मेटाबॉलिज्म या चयापचय को समझना कोई बड़ी बात नहीं है न ही यह कोई कठिन कार्य है। अगर एकदम सरल ओर आसान भाषा में कहें, तो पेट के द्वारा खाने को पचाने वाली प्रक्रिया है। मेटाबॉलिक संबंधी विकार की बात करें तो मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है जिसमें व्यक्ति को खाना पचाने की समस्या होती है, जिस वजह से दिल की बीमारी, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ जाता है। साथ ही इस समस्या के कारण शरीर का ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है और कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी बढ़ने लगती है। असामान्य कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड लेवल भी बढ़ने लग जाता है। मेटाबॉलिज्म के कारण डायबिटीज या फिर दिल से जुडी कोई भी समस्या है, तो कार्डियोलॉजी डॉक्टरों से सलाह लें। इस ब्लॉग के ज़रिए समझेंगे कि मेटाबॉलिज्म क्या है और इसका सही से काम न कर पाने के कारन, लक्षण आदि।
अगर चिकित्सा भाषा में कहें, तो मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर की वह प्रक्रिया होती है जिसमें भोजन का परिवर्तन ऊर्जा में बदलने के लिए होता है। अगर मेटाबॉलिज्म में किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या पैदा होती है, तो व्यक्ति को पेट से जुड़ी समस्या व गड़बड़ी का सामना करना पड़ता है।
कई बार यह भी देखा गया है की व्यक्ति स्लो मेटाबॉलिज्म का सामना कर रहा होता है या फिर उसका मेटाबॉलिक रेट जिसको बी।एम।आर (BMR) कहते हैं वह स्लो है। इस स्थिति में व्यक्ति को खाना खाने की इच्छा नहीं होती यानी भूख नहीं लगती है, क्योंकि खाना सही से तरह से पच नहीं पता है और अक्सर कब्ज की शिकायत रहने लग जाती है। व्यक्ति का खराब या स्लो मेटाबॉलिज्म होने के कारण कई समस्याओं को बढ़ावा ममिल जाता है, जैसे कि त्वचा की समस्याएं, डायबिटीज/शुगर, पीठ पर दाने होना, आदि। कुछ मामलों में, खराब मेटाबॉलिज्म होने की वजह से दिल से जुड़े विकार भी हो जाते हैं। ऐसे में आपको जल्द से जल्द मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त व ठीक करने का उपाय खोजना चाहिए।
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मेटाबॉलिज्म स्लो होने की वजह से दिक्कते तो आती है लेकिन इसके मुख्य कारण क्या है, आइए जानते और समझते हैं :-
जब व्यक्ति के शरीर में लो प्रोटीन का इनटेक होता है तो मेटाबॉलिज्म की समस्या पैदा हो सकती है। आप रोज़ाना अपने आहार में एक प्रोटीन की मात्रा को तय करें जिससे आप इस समस्या से बाख सकेंगे साथ ही खतरे को भी कम कर पाएंगे।
मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में शरीर में सूजन (Inflammation) भी आम है, यहां पढ़ें इसके बारे में।
जब शरीर में हार्मोन में बदलाव आता है तो कई समस्या पैदा होने लगती है और इस वजह से शरीर के ऊर्जा उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है, जो कि मेटाबॉलिक विकार का कारण होता है।
जब व्यक्ति की नींद प्रभावित होती है तब बहुत सी समस्या शरीर में अपना घर बना लेती है। ऐसी जब नींद पर असर पड़ता है तो उसका प्रभाव मेटाबॉलिज्म पर भी दिखाई देता है। किसी भी प्रकार की अड़चन या दिक्कत होने के कारण व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता हैं। इस वजह से डायबिटीज और मोटापे जैसी स्थितियां पैदा होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।
कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि वजन कम करने दौरान व्यक्ति स्ट्रिक्ट डाइट प्लान का पालन करते हैं। लेकिन इस वजह से उनके आहार में कुछ आवश्यक तत्व की कमी हो जाती हैं। अंततः यह स्लो मेटाबॉलिज्म का कारण बन जाता है।
अधिकतर रेस्तरां में साधारण नमक का इस्तेमाल किया जाता हैं, क्योंकि वह नमक खाने के स्वाद को बहुत ही ज्यादा बढ़ा देता हैं। लेकिन इस नमक में आयोडीन की मात्रा कम होती है या तो होती ही नहीं है, जिससे खाना पचाने में समय अधिक लगता है या फिर अच्छे से पच नहीं पाता है।
तनाव बी एक अहम कारण है जिसकें वजह से मेटाबॉलिक विकार हो सकता है क्योंकि तनाव शरीर में कॉर्टिसोल नाम के हार्मोन का निर्माण करता है, जिसे स्ट्रेस हर्मोन भी कहते हैं। बहुत से मामलों में, देखा गया है कि अधिक स्ट्रेस यानी तनाव के कारण व्यक्ति का वजन बढ़ने लग जाता है, जो कि मेटाबॉलिज्म के उत्पादन को स्लो कर देता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम में हाई कोलेस्ट्रॉल भी शामिल है, यहां जानें इसके बारे में।
मेटाबॉलिक विकार या डिसऑर्डर के लक्षण विभिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसे सामान्य लक्षण है जो आमतौर पर दिखाई दे सकते हैं:-
थकान होना
वजन का बढ़ना (वजन बढ़ना कई मेटाबॉलिक बीमारियों का कारण बन सकता है, मोटापे की जानकारी यहां पढ़ें।)
वजन का घटना
पेट में दर्द होना
मतली और उल्टी होना
त्वचा की समस्याएं होना
मांसपेशियों में कमजोरी आना
हड्डियों में दर्द रहना
कुछ मेटाबॉलिक विकार शरीर में सूजन और जोड़ों की समस्याएं बढ़ा सकते हैं, अंग्रेजी में पढ़ें Rheumatoid Arthritis के बारे में।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कई जोखिम कारक एक साथ शामिल हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे कि मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, और असामान्य कोलेस्ट्रॉल लेवल आदि।
डायबिटीज ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में पैदा नहीं करने में असमर्थ होता है या उसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने में असमर्थ होता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में डायबिटीज एक आम समस्या है, इसके बारे में विस्तार से पढ़ें।
थायराइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन का उत्पादन करती है जिससे चयापचय यानी मेटाबोलिज्म नियंत्रित रहता है। लेकिन थायराइड हार्मोन के उत्पादन में असंतुलन आने के कारण चयापचय से संबंधी विकार पैदा हो सकते हैं। थायरॉइड डिसऑर्डर भी मेटाबॉलिक असंतुलन से जुड़ा होता है, पूरी जानकारी पाएं।
इस स्थिति है व्यक्ति की हड्डियों की ताकत और संरचना प्रभावित होती है।
यह एक आनुवंशिक स्थितियां मानी जाती हैं जिसमें शरीर की मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में एक एंजाइम या प्रोटीन की कमी होने के कारण से पैदा होती हैं।
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अगर व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म सही से काम न कर रहा हो या फिर स्लो हो तब उसको बढ़ाने का उपाय करना लाभकारी साबित हो सकता है। आइए कुछ उपायों के बारे में जानते हैं जिससे हर व्यक्ति अपने शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सफल हो सकता है:-
अगर कॉफी का सेवन करते हैं, तो यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगार है। इसके साथ ही ग्रीन टी का उपयोग करना भी बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है।
नारियल में फैटी एसिड मौजूद होता है जो कि एक लाभकारी तेल है। अगर इसका सेवन किया जाए, तो इसका लाभ ज़रूर साफ़ देख पाएंगे।
नींद की समस्या होने के कारण शरीर में मोटापा आने लगता है जो कि मेटाबोलिज्म को स्लो करने लग जाता है। अनिद्रा यानी कम सोने के कारण मेटाबॉलिज्म पर नकारात्मक दिखाई देगा, जिससे वजन लगातार बढ़ने लग जाता है। इस वजह से टाइप 2 डायबिटीज की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसा कुछ होने पर डॉक्टर से मिलें और इस समस्या से बचाव के लिए अच्छी और पर्याप्त मात्रा में नींद को पूरा करें।
व्यायाम आपके शरीर में मेटाबॉलिज्म की दर को बढ़ाता है। हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग तेजी से फैट बर्न करने में मदद कर सकता है। फैट कम होने से मेटाबॉलिज्म की दर भी तेज हो जाती है।
हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बहुत आवश्यक है। यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करता है जिसके लिए अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को तेज़ किया जा सकता है।
दालचीनी की चाय में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जिससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ता और त्तेज़ होता है। दालचीनी फैट को हटाने और वेट लॉस में भी मददगार साबित होती है। मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के लिए रात या फिर सुबह दालचीनी की चाय का सेवन कर सकते हैं।
पहले के ज़माने में लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती थी, ऐसा इसलिए क्योंकि वह देसी घी का सेवन किया करते थे। घी के फैटी एसिड्स पेट में पाचन एंजाइम (digestive enzymes) को बढ़ाते देते हैं, जिससे खाना अच्छे से पच जाता है, जो किमेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है।
अगर अदरक वाली चाय का सेवन किया जाए, तो यह ब्लोटिंग की समस्या को खत्म करती है और मेटाबॉलिज्म को तेज़ करने में मदद करती होता है।
अजवाइन का सेवन पाचन क्रिया को तेज़ करने में मदद मिलती है। इससे पाचन एंजाइम (digestive enzymes) बहुत ज्यादा दुरुस्त हो जाते हैं, इसलिए कहा जाता है कि अजवाइन को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
अगर सलाद का सेवन किया जाए, तो यह अच्छे मेटाबोलिज्म के लिए मददगार है और कहा भी जाता की सलाद का सेवन मेटाबोलिज्म को बेहतर रखने के लिए आवश्यक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सलाद में फाइबर की अच्छी व भरपूर मात्रा मौजूद होती है और यह पाचन क्रिया में मददगार करता है।
बाजरे की रोटी में फाइबर और रफेज की काफी अच्छी मात्रा पे जाती है। इससे बॉवेल मूवमेंट में मदद मिलती ही है साथ ही मेटाबॉलिज्म भी अच्छा रहता है।
सेब और संतरा दोनों ही फल में रफेज की मात्रा अधिक पाई जाती है। सेब का सेवन करने से पाचन एंजाइम (digestive enzymes) को बढ़ावा होता हैं और मेटाबॉलिक एक्टिविटी को तेज़ करने में मदद करता है। इसके सिवा, संतरे का विटामिन सी व्यक्ति का पेट साफ करने में मददगार होता है।
विटामिन की कमी भी मेटाबॉलिक हेल्थ को प्रभावित कर सकती है, यहां पढ़ें विटामिन D के बारे में।
मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या विकार से जुड़े कोई भी लक्षण दिखाई या महसूस होते हैं, तो बिना देरी करें आप डॉक्टर से जाकर परामर्श लें। जिससे पहले या समस्या को अंत गंभीर समस्या की वजह बने उससे पहले इसका इलाज शुरू करें। मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से बचाव के लिए अंग्रेजी में Preventive Healthcare का महत्व जानें।
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