क्लोराइड टेस्ट खून और मूत्र में क्लोराइड आयनों की मौजूदगी मापने के लिए एक लेबोरेटरी स्क्रीनिंग जाँच है। क्लोराइड कोशिकाओं के बाहर पाया जाने वाला एक ऋणायन (anion) है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। क्लोराइड आसमाटिक दाब (osmotic pressure) बनाए रखने में मदद करता है। यह अम्ल-क्षार (acid-base) संतुलन और पाचन को भी बनाए रखने में मदद करता है। सीरम में क्लोराइड की सांद्रता निर्जलीकरण, अत्यधिक क्लोराइड सेवन, किडनी की विफलता और मेटाबॉलिज्म अम्लरक्तता (metabolic acidosis) के कारण हो सकती है। कुछ बीमारियों में क्लोराइड की सांद्रता कम भी हो सकती है। अगर डॉक्टर को शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का संदेह होता है, तो वह क्लोराइड टेस्ट की सलाह दे सकता है। खून क्लोराइड टेस्ट या 24 घंटे का मूत्र क्लोराइड टेस्ट एक सरल जाँच हैं। यह परीक्षण शरीर में द्रव और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन की निगरानी और रोगियों में कम नमक वाले आहार के प्रभाव को देखने के लिए किए जाते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों में क्लोराइड टेस्ट पसीने के माध्यम से भी किया जा सकता है।
जब कोई भी क्लोराइड टेस्ट का नाम सुनता है तो उसके मन में यही आता होगा कि आखिर क्लोराइड टेस्ट किसलिए किया जाता है?
क्लोराइड आयन शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। यह खासतौर पर सोडियम आयनों से जुड़े होते हैं, इसलिए सोडियम की सांद्रता में कोई भी कमी क्लोराइड में असंतुलन का कारण बन सकती है। डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में क्लोराइड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं:-
कमजोरी आना
तेज और गहरी सांस लेना
सुस्ती आना
बेहोशी, जो कि कई बार कोमा का रूप भी ले सकती है।
मांसपेशियों में अकड़न होना
टिटेनी की समस्या
किडनी का सही से काम न कर पाना
लो ब्लड प्रेशर
दस्त की समस्या
उल्टी होना
किडनी की हेल्थ जानने के लिए RFT टेस्ट के बारे में पढ़ें।
जब डॉक्टर अआप्को क्लोराइड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं तब मन में यह सवाल तो आता है कि टेस्ट से पहले तैयारी कैसे करें? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक सरल और सामान्य टेस्ट है, जिसके व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई विशेष रूप से तैयारी करने की ज़रुरत नहीं पड़ती है। इस टेस्ट के लिए आपको उपवास रखने कि ज़रूरत नहीं है मतलब यह है कि टेस्ट से पहले भूखे रहने की कोई ज़रुरत नहीं है।
यूरिन टेस्टिंग दिन के किसी भी समय किया जा सकता है या 24 घंटे के भीतर नमूना एकत्र करके टेस्ट किया जा सकता है। डॉक्टर मरीज़ को टेस्ट के बारे में समझाएँगे और 24 घंटे के लिए मूत्र एकत्र करने के लिए अलग कंटेनर उपलब्ध कराएँगे।
इलेक्ट्रोलाइट्स टेस्ट और इसके महत्व को समझें।
आइए जानते और समझते हैं कि क्लोराइड टेस्ट कैसे किया जाता है? वैसे इस टेस्ट को दो तरीको से किया जा सकता है पहला है ब्लड टेस्ट और दूसरा है यूरिन टेस्ट।
क्लोराइड ब्लड टेस्ट एक सामान्य और सरल प्रक्रिया होती है, जिसमें डॉक्टर मरीज की बांह की नस में सुई लगाकर, लगभग 7 मिलीलीटर ब्लड का सैंपल लेकर एक हरे रंग की ट्यूब में कलेक्ट कर लेता है। इस टेस्ट के सेंपल निकालने के लिए बांह पर किसी भी तरह की कोई पट्टी आदि नहीं बांधी जाती है। मरीज को सुई लगते समय हल्का सा दर्द महसूस हो सकता है या फिर हल्की चुभन का एहसास हो सकता है. इस टेस्ट से डरने या घबराने की ज़रूरत नहीं हैं इसमें किसी भी तरह का कोई खतरे नहीं हैं।
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के बारे में विस्तार से जानें।
मरीज़ के 24 घंटे के यूरिन के नमूने सुबह 7 बजे से एकत्र किए जाते हैं और एकत्र किए गए नमूनों को फ्रीज़र में रखा दिया जाता है। डॉक्टर नमूने के कंटेनर पर नमूने का प्रारंभ और समाप्ति समय लिखने को कहते हैं। दिन का अंतिम नमूना एकत्र होने के बाद, नमूने को आगे जाँच के लिए भेज दिया जाता है।
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क्लोराइड परीक्षण के परिणाम और सामान्य सीमाएँ सामान्य परिणाम:
यदि रक्त में क्लोराइड की सांद्रता 90-106 मिलीइक्विवेलेंट प्रति लीटर (mEq/L) या 90-106 (mmol/L) है, तो इसे सामान्य सीमा में माना जाता है।
24 घंटे के मूत्र नमूना परीक्षण के सामान्य परिणाम इस प्रकार हैं:
140-250 mEq/24 घंटे या 140-250 mmol/दिन
15-40 mEq/24 घंटे या 15-40 mmol/दिन
64-176 mEq/24 घंटे या 64-176 mmol/दिन
क्लोराइड परीक्षण के परिणाम नमक (जो शरीर में कितना नमक जाता है) और पसीने पर भी निर्भर करता हैं। प्रत्येक लैब के मानक वैल्यू अलग-अलग हो सकते हैं।
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सामान्य से अधिक या कम मान असामान्य माने जाते हैं। असामान्य परिणाम खून रक्त के नमूने में रेड ब्लड सेल्स के टूटने और कुछ दवाइयों के कारण भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति जिसमें ब्लड और यूरिन में क्लोराइड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, जिसको हाइपरक्लोरेमिया कहा जाता हैं. जबकि सामान्य से कम क्लोराइड स्तर की स्थिति को हाइपोक्लोरेमिया कहा जाता है। क्लोराइड का अत्यधिक सेवन, अत्यधिक नमक का सेवन और मेटाबोलिक एसिडोसिस हाइपरक्लोरेमिया का कारण बन सकते हैं।
HCT टेस्ट से रेड ब्लड सेल्स की मात्रा जानें।
निर्जलीकरण, कुछ किडनी की बीमारियाँ और कुछ दवाईयाँ क्लोराइड के स्तर को बढ़ा सकती हैं।
दस्त, उल्टी, कुछ फेफड़ों की बीमारियाँ और कुछ दवाईयाँ क्लोराइड के स्तर को कम भी कर सकती हैं।
गंभीर निर्जलीकरण (dehydration) के कारण भी क्लोराइड का स्तर अस्थायी रूप से बढ़ सकता है। हाइपरक्लोरेमिया निम्नलिखित स्थितियों में संकेतित हो सकता है:-
एक्यूट रीनल फेलियर की समस्या
शराब की लत लगना
कुशिंग सिंड्रोम की समस्या
हाइपरपैराथायराइडिज्म की समस्या
डायबिटीज होना
इन्सिपिडस होना
एड्रेनोकोर्टिकल पर्याप्त मात्रा में ना बन पाना की दिक्कत
मल्टीपल माइलोमा की समस्या
श्वसन क्षारमयता (respiratory alkalosis)
क्लोराइड टेस्ट सरल है जो आपके शरीर के द्रव और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के बारे में आवश्यक जानकारी के बारे में बताने में मददगार है। क्लोराइड टेस्ट समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसका उद्देश्य, प्रक्रिया और प्रभावों को समझते हुए सक्रिय कदम उठा सकते हैं। व्यक्तिगत सलाह और उपचार विकल्पों के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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