किसी भी बीमारी के बारे में जानने के लिए उसके लक्षणों पर ध्यान देने की ज़रुरत होती है जिससे समस्या को समय रहते ठीक किया जा सकता है या उसको गंभीर होने से रोका जा सकता है। ऐसी ही एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका नाम अल्सर एक है, लेकिन सही समय पर अगर इसकी पहचान और उपचार किया जाए तो इसको नियंत्रित कर सकते हैं। अगर आप स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित चिकित्सीय जांच करवाते हैं तो अल्सर की समस्या से बचाव किया जा सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो, तो तुरंत डॉक्टर से जाकर मिलें और उचित उपचार लेकर समस्या को गंभीर होने से रोके। अल्सर की समस्या बाल्यावस्था या बचपन और किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन या समस्या मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में सबसे अधिक देखने को मिलती है।
अल्सर एक तरह का घाव होता है आप इसको छाले के रूप में भी देख सकते हैं, जो शरीर की अंदरूनी सतहों पर होता है। वैसे तो, आमतौर पर यह पेट की अंदरूनी परत, या छोटी आंत या फिर ग्रासनली (इसोफेगस) में बनता है। अल्सर की समस्या तब होती है जब जब पेट में बनने वाला अम्ल जो की एक तरह का एसिड है इन आंतरिक सतहों को नुकसान पहुंचाने लगता है, जिसकी वजह से छाले या घाव बनने लग जाते हैं। अल्सर वैसे तो एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, लेकिन अगर इसकी सही समय पर पहचान हो जाए तो इसको उपचार से नियंत्रित कर सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित चिकित्सा जांच से कोई भी व्यक्ति अल्सर की समस्या से अपना बचाव कर सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण दिखाई या महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेकर, एक उचित उपचार शुरू करें।
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अल्सर के लक्षण हर व्यक्ति के अंदर भिन्न हो सकते हैं इसलिए यह लक्षण व्यक्ति-व्यक्ति निर्भर होते हैं और यह अल्सर की गंभीरता पर भी तय निर्भर करते हैं। अल्सर की समस्या के लक्षण गंभीर हो सकते हैं इसलिए इनको नजरअंदाज न करें। सही समय पर इन लक्षणों की पहचान करके एक उचित उपचार से अल्सर की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं और इसको गंभीर परिणामों से भी बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि अल्सर के लक्षण कौन-से हैं:-
जब व्यक्ति के पेट के ऊपरी हिस्से में जलन या दर्द महसूस हो तो उसे एपिगैस्ट्रिक पेन कहते हैं। यह दर्द खाना खाने के बाद या खाली पेट होने पर अधिक बढ़ सकता है।
बदहजमी और पेट में गैस बन जाना या फिर पेट में भारीपन महसूस होना भी अल्सर का लक्षण हो सकता है।
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जब व्यक्ति को भूख न लगे या फिर खाना खाने में कोई रुचि न हो। कम खाने के बावजूद भी पेट भरा हुआ सा लगना आदि भी अल्सर का संकेत हो सकता है। भूख कम लगने या थकावट महसूस होने पर अंग्रेजी में जरूर पढ़ें – A Complete Overview of Fatigue and its effect in Indians
अचानक से वजन कम हो जाना या फिर खाने की इच्छा में कमी आना, यह दोनों लक्षण अल्सर की ओर इशारा हो सकता है।
कई बार मतली या उल्टी आना या फिर कभी-कभी खून की उल्टी होना भी एक लक्षण है।
मल का रंग काला या टेरी जैसा हो जाना या फिर आंतरिक रक्तस्राव भी संकेत हो सकता है कि आपको अल्सर की समस्या है।
अगर पेट में भारीपन या फूलने की समस्या बार-बार हो रही है तो या बभी अल्सर होने की संभावना है।
अगर आपको बेवजह बार-बार डकार आ रही है तो भी एक अल्सर का लक्षण हो सकता है।
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अगर किसी भी व्यक्ति में खून की कमी या रक्तस्राव की समस्या है तो यह भी अल्सर कि वजन बन सकता है।
व्यक्ति में अगर खून की कमी है तो यह भी एक समय के बाद शरीर में अल्सर बन सकता है।
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अल्सर होने की कई वजह हो सकती है, जो पेट और आंतों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचा सकता है। अल्सर के कई कारण हो सकते हैं और समय पर पहचान और उचित इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है। अगर आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं साथ ही संतुलित आहार का सेवन करते हैं तो आप अल्सर की समय के खतरे को कम कर सकते हैं। लेकिन अगर आप धूम्रपान और शराब का सेवन करते हैं और दर्द निवारक दवाइयों का ज़रुरत से अधिक इस्तेमाल करते हैं तो अल्सर का जोखिम बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कुछ कारण जो अल्सर होने की संभावना को बढ़ा देते हैं:-
जब यह बैक्टीरिया पेट की श्लेष्मा परत को कमज़ोर करने लगता है, तो एसिड अंदरूनी परत को नुकसान पहुँचाना शुरू कर सकता है। यह अल्सर बनने के सबसे आम कारणों में से एक है।
आइबुप्रोफेन, एस्पिरिन और नेप्रोक्सन जैसी नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाईयों का लंबे समय तक या ज़्यादा मात्रा में लेने पर अल्सर का कारण बन सकती हैं। यह दवाई पेट की रक्षा करने वाली बलगम की परत को कमज़ोर करने लग जाती हैं।
ज़रुरत से ज्यादा मसालेदार, खट्टे, या अम्लीय खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ आदि पेट की आंतरिक परत को क्षति पहुंचाने लग सकती हैं।
धूम्रपान और शराब सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है और साथ ही पेट और आंतों की म्यूकस परत को कमजोर करती है। इस वजह से अल्सर होने की संभावना भी बढ़ जाती है। शराब पेट के अम्ल को बढ़ा देती है, जिसकी वजह से म्यूकस परत को क्षति पहुंचाती है।
तनाव और मानसिक दबाव भी व्यक्ति के पेट की म्यूकस परत को प्रभावित करता हैं और अल्सर की वजह बन सकता हैं। वैसे तो, तनाव अकेले अल्सर का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन यह स्थिति को और भी ज्यादा बदतर बना सकता है।
अनियमित भोजन की आदत, असंतुलित आहार और भोजन छोड़ने की आदतें भी अल्सर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
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यह समस्या परिवार में किसी रही हो तो अल्सर की समस्या उस व्यक्ति को विरासत में मिलने की संभावना बहुत ही अधिक बढ़ जाती है।
जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम (Zollinger-Ellison syndrome), यह पेट में अत्यधिक एसिड उत्पादन का कारण बन सकता है, जिससे व्यक्ति को अल्सर होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
ज्यादा मात्रा में कॉफी और चाय का सेवन करना भी पेट के एसिड को बढ़ा देता है, जिसकी वजह से अल्सर की समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है।
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अल्सर जो कि एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है उसको रोकने और नियंत्रित करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखा जा सकता है जिससे इस समस्या से बचाव हो सकता है। अल्सर से बचाव के लिए आप स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत करें साथ ही संतुलित आहार को अपनी डाइट में जोड़े और तनाव प्रबंधन के साथ नियमित चिकित्सा जांच करवाएं। अगर इन उपायों को अपनाते हैं तो अल्सर के जोखिम को कम कर सकते हैं और पेट की समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ अल्सर से बचाव करने के तरीको के बारे में:-
अपनी डाइट में संतुलित आहार लें जिसमें मसलन फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल हो।
ज्यादा मसालेदार खाना, खट्टे और अम्लीय खाद्य पदार्थों के सेवन से दूर रहे, यह अल्सर के जोखिम हो बढ़ा सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि समय पर भोजन करें। हल्का और पौष्टिक भोजन का सेवन करें और रात के समय भारी भोजन न करें।
आप पेट की अम्लीयता को कम करने के लिए दूध या उसे बननी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह अल्सर से बचाव करने में मददगार है।
धूम्रपान करने से पेट की म्यूकस परत को क्षति पहुंचाती है, जिससे अल्सर का जोखिम बढ़ जाता है। वही, अत्यधिक शराब का सेवन करने से पेट के अम्ल बढ़ाने लग जाता है और म्यूकस परत को क्षति पहुंचाने लगती है।
एनएसएआईडीएस का कम से कम ही इस्तेमाल करना चाहिए। दर्द निवारक दवाईयों का ज्यादा या लंबे समय तक इस्तेमाल करने से अल्सर की समस्या पैदा हो सकती है। डॉक्टर की सलाह से ही एनएसएआईडीएस का सेवन करें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाई का दिशा-निर्देशों का पालन करें।
मेडिटेशन और योग की मदद से तनाव को कम कर सकते हैं। ध्यान और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों की मदद से तनाव को कम करने में मदद मिलती हैं।
पर्याप्त और गुणवत्ता वाली नींद रोज़ लें,, जिसे स्वस्थ बेहतर रहेगा।
स्वस्थ रहने के लिए अपनी और आस-पास स्वच्छता को बनाए रखें क्योंकि जहाँ स्वच्छता होती हैं वहाँ सूक्ष्मजीवों या रोगाणुओं के वृद्धि होनी की संभावना कम हो जाती है।
H। pylori बैक्टीरिया संक्रमण से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप अच्छी स्वच्छता को बनाए रखें, जैसे कि भोजन से पहले और बाद में हाथ धोना और साफ पानी का स्वान करना आदि।
नियमित व्यायाम करने से पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहता है और तनाव कि समस्या भी कम होती है।
पेट की समस्याओं के लक्षण महसूस होने पर अपने डॉक्टर से मिलें और समय-समय पर परामर्श लें। अगर परिवार में किसी को अल्सर हो तो पेट की समस्याओं की नियमित जांच करवाते रहें।
कैफीन युक्त पेय पदार्थों को सीमित मात्रा में ही सेवन करें, कोशिश रहे कि इनका सेवन कम से कम ही रखें।
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अल्सर की समस्या एक गंभीर समस्या है इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे अपना बचाव करें और पेट के स्वस्थ को बेहतर रखने के लिए व्यायाम करें और कम मसाले वाला भोजन करें। लंबे समय से पेट दर्द या पाचन दिक्कत है तो जानिए सीईए टेस्ट के बारे में विस्तार से !
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