साल भर में ना जाने कितनी बार एक व्यक्ति को बुखार होता होगा, लेकिन घबराने की बात तब तक नहीं जब तक वह किसी भयंकर बीमारी का संकेत न दें रहा हो। उदाहरण के तौर पर डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड आदि। जब भी कोई बीमारी के कारण बुखार आता है, तो आपका शरीर आपको विभिन्न तरीके के लक्षण का संकेत देता है तब अगर आप ध्यान दें, तो समझ सकते हैं कि आपका शरीर किसी गंभीर समस्या की और इशारा कर रहा है। अगर आप समय से इन लक्षणों को पहचान जाएं तो आप अपनी समस्या को बढ़ने से रोक सकते हैं, साथ ही सही समय पर इलाज करवाकर, इस बीमारी से निजात पा सकते हैं।
आज के ब्लॉग में टाइफाइड बुखार में आने लक्षणों के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिससे आप या आपके किसी प्रियजनन या बच्चे को अगर टाइफाइड का बुखार होता है, तो आप लक्षणों पर ध्यान देते हुए समझ सकते हैं कि यह सामान्य बुखार है या फिर टाइफाइड के कारण होने वाला बुखार है। आइए समझते हैं कि टाइफाइड बुखार है क्या और टाइफाइड बुखार में होने पर आपको कौन-से लक्षण नज़र आ सकते हैं:-
टाइफाइड बुखार के ऐसी बीमारी है जिसका इलाज समय से न हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। यह साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है, इसे साल्मोनेला टाइफी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह एक जीवाणु संक्रमण है जो अस्वच्छता और अस्वच्छ पानी की पहुंच वाले इलाके और क्षेत्रों में एक चिंता का विषय आज भी बना हुआ है। चिकित्सा विज्ञान कितनी ही प्रगति क्यों न कर चुका हो, उसके बावजूद आज भी लाखों लोगों टाइफाइड की समस्या से प्रभावित हो रहे है।
टाइफाइड का बुखार ज्यादातर दूषित खाने और दूषित पानी के कारण फैलता है। बैक्टीरिया व्यक्ति की आंतों की दीवार पर आक्रमण करता है जो शरीर में रक्तप्रवाह के जरिए फैल सकता है, जिससे हल्के से लेकर गंभीर दोनों तरह के लक्षण शरीर में नज़र आ सकते हैं। अगर इसके लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए या नजरंदाज कर दिया जाए तो टाइफाइड का इलाज समय से नहीं हो पाएगा, जो कि जानलेवा हो साबित हो सकता है। अगर आप पूरी तरह स्वस्थ रहना चाहते हैं तो शुरुआत में ही लक्षणों की पहचान करें या लक्षणों पर ध्यान दें। जिससे आप शुरुआत में इलाज करके इस समस्या को गंभीर होने से रोक सकते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 2.1 करोड़ के टाइफाइड बुखार के मामले आते हैं। वहीं 2.22 लाख लोगों की टाइफाइड बुखार के कारण मौत भी हुई है। भारत में यह समस्या काफी आम है, अगर समय रहते टाइफाइड का पता चल जाए, तो इस समस्या का इलाज दवाइयों से सफलतापूर्वक हो सकता है। अगर टाइफाइड का इलाज समय से न किया जाए, तो टाइफाइड जानलेवा साबित हो सकता है। आइए जानते और समझते है टाइफाइड के लक्षणों के बारे में विस्तार से, जिससे आप शुरुआत में ही इस बीमारी के लक्षणों की पहचान करके समस्या से निजात पा सकते हैं।
टाइफाइड के लक्षण अक्सर व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे विकसित होते हुए नज़र आते हैं। यह आमतौर पर संक्रमण के एक से तीन हफ्ते के भीतर असर दिखाना शरू कर देते हैं। टाइफाइड का समय पर और सही उपचार लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है, नहीं तो यह बीमारी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं। अगर आपको टाइफाइड के लक्षण शरीर में दिखाई देने लगते हैं या फिर महसूस होने लगते हैं, तो बिना किसी भी तरह की देरी के आपको तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जिसे इलाज में किसी भी तरह का विलंभ न हो। आइए पहले जानते और समझते है कि टाइफाइड के शुरुआत से लेकर गंभीर होने तक की स्थिति में नज़र आने वाले लक्षणों के बारे में :-
टाइफाइड की बीमारी में व्यक्ति के भीतर धीरे-धीरे बुखार तेज़ होने लग जाता है जो कि 104°F (40°C) तक भी पहुंच सकता है, साथ ही कुछ मामलों में लगातार सिर में दर्द भी रह सकता है। शुरुआत में आपको कमजोरी और थकान जैसा महसूस होगा, जिससे किसी भी तरह का काम करने में मन नहीं लगेगा। पेट में दर्द बना रह सकता है और कई मामलों में आप असहजता भी महसूस कर सकते हैं। टाइफाइड के दौरान मरीज को भूख कम लगती है और हल्की खांसी भी हो सकती है। मरीज को मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन भी रह सकती है। शरीर के भीतर साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया के जाने के बाद 1 से 2 हफ्ते के अंदर मरीज में बताएं हुए लक्षण नज़र आ सकते हैं।
टाइफाइड की बीमारी के कारण मरीज में बुखार स्थिर रूप से बढ़त रहता है या हाई फीवर रहता है। मरीज को अक्सर मटर के सूप जैसे दिखाई देने वाला दस्त भी हो सकता है या फिर कब्ज की समस्या रह सकती है। टाइफाइड की वजह से मरीज का वजन भी कम होने लग जाता है। जब किसी भी व्यक्ति को टाइफाइड होता है समय के साथ समस्या के लक्षण भी और बढ़ने लग जाते हैं, बताएं हुए लक्षणों के साथ मरीज में आपको पेट और छाती पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे धब्बे जिनको रैशेस भी कह सकते हैं वो नज़र आने लग जाएंगे। इससे यह समझ सकते हैं कि अब टाइफाइड की समस्या गंभीर होना शुरू हो चुकी है, इन छोटे धब्बों को कुछ लोग रोज स्पॉट्स भी कहते हैं। अगर मरीज को अत्यधिक थकान महसूस हो रही है जो कि सामान्य गतिविधियों को करने से हो रही है या फिर कोई भी सामान्य काम करने में भी कठिनाई महसूस हो रही है, तो यह भी एक बड़ा लक्षण माना जाता है।
टाइफाइड की बीमारी के कारण मरीज की आंतों में छेद (इंटेस्टाइनल परफोरेशन - intestinal perforation) जिससे पेट में गंभीर प्रकार का दर्द महसूस होता है। इस वजह से मरीज को उल्टी भी हो सकती है। जब टाइफाइड की बीमारी गंभीर हो जाती है, तब शरीर में तेजी से संक्रमण फैलने लग जाता है। टाइफाइड की बीमारी जब बहुत ही ज्यादा गंभीर चरण पर पहुँच जाती है, तब मरीज के मस्तिष्क में सूजन जिसको एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) कहते हैं, यह होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। मरीज को इतनी कमजोरी होने लगती है कि मरीज सही तरह से खड़ा भी नहीं हो पाता है, साथ ही मरीज की दिल की धड़कन भी अनियमित होने लग जाती है।
टाइफाइड की बीमारी के लक्षणों के बारे विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इस बीमारी के कौन-कौन से लक्षण बच्चों और वयस्क में दिखाई दें सकते हैं।
टाइफाइड का बुखार बहुत खतरनाक माना जाता है तो आप सोचे अगर यह बच्चों में हुआ तो यह कितना ज्यादा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि सही समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है। छोटे बच्चों की वैसे ही इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है और कई बार वो आपकों अपनी समस्या के बारे में बता या समझ भी नही पाते हैं। इन्हीं सब के कारण बच्चों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन का होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
जब बच्चों को टाइफाइड की बीमारी होती है तब अधिकतर माता-पिता यह समझ नहीं पाते हैं कि उनके बच्चे को क्या समस्या हो रही है। इस कारण वर्ष बच्चों में टाइफाइड के लक्षण के बारे में जानना बेहद जरूरी है क्योंकि बच्चे अपनी समस्या सही तरह से समझा नहीं पाते हैं। बच्चों में टाइफाइड के लक्षण आपको इन्फेक्शन होने के एक से दो हफ्ते के भीतर दिखाई देने लग जाएंगे। शुरुआत में टाइफाइड के लक्षण हल्के यानी सामान्य बुखार जैसे हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ यह समस्या बढ़ती है, तो इसके लक्षण भी गंभीर होने लग जाते हैं। बच्चों में टाइफाइड के लक्षण चार हफ्ते या उससे भी अधिक समय के लिए बने हुए दिखाई दें सकते हैं। वैसे तो, बच्चों में टाइफाइड होने पर आपको नीचे बताएं हुए लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिसे आप पहचान कर, अपने बच्चे का सही समय पर इलाज शुरू कर सकते हैं। आइय जानते हैं वह कौन-से लक्षण है जिसे देखकर या पहचान कर, आप अपने बच्चे में टाइफाइड की समस्या को पहचान सकते हैं:-
बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए उनको इन्फेक्शन और बीमारियाँ जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेती हैं। जब बात डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड जैसी गंभीर समस्या की है, तो बच्चों का ध्यान विशेष रूप से रखना पड़ता है क्योंकि यह समस्या कब गंभीर हो जाएं कुछ पता नहीं चलता है। बच्चों को बुखार होना एक आम बात है क्योंकि वह बाहर खेल-कूद करते हैं, तरह तरह के कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं। मगर कई बार यह बुखार सिर्फ बुखार नहीं होता है, यह किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
टाइफाइड होने बार बच्चों में शुरुआती लक्षण के तौर पर आपको हल्का बुखार नज़र आ सकता है, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ बुखार बढ़ता जाता है जो कि 100.4 डिग्री फारेनहाइट तक पहुँच सकता है। ऐसे में आप बच्चों को ठंडे पानी की पट्टी कर सकते हैं साथ ही नज़दीकी मौजूद डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर कुछ दिन की दवाई दें सकते हैं लेकिन अगर फिर भी बुखार नहीं उतरता है तो टाइफाइड की पहचान करने के लिए विडाल टेस्ट की सलाह देते हैं, जिसे यह पुष्टि हो सकें कि बच्चे को टाइफाइड है और कितना गंभीर है उसके हिसाब से ही इलाज की प्रक्रिया ओर दवाइयों का चयन किया जाएगा।
टाइफाइड के निदान के लिए Widal टेस्ट सबसे जरूरी जांचों में से एक है। इसकी प्रक्रिया और परिणाम यहां विस्तार से जानें।
अगर बच्चें कभी भी बीमार पड़ते हैं तो वह अक्सर खाना खाने में नखरे करते हैं या बीमार होने के कारण भी कई बार भूख लगना काम हो जाती है। यह बड़ों के साथ भी होता है, अगर कोई भी व्यक्ति बीमार पड़ता है तो खाना खाने की इच्छा कम हो जाती है या फिर मन नहीं करता है, तो ऐसा बच्चों के साथ भी होता है। बच्चों में जब टाइफाइड होता है तब उनको भूख नहीं लगती है। इस कारण बच्चा कुछ सही से खा पी नहीं पाता है, न दूध पीना पसंद करते हैं और न ही खाना खाना पसंद करते हैं, जिसकी वजह से कमजोरी भी नज़र आ सकती है।
बच्चों को जब टाइफाइड होता है तब उनके गले में खराश भी हो सकती है, जिसकी वजह से बोलने में गले में दर्द भी महसूस कर सकते हैं। गले में दर्द या खराश होना, टाइफाइड के आम लक्षणों में गिना जाता है। अगर बुखार के साथ बच्चे के गले दर्द या खराश है जो आप माता-पिता होने के नाते बच्चे की बदली हुई आवाज़ से भी समझ सकते हैं तो यह पक्का टाइफाइड के लक्षण का संकेत हो सकता है।
CBC टेस्ट से शरीर में संक्रमण का स्तर और रक्त की स्थिति का पता चलता है, जो टाइफाइड में मदद करता है।
जब बच्चें बीमार होते हैं वह खाना-पीना छोड़ देते हैं या मन नहीं करता, जिसकी वजह से वजन कम हो सकता है। ऐसा ही जब बच्चों में टाइफाइड की समस्या गंभीर होने लग जाती है तब उनका वजन बहुत ही तेजी से घटने लग सकता है। इसी वजह से बच्चे में कमजोरी नज़र आ सकती है। ऐसे समय पर बच्चे के खान-पान पर विशेष ध्यान रखें, स्वस्थ आहार के साथ दवाइयों को समय से देते रहे, साथ ही जितना बच्चा आराम करेगा वह उतनी जल्दी ही टाइफाइड की बीमारी से ठीक हो पाएगा।
टाइफाइड की समस्या कोई आम बीमारी नहीं है। इस बीमारी के कारण बच्चों को इसके लक्षणों का भी समाना करना पड़ता है, जिसमें बच्चे का पेट खराब और पेट दर्द भी शामिल है। टाइफाइड की वजह से पेट में दर्द उठ सकता है जिसकी वजह से खान-पान में कमी आ सकती है जो वजन कम होने का कारण भी बन सकता है। बुखार के कारण भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है तो कई बार दवाइयाँ बहुत गर्म हो सकती है, उसकी वजह से भी पेट खराब हो सकता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। टाइफाइड के बुखार में बच्चों को पेट में दर्द जैसी समस्या का भी समाना करना पड़ जाता है।
टाइफाइड एक बैक्टीरिया इन्फेक्शन है जो शरीर में कई तरह के लक्षण दिखा सकता है। उन्हीं लक्षणों में एक लगातार खांसी भी शामिल है जिसकी वजह से बच्चे को गंभीर रूप से खांसी हो सकती है। ऐसे में आप बच्चे को गुनगुना पानी दें पीने के लिए बाकि आप डॉक्टर से परामर्श लीजिए क्योंकि रोग से लड़ने के लिए हर बच्चे की इम्यूनिटी अलग होती है। किसी बच्चे की बहुत ही कमजोर इम्यूनिटी होती है तो किसी की मजबूत इम्यूनिटी होती है, लेकिन टाइफाइड की समस्या में इम्यूनिटी कमजोर होने पर समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए अपने बच्चे में किसी भी तरह के लक्षण नज़र आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
टाइफाइड गंभीर होने पर आपको अपने बच्चे की त्वचा पर रैशेज नज़र आ सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि बच्चे की स्किन पर आपको गुलाबी रंग के धब्बे भी दिखाई दें सकते हैं। कई बार ऐसे रैशेज और गुलाबी धब्बों पर खुजली भी हो सकती है, लेकिन खुजली नहीं करनी चाहिए, वह फैल सकते हैं या फिर अन्य इन्फेक्शन का भी खतरा हो सकता है। आप चाहे तो डॉक्टर से उन रैशेज पर लगाने के लिए कोई क्रीम या लोशन भी मांग सकते हैं।
अगर ऊपर बताएं हुए लक्षण आपको अपने बच्चे में नज़र आते हैं, तो यह टाइफाइड की ओर संकेत हो सकता है, इसलिए इनको नजरंदाज न करें। जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और टाइफाइड की समस्या को गंभीर होने से रोके! टाइफाइड लंबे समय तक बना रहे तो लिवर पर असर डाल सकता है। लिवर रोग के लक्षण के बारे में पढ़ें।
टाइफाइड की बीमारी किसी को भी अपनी चेपट में ले सकती है चाहे वो बच्चा हो या कोई वयस्क या कोई बढ़े-बुजुर्ग। जैसे अभी ऊपर हमने बच्चों में टाइफाइड के लक्षणों के बारे में बात करी , वैसे ही अब हम जानते और समझते हैं, जब किसी वयस्क को टाइफाइड अपना शिकार बनाता है तो उसमें कौन-से लक्षण नज़र आ सकते हैं।
जब टाइफाइड की समस्या किसी को भी अपनी चपेट में लेती है, तब सबसे पहला लक्षण बुखार ही होता है। यह बुखार धीरे-धीरे तेज़ होने लगता है जो कि एक समय के बाद अक्सर 102°F से ऊपर चला जाता है। जितना तेज़ बुखार उतनी समस्या गंभीर हो सकती है क्योंकि ऐसे में बुखार का कम न होना भी एक बड़ी समस्या की ओर संकेत हो सकता है। बढ़ते बुखार के साथ मरीज को बाकि अन्य लक्षणों को भी झेलना पड़ता है जिससे टाइफाइड की तकलीफ़ ओर बढ़ जाती है। आइए जानते है अन्य वह कौन-से लक्षण है जिससे मरीज को टाइफाइड में दिक्कतों का समाना करना पड़ सकता है। टाइफाइड समेत भारत में पाए जाने वाले 12 आम बुखारों की जानकारी पाएं इस अंग्रेजी लेख में। "12 Common Fevers in India"
जब किसी भी व्यक्ति को आमतौर पर सिर में दर्द होता है तो वह इतना चिड़चिड़ा हो जाता है तो सोचने वाली बात है, जब कोई टाइफाइड की बीमारी से गुज़र रहा हो तो सिर में दर्द होना कितना ज्यादा उसे परेशान कर सकता है। बुखार के साथ सिर में दर्द होना कितना ज्यादा तकलीफ़ दें सकता है क्योंकि बुखार की वजह से कमजोरी सी बनी रहती है साथ में सिरदर्द। ऐसे में मरीज को ज्यादा से ज्यादा से आराम करना चाहिए जिससे उनकी सेहत में जल्द से जल्द सुधार आए।
आमतौर पर थकान होना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन जब बिना कोई काम करें, आप थकान या कमजोरी महसूस कर रहें तो यह टाइफाइड का लक्षण हो सकता है। टाइफाइड की समस्या में मरीज को अचानक से बहुत ही कमजोरी या थकान महसूस हो सकती है, साथ में बुखार या सिरदर्द जैसे अन्य लक्षण भी नज़र आ सकते हैं। जब आपकी स्थिति गंभीर होने लगेगी तब बुखार तो बढ़ेगा ही, साथ ही आपको महसूस हो रही कमजोरी या थकान भी बढ़ने लग जाएगी। जैसे - जैसे शरीर में लक्षण बढ़ने लग जाएंगे इसका अर्थ यह कि आपकी टाइफाइड की समस्या गंभीर होना शुरू हो रही।
कई बार हल्का-फुल्का पेट में दर्द होना आम बात है, लेकिन कई बार यह टाइफाइड का लक्षण भी हो सकता है इसलिए आप इस चीज को नजरंदाज न करें। टाइफाइड में आप बुखार, सिर में दर्द, कमजोरी या थकान के साथ-साथ पेट में दर्द भी महसूस कर सकते हैं। यह सभी लक्षण अगर आप महसूस कर रहें है या फिर कुछ लक्षण नज़र आ रहे हैं तब भी आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। टाइफाइड के लक्षण दिखने में आम लग सकते हैं लेकिन जब यह बढ़ने लगते हैं तब समस्या से राहत पाना भी उतना ही मुश्किल हो जाता है।
टाइफाइड में दर्द से जुड़े कई तरह के लक्षण आपको नज़र आ सकते हैं। चाहे वह सिर दर्द, पेट में दर्द हो या फिर पूरे शरीर में दर्द की समस्या ही क्यों न हो। शरीर में दर्द तेज़ बुखार के कारण भी हो सकता है क्योंकि जब व्यक्ति को बुखार होता है तो बदन टूटने लग जाता है, ऐसा आम बोल-चाल की भाषा में कहा जाता है, जिसका मतलब यही होता है कि शरीर में दर्द हो रहा है। कमजोरी या थकान के कारण भी कई बार शरीर में दर्द हो सकता है जो कि टाइफाइड के लक्षणों का संकेत है।
जब व्यक्ति को टाइफाइड की बीमारी होती है तब कई बार लक्षण के तौर पर कब्ज की समस्या भी नज़र आ सकती है, तो कई बार मरीज को दस्त भी हो सकते हैं। जब एक व्यक्ति में आपको बुखार, शरीर दर्द, थकान, कमजोरी या फिर कब्ज और दस्त जैसी समस्या नज़र आए तो यह टाइफाइड का संकेत हो सकता है। ऐसा जरूरी नहीं कि यह लगातार बने रहेंगे, लेकिन कभी कभी दस्त तो कभी कभी कब्ज की परेशानी रहेगी। ऐसे आप अपनी मर्जी से दवाई न लें यह आपको नुकसान पहुँचा सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही किसी भी तरह की दवाई का सेवन करें।
जब किसी व्यक्ति को खांसी की समस्या होती है, तो शुरुआत में वह हल्की ही रहती है लेकिन नजरंदाज कर दी जाएं तो यहीं खांसी बढ़ती चली जाती हैं। आप ऐसे छोटे–छोटे लक्षणों को नजरंदाज करेंगे तो, आप ऐसे किसी बड़ी बीमारी के संकेतों को अनदेखा कर रहें है जो कि आगे जाकर वह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। खांसी बहुत सी बड़ी और गंभीर समस्या का लक्षण होता है जैसे कि टीबी या फिर टाइफाइड आदि। खांसी शुरुआत में हल्की ही होती है इसलिए समय पर ही इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें, जिससे आपकी समस्या जल्द ही पकड़ आ जाएं।
टाइफाइड की तरह ही टीबी भी एक गंभीर संक्रमण है। टीबी के लक्षण और बचाव के बारे में जानें।
जब शरीर में आपको अपनी त्वचा पर किसी भी प्रकार के लाल या गुलाबी रंग के रैशेज नज़र आने लग जाए तो समझे कि यह टाइफाइड के लक्षण हो सकते हैं। शरीर पर रैशेज या चकत्ते नज़र आना टाइफाइड का लक्षण ही होता है और यह शुरुआत में नहीं नज़र आता है, जब बीमारी धीरे-धीरे गंभीर होने लग जाती है तब यह सब शरीर पर उभर के आने लग जाते हैं। जैसे ही आपको अपने शरीर में ऐसे रैशेज या चकत्ते के साथ अन्य लक्षण दिखाई या महसूस होने लगे, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें। टाइफाइड में होने वाले यह गुलाबी रंग के चकत्ते को अंग्रेजी में रोज़ स्पॉटस भी कहते हैं, इसलिए टाइफाइड को कोई आम समस्या समझने की भूल न करें, यह जानलेवा भी साबित हो सकती है।
जब भी शरीर कोई बड़ी समस्या की चपेट में आता है तो बहुत से संकेत के जरिए आपको समझाने की कोशिश करता है। वैसे ही जब आपके शरीर में साल्मोनेला टाइफी नाम का बैक्टीरिया प्रवेश कर जाता है तब टाइफाइड होता है और इसी कारण आपको पेट से जुड़े विकार हो सकते हैं। कई बार पेट में दर्द, पेट फूल जाना या फिर पेट में सूजन होना टाइफाइड की बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसा कोई भी लक्षण आपको नज़र आता है तो घर पर इलाज करने के बजाय आप तुरंत डॉक्टर से मिलें और अपनी सभी परेशानी खुलकर बताएं, जिससे आपका इलाज सही दिशा की ओर में हो।
टाइफाइड जैसे संक्रमणों में शरीर की सूजन का स्तर जानने के लिए CRP टेस्ट किया जाता है।
जब किसी भी व्यक्ति को बुखार आता है या होता है, तो कई बार उनको ठंड लग सकती है या फिर कई बार उनको कंपकंपी भी महसूस हो सकती है, यह टाइफाइड के लक्षण हो सकते हैं। जब बुखार के साथ ठंड या कंपकंपी लगे और साथ ही बताएं हुए अन्य लक्षण भी नज़र आ रहे हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करवाकर, टाइफाइड है या कोई अन्य बीमारी है, इसकी पुष्टि करनी जरूरी है क्योंकि इसके हिसाब से आपका इलाज किया जाएगा। टाइफाइड और मलेरिया में बुखार जैसे लक्षण आम हैं। मलेरिया के लक्षण और उपचार जानें।
कई बार बुखार के कारण व्यक्ति को मितली या उल्टी जैसा भी महसूस हो सकता है। कई बार यह खाने के बाद या फिर न खाने की वजह से भी व्यक्ति ऐसा महसूस कर सकता है। टाइफाइड के लक्षणों में उल्टी या मितली भी शामिल है। अगर आपको बुखार, शरीर में दर्द, या मितली और उल्टी होती है तो यह सभी एक बड़ा संकेत है कि आपको टाइफाइड की बीमारी हो सकती है। आप नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं जिससे मितली या उल्टी कुछ समय के लिए रुक जाएगी। लेकिन फिर भी अगर परेशानी बढ़ती है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और उनके द्वारा बताई हुई बातों का ध्यान रखें ओर दवाईयों का सेवन समय से करें।
जब अचानक से व्यक्ति का वजन कम होने लगे तो समझ जाना चाहिए कि शरीर में कोई तो समस्या पैदा हो रही है। वजन का अचानक से बढ़ना या कम होना, दोनों ही मामलों में आप सतर्क रहें। जब व्यक्ति को टाइफाइड की समस्या होती है, तब भी मरीज का वजन कम होने लगता है क्योंकि बुखार के कारण खाने की इच्छा में कमी आ जाती है। जिस वजह से मरीज अपनी डाइट के हिसाब से भोजन का सेवन नहीं कर पाता है। इसी कारण धीरे-धीरे वजन कम होने लग जाता है, जो कमजोरी का कारण भी बन जाता है। टाइफाइड की बीमारी के कारण भी वजन कम होने से भी शरीर में कमजोरी आ सकती है।
टाइफाइड के कुछ मामलों में यह भी देखा गया कि कुछ मरीजों को मानसिक भ्रम होने लग जाता है, जो कि काफी गंभीर विषय है, इसको नजरंदाज न करें। कुछ मामलों में मरीज बहुत ही ज्यादा चिड़चिड़ा भी हो जाता है कि वह हर बात पर आपको उलटे जवाब या गुस्से में चिड़कर भी जवाब दें सकता है। अगर आप किसी अपने या खुद के व्यवहार में बदलाव को देख पा रहें तो इस पर ध्यान दें। कई बार बीमारी के बढ़ने के कारण भी आप ऐसे लक्षण अपने आप में या किसी टाइफाइड के मरीज में देख सकते हैं।
जब व्यक्ति किसी भी बीमारी से ग्रस्त होता है तो उसे ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है, जिसकी वजह से कोई भी काम सही तरीके से नहीं कर पाता है। ऐसा मरीज के साथ तब भी हो सकता है अगर उसे टाइफाइड के बैक्टीरिया ने उसे अपना शिकार बना लिया हो। बीमार व्यक्ति कमजोरी महसूस कर रहा होता है साथ ही लक्षणों से जूझ रहा होता है तो यह भी एक अहम वजह है कि ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है। अगर मरीज को बुखार, पेट से जुड़ी समस्याएं, ठंड या कंपकंपी होना आदि लक्षण भी साथ में नज़र आ रहे हैं, तो इन पर ध्यान देते हुए डॉक्टर से मिलें यह सब टाइफाइड के लक्षणों का एक बड़ा संकेत है।
कई बार टाइफाइड के कारण ब्रैडीकार्डिया की समस्या होने का खतरा भी बन जाता है। ब्रैडीकार्डिया की समस्या यानी इसमें दिल की गति धीमी हो जाती है, यह टाइफाइड के साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। आमतौर पर एक वयस्क का दिल 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट के हिसाब से धड़कता है, अगर किसी भी कारण दिल की धड़कन 60 से कम बीपीएम से कम हो जाती है तो यह स्थिति ब्रैडीकार्डिया कहलाती है। इस वजह से शरीर में पूरी तरह से खून की सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती और यह एक गंभीर के साथ-साथ जानलेवा स्थिति भी बन सकती है।
टाइफाइड होने का एक हम कारण दूषित पानी या खाना होता है। जिसकी वजह से शरीर में साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया का प्रवेश होता है, जो इस बीमारी को शरीर में फैलाने का काम करता है। यह बैक्टीरिया आंतों को संक्रमित करते हुए पेट से जुड़ी समस्याओं को पैदा करता है और यही लक्षण के तौर पर मरीज को नज़र आने लगते हैं, जिससे यह पता चलता कि व्यक्ति को टाइफाइड की बीमारी है।
टाइफाइड की बीमारी कोई आम नहीं है इसके लक्षणों पर ध्यान दें और इलाज को जल्द से जल्द शुरू करें। जिससे यह जानलेवा बीमारी के खतरे को कम करते हुए आप अपनी सेहत को सुधार सकें।
Influenza and seasonal flu in hindi
Importance of SGOT and SGPT Tests
मेडिकल डिस्क्लेमर - निम्नलिखित जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ही है। इस वेबसाइट पर दी गई कोई भी जानकारी, जिसमें टेक्स्ट, ग्राफ़िक और चित्र शामिल हैं, वह पेशेवर चिकित्सा सलाह के विकल्प के रूप में नहीं है। कृपया अपनी स्थिति से संबंधित विशिष्ट चिकित्सा सलाह के बारे में जानने और समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।