिस्मोग्राफी) या रक्त प्रवाह परीक्षणों (जैसे हाथों और पैरों में रक्त के थक्कों का पता लगाने के लिए) में किया जाता है।
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जब किसी व्यक्ति के शरीर में कुछ लक्षणों की समस्या बनी रहती है तब डॉक्टर पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट के लिए सलाह देते हैं। समस्या की वजह किसी भी तरह का संक्रमण, एलर्जी, सूजन आय फिर ट्यूमर हो सकता है इसलिए
डॉक्टर मरीज के फेफड़ों के विकारों के बारे में जानने के लिए और उसकी समस्या के निदान करने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। कुछ लक्षणों पर ध्यान दिया जाता है तो वह फेफड़ों की समस्या का संकेत दे रही होती है, आइए जानते हैं वो कौन-से लक्षण है:-
खांसने की समस्या
सांस का फूलना
घरघराहट होना
सांस लेने में कठिनाई होना
थकान रहना
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बहुत बार डॉक्टर रूटीन चेकअप के तौर पर भी पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करते हैं। इस टेस्ट के लिए डॉक्टर उन कर्मचारियों को भी कह सकते हैं जो कि ग्रेफाइट या कोयला खदानों में काम करते हो।
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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है:-
टेस्ट से पहले नर्स आपसे एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया जाता है।
टेस्ट के कम से कम चार से छह घंटे पहले आपको ज्यादा मात्रा में खाना नहीं खाना चाहिए।
टेस्ट से 4 से 6 घंटे पहले धूम्रपान नहीं भी करना चाहिए।
अगर आप किसीबीमारी के लिए दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। ऐसा इसलिए क्योंकि निर्धारित या गैर-निर्धारित दवाइयां, जड़ी-बूटियां, विटामिन और सप्लीमेंट आदि शामिल होते हैं। डॉक्टर टेस्ट से पहले मरीज को ब्रोन्कोडायलेटर (bronchodilator) या सांस के जरिए ली जाने वाली दवाइयों के सेवन को छोड़ने की सलाह देते हैं।
टेस्ट से पहले सभी आभूषणों को निकाल कर र्घर पर रख दें साथ ही ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें।
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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित तरीके होते है:-
इस टेस्ट के लिए सबसे मरीज को कुर्सी पर बैठया जाता है फिर डॉक्टर मरीज की नाक पर एक सॉफ्ट क्लिप लगा देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि प्रोसीजर के दौरान केवल मुंह के माध्यम से ही मरीज सांस ले सकें।
फिर डॉक्टर मुंह में स्पाइरोमीटर का स्टेरॉयल माउथपीस लगाएंगे और आपको सांस अंदर और बाहर करने के लिए कहेंगे। कुछ मामलों में, ब्रोन्कोडायलेटर्स दी जा सकती है और इसके प्रभाव की जांच करने के लिए मरीज का कुछ मिनटों के बाद फिर दोबारा टेस्ट किया जाता है।
इस टेस्ट के लिए मरीज को फोन बूथ जैसा सी-थ्रू बॉक्स में बैठया जाता है फिर डॉक्टर मरीज को अपनी नाक पर लगाने के लिए एक क्लिप देते हैं जिससे सिर्फ अपने मुंह से ही सांस ले सकें।
फिर मरीज के मुंह के आगे माउथपीस लगाकर, उसको सांस लेने और छोड़ने का निर्देश दिया जाता है।
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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट श्वसन संबंधी कई तरह की स्थितियों के लिए डॉक्टर करवाने की सलाह दे सकते हैं iइसलिए अगर अपने शरीर में कोई लक्षण या समस्या से गुज़र रहे हैं तो डॉक्टर से मिलकर इस टेस्ट के बारे में समझे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ चेकअप क्यों जरूरी है, जानें।
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