विटामिन ई एक आवश्यक पोषक तत्व है जो कि कोशिकाओं और विशेष रूप से त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कोशिकाओं को मुक्त रेडिकल्स से बचाता है। मुक्त रेडिकल्स अस्थिर अणु होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकते हैं। अगर किसी कारण शरीर में विटामिन ई की कमी हो जाती है, तो इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो सकती हैं, खासकर त्वचा और कोशिकाओं से संबंधित समस्याएँ जन्म लेती है। इस ब्लॉग के ज़रिए विटामिन ई की कमी के बारे एमिन विस्त्र से समझेंगे जिसमें लक्षण, कारण और पफायदे और ब्लड टेस्ट के बारे में चर्चा करेंगे।
विटामिन ई की कमी से व्यक्ति की मांसपेशियों में कमजोरी, समन्वय में कमी (Decreased coordination), और दृष्टि संबंधी समस्याएं होने की संभावना हो सकती हैं। इसके सिवा, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर भी कर सकती है, जिससे घाव भरने में समय लग सकता है।
विटामिन ई की कमी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी और थकान जैसी समस्या महसूस होने लग जाती है, जिससे व्यक्ति को उठने-बैठने या फिर चलने-फिरने में दिक्कते आने लगती है।
विटामिन ई की कमी के कारण व्यक्ति के शरीर का संतुलन बिगड़ने लग सकता है।इस वजह से चलने, बोलने और अन्य गतिविधियों में व्यक्ति समन्वय करने में कठिनाई या समस्या का समाना करना पड़ सकता है।
विटामिन ई की कमी के कारण व्यक्ति की आंखों की रोशनी कम होने लग सकती है।इस समस्या का असर खासकर रात के समय में समझ आएगा क्योंकि रात में समय में दिखाई देना कम हो जाएगा।
विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जिसकी वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति में इसकी कमी होती है तो संक्रमण की चपेट में जल्दी आ सकता है या फिर बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
विटामिन ई की कमी के कारण व्यक्ति के घाव भरने में देरी होने लगती है क्योंकि विटामिन ई हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर इसकी कमी होने लगती है तो घाव भरने में नार्मल से ज्यादा समय लग सकता है।
विटामिन ई की कमी की वजह से त्वचा रूखी होने लग जाती है साथ ही बाल भी कमजोर हो सकते हैं। इसलिए शरीर में विटामिन ई की कमी को पूरा करके, अपनी त्वचा ओर बालों को खुबसूरत बनाए रखें।
जानिए विटामिन D की कमी शरीर पर कैसे असर डालती है।
विटामिन ई की कमी के कई कारण हो सकते हैं और वह क्या है, आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में विस्तार से :-
जो लोग अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों का नहीं लेते हैं यानी सेवन नहीं करते हैं, उनमें विटामिन ई की कमी साफ़ दिखाई दे सकती है।
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विटामिन ई की कमी के कारण कुछ पाचन संबंधी समस्याएं का सामना करना पड़ सकता है।सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) या क्रोनिक कोलेस्टेटिक हेपेटोबिलरी रोग (Chronic cholestatic hepatobiliary disease), विटामिन ई के अवशोषण को बाधित हो सकते हैं।
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विटामिन ई की कमी उन शिशुओं में देखने को मिल सकती है जो समय से पहले ही पैदा हो गए हो क्योंकि समय से पहले जन्मे शिशुओं में विटामिन ई का लेवल कम हो सकता है।
विटामिन E के साथ-साथ विटामिन B12 की कमी भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
विटामिन ई टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट है जो व्यक्ति के शरीर में विटामिन ई के लेवल के बारे में पता लगाने में मदद करता है। यह टेस्ट शरीर में विटामिन ई की कमी या उसकी अधिक मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है, जो कि कोशिकाओं को नुकसान से बचाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाता है।
शरीर में विटामिन K की कमी की जानकारी भी जरूरी है।
विटामिन ई टेस्ट करवाने के पिच्छे कई वजह हो कस्ती है लेकिन वह क्या है? आइए जानते हैं कि वह कारण है जिसके लिए डॉक्टर आपको विटामिन ई टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं:-
पोषण से जुड़ी स्थिति का आकलन करने के लिए विटामिन ई टेस्ट किया जा सकता है.
वसा चयापचय को प्रभावित करने वाली स्थितियों के बारे में जानने के लिए इस टेस्ट की मदद ली जा सकती है.
शरीर में मौजूद वसा अवशोषित की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए भी विटामिन ई टेस्ट किया जाता है.
ऑक्सीडेटिव तनाव से ज्जुदी बीमारियों के जोखिम के बारे में जानने के लिए विटामिन ई टेस्ट किया जाता है.
विटामिन ई त्तेस्त की मदद से व्यक्ति के आहार या पूरक हस्तक्षेपों की निगरानी की जा सकती है।
फोलेट यानी विटामिन B9 की कमी भी स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
सबस पहले आमतौर पर, व्यक्ति की बांह की नस से खून का नमूना लिया जाता है।इसलिए त्वचा को एंटीसेप्टिक से साफ करके, खून का सैंपल निकाला जाता है।खून के नमूने को लैब में भेजा दिया जाता है जहाँ विटामिन ई के लेवल का विश्लेषण किया जाता है।
शरीर में आयरन और विटामिन की कमी पता करने के लिए फेरिटिन टेस्ट जरूरी है।
खून निकालने के दौरान व्यक्ति को हल्की सी चुभन,दर्द या तकलीफ महसूस हो सकती है।टेस्ट के बाद किसी विशेष तरह की देखभाल की ज़रुरत नहीं होती है।टेस्ट के परिणाम लैब द्वारा ही दिए जाते हैं।
डायबिटीज और ब्लड से जुड़ी जांच में HbA1c टेस्ट भी महत्वपूर्ण है।
विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जो कि कोशिकाओं को क्षति होने से बचाने मदद करता है।अगर यह कम या ज़्यादा मात्रा में किसी व्यक्ति के शरीर में मौजूद हो तो दोनों ही स्थिति गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं को जन्म दे सकती हैं।वह कुछ मामलों में, टेस्ट से पहले उपवास करने की सलाह दी जा सकती है, जिससे परिणाम सटीक आए।
विटामिन्स के साथ-साथ कैल्शियम की कमी भी शरीर पर असर डालती है।
विटामिन ई की पूर्ति करने से त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलगा, बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकने में मदद मिलगी साथ ही व्यक्ति को अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाए रखने में सहायता मिलेगी। विटामिन ई की पूर्ति करने से दिल से जुड़ी बिमारियों के जोखिम को कम करने भी मदद मिलती है. विटामिन ई बालों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में भी काफी फायदेमंद है।
खून की कमी यानी एनीमिया, अक्सर विटामिन की कमी से जुड़ा होता है।
विटामिन ई हमारे शरीर के लिए बहुत ही ज़रूरी है जैसे बाकि अन्य विटामिन और मिनरल्स की तरह इसलिए इसकी कमी की पूर्ति करने ख्द्को स्वस्थ बनाए रखें।
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