प्लेटलेट काउंट को एक जरूरी जाँच माना जाता है क्योंकि यह रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या के बारे में पता लगाने में मदद करता है। प्लेटलेट्स वे कोशिकाएँ होती हैं जो रक्त को जमा होने और थक्का बनाने में मदद करती हैं। प्लेटलेट्स की बहुत कम संख्या कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है। बहुत कम प्लेटलेट्स की संख्या होने के कारण बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत होता है, जबकि ज्यादा प्लेटलेट्स होने की वजह से खून के थक्के और स्ट्रोक जैसी समस्या का खतरा अधिक बढ़ा जाता हैं। हर एक खून की बूंद में हजारों प्लेटलेट्स होती है और प्लेटलेट चोट लगने पर शरीर में खून को बहने से रोक देती ती है।
खून में मौजूद छोटी रंगहीन प्लेट के आकार की ब्लड सेल्स को प्लेटलेट्स कहते हैं। जब शरीर में कभी भी कोई चोट लगती है तो ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स को संकेत भेज देती है और संकेत के मिलते ही प्लेटलेट्स उस चोट वाली जगह पर ब्लड को थक्का बना देती है. ऐसा होने से खून बहने से रुक जाता है.
प्लेटलेट्स का काम चोट लगने पर ब्लीडिंग को रोकने का होता है। जब व्यक्ति को चोट लगती है तो प्लेटलेट्स चोट वाली जगह पर इक्ठटा होकर क्षतिग्रस्त टिश्यू को ठीक करने का काम करते हैं। इसे क्लॉटिंग या थक्का कहा जाता हैं। यह ज्यादा खून बह जाने से रोकने का काम करने मं मदद करता हैं। प्लेटलेट्स पूरे खून का सबसे हल्के कंपोनेंट होते हैं इसलिए यह रक्त वाहिकाएं को चिपके हुए होते हैं। इस वजह से प्लेटलेट्स ब्लीडिंग को रोकने के लिए चोट तक जल्दी से पहुंच जाते हैं।
एक सामान्य या स्वस्थ प्लेटलेट काउंट के बारे में जाने तो यह 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर खून तक होती है।
अगर 450,000 से ज्यादा प्लेटलेट्स हो तो यह स्थिति थ्रोम्बोसाइटोसिस के रूप में जानी जाती है।
अगर 150,000 से कम प्लेटलेट्स हो तो यह स्थिति थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के रूप में जानी जाती है।
अगर किसी को आसानी से चोट लगती रहती है या फिर मसूड़ों से खून आता है. कुछ लोगो में मल या मूत्र में खून आने लगता है, तब डॉक्टर प्लेटलेट टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
जब बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स खून के थक्के बनने की वजह बन सकती हैं तो यह स्ट्रोक या दिल के दौरे की वजह भी बन जाती है।
प्लेटलेट टेस्ट की मदद से कुछ बीमारियों के लिए किया जाता है जिसमें शामिल है डेंगू, मलेरिया, और ल्यूकेमिया आदि. इस टेस्ट की मदद से इन बिमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है।
कुछ दवाइयां प्लेटलेट काउंट पर बुरा असर डाल सकती है जिससे वह प्रभावित हो जाती हैं, इसलिए डॉक्टर प्लेटलेट टेस्ट की मदद से यह देखते हैं कि दवाई कैसे काम कर रही हैं।
एक स्वास्थ्यकर्मी बाकि सामान्य ब्लड टेस्ट की तरह मरीज की बांह से खून का नमूना लेकर उसे ट्यूब में कलेक्ट करके, उसे लैब में भेजा देते हैं. जहाँ उस ब्लड सैंपल से प्लेटलेट्स की संख्या मापी की जाती है।
जब बोन मैरो बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स बनाने लग जाती है तो यह एक बीमारी मानी जाती है जिसे थ्रोम्बोसाइटेमिया कहते हैं। बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स होने से ब्लड का सामान्य रूप से थक्का या क्लॉट जमना मुश्किल होने लग जाता है और खून का असामान्य क्लॉट जमना शरीर को नुकसान पहुंचाने लग जाता है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया तब होता है जब अस्थि मज्जा शरीर के लिए आवश्यक पर्याप्त प्लेटलेट्स का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाती है। प्लेटलेट्स की कमी के कारण, चोट लगने पर रक्त का थक्का नहीं जमता और इससे अत्यधिक रक्तस्राव होता है।
यह समस्या तब होती है जब प्लेटलेट्स काउंट सामान्य होता है, लेकिन यह सही से काम करने में असमर्थ हो। खराब प्लेटलेट फंक्शन कई दुर्लभ बीमारियों की वजह बन जाती है। अधिकतर यह समस्या दवाइयों की वजह से भी हो कस्ती है। कोई भी दवाई लेने से पहले, हमेशा डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें क्योंकि यह जानना ज़रूरी है कि कौन सी दवाइयां प्लेटलेट्स को इफेक्ट यानी नुकसान पंहुचा सकती हैं।
यह समस्या तब नज़र आती है जब बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स के कारण होने वाली स्थिति बन जाती है। यह बोन मैरो की वजह से नहीं होती है बल्कि किसी अन्य बीमारी या मेडिकल कंडीशन के कारण होती है जिसमें शामिल है इंफेक्शन, एनीमिया, सूजन, कैंसर और किसी भी दवाइयों के रिएक्शन आदि. यह बोन मैरो को ज्यादा प्लेटलेट्स बनाने के लिए उत्तेजित यानी स्टिमुलेट करने लग जाता है। सेकेंडरी थ्रोम्बोसाइटोसिस की समस्या बहुत आम है, जब बीमारी ठीक होने लग जाती है तो प्लेटलेट काउंट भी सामान्य हो जाता है।
असामान्य प्लेटलेट्स काउंट के लक्षण यानी थ्रोम्बोसाइटेमिया या हाई प्लेटलेट्स काउंट के लक्षण के खासतौर पर हाई काउंट के कोई संकेत तो नहीं होते हैं, फिर भी कुछ संकेत आप अंदाज़ा लगा सकते हैं।
सिरदर्द होना
बोलने में दिक्कत होना
छाती में दर्द होना
सांस की तकलीफ होना
मतली होना
कमजोरी महसूस होना
हाथ या पैर में जलन वाला दर्द होना
ब्रश करते समय मसूड़ों में खून आने लगता है जिसे आप टूथब्रश देख सकते है। व्यक्ति अपने मसूड़ों में सूजन की समस्या के साथ खून भी देख सकता हैं।
इस समस्या के समय व्यक्ति के मल बहुत गाढ़ा रंग का दिखाई देने लग सकता है साथ ही उसमें खून भी आने की संभावना बढ़ जाती हैं।
मरीज के यूरिन में खून आने के साथ रंग गुलाबी नज़र आ सकता है।
इस स्थिति को हेमेटेमेसिस कहते हैं जिसमें व्यक्ति की ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) में अंदरूनी यानी अंदर की ओर चोट है या खून बह रहा होता है।
महिला में पीरियड्स से पहले की तुलना में ज्यादा लंबे समय का होता है साथ ही फ्लो भी ज्यादा होता है जिसे मेनोरेजिया (Menorrhagia) की समस्या भी हो सकती है।
यह वह स्थिति जब व्यक्ति के निचले पैरों पर छोटे लाल या बैंगनी बिंदु होने लग जाती हैं।
व्यक्ति की त्वचा पर लाल, बैंगनी या भूरे रंग के धब्बे होने लग जाते हैं। यह समाया तब होती हैं जब त्वचा के नीचे छोटी रक्त वाहिकाएं से खून लीक हो रहा होता है।
आसानी से चोट लग जाना या फिर चोट लगने पर त्वचा के नीचे खून का जमा हो जाना।
व्यक्ति के रेक्टल एरिया में खून दिखाई देना जो कि बवासीर या पाइल्स भी दिख सकता है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होने के कई कारण हो सकते हैं आइए जानते हैं वह कारण:-
अप्लास्टिक एनीमिया
ऑटोइम्यून की बीमारी
ब्लड के थक्के या क्लॉट्सकी बीमारी
जेनेटिक बीमारी
ब्लीडिंग से जुड़ी बीमारी
गर्भावस्था के दौरान
दवाइयां
कैंसर (ल्यूकेमिया, कीमोथेरेपी सहित कैंसर उपचार)
बोन मैरो का इन्फेक्शन
स्प्लीन होना
कुछ दवाइयां
बहुत ज्यादा शराब का सेवन
थ्रोम्बोसाइटोसिस की वजह
इन्फेक्शन होना
सूजन से जुड़ी स्थितियाँ
चोट लगना
किडनी से जुड़ी बीमारी
कुछ दवाइयों का सेवन
सर्जरी होना
एनीमिया की समस्या
खून का विकार
कैंसर की बीमारी
प्लेटलेट टेस्ट एक ज़रूरी टेस्ट है जो कि रक्तस्राव और रक्त के थक्के जमने की समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। अगर आसानी से चोट लग जाती है, मसूड़ों से खून आने लगता है और मल या मूत्र में खून आ रहा है, तो डॉक्टर से मिलें।
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