हमारा खानपान में किसी भी तर की गड़बड़ी और अनियंत्रित जीवनशैली की वजह से किडनी से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। आज के समय में युवाओं में भी किडनी की बीमारियां बहुत ही तेज़ी बढ़ रही हैं। किडनी की समस्या होने का कारण क्रिएटिनिन लेवल का बढ़ना होता है। क्रिएटिनिन हमारे शरीर का एक ऐसा उत्पाद है, जो मांसपेशियों के टूटने पर बढ़ने लग जाता है। जब शरीर में क्रिएटिनिन लेवल बहुत ज्यादा होने लग जाता है तब किडनी फेलियर या फिर किडनी डैमेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। यह शरीर में एक तरह का नेचुरल केमिकल होता है, जिसके बढ़ने पर किडनी समेत शरीर के कई अन्य अंगों को भी क्षति पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति में मन में यह सवाल उठता है कि अखिरकर एक व्यक्ति के शरीर में क्रिएटिनिन लेवल कितना होना चाहिए? आइए आज इस ब्लॉग के जरिए समझते हैं कि वयस्क और बच्चों में क्रिएटिनिन लेवल की क्या मात्रा होनी चाहिए।
क्रिएटिनिन शरीर में एक नैचुरल उत्पाद है, जो व्यक्ति की मांसपेशियों की सामान्य गतिविधियों के दौरान अपने आप बनता है। यह हमारे खून में मौजूद होता है और किडनियों के माध्यम से यह शरीर से बाहर निकल जाता है। क्रिएटिनिन सीरम टेस्ट की मदद से शरीर में क्रिएटिनिन लेवल को माप अजाता है। इस टेस्ट से यह पता चलता है कि व्यक्ति की किड़नी सही से काम कर पा रही है या नहीं यानी व्यक्ति की किडनी स्वस्थ हैं या नहीं। क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने पर व्यक्ति को पेट में दर्द या फिर किडनी से जुड़ी परेशानियां होना शुरू हो जाती है। जब शरीर में क्रिएटिनिन बढ़ने लग जाता है तब किडनी इसे फिल्टर करके पेशाब के रास्ते से शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब शरीर में इसकी मात्रा बहुत ही ज्यादा बढ़ने लग जाती है, तो किडनी सही काम नहीं कर पट्टी है और इस वजह से इसको फिल्टर करने में असमर्थ होती है। क्रिएटिनिन के साथ-साथ लिवर फंक्शन को समझना ज़रूरी है, इसके लिए अंग्रेजी में SGOT and SGPT Test की जानकारी भी लें।
शरीर में क्रिएटिनिन लेवल के बढ़ने का मतलब है कि किडनी से जुड़ी किसी गंभीर समस्या का खतरा होना। शरीर में क्रिएटिनिन की नॉर्मल रेंज पुरुषों में 0.6 से लेकर 1.2 मिलीग्राम तक होना चाहिए। वही अगर बात महिलाओं में क्रिएटिनिन के सामान्य स्तर के बारे में जाने, तो वह 0.5 से 1.0 मिलीग्राम तक होना जरूरी है। अब बच्चों में क्रिएटिनिन के सामान्य स्तर की बात करें तो वह 0.3 से 0.7 मिलीग्राम होनी चाहिए। आइए समझते हैं और भी विस्तार से क्रिएटिनिन लेवल उम्र के हिसाब से
क्रिएटिनिन टेस्ट के साथ CBC टेस्ट क्यों ज़रूरी है, जानिए इस ब्लॉग में।
शरीर में क्रिएटिनिन लेवल का मुख्य काम व्यक्ति की मांसपेशियों पर निर्भर होता है। कम मांसपेशियों की वजह से महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आमतौर पर क्रिएटिनिन लेवल कम ही होता है। ऐसे ही, वयस्कों की तुलना में बच्चों में क्रिएटिनिन लेवल कम होता है। पुरुषों में क्रिएटिनिन सीरम लेवल की ऑप्टिमम रेंज 0.6मिग्रा/डीएल से 1.2 मिग्रा/डीएल मानी जाती है। वही महिलाओं में क्रिएटिनिन सीरम लेवल 0.5 मिग्रा/डीएल से 1.1 मिग्रा/डीएल के बीच होना चाहिए। बढ़ती उम्र बढ़ती के साथ मांसपेशियां कम होने लग जाती हैं जिसकी वजह से नार्मल क्रिएटिनिन लेवल में कमी आने लग जाती है जो कि वयस्कों में उम्र के साथ नार्मल क्रिएटिनिन स्तर नीचे सारणीबद्ध है:-
क्र.सं. |
उम्र के हिसाब से (साल) |
अनुमानित क्रिएटिनिन स्तर (मिग्रा/डीएल) पुरुष |
महिला |
1. |
18 – 41 |
0.6 – 1.2 |
0.5 – 1.0 |
2. |
41 – 61 |
0.6 – 1.3 |
0.5 – 1.1 |
3. |
61 से ऊपर |
0.7 – 1.3 |
0.5 – 1.2 |
बच्चों में क्रिएटिनिन सीरम लेवल की रेंज नवजात शिशुओं में 0.3 मिग्रा/डीएल से 1.2 मिग्रा/डीएल तक होतीहै। वहीं शिशुओं में 0.2 मिग्रा/डीएल से 0.4 मिलीग्राम तक होती है। बच्चों में 0.3 मिलीग्राम से 0.7 मिग्रा/डीएल और किशोर अवस्था में आने के बाद 0.5 मिग्रा/डीएल से 1.0 मिग्रा/डीएल क्रिएटिनिन लेवल होना चाहिए। एक अध्ययन से पता चला है कि बच्चों में उम्र के हिसाब से रिफरेन्स रेंज नीचे सारणीबद्ध है:
क्र.सं. |
उम्र के हिसाब से (साल) |
अनुमानित क्रिएटिनिन लेवल (मिग्रा/डीएल) लड़का |
लड़की |
1. |
1 – 12 महीने |
0.39 |
0.39 |
2. |
1 – 2 साल |
0.42 |
0.42 |
3. |
2 – 3 साल |
0.46 |
0.45 |
4. |
3 – 4 साल |
0.49 |
0.48 |
5. |
4 – 5 साल |
0.51 |
0.50 |
6. |
5– 6 साल |
0.53 |
0.52 |
7. |
6– 7 साल |
0.57 |
0.56 |
8. |
7– 8 साल |
0.59 |
0.60 |
9. |
8–9 साल |
0.61 |
0.61 |
10. |
9– 10 साल |
0.63 |
0.62 |
11. |
10– 11 साल |
0.68 |
0.63 |
12. |
11– 12 साल |
0.71 |
0.70 |
13. |
12– 13 साल |
0.78 |
0.73 |
14. |
13– 14 साल |
0.85 |
0.74 |
15. |
14– 15 साल |
0.94 |
0.79 |
16. |
15– 16 साल |
1.02 |
0.81 |
17. |
16– 17 साल |
1.05 |
0.82 |
18. |
17– 18 साल |
1.05 |
0.82 |
आप चाहे तो क्रिएटिनिन लेवल को एक दिन में ही तेजी से सुधार सकते हैं। ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में हाई क्रिएटिनिन लेवल में फाल्स पॉजिटिव इंडिकेटर (False Positive Indicator) हो सकता है। ऐसे में देखा गया है कि डॉक्टर एक्सटेंडेड समय के लिए क्रिएटिनिन लेवल को मॉनिटर करते हैं। कई ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन बढ़ा होने के कारण क्रोनिक किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी डैमेज की संभावना नज़र आ सकती है। डायबिटीज से प्रभावित किडनी फंक्शन और क्रिएटिनिन लेवल को समझना ज़रूरी है।
शरीर में क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने के कारण किडनी अपनी कार्यक्षमता को खोने लग लगती है जिससे वह सही तरह से काम करने में असमर्थ हो जाती है। शरीर में हाई क्रिएटिनिन लेवल की वजह से कई परेशानियां पैदा हो कसती है जो कि इस प्रकार हैं:-
हाई क्रिएटिनिन लेवल की वजह से मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है या कहें ऑक्सीजन पहुंचने में कठिनाई आने लगती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना शुरू हो सकती है।
क्रिएटिनिन लेवल बढ़ जाने के कारण शरीर को काम करने में कठनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे व्यक्ति में थकान और कमजोरी महसूस होने लग जाती है। शरीर में थकावट और कमजोरी की स्थिति में क्रिएटिनिन और एनीमिया, दोनों की जांच ज़रूरी होती है।
क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने की वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं होना शुरू हो सकती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर होने की भी संभावना बढ़ सकती है। क्रिएटिनिन के साथ कोलेस्ट्रॉल की जांच भी ज़रूरी है, खासकर हृदय रोग से बचाव के लिए।
हाई क्रिएटिनिन लेवल की वजह से शरीर में ताकत की कमी होना नज़र आ सकती है और इस कारण व्यक्ति को मतली और उल्टी की समस्या भी हो सकती है।
खराब स्वास्थ्य और खानपान की वजह से शरीर में से क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है या फिर इसका निर्माण अधिक मात्रा में होने लग जाता है। इस स्थिति में क्रिएटिनिन लेवल बढ़ जाता है। हाई क्रिएटिनिन लेवल होने की वजह से किडनी और लिवर पर बहुत ही अधिक नुकसान पहुँच सकता है और इसके सिवा कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकताई है। क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने पर आप डॉक्टर या किसी किडनी एक्सपर्ट से परामर्श जरूर लें।
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