मानसून गर्मी से राहत तो देता है लेकिन इसकी शुरुआत में बहुत से अलग-अलग तरह के संक्रामक बीमारियों का कारण भी बन जाते हैं। भारत में मानसून के शुरुआत के समय में सामान्य शीत लहरें, फ्लू, टाइफाइड, मच्छर से होने वाली बीमारियाँ जिसमें मलेरिया, डेंगू और फंगल इन्फेक्शन आदि शामिल है। लेकिन बरसात में कुछ संक्रमण बैक्टीरिया, कवक और परजीवियों के कारण से भी होते हैं। आइए आज के ब्लॉग के जरिए जाने कि बरसात में डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों से कैसे बचाव किया जा सकता है।
मलेरिया की बीमारी एक बहुत गंभीर बीमारी है जो रेड ब्लड सेल्स को संक्रमित करने वाले परजीवियों की वजह से हटी है। मलेरिया होने पर व्यक्ति को हल्के बुखार से लेकर गंभीर जटिलताओं तक की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर सही समय और ठीक से इलाज न हो तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।
बरसात में जमे पानी में मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बन जाता है। प्लास्मोडियम जीनस के परजीवियों की वजह से यह समस्या होती है। यह परजीवी संक्रमित एनोफिलीज मच्छरों में होता है और इन मच्छरों के काटने के कारण फैलता हैं, जिससे मलेरिया होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
अगर मलेरिया के लक्षण की बात कि जाए तो आमतौर पर संक्रमण 9 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। उन लक्सन में शामिल है तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होना और थकान महसूस होना आदि। कुछ गंभीर मामलों में यह समस्या एनीमिया, ऑर्गन फेल्योर या सेरेब्रल मलेरिया जो कि मस्तिष्क को प्रभावित करता है, वहाँ तह पहुँच जाती है।
मलेरिया का इलाज विशेष दवाइयों से किया जाता है। आप इस बीमारी से बचने के लिए कीट निरोधक का इस्तेमाल कर सकतें हैं। लंबी बाजू वाले कपड़े पहनें और मच्छरदानी के अंदर सोएं। घर के आसपास के क्षेत्र में पानी जमा न होने दें और मच्छरों के प्रजनन स्थलों को कम करने के लिए कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करें।
अगर आपको बुखार बार-बार आ रहा है, तो मलेरिया की जानकारी ज़रूर पढ़ें।
डेंगू बुखार एक तरह का वायरल संक्रमण है जो कि एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने के कारण फैलता है। बरसात का मौसम इन मच्छरों के लिए आदर्श माना गया है क्योंकि डेंगू फैलने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसे अक्सर हड्डी तोड़ बुखार भी कहा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मरीज की मांसपेशियों और जोड़ों में गंभीर रूप से दर्द होता है। डेंगू के कारण कई गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
डेंगू होने पर मरीज को कुछ लक्षण नज़र आ सकते हैं जैसे कि अचानक से तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, आंखों में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द आदि। कुछ गंभीर मामलों में, डेंगू रक्तस्रावी बुखार जिसको डीएचएफ भी कहते हैं या डेंगू शॉक सिंड्रोम जिसको डीएसएस कहा जाता है, इनका रूप ले सकता है जो कि मरीज के जीवन के लिए खतरा साबित हो कसते हैं।
डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है। इलाज का ध्यान लक्षणों को रोकने के लिए किया जाता है जिसमें सबसे जरूरी है कि आप शरीर को हाइड्रेट रखें। मरीजों को अधिक से अधिक आराम करने की सलाह डी जाती है। अधिक तरल पदार्थ का सेवन और दर्द तथा बुखार के लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवाई का सेवन करने की सलाह दी जाती है। कुछ गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
आप इस समस्या के बचाव के लिए कीट प्रतिकारक का इस्तेमाल करें। लंबी आस्तीन वाले कपड़े पहनें साथ में पैंट पहनें यानी शरीर को ढक कर रखें। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें करें। मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर जमा हुए पानी को हटा दें और आवश्यकतानुसार कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
टाइफाइड बुखार एक तरह का बैक्टीरियल संक्रमण है जो कि आंतरिक अंगों पर बुरा असर डालता है। बिना इलाज के,टाइफाइड की समस्या गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की वजह से होता है, जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है। विशेषकर ऐसे क्षेत्रों में जहां स्वच्छता की कमी है वह टाइफाइड की समस्या अधिक देखने को मिलती है।
टाइफाइड के लक्षणों की बात की जाए तो लंबे समय तक बुखार रहना सबसे बड़ा लक्षण है। कमजोरी, पेट दर्द, सिर में दर्द और भूख न लगना आदि जैसे लक्षण भी शामिल हैं। कुछ लोगों में पेट पर गुलाबी रंग के चकत्ते भी दिखाई दए सकते हैं। टाइफाइड बुखार का इलाज एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जाता है। जल्दी निदान और उपचार जटिलताओं को रोकने में मदद करता है और समस्या को ठीक करने में कारगार रहता है।
टाइफाइड बुखार से बचने के लिए एक सुनिश्चित समय पर भोजन करने की आदत बनाए। साफ पानी और भोजन को सही से पका कर ही खाएं। हाथों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, अस्वस्थ खानपान के सेवन से बचें और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें या फिर समय से टीकाकरण करवाएं।
रात को दिन में सभी आप सोये या आराम करें तब सबसे पहले मच्छरदानी का प्रयोग करें और यह सुनिश्चित करें कि वह सही तरीके से लगी है या नहीं।
घर से बाहर निकलते समय भी और घर के अंदर रहने पर भी मच्छर भगाने वाली क्रीम या तेल और अगरबत्ती का प्रयोग करें।
बरसात के मौसम में खुदको ढक कर रखना चाहिए, इसलिए पूरे बाजू के कपड़े पहनकर मच्छरों से खुद का बचाव करें।
अपने घर के आसपास के क्षेत्रों और घर के अंदर भी कहीं पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन के लिए एक आदर्श स्थान बन जाएगा। इस कारण फिर मच्छर से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। डेंगू और टाइफाइड के अलावा इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों से भी सावधान रहना ज़रूरी है
हमेशा ही पानी को उबले या या फिल्टर हुआ ही पानी का सेवन करें। खासतौर पर बरसात के समय इन दोनों बात का विशेष ध्यान रखें।
सड़क पर मिलने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि बरसात के समय न जाने वह क्षेत्र कितना दूषित होगा या फिर किस तरह का पनाई का इस्तेमाल किया होगा आदि सवाल खड़े होते हैं।
किसी भी तरह के फल और सब्जियों के इस्तेमाल करने से पहले उनको अच्छी तरह से पानी से धो लें।
खाने से पहले और बाद में हाथ धोना जरूरी है। अगर आप शौचालय का उपयोग करके आए है तो अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं। बार बार हाथ धोने की आदत आपको बहुत से संक्रमण से बचा सकती है।
बरसात में मच्छरों से फैलने वाला एक और रोग है चिकनगुनिया, इसके लक्षण और उपचार जानें।
अपने घर और आसपास के वातावरण को भी साफ-सुथरा रखकर आप बरसात में होने वाली बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
आप संतुलित आहार लेना शुरू करे दें जिससे आप बहुत सी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं। मौसमी फल और सब्जियां को अपनी डाइट में शामिल करें, पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और आराम करें।
अगर आपको कोई बताए हुए कोई भी लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। बताई हुई सावधानियों का पालन करके, आप बरसात के मौसम में वाली गंभीर बीमारियाँ डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड से खुद को और अपने परिवार का बचा सकते हैं। टाइफाइड की पुष्टि के लिए कौन-सा टेस्ट ज़रूरी है? जानें Widal टेस्ट के बारे में।
बरसात में बहुत सी बीमारियाँ पैदा होती है जिसको आप समय रहते रोक सकते हैं। साफ साफ़ाई का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए खुदका भी ध्यान रखें। डेंगू, मलेरिया या टाइफाइड के शुरुआती लक्षणों में डॉक्टर अक्सर CBC टेस्ट की सलाह देते हैं जानिए इसकी रिपोर्ट कैसे समझें।
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